तृतीय भाव और ज्योतिष
मित्रों तीसरे भाव को ज्योतिष में साहस और शोर्य का भाव की संज्ञा दी गई है क्योंकि ये हमारी बाजुओ की ताकत को दर्शाने वाला भाव है हम में कितना साहस आत्मविश्वास है उसे ये ही भाव दर्शाता है \ इसका एक प्रमुख कारण ये है की मंगल इस भाव का कारक ग्रह है और मंगल को ज्योतिष में उतेजना साहस हिम्मत का कारक ग्रह माना गया है | इसी के साथ ये जातक के द्वारा अपना फर्ज किस हद तक निभा सकता है उसके बारे में भी हमे जानकारी देता है \साथ ही दूसरों के साथ लड़ाई झगड़े में हमारी हालत कैसी होगी उसे भी ये भाव दर्शाता है |
रिश्तेदारी में ये भाव हमारे छोटे भाई को इंगित करता है हमारे भाईयों की सिथ्ती कैसी होगी वो इसी भाव पर निर्भर करता है \ दिशाओं में ये भाव दक्षिण दिशा का कारक भाव है इसिलिय इस भाव में यदि मंगल अच्छी सिथ्ती में हो तो उस जातक को दक्षिण दिशा के दरवाज़े वाला मकान भी नुक्सान नही करता क्योंकि मंगल दक्षिण दिशा का कारक ग्रह होता है \ शरीर में ये हमारे बाजुओं दाए कान और फेफड़ो को दर्शता है इसिलिय इस भाव की अशुभता होने पर जातक को इनमे से किसी एक अंग में समस्या का सामना करना पड़ जाता है\
इस भाव का सम्बन्ध घर में रखे जाने वाले हथियारों से भी है इसिलिय यदि इस भाव में बहुत ही शुभ ग्रह हो और घर में यदि जंग लगे हुवे बिना धार के ये खराब हो चुके हथियार रखे जाए तो उनका जातक को अशुभ फल मिलता है |
फलदार पोधे भी इसी भाव द्वारा देखें जाते है इसिलिय यदि इस भाव में अच्छे फल देने वाले ग्रह है तो ऐसे पोधे घर में लगाने से लाभ मिलता है |
वैसे तो व्यय भाव बारवां होता है लेकिन तीसरे भाव को भी धन की हानि का मना जाता है इसिलिय चोरी आदि होना इसी भाव से देखा जाता है |
मित्रों ये भाव किसी भी चीज में एक्स्ट्रा मेहनत और देरी करवाने का भी कार्य करता है जिस भी भाव के मालिक का सम्बन्ध इस भाव से बनता है उसके फलों में देरी ये भाव करवा देता है जैसे की पंचमेश यहाँ हो तो सन्तान होने में देरी हो जाती है यदि सप्तमेश यहाँ हो तो विवाह होने में देरी हो जाने के योग बन जाते है | साथ ही जिस भाव उस भाव से सम्बन्धित फलों की प्राप्ति के लिय जातक को एक्स्ट्रा मेहनत और भाग्दौर करनी पडती है जैसे की चतुर्थेश यहाँ हो तो जातक को मकान वाहन लेने के लिय सामान्य से ज्याददा मेहनत और भाग्दौर करनी पडती है |
चूँकि ये भाव अस्ठ्म भाव से अस्ठ्म होंता है इसिलिय ये कुछ हमारी आयु को भी दर्शाता है इसिलिय इसे “ दुनिया से हमारा नाता खत्म “ कहकर संबोधित किया गया है |
इस भाव में यदि ग्रह अच्छे फल नही दे रहे हो तो हमे हमारी मेहनत का पूर्ण फल नही मिल पाता है जीवन में संघर्ष और भाग्दौर बहुत करनी पडती है | भाइयों की हालत भी जायदा अच्छी नही रहती |
जय श्री राम
रिश्तेदारी में ये भाव हमारे छोटे भाई को इंगित करता है हमारे भाईयों की सिथ्ती कैसी होगी वो इसी भाव पर निर्भर करता है \ दिशाओं में ये भाव दक्षिण दिशा का कारक भाव है इसिलिय इस भाव में यदि मंगल अच्छी सिथ्ती में हो तो उस जातक को दक्षिण दिशा के दरवाज़े वाला मकान भी नुक्सान नही करता क्योंकि मंगल दक्षिण दिशा का कारक ग्रह होता है \ शरीर में ये हमारे बाजुओं दाए कान और फेफड़ो को दर्शता है इसिलिय इस भाव की अशुभता होने पर जातक को इनमे से किसी एक अंग में समस्या का सामना करना पड़ जाता है\
इस भाव का सम्बन्ध घर में रखे जाने वाले हथियारों से भी है इसिलिय यदि इस भाव में बहुत ही शुभ ग्रह हो और घर में यदि जंग लगे हुवे बिना धार के ये खराब हो चुके हथियार रखे जाए तो उनका जातक को अशुभ फल मिलता है |
फलदार पोधे भी इसी भाव द्वारा देखें जाते है इसिलिय यदि इस भाव में अच्छे फल देने वाले ग्रह है तो ऐसे पोधे घर में लगाने से लाभ मिलता है |
वैसे तो व्यय भाव बारवां होता है लेकिन तीसरे भाव को भी धन की हानि का मना जाता है इसिलिय चोरी आदि होना इसी भाव से देखा जाता है |
मित्रों ये भाव किसी भी चीज में एक्स्ट्रा मेहनत और देरी करवाने का भी कार्य करता है जिस भी भाव के मालिक का सम्बन्ध इस भाव से बनता है उसके फलों में देरी ये भाव करवा देता है जैसे की पंचमेश यहाँ हो तो सन्तान होने में देरी हो जाती है यदि सप्तमेश यहाँ हो तो विवाह होने में देरी हो जाने के योग बन जाते है | साथ ही जिस भाव उस भाव से सम्बन्धित फलों की प्राप्ति के लिय जातक को एक्स्ट्रा मेहनत और भाग्दौर करनी पडती है जैसे की चतुर्थेश यहाँ हो तो जातक को मकान वाहन लेने के लिय सामान्य से ज्याददा मेहनत और भाग्दौर करनी पडती है |
चूँकि ये भाव अस्ठ्म भाव से अस्ठ्म होंता है इसिलिय ये कुछ हमारी आयु को भी दर्शाता है इसिलिय इसे “ दुनिया से हमारा नाता खत्म “ कहकर संबोधित किया गया है |
इस भाव में यदि ग्रह अच्छे फल नही दे रहे हो तो हमे हमारी मेहनत का पूर्ण फल नही मिल पाता है जीवन में संघर्ष और भाग्दौर बहुत करनी पडती है | भाइयों की हालत भी जायदा अच्छी नही रहती |
जय श्री राम
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