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Showing posts from December, 2019

विवाह बाधा के वैदिक ज्योतिषीय उपाय

🔸🔸🔹🔸🔸🔹🔸🔸🔹🔸🔸 ज्योतिष के अनुसार कुंडली में कुछ विशेष ग्रह दोषों के प्रभाव से वैवाहिक जीवन पर बुरा असर पड़ता है। ऐसे में उन ग्रहों के उचित ज्योतिषीय उपचार के साथ ही मां पार्वती को प्रतिदिन सिंदूर अर्पित करना चाहिए।  सिंदूर को सुहाग का प्रतीक माना जाता है। जो भी व्यक्ति नियमित रूप से देवी मां की पूजा करता है उसके जीवन में कभी भी पारिवारिक क्लेश, झगड़े, मानसिक तनाव की स्थिति निर्मित नहीं होती है। सप्तम भाव गत शनि स्थित होने से विवाह बाधक होते है। अतः “ॐ शं शनैश्चराय नमः” मन्त्र का जप ७६००० एवं ७६०० हवन शमी की लकड़ी, घृत, मधु एवं मिश्री से करवा दें। राहु या केतु होने से विवाह में बाधा या विवाहोपरान्त कलह होता है। यदि राहु के सप्तम स्थान में हो, तो राहु मन्त्र “ॐ रां राहवे नमः” का ७२००० जप तथा दूर्वा, घृत, मधु व मिश्री से दशांश हवन करवा दें। केतु स्थित हो, तो केतु मन्त्र “ॐ कें केतवे नमः” का २८००० जप तथा कुश, घृत, मधु व मिश्री से दशांश हवन करवा दें। सप्तम भावगत सूर्य स्थित होने से पति-पत्नी में अलगाव एवं तलाक पैदा करता है। अतः जातक आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ रविवार से...

वास्तु दोष - घर में चित्र कैसे लगाए

🌹🌹 घरों में तस्वीर या चित्र लगाने से घर सुंदर दिखता है, परंतु बहुत कम ही लोग यह जानते हैं कि घर में लगाए गए चित्र का प्रभाव वहां रहने वाले लोगों के जीवन पर भी पड़ता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में श्रृंगार, हास्य व शांत रस उत्पन्न करने वाली तस्वीरें ही लगाई जानी चाहिए। घर के अन्दर और बाहर सुन्दर चित्र , पेंटिंग , बेल- बूटे , नक्काशी लगाने से ना सिर्फ सुन्दरता बढती है , वास्तु दोष भी दूर होते है। 1- फल-फूल व हंसते हुए बच्चों की तस्वीरें जीवन शक्ति का प्रतीक है। उन्हें पूर्वी व उत्तरी दीवारों पर लगाना शुभ होता है। इनसे जीवन में खुशहाली आती है। 2- लक्ष्मी व कुबेर की तस्वीरें भी उत्तर दिशा में लगानी चाहिए। ऐसा करने से धन लाभ होने की संभावना अधिक होती है। 3- यदि आप पर्वत आदि प्राकृतिक दृश्यों की तस्वीरें लगाना चाहते हैं तो दक्षिण या पश्चिम दिशा में लगाएं। 4- नदियों-झरनों आदि की तस्वीरें उत्तरी व पूर्वी दिशा में लगाना शुभ होता है। 5- युद्ध प्रसंग, रामायण या महाभारत के युद्ध के चित्र, क्रोध, वैराग्य, डरावना, वीभत्स, दुख की भावना वाला, करुण रस से ओतप्रोत स्त्री,...

इस गुप्त नवरात्र में करें नवार्ण मन्त्र साधना

🌼🙏🏻🌼 *!!!! नवार्ण मन्त्र !!!!* 🌼🙏🏻🌼 माता भगवती जगत् जननी दुर्गा जी की साधना-उपासना के क्रम में, नवार्ण मंत्र एक ऐसा महत्त्वपूर्ण महामंत्र है ! नवार्ण अर्थात नौ अक्षरों का इस नौ अक्षर के महामंत्र में नौ ग्रहों को नियंत्रित करने की शक्ति है ! जिसके माध्यम से सभी क्षेत्रों में पूर्ण सफलता प्राप्त की जा सकती है और मॉ भगवती का पूर्ण आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है यह महामंत्र शक्ति साधना में सर्वोपरि तथा सभी मंत्रों- स्तोत्रों में से एक महत्त्वपूर्ण महामंत्र है ! यह माता भगवती दुर्गा जी के तीनों स्वरूपों माता महासरस्वती, माता महालक्ष्मी व माता महाकाली की एक साथ साधना का पूर्ण प्रभावक बीज मंत्र है और साथ ही माता दुर्गा के नौ रूपों का संयुक्त मंत्र है और इसी महामंत्र से नौ ग्रहों को भी शांत किया जा सकता है !!                      *-: नवार्ण मंत्र :-*           *-: “ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चै” :-* ✍🏻 नौ अक्षर वाले इस अद्भुत नवार्ण मंत्र में देवी दुर्गा की नौ शक्तियां समायी हुई है ! जिसका सम्बन...

