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Showing posts from April, 2017

ज्योतिष शास्त्र के अचूक उपाय :-

संसार में बहुत से लोग हैं जिन्हे अपने जन्म समय, जन्म तिथि और जन्म स्थान के बारे में न तो पता है न ही उन्होंने कभी अपनी जन्मपत्रिका ही बनवाई है। ऐसी स्थिति में ज्योतिष विद्या मानव जीवन की अनेक समस्याओं का हल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इस के उपायों के द्वारा बेहद अचूक परिणाम प्राप्त किये जा सकते हैं। धन प्राप्ति के उपाय :- नमक को कभी भी खुले बर्तन में न रखे। प्रतिदिन पीपल की जड़ में जल डालें। अपने घर के प्रत्येक दरवाज़े के कब्ज़े में तेल लगाये ताकि उनमें से 'चू चू' की आवाज़ ना आये। भोजन तैयार करते समय पहली रोटी गाय के लिए और आखिरी रोटी कुत्ते के लिए निकले। जब भी अपनी बहन या बुआ को घर पर आमंत्रित करें तो उसे खाली हाथ न भेजें । जब भी घर का फ़र्श साफ़ करें तो उसमे थोड़ा सा नमक मिला लें। धन के ठहराव के लिए उपाय :- नोटों की गिनती कभी भी उँगलियों पर थूक लगा कर न करें। कभी भी सूर्यास्त के बाद घर में झाड़ू न लगाये। बुधवार के दिन किसी भी किन्नर को हैसियत दान दे कर उससे कुछ पैसे वापिस ले लें। बुधवार को किसी को भी पैसे उधार न दें। शीघ्र विवाह हेतु उपाय :- हमेशा अपने से बड़े...

शिशु के जन्म समय का निर्धारण कैसे किये जाए

शिशु के जन्म समय का निर्धारण कैसे किये जाए, इनमें से कुछ मन निम्नलिखित हैं :- 1. पहला मत : जब शिशु का कोई भी अंग बाहर दिखे तो उस समय को जन्म समय मानना चाहिए | 2. दूसरा मत : जब शिशु पूर्ण रूप से बाहर आ जाए तो उस समय को जन्म समय मानना चाहिए | 3. तीसरा मत : जब शिशु बाहर आ कर रोना आरम्भ आकर दे या किसी प्रकार की आवाज करे तो उस समय को जन्म समय मानना चाहिए | 4. चौथा मत : जब शिशु की नाल काटकर शिशु को अपनी माँ से पूर्णतया अलग कर दिया जाता है तो उस समय को जन्म समय मानना चाहिए | उपरोक्त चारों विकल्पों में से किसी भी के विकल्प को मान लेने से सही जन्म समय को जानने से भ्रम की स्थिति तो फिर भी बनी रहेगी | बहुत से विद्वान शिशु के रोने या आवाज किये जाने को शिशु का जन्म समय मानते हैं | यदि किसी कारणवश शिशु जन्म के उपरांत रोने की कोई आवाज उत्पन्न न करे तो नाल काटने के समय को जन्म समय मान लेना चाहिए | इसका मतलब तो ये हुआ कि शिशु के रोने की आवाज या शिशु के नाल काटने के समय में से जो भी पहले हो उस समय को जन्म समय मान लेना चाहिए | इस प्रकार इस मत को मान लेने से भी भ्रम की स्थिति पैदा होती है | क्योंकि ...

महादशा उपचार (Remedies of Mahadasha)

ज्योतिष शास्त्र ग्रहों की गति एवं उसकी दशाओं के आधार पर किसी व्यक्ति के जीवन में आने वाली उतार चढ़ाव एवं सुख दुख का आंकलन करता है. ग्रहों की दशा महादशा सभी व्यक्ति के जीवन में चलती रहती है. कुछ दशा महादशा शुभ फल देती है तो कोई अशुभ. नीच स्थान में होने पर शुभ ग्रह भी विपरीत प्रभाव देते हैं और उच्च स्थान में होने पर अशुभ ग्रह भी शुभ फल देते हैं. अगर आपके जीवन में किस ग्रह विशेष की महादशा में परेशानी और कठिनाई आ रही है तो आप क्या उपचार कर सकते हैं आइये देखें. सूर्य महादशा उपचार (Remedies of Sun's Mahadasha) सूर्य की महादशा में आपको ब्राह्मणों को तांबे के बर्तन में गेहूं का दान देना चाहिए. आदित्य हृदय स्तोत्र का प्रतिदिन सुबह स्नान करके पाठ करना चाहिए. सूर्य देव की सफेद फूल एवं लाल चंदन से पूजा करनी चाहिए और आर्घ्य देना चाहिए. जब आप किसी विशेष काम से घर से बाहर निकलें तो गुड़ की एक डली मुंह में डाल पानी पिएं फिर जाएं. ताम्बे की अंगूठी में सवा पांच रत्ती का माणिक अनामिका उंगली में धारण करना चाहिए. चन्द्र महादशा उपचार (Remedies for Moon's Mahadasha) चन्द्र की महादशा होने पर आपक...

लक्ष्मी जी की साधना और पूजा मे गुग्गल का महत्त्वपूर्ण स्थान हैं

लक्ष्मी जी की साधना और पूजा मैं गुग्गल का महत्त्वपूर्ण स्थान हैं गुग्गल की धुनी देने से लक्ष्मी जी का आकर्षण होता हैं अगर महानिशा काल मैं आप कोयले या उपले सुलगा कर के एक पात्र मैं रख ले और उसको अपने सामने रख कर गुग्गल को कूट कर उसकी छोटी छोटी गोलिया बना ले तथा उसे हर एक इस मंत्र के साथ ॐ श्री ह्रीं ऐं महालक्ष्मी स्वाहा और ॐ यक्षराज कुबेराए स्वाहा के साथ होम करते रहे यह आप १०८ बार कर सकते हैं …यह लक्ष्मी जी का आकर्षण करने के लिए एक उत्तम उपाए हैं .. भाग्योदय हेतु श्रीमहा-लक्ष्मी की तीन मास की सरल, व्यय रहित साधना है। यह साधना कभी भी ब्राह्म मुहूर्त्त पर प्रारम्भ की जा सकती है। ‘दीपावली’ जैसे महा्पर्व पर यदि यह प्रारम्भ की जाए, तो अति उत्तम। ‘साधना’ हेतु सर्व-प्रथम स्नान आदि के बाद यथा-शक्ति (कम-से-कम १०८ बार) “ॐ ह्रीं सूर्याय नमः” मन्त्र का जप करें। फिर ‘पूहा-स्थान’ में कुल-देवताओं का पूजन कर भगवती श्रीमहा-लक्ष्मी के चित्र या मूर्त्ति का पूजन करे। पूजन में ‘कुंकुम’ महत्त्वपूर्ण है, इसे अवश्य चढ़ाए। पूजन के पश्चात् माँ की कृपा-प्राप्ति हेतु मन-ही-मन ‘संकल्प करे। फिर विश्व-विख्या...

छोटी वस्तु में सिद्धि-ऋद्धि,कुछ वृक्षों के तो पत्ते तक धन प्राप्ति कराने में सहयोग करते हैं।

प्रकृति अपने में असंख्य निधियों को समेटे हुए है, जिसको इनका ज्ञान है, वह लाभ उठाता है। ऎसी बहुत सी वस्तुएं हैं जो सुख-समृद्धि के प्रभावों से ओत-प्रोत हैं। वनस्पतियों से लेकर प्रस्तरखण्ड और धातुएँ इनकी प्रत्यक्ष उदाहरण हैं। ईश्वर ने प्रकृति को अपनी माया कहा है। एक पुरूष (ईश्वर) की माया उसकी स्त्री होती है। पुरूष प्रदत्त या अर्जित सभी सम्पत्ति की एकमात्र अधिकारिणी उसकी पत्नी होती है। ईश्वर ने भी अपने समस्त वैभव प्रदायक, समृद्धिदायक प्रभावों को प्रकृति में पृथक-पृथक रूप में व्यवस्थित किया है। पंच तत्व आदि तो प्रधान हैं ही कुछ वृक्षों के तो पत्ते तक धन प्राप्ति कराने में सहयोग करते हैं। ऎसी वस्तुओं की गणना यद्यपि संभव नहीं क्योंकि "कण-कण में भगवान हैं, के अनुसार प्रकृति में उपस्थित हर छोटी से छोटी वस्तु में सिद्धि-ऋद्धि व्याप्त हैं।" उनमें से कुछ सुगम उपलब्ध वस्तुओं का और उनको प्रयोग में लेने का उल्लेख करेंगे। इस विषय वस्तु का प्रमाण प्रमुख तंत्र-शास्त्रों व कुछ प्रसिद्ध पुराणों में इनकी उपयोगिता का वर्णन है- तुलसी - तुलसी साक्षात् लक्ष्मी स्वरूपा हैं और भारत के हर भाग में सहज...

कुंडली से जाने :- भाग्य को मजबूत करने के उपाय :लग्न और भाग्योदय

भाग्य को मजबूत करने के निम्न उपाय करने चाहिए। राशि और बुध भाग्येश हो तो यह उपाय करे : 1. तांबे का कड़ा हाथ में पहने । 2. गणेश जी की आराधना करें। 3. गाय को हरा चारा दीजिये । शुक्र भाग्येश भाग्येश हो तो यह उपाय करे : 1. स्फटिक की माला से शुक्र के मत्र का जप करें। 2. चावल का दान करें। 3. लक्ष्मी जी की आराधना करें। चंद्र भाग्येश हो तो यह उपाय करे : 1.चंद्र के मत्र का जप करें । 2. चांदी के गिलास में जल पिना चाहिए। 3. शिव जी की आराधना करें। गुरु भाग्येश हो तो यह उपाय करे : 1. विष्णु जी की आराधना करें। 2. गाय को रोटी खिलाएं। 3. पीली वस्तुओं का दान करना चाहिए । शनि भाग्येश हो तो यह उपाय करे : 1. काले वस्त्रों ,नीले वस्त्रों को कम या न पहनें। 2. पीपल के वृक्ष के नीचे दीपक जलाएं। 3. शनिवार को हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए । मंगल भाग्येश हो तो यह उपाय करे : 1. मजदूरों को मंगलवार को मिठाई खिलाना चाहिए । 2. लाल मसूर का दान करना चाहिए । 3. मंगलवार को सुंदर कांड का पाठ करना चाहिए । सूर्य भाग्येश हो तो यह उपाय करे : 1. गायत्री मंत्र का जप करना चाहिए । 2. सूर्य को नियमित जल...

धन धान्य

श्वेत बबूल के पुष्प, अरण्डी के पुष्प एवं मेंहदी के पुष्प-तीनों को प्राप्त करके चांदी की डिब्बी में बंद करके घर में रखने से धन का आगमन होने लगता हैं। दान करने से धन घटता नहीं, बल्कि जितना देते हैं उसका दस गुना र्इश्वर हमें दे देता है। इनमें से किसी भी एक मंत्र का चयन करके सुबह, दोपहर और रात को सोते समय पांच-पांच बार नियम से उसका स्मरण करें। मातेश्वरी लक्ष्मीजी आप पर परम कृपालु बनी रहेंगी। दुकानदार दुकान खोलें, तब महादेव का थड़ा अर्थात दुकान की गद्दी पर बैठकर इस मंत्र की प्रथम माला जप लें। श्री शुक्ले महाशुक्ले कमल दल निवासे श्री महालक्ष्मी नमो नम:। लक्ष्मी मार्इ सबकी सवाइर््र आवो चेतो करो भलार्इ न करो तो सात समुद्रों की दुहार्इ, ऋद्धि-सिद्धि न करे तो नौ नाथ चौरासीसिद्धोंकी दुहार्इ। आप जब भी बैंक में रुपये जमा करने जाएं तो प्रयास करें कि पश्चिममुखी होकर ही कार्य करें तथा मानसिक रूप से मां लक्ष्मी के किसी भी मंत्र का जप करते रहें। यदि मां लक्ष्मी का कोर्इ मंत्र याद न हो तो निम्न मंत्र का जप करें। इससे आपका धन सदैव बढ़ता रहेगा। मंत्र इस प्रकार है- ऊँ श्रीं श्रीं श्रीं। पीपल के पत्त्...

बुध देवता की कृपा से पाएं धन-वैभव

बुध देवता की कृपा से पाएं धन-वैभव---- बुध ग्रह को ग्रहों में राजकुमार की उपाधि दी गई है। बुध ग्रह को भगवान विष्णु का प्रतिनिधि कहा जा सकता है। इसीलिए धन, वैभव आदि का संबंध बुध से है। बुध की दिशा उत्तर है तथा उत्तर दिशा कुबेर का स्थान भी है। बुध से जु़डा सर्वाधिक महत्वपूर्ण गुण धर्म है। अनुकूलनशीलता हर हाल में खुद को ढाल लेना सिर्फ बुध प्रधान व्यक्ति ही कर सकता है। बुध को कई महत्वपूर्ण तथ्यों का कारक ग्रह माना गया है जैसे – वाणी का कारक, बुद्धि का कारक, त्वचा का कारक, मस्तिष्क की तंत्रिका तंत्र का कारक आदि। जन्म या वर्ष कुंडली में बुध ग्रह अशुभफलदायी हो तो भगवान विष्णु का ध्यान करके शुक्ल पक्ष के बुधवार को आरंभ करके 9000 की संख्या में बीज मंत्र का जप करना चाहिए। बुध के तांत्रोक्त मंत्र हैं ऊँ ऎं स्त्रीं श्रीं बुधाय नम: ऊँ ब्रां ब्रीं ब्रौं स: बुधाय नम: ऊँ स्त्रीं स्त्रीं बुधाय नम: दान योग्य वस्तुएं मूंगी, 5 हरे फल, चीनी, हरे पुष्प, हरी इलायची, कांस्य पत्र, पन्ना सोना, हाथी का दांत, हरी सब्जी, हरा कपड़ा, दक्षिणा सहित दान करें। उपाय कुंडली में बुध शुभ होते हुए भी फलकारक न हो तो नि...

हनुमानजी के सिंदूर" से जिद और गुस्सा हो जाते हैं गायब करे प्रयोग ....!

"हनुमानजी के सिंदूर" से जिद और गुस्सा हो जाते हैं गायब करे प्रयोग ....! * सभी माता-पिता अपने बच्चों को अच्छी परवरिश देना चाहते हैं, अपने बच्चों की सभी इच्छाएं पूरी करना चाहते हैं, ऐसे में कई बार बच्चे जिद्दी भी हो जाते हैं। जैसे-जैसे बच्चा बड़े होते जाता है उसकी जिद भी बढ़ती जाती है जो कि कई परेशानियों का कारण भी बन सकती है। वैसे इससे बचने के लिए कई उपाय बताए जाते हैं लेकिन शास्त्रों के अनुसार भी एक सटीक उपाय बताया गया है। * कई बार बच्चे छोटी-छोटी बातों को मनवाने के लिए जिद करते हैं और यही आदत धीरे-धीरे बड़ी होती जाती है। ऐसे में अक्सर माता-पिता को काफी परेशानियों का सामना भी करना पड़ता है। बच्चों को अच्छे से समझने और समझाने से उनकी जिद कम हो सकती है। * शास्त्रों के अनुसार बताया गया है कि अगर कोई बच्चा ज्यादा जिद्दी हो, चिडचिड़ा हो, क्रोध अधिक करता हो, माता-पिता या अन्य बड़े लोगों की बातें नहीं सुनता हो, जमीन पर लौट लगाता हो तो उसको हनुमानजी के बांए पैर का सिंदूर हर मंगलवार और शनिवार को लगाएं। सिंदूर मस्तक या माथे पर लगाएं। * ऐसा माना जाता है कि हनुमानजी के बाएं पैर का स...

राहु को साधने का तरीका

राहु को साधने का तरीका आज के युग के लोग अपने को शराब आदि के कारणो मे ले जाते है कोई नींद की गोली लेता है,कोई अफ़ीम आदि के आदी हो जाते है कोई नशे के विभिन्न कारण अपने मन को साधने के लिये लेना शुरु कर देते है,यह प्रभाव उनके ऊपर इतनी शक्ति से हावी हो जाता है कि यह ईश्वर का दिया हुआ रूप बल शक्ति मन दिमाग सभी बरबाद होने लगते है और जो कार्य यह शरीर अपने परिवेश के अनुसार कर सकता था उससे दूर रखने के बाद अपनी लीला को एक दूसरो पर बोझ के नाम से समाप्त कर लेने मे जल्दबाजी भी करते है। राहु को साधने के लिये सबसे पहले अपनी चित्त वृत्ति को साधना जरूरी है,जब मन रूपी चित्त वृत्ति को साधने की क्षमता पैदा हो जाती है तो शरीर से जो चाहