इस गुप्त नवरात्र में करें नवार्ण मन्त्र साधना
🌼🙏🏻🌼 *!!!! नवार्ण मन्त्र !!!!* 🌼🙏🏻🌼
माता भगवती जगत् जननी दुर्गा जी की साधना-उपासना के क्रम में, नवार्ण मंत्र एक ऐसा महत्त्वपूर्ण महामंत्र है ! नवार्ण अर्थात नौ अक्षरों का इस नौ अक्षर के महामंत्र में नौ ग्रहों को नियंत्रित करने की शक्ति है ! जिसके माध्यम से सभी क्षेत्रों में पूर्ण सफलता प्राप्त की जा सकती है और मॉ भगवती का पूर्ण आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है यह महामंत्र शक्ति साधना में सर्वोपरि तथा सभी मंत्रों- स्तोत्रों में से एक महत्त्वपूर्ण महामंत्र है ! यह माता भगवती दुर्गा जी के तीनों स्वरूपों माता महासरस्वती, माता महालक्ष्मी व माता महाकाली की एक साथ साधना का पूर्ण प्रभावक बीज मंत्र है और साथ ही माता दुर्गा के नौ रूपों का संयुक्त मंत्र है और इसी महामंत्र से नौ ग्रहों को भी शांत किया जा सकता है !!
*-: नवार्ण मंत्र :-*
*-: “ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चै” :-*
✍🏻 नौ अक्षर वाले इस अद्भुत नवार्ण मंत्र में देवी दुर्गा की नौ शक्तियां समायी हुई है ! जिसका सम्बन्ध नौ ग्रहों से भी है !!
*ऐं =* सरस्वती का बीज मन्त्र है !!
*ह्रीं =* महालक्ष्मी का बीज मन्त्र है !!
*क्लीं =* महाकाली का बीज मन्त्र है !!
इसके साथ नवार्ण मंत्र के प्रथम बीज *” ऐं “* से माता दुर्गा की प्रथम शक्ति माता शैलपुत्री की उपासना की जाती है, जिसमें सूर्य ग्रह को नियंत्रित करने की शक्ति समायी हुई है !!
नवार्ण मंत्र के द्वितीय बीज *” ह्रीं “* से माता दुर्गा की द्वितीय शक्ति माता ब्रह्मचारिणी की उपासना की जाती है, जिस में चन्द्र ग्रह को नियंत्रित करने की शक्ति समायी हुई है !!
नवार्ण मंत्र के तृतीय बीज *” क्लीं “* से माता दुर्गा की तृतीय शक्ति माता चंद्रघंटा की उपासना की जाती है ! जिसमें मंगल ग्रह को नियंत्रित करने की शक्ति समायी हुई है !!
नवार्ण मंत्र के चतुर्थ बीज *” चा “* से माता दुर्गा की चतुर्थ शक्ति माता कुष्मांडा की उपासना की जाती है, जिस में बुध ग्रह को नियंत्रित करने की शक्ति समायी हुई है !!
नवार्ण मंत्र के पंचम बीज *” मुं “* से माता दुर्गा की पंचम शक्ति माँ स्कंदमाता की उपासना की जाती है, जिस में बृहस्पति ग्रह को नियंत्रित करने की शक्ति समायी हुई है !!
नवार्ण मंत्र के षष्ठ बीज *” डा “* से माता दुर्गा की षष्ठ शक्ति माता कात्यायनी की उपासना की जाती है, जिस में शुक्र ग्रह को नियंत्रित करने की शक्ति समायी हुई है !!
नवार्ण मंत्र के सप्तम बीज *” यै “* से माता दुर्गा की सप्तम शक्ति माता कालरात्रि की उपासना की जाती है, जिसमें शनि ग्रह को नियंत्रित करने की शक्ति समायी हुई है !!
नवार्ण मंत्र के अष्टम बीज *” वि “* से माता दुर्गा की अष्टम शक्ति माता महागौरी की उपासना की जाती है, जिसमें राहु ग्रह को नियंत्रित करने की शक्ति समायी हुई है !!
नवार्ण मंत्र के नवम बीज *” चै “* से माता दुर्गा की नवम शक्ति माता सिद्धीदात्री की उपासना की जाती है, जिसमें केतु ग्रह को नियंत्रित करने की शक्ति समायी हुई है !!
*-: साधना नियम :-*
*- नवार्ण महामंत्र की विशेषताएं जप नियम -*
*१ :-* शक्ति साधना के महत्त्वपूर्ण मंत्रों-स्तोत्रों में इस नवार्ण- मंत्र का प्रमुख स्थान है !!