आर्थिक तंगी दूर करने के लिए हनुमानजी की साधना एवं उपाय

शास्त्रों के अनुसार हनुमानजी शीघ्र प्रसन्न होने वाले देवी-देवताओं में से एक हैं। गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित श्रीरामचरित मानस के अनुसार माता सीता द्वारा पवनपुत्र हनुमानजी को अमरता का वरदान दिया गया है। इसी वरदान के प्रभाव से इन्हें भी अष्टचिरंजीवी में शामिल किया जाता है। कलयुग में हनुमानजी भक्तों की सभी मनोकामनाएं तुरंत ही पूर्ण करते हैं। बजरंगबली को प्रसन्न करने के लिए कई प्रकार के उपाय बताए गए हैं। इन्हीं उपायों में से एक उपाय यहां बताया जा रहा है। इस उपाय को विधिवत किया जाए तो बहुत जल्दी सकारात्मक फल प्राप्त होते हैं। यह उपाय पीपल के पत्तों से किया जाता है। श्रीराम के अनन्य भक्त हनुमानजी की कृपा प्राप्त होते ही भक्तों के सभी दुख दूर हो जाते हैं। पैसों से जुड़ी समस्याएं समाप्त हो जाती हैं। कोई रोग हो तो वह भी नष्ट हो जाता है। इसके साथ ही यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में कोई ग्रह दोष हो तो पवनपुत्र की पूजा से वह भी दूर हो जाता है। हनुमानजी की पूजा में पवित्र का पूरा ध्यान रखना चाहिए। यदि कोई व्यक्ति पैसों की तंगी का सामना करना रहा है तो उसे प्रति मंगलवार और शनिवार को पीपल के 11 पत...

शीघ्र विवाह के अचूक उपाय

वैदिक ज्योतिष में शीघ्र विवाह के उपाय बताए गए हैं। इस लेख में हम शादी में देरी को लेकर आने वाली परेशानी और उनके समाधानों की बात कर रहे हैं। शीघ्र विवाह और सही समय पर शादी हर युवक-युवती की इच्छा होती है। विवाह में देरी होने से नौजवानों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। विवाह में आने वाली परेशानियों की ज्योतिष शास्त्र में कई वजह बताई जाती हैं। इनमें मांगलिक दोष, बृहस्पति और शुक्र ग्रह की खराब स्थिति आदि वजह प्रमुख हैं। यदि किसी भी युवक और कन्या की कुंडली में ऐसे दोष हैं तो विवाह में देरी या शादी के बाद परेशानी उत्पन्न होने की संभावना बनी रहती है। हिंदू धर्म और ज्योतिष विद्या में शीघ्र विवाह के सरल उपाय मौजूद हैं। व्रत, तंत्र-मंत्र, टोटके जैसे तमाम ज्योतिष और धार्मिक उपायों से विवाह में आ रही मुश्किलों को दूर किया जा सकता है। आइये जानते हैं शीघ्र विवाह के सरल उपाय। विवाह में बाधा आने के कारण अक्सर जातकों की कुंडली में ऐसे योग भी होते हैं जिससे उनकी शादी में बाधाएँ आती है और लाख कोशिश करने के बावजूद वे शादी की ख़ुशी से वंचित रह जाते हैं इसलिए जिस प्रकार एक चिकित्सक के लिए किसी...

हनुमान चालीसा में छिपे मैनेजमेंट के सूत्र

कई लोगों की दिनचर्या हनुमान चालीसा पढ़ने से शुरू होती है। पर क्या आप जानते हैं कि श्री *हनुमान चालीसा* में 40 चौपाइयां हैं, ये उस क्रम में लिखी गई हैं जो एक आम आदमी की जिंदगी का क्रम होता है। माना जाता है तुलसीदास ने चालीसा की रचना मानस से पूर्व किया था। हनुमान को गुरु बनाकर उन्होंने राम को पाने की शुरुआत की। अगर आप सिर्फ हनुमान चालीसा पढ़ रहे हैं तो यह आपको भीतरी शक्ति तो दे रही है लेकिन अगर आप इसके अर्थ में छिपे जिंदगी  के सूत्र समझ लें तो आपको जीवन के हर क्षेत्र में सफलता दिला सकते हैं। हनुमान चालीसा सनातन परंपरा में लिखी गई पहली चालीसा है शेष सभी चालीसाएं इसके बाद ही लिखी गई। हनुमान चालीसा की शुरुआत से अंत तक सफलता के कई सूत्र हैं। आइए जानते हैं हनुमान चालीसा से आप अपने जीवन में क्या-क्या बदलाव ला सकते हैं…. *शुरुआत गुरु से…* हनुमान चालीसा की शुरुआत *गुरु* से हुई है… श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि। *अर्थ* - अपने गुरु के चरणों की धूल से अपने मन के दर्पण को साफ करता हूं। गुरु का महत्व चालीसा की पहले दोहे की पहली लाइन में लिखा गया है। जीवन में गुरु...

