हिन्दू धर्म में मुह से फुकना अशुद्ध अवस्था मानी गयी है
हिन्दू धर्म में मुह से फुकना अशुद्ध अवस्था मानी गयी है
मुह से फुकी हुई वायु जूठी होती है और मुह में अनेक कीटाणु विराजमान होते है, जो उस वायु में आ जाते है इसीलिए हम ज्योते या अगरबती जलाते है तो उसे मुह से फुक मार कर नहीं बुजाते, और यहातक की मुह से फूक मारकर ठंडा किया भोजन अशुद माना गया है, कहा गया है की मुह से फूक मारकर ठंडा किया भोजन न करे ! अग्नि हिन्दू धर्म में आग के देवता हैं, अग्निदेवता यज्ञ के प्रधान अंग हैं हिन्दू यज्ञ, हवन और विवाहों में अग्नि द्वारा ही देवताओं की पूजा करते है । मुख से जूठी वायु अग्नि देव तो नहीं मारनी चहिये। यह अग्नि देव का तिस्कार है । "लोग 'केक' बनवाते हैं, उस पर मोमबत्तियाँ जलाते हैं और फिर फूँक मारकर उन्हें बुझाते हैं। मोमबत्तियाँ बुझाने के लिए बार-बार फूँक मारते है, यह अग्नि देव का तिस्कार है ।
इस में दोनों अवस्था की अवहेलना होती है
पहला अग्नि देव का अपमान करने का पाप और दूसरा “अतिथि देवो भव”, और मुह से फूक मारा हुआ केक अतिथि(देवो रूप) को खिलाने का पाप फूँकना और अंधेरा करके पाश्चात्य का अनुसरण करते हुए जन्मदिवस मनाना भारतवासियों के लिए शर्म की बात है। जन्मदिन मनाओ तो खूब प्रेम से मनाओ । जन्मदिवस पर कीर्तन, गीता व श्रीरामचरितमानस का पाठ आयोजित करे । भगवान को भोग लगाकर प्रसाद बाँटना बड़ा लाभकारी है। फूँकने, थूकने व 'केक' काटने से बहुत बढ़िया रीति है भारत की उक्त पद्धति।
क्यों ? त्यागोगे न फूँकना, थूकना और मनाओगे न सात्त्विक शुभकामनासहित जन्मदिवस।
कृपया आप भी इसे करें व औरों को भी प्रेरित करें।
मुह से फुकी हुई वायु जूठी होती है और मुह में अनेक कीटाणु विराजमान होते है, जो उस वायु में आ जाते है इसीलिए हम ज्योते या अगरबती जलाते है तो उसे मुह से फुक मार कर नहीं बुजाते, और यहातक की मुह से फूक मारकर ठंडा किया भोजन अशुद माना गया है, कहा गया है की मुह से फूक मारकर ठंडा किया भोजन न करे ! अग्नि हिन्दू धर्म में आग के देवता हैं, अग्निदेवता यज्ञ के प्रधान अंग हैं हिन्दू यज्ञ, हवन और विवाहों में अग्नि द्वारा ही देवताओं की पूजा करते है । मुख से जूठी वायु अग्नि देव तो नहीं मारनी चहिये। यह अग्नि देव का तिस्कार है । "लोग 'केक' बनवाते हैं, उस पर मोमबत्तियाँ जलाते हैं और फिर फूँक मारकर उन्हें बुझाते हैं। मोमबत्तियाँ बुझाने के लिए बार-बार फूँक मारते है, यह अग्नि देव का तिस्कार है ।
इस में दोनों अवस्था की अवहेलना होती है
पहला अग्नि देव का अपमान करने का पाप और दूसरा “अतिथि देवो भव”, और मुह से फूक मारा हुआ केक अतिथि(देवो रूप) को खिलाने का पाप फूँकना और अंधेरा करके पाश्चात्य का अनुसरण करते हुए जन्मदिवस मनाना भारतवासियों के लिए शर्म की बात है। जन्मदिन मनाओ तो खूब प्रेम से मनाओ । जन्मदिवस पर कीर्तन, गीता व श्रीरामचरितमानस का पाठ आयोजित करे । भगवान को भोग लगाकर प्रसाद बाँटना बड़ा लाभकारी है। फूँकने, थूकने व 'केक' काटने से बहुत बढ़िया रीति है भारत की उक्त पद्धति।
क्यों ? त्यागोगे न फूँकना, थूकना और मनाओगे न सात्त्विक शुभकामनासहित जन्मदिवस।
कृपया आप भी इसे करें व औरों को भी प्रेरित करें।
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