*२ :-* यह नवार्ण मंत्र माता दुर्गा सहित उनके तीनों स्वरूपों महासरस्वती , महालक्ष्मी व महाकाली को प्रसन्न करके उनका आशीर्वाद व दर्शन प्राप्त करने का एक महत्त्वपूर्ण मंत्र है !!
*३ :-* इसकी पूर्णता प्राप्त करके जीवन में सम्पूर्ण पूर्णता (मोक्ष) प्राप्त की जा सकती है !!
*४ :-* इसके माध्यम से मनुष्य अपनी कुण्डलिनी चेतना को जाग्रत् कर सकता है !!
*५ :-* इस नवार्ण-मंत्र का जाप स्त्री-पुरुष, बच्चे-बूढ़े कोई भी कर सकते हैं !!
*६ :-* इसका जाप माला के द्वारा या बिना माला के भी किया जा सकता है, दोनों का फल बराबर है !!
*७ :-* इसका जाप रुद्राक्ष, स्फटिक, मूंगा, कमलगट्टे, हकीक या मोती की माला से किया जा सकता है ! मगर रुद्राक्ष व स्फटिक की मिश्रित माला से जाप करना ज्यादा उपयुक्त होता है या कमलगट्टे, स्फटिक व मूंगे की बनी माला भी प्रभावक होती है !!
*८ :-* इस नवार्ण नवार्ण-मंत्र की जप संख्या सवा लाख है ! अर्थात इसका जप कम से कम सवा लाख है और द्वितीय पुरश्चरण चौबीस लाख जप का है !!
*९ :-* कलियुग में समय की कमी से आप नवरात्रों में प्रतिदिन एक / तीन / नौ / अट्ठारह / सताईस/ चौअन / एक सौ आठ माला जाप कर सकते हैं !!
*१० :-* नवरात्री के प्रथम दिन जो संकल्प ले लिया उसी अनुसार जप करें ! *उदाहरण -* यदि आपने संकल्प लिया कि मैं रोजाना माता के नवार्ण-मंत्र की नौ माला का जप करूँगा तो आपको पूरे नवरात्र रोजाना नौ माला का ही जाप करना होगा आप किसी दिन इसको बढ़ा या घटा नहीं सकते हैं !!
*११ :-* जप का स्थान एकांत वाला होना चाहिए, या जहाँ माँ का कलश स्थापना हुई है और जहाँ अखंड ज्योत जल रही है वहां जप करें !!
*१२ :-* शारीरिक शुद्धि के साथ साधना काल में मानसिक शुद्धि का भी ध्यान रखना होगा ! *जैसे -* ब्रह्मचर्य का पालन करें, व्रत रखें, शांत रहें, किसी विवाद में ना पड़ें, मिथ्या ना बोलें, लाल वस्त्र और लाल आसान का प्रयोग करें, जप के दौरान एक दीप जलता रहना चाहिए, जप के दौरान मोबाइल अपने से दूर रखें, जप के दौरान आपको कोई न टोके नहीं !!
*१३ :-* नवमी वाले दिन दशांश हवन अवश्य करें !!
*१४ :-* कन्या-पूजन अवश्य करें !!
*१५ :-* नवार्ण-मंत्र का जाप करते समय माता दुर्गा के किसी भी स्वरूप का चिन्तन-पूजन किया जा सकता है ! साथ ही माता सरस्वती, माता लक्ष्मी व
माता काली के स्वरूपों का चिंतन भी किया जा सकता है व उनकी छवि का पूजन किया जा सकता है !!
*१६ :-* किसी समस्या के निदान के लिए यदि पूर्ण लगन से सवा लाख मंत्र का जाप, अनुष्ठान के रूप में किया जाय, तो तत्काल सफलता प्राप्त होती है !!
*१७ :-* नवरात्र बाद भी इसका प्रतिदिन १०८ बार जाप किया जाय, तो माता भगवती की कृपा सतत बनी रहती है !!
माता के इस अद्भुत नवार्ण-मंत्र के बारे में अपनी क्षमतानुसार हमने आपको बता दिया है, माता आपकी आराधना से प्रसन्न हो ऐसी कामना करता हूँ ! बस इतनी विनती है कि अनुष्ठान के समय पूर्ण सात्विकता बनाये रखें ! माता जगत जननी है वह हम सब को अच्छे से पहचानती है, अनुष्ठान काल में शुद्धता और नियम का पालन करना अतिआवश्यक है !!
