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Showing posts from March, 2017

नवग्रह शाबर मन्त्र

रविदेव हवन - हवन सामग्रीः- गौघृत तथा अर्क की लकड़ी । दिशाः- पूर्व, मुद्रा-हंसी, संख्याः- ९ बार या १०८ बार । मन्त्रः- “सत नमो आदेश । गुरुजी को आदेश । ॐ गुरुजी । सुन बा योग मूल कहे बारी बार । सतगुरु का सहज विचार ।। ॐ आदित्य खोजो आवागमन घट में राखो दृढ़ करो मन ।। पवन जो खोजो दसवें द्वार । तब गुरु पावे आदित्य देवा ।। आदित्य ग्रह जाति का क्षत्रिय । रक्त रंजित कश्यप पंथ ।। कलिंग देश स्थापना थाप लो । लो पूजा करो सूर्य नारायण की । सत फुरै सत वाचा फुरै श्रीनाथजी के सिंहासन ऊपर पान फूल की पूजा चढ़ै । हमारे आसन पर ऋद्धि-सिद्धि धरै, भण्डार भरे । ७ वार, २७ नक्षत्र, ९ ग्रह, १२ राशि, १५ तिथि । सोम-मंगल शुक्र शनि । बुध-गुरु-राहु-केतु सुख करै, दुःख हरै । खाली वाचा कभी ना पड़ै ।। ॐ सूर्य मन्त्र गायत्री जाप । रक्षा करे श्री शम्भुजती गुरु गोरखनाथ । नमो नमः स्वाहा ।” सोमदेव हवन - हवन सामग्रीः- गौघृत तथा पलाश की लकड़ी । दिशाः- पूर्व, मुद्रा-हंसी, संख्याः- ९ बार या १०८ बार । मन्त्रः- “ॐ गुरुजी, सोमदेव मन धरी बा शून्य । निर्मल काया पाप न पुण्य ।। शशी-हर बरसे अम्बर झरे । सोमदेव गुण येता करें । सोमदेव ज...

पुराणों में लिखे उपाय से करें अपनी गरीबी का नाश

दरिद्रतानाशक सूक्त दरिद्रता (गरीबी) का यहां तक महत्व है कि अति प्राचीन परम पवित्र ऋग्वेद तक में उसके निवारण के लिए एक सूक्त पाया जाता है जो निम्र प्रकार है : अरायि काणे विकटे गिरिं गच्छ सदन्वे। शिरिन्विठस्य सत्वभिस्तेभिष्ट्रवा चातयामासि।। चत्तो इतश्चत्तामुत: सर्वा भ्रूणान्यारुषी। अराय्यं ब्रह्मणस्पते तीक्ष्ण-शृडगोदषन्निहि। अदो यद्दारु प्लवते सिन्धो पारे अपूरूषम्। तदा रभस्व दुर्हणो तेन गच्छ परस्तरम्।। यद्ध प्राचीरजगन्तोरो मंडूर-धाणिको:। हत इंद्रस्य शत्रव: सर्वे बुद्बुदयाशव:।। ‘‘दरिद्रते! तुम दान विरोधिनी, कुशब्द वाली, विकट आकार वाली और क्रोधिनी हो। मैं (शिरिन्विठ) ऐसा उपाय करता हूं, जिससे तुम्हें दूर करूंगा। दरिद्रता वृक्ष, लता, शस्य आदि का अंकुर नष्ट करके दुॢभक्ष ले आती है। उसे मैं इस लोक और उस लोक से दूर करता हूं। तेजशाली ब्रह्मणस्पति! दान- द्रोहिणी इस दरिद्रता को यहां से दूर कर आओ। यह जो काष्ठ समुद्र-तट के पास बहता है, उसका कोई कर्ता (स्वामी) नहीं है। विकृत आकृति वाली अलक्ष्मी (दरिद्रता)! इसी के ऊपर चढ़कर समुद्र के दूसरी ओर चली जाओ। हिंसामयी और कुत्सित शब्द वाली अलक्ष्मियो...

घर किराए का हो या खुद का, ध्यान रखें ये जरूरी छोटी-छोटी

क्या आप जानते हैं, प्रत्येक व्यक्ति का अपना एक अलग आभामंडल होता है। आभामंडल का अर्थ है हमारे शरीर के आसपास रहने वाली अदृश्य ऊर्जा। यही ऊर्जा समाज और घर-परिवार में हमारी अच्छी बुरी छबि निर्मित करती है। जिस प्रकार इंसान का आभामंडल होता है, ठीक उसी प्रकार हमारे घर का भी आभामंडल होता है। यदि आपके घर का आभामंडल विकसित और शुभ होगा तो वह आपको भाग्यशाली बना सकता है। घर का आभामंडल तभी विकसित हो सकता है, जब वहां पूरी तरह सकारात्मक ऊर्जा रहती है। यदि घर में नकारात्मक ऊर्जा रहेगी तो आभामंडल भी बुरा असर दिखा सकता है। इसी वजह से घर में ऐसी बातों का ध्यान रखना चाहिए, जिससे घर के आभामंडल से हमें भी सही ऊर्जा मिलती रहे। यदि घर में कोई वास्तु दोष होता है तो नकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है। घर का निर्माण होते समय ही यदि वास्तु दोष रह जाए तो उसे दूर करने के लिए घर में तोड़-फोड़ की जाती है। जो लोग घर के मालिक हैं, वे तो आसानी से तोड़-फोड़ करके वास्तु दोष दूर कर सकते हैं। जबकि जो लोग किराएदार हैं, वे घर में तोड़-फोड़ नहीं कर सकते हैं। ऐसी परिस्थिति में यहां दी जा रही कुछ बातों का ध्यान रखेंगे तो आपके घर का वास्...