ललाट की रेखाएं

हाथ की रेखाओं के अतिरिक्त आपके मस्तक की रेखाएं भी बहुत कुछ बोलती हैं। यह बात अलग है कि सामान्य तौर पर इन्हें नजर अंदाज कर दिया जाता है। अगर हाथ की रेखाओं के साथ मस्तिष्क(ललाट) रेखाओं का भी अध्ययन कर लिया जाए तो भविष्य जानने में और भी आसानी रहती है,तथा प्रामाणिकता भी असंदिग्ध रहती है। इसकी पहचान निम्न प्रकार से है। 1- ललाट में बालों के नीचे जो पहली रेखा है वह शनि रेखा है। 2-इसके नीचे वाली रेखा गुरु रेखा है। 3-तीसरी रेखा मंगल रेखा है। 4- चौथी रेखा का स्वामी सूर्य है जो मान-सम्मान और यश प्रदान करता है। 5-मस्तक की पांचवीं रेखा का स्वामी शुक्र है जो आपको जीवन के सारे सुख उपलब्ध कराता है। 6- छठी रेखा के स्वामी बुध हैं। 7- सातवीं रेखा जो इन सबके नीचे है ,वह चंद्र का स्थान है। इन रेखाओं के अतिरिक्त दाहिने नेत्र के ऊपरी भाग में उठी हुई एक छोटी सी रेखा सूर्य रेखा कही जाती है और बाईं तरफ ऐसी ही रेखा चंद्र रेखा कही जाती है। शनि रेखा- यदि शनि रेखा सीधी हो तो व्यक्ति बुद्धिमान होता है और अगर यह टेढ़ी-मेढ़ी हो तो चिड़चिड़े स्वभाव का होता है। गुरु रेखा-यदि यह सीधी हो तो जातक ईमानदार होता है...

घर में समृद्धि

॰ घर में समृद्धि लाने हेतु घर के उत्तरपश्चिम के कोण (वायव्य कोण) में सुन्दर से मिट्टी के बर्तन में कुछ सोने-चांदी के सिक्के, लाल कपड़े में बांध कर रखें। फिर बर्तन को गेहूं या चावल से भर दें। ऐसा करने से घर में धन का अभाव नहीं रहेगा। ॰ घर में स्थायी सुख-समृद्धि हेतु पीपल के वृक्ष की छाया में खड़े रह कर लोहे के बर्तन में जल, चीनी, घी तथा दूध मिला कर पीपल के वृक्ष की जड़ में डालने से घर में लम्बे समय तक सुख-समृद्धि रहती है और लक्ष्मी का वास होता है। ॰ घर में बार-बार धन हानि हो रही हो तों वीरवार को घर के मुख्य द्वार पर गुलाल छिड़क कर गुलाल पर शुद्ध घी का दोमुखी (दो मुख वाला) दीपक जलाना चाहिए। दीपक जलाते समय मन ही मन यह कामना करनी चाहिए की भविष्य में घर में धन हानि का सामना न करना पड़े´। जब दीपक शांत हो जाए तो उसे बहते हुए पानी में बहा देना चाहिए।

सूर्य तप्त जल और उसके रंगों से चिकत्सा (क्रोमोथैरेपी )

क्रोमोथैरेपी रोम की एक प्रचीन चिकित्सा पद्धति है। क्रोमो का अर्थ होता है रंग और पैथी का अर्थ है- चिकित्सा पद्धति यानि रंगों पर आधारित चिकित्सा जिसमें बीमारियों का पता लगाकर उससे सम्बन्धित रंगों का प्रकाश दिया जाता है। उर्जा के प्रमुख संचालक सूर्य के प्रकाश में सात प्रकार के रंग मौजूद होते है।  1-लाल, 2- पीला, 3-हरा, 4-नीला, 5-आसमानी, 6-बैंगनी,7-नारंगी इस पद्धति में सूर्य के प्रकाश में सात प्रकार के रंगों को शरीर के विभिन्न अवयव ग्रहण करते हैं। जिससे शरीर में रंगों का संतुलन बना रहता है, और यह संतुलन बिगड़ते ही शरीर रोगों की चपेट में आ जाता है। इस प्रचीन चिकित्सा पद्धति में बीमारियों के लक्षणों का पता लगाकर उससे सम्बन्धित रंगों का प्रकाश देकर शरीर के विकारों को दूर किया जाता है। इसमें बीमारी के अनुसार उससे सम्बन्धित रंग का जल सेवन करना पड़ता है। एक साफ कांच की बोतल में पानी भरकर उसके चारों ओर विशेष रंग का कागज लपेट दिया जाता है, तत्पश्चात आठ-आठ घन्टे इस बोतल को धूप में रखकर रोगी को 7 दिनों तक एक-एक कप सुबह व शाम जल पिलाया जाता है। सूर्य की किरणों में मौजूद सात रंगों का प्रयोग ...