🌼🙏🏻🌼🎍🎍🌹🎍🎍🌼🙏🏻🌼
माता भगवती जगत् जननी दुर्गा जी की साधना-उपासना के क्रम में, नवार्ण मंत्र एक ऐसा महत्त्वपूर्ण महामंत्र है ! नवार्ण अर्थात नौ अक्षरों का इस नौ अक्षर के महामंत्र में नौ ग्रहों को नियंत्रित करने की शक्ति है ! जिसके माध्यम से सभी क्षेत्रों में पूर्ण सफलता प्राप्त की जा सकती है और मॉ भगवती का पूर्ण आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है यह महामंत्र शक्ति साधना में सर्वोपरि तथा सभी मंत्रों- स्तोत्रों में से एक महत्त्वपूर्ण महामंत्र है ! यह माता भगवती दुर्गा जी के तीनों स्वरूपों माता महासरस्वती, माता महालक्ष्मी व माता महाकाली की एक साथ साधना का पूर्ण प्रभावक बीज मंत्र है और साथ ही माता दुर्गा के नौ रूपों का संयुक्त मंत्र है और इसी महामंत्र से नौ ग्रहों को भी शांत किया जा सकता है !!
*-: नवार्ण मंत्र :-*
*-: “ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चै” :-*
✍🏻 नौ अक्षर वाले इस अद्भुत नवार्ण मंत्र में देवी दुर्गा की नौ शक्तियां समायी हुई है ! जिसका सम्बन्ध नौ ग्रहों से भी है !!
*ऐं =* सरस्वती का बीज मन्त्र है !!
*ह्रीं =* महालक्ष्मी का बीज मन्त्र है !!
*क्लीं =* महाकाली का बीज मन्त्र है !!
इसके साथ नवार्ण मंत्र के प्रथम बीज *” ऐं “* से माता दुर्गा की प्रथम शक्ति माता शैलपुत्री की उपासना की जाती है, जिसमें सूर्य ग्रह को नियंत्रित करने की शक्ति समायी हुई है !!
नवार्ण मंत्र के द्वितीय बीज *” ह्रीं “* से माता दुर्गा की द्वितीय शक्ति माता ब्रह्मचारिणी की उपासना की जाती है, जिस में चन्द्र ग्रह को नियंत्रित करने की शक्ति समायी हुई है !!
नवार्ण मंत्र के तृतीय बीज *” क्लीं “* से माता दुर्गा की तृतीय शक्ति माता चंद्रघंटा की उपासना की जाती है ! जिसमें मंगल ग्रह को नियंत्रित करने की शक्ति समायी हुई है !!
नवार्ण मंत्र के चतुर्थ बीज *” चा “* से माता दुर्गा की चतुर्थ शक्ति माता कुष्मांडा की उपासना की जाती है, जिस में बुध ग्रह को नियंत्रित करने की शक्ति समायी हुई है !!
नवार्ण मंत्र के पंचम बीज *” मुं “* से माता दुर्गा की पंचम शक्ति माँ स्कंदमाता की उपासना की जाती है, जिस में बृहस्पति ग्रह को नियंत्रित करने की शक्ति समायी हुई है !!
नवार्ण मंत्र के षष्ठ बीज *” डा “* से माता दुर्गा की षष्ठ शक्ति माता कात्यायनी की उपासना की जाती है, जिस में शुक्र ग्रह को नियंत्रित करने की शक्ति समायी हुई है !!
नवार्ण मंत्र के सप्तम बीज *” यै “* से माता दुर्गा की सप्तम शक्ति माता कालरात्रि की उपासना की जाती है, जिसमें शनि ग्रह को नियंत्रित करने की शक्ति समायी हुई है !!
नवार्ण मंत्र के अष्टम बीज *” वि “* से माता दुर्गा की अष्टम शक्ति माता महागौरी की उपासना की जाती है, जिसमें राहु ग्रह को नियंत्रित करने की शक्ति समायी हुई है !!
नवार्ण मंत्र के नवम बीज *” चै “* से माता दुर्गा की नवम शक्ति माता सिद्धीदात्री की उपासना की जाती है, जिसमें केतु ग्रह को नियंत्रित करने की शक्ति समायी हुई है !!
*-: साधना नियम :-*
*- नवार्ण महामंत्र की विशेषताएं जप नियम -*
*१ :-* शक्ति साधना के महत्त्वपूर्ण मंत्रों-स्तोत्रों में इस नवार्ण- मंत्र का प्रमुख स्थान है !!
*२ :-* यह नवार्ण मंत्र माता दुर्गा सहित उनके तीनों स्वरूपों महासरस्वती , महालक्ष्मी व महाकाली को प्रसन्न करके उनका आशीर्वाद व दर्शन प्राप्त करने का एक महत्त्वपूर्ण मंत्र है !!
*३ :-* इसकी पूर्णता प्राप्त करके जीवन में सम्पूर्ण पूर्णता (मोक्ष) प्राप्त की जा सकती है !!
*४ :-* इसके माध्यम से मनुष्य अपनी कुण्डलिनी चेतना को जाग्रत् कर सकता है !!
*५ :-* इस नवार्ण-मंत्र का जाप स्त्री-पुरुष, बच्चे-बूढ़े कोई भी कर सकते हैं !!
*६ :-* इसका जाप माला के द्वारा या बिना माला के भी किया जा सकता है, दोनों का फल बराबर है !!
*७ :-* इसका जाप रुद्राक्ष, स्फटिक, मूंगा, कमलगट्टे, हकीक या मोती की माला से किया जा सकता है ! मगर रुद्राक्ष व स्फटिक की मिश्रित माला से जाप करना ज्यादा उपयुक्त होता है या कमलगट्टे, स्फटिक व मूंगे की बनी माला भी प्रभावक होती है !!
*८ :-* इस नवार्ण नवार्ण-मंत्र की जप संख्या सवा लाख है ! अर्थात इसका जप कम से कम सवा लाख है और द्वितीय पुरश्चरण चौबीस लाख जप का है !!
*९ :-* कलियुग में समय की कमी से आप नवरात्रों में प्रतिदिन एक / तीन / नौ / अट्ठारह / सताईस/ चौअन / एक सौ आठ माला जाप कर सकते हैं !!
*१० :-* नवरात्री के प्रथम दिन जो संकल्प ले लिया उसी अनुसार जप करें ! *उदाहरण -* यदि आपने संकल्प लिया कि मैं रोजाना माता के नवार्ण-मंत्र की नौ माला का जप करूँगा तो आपको पूरे नवरात्र रोजाना नौ माला का ही जाप करना होगा आप किसी दिन इसको बढ़ा या घटा नहीं सकते हैं !!
*११ :-* जप का स्थान एकांत वाला होना चाहिए, या जहाँ माँ का कलश स्थापना हुई है और जहाँ अखंड ज्योत जल रही है वहां जप करें !!
*१२ :-* शारीरिक शुद्धि के साथ साधना काल में मानसिक शुद्धि का भी ध्यान रखना होगा ! *जैसे -* ब्रह्मचर्य का पालन करें, व्रत रखें, शांत रहें, किसी विवाद में ना पड़ें, मिथ्या ना बोलें, लाल वस्त्र और लाल आसान का प्रयोग करें, जप के दौरान एक दीप जलता रहना चाहिए, जप के दौरान मोबाइल अपने से दूर रखें, जप के दौरान आपको कोई न टोके नहीं !!
*१३ :-* नवमी वाले दिन दशांश हवन अवश्य करें !!
*१४ :-* कन्या-पूजन अवश्य करें !!
*१५ :-* नवार्ण-मंत्र का जाप करते समय माता दुर्गा के किसी भी स्वरूप का चिन्तन-पूजन किया जा सकता है ! साथ ही माता सरस्वती, माता लक्ष्मी व
माता काली के स्वरूपों का चिंतन भी किया जा सकता है व उनकी छवि का पूजन किया जा सकता है !!
*१६ :-* किसी समस्या के निदान के लिए यदि पूर्ण लगन से सवा लाख मंत्र का जाप, अनुष्ठान के रूप में किया जाय, तो तत्काल सफलता प्राप्त होती है !!
*१७ :-* नवरात्र बाद भी इसका प्रतिदिन १०८ बार जाप किया जाय, तो माता भगवती की कृपा सतत बनी रहती है !!
माता के इस अद्भुत नवार्ण-मंत्र के बारे में अपनी क्षमतानुसार हमने आपको बता दिया है, माता आपकी आराधना से प्रसन्न हो ऐसी कामना करता हूँ ! बस इतनी विनती है कि अनुष्ठान के समय पूर्ण सात्विकता बनाये रखें ! माता जगत जननी है वह हम सब को अच्छे से पहचानती है, अनुष्ठान काल में शुद्धता और नियम का पालन करना अतिआवश्यक है !!
🌼🙏🏻🌼🎍🎍🌹🎍🎍🌼🙏🏻🌼
Comments
Post a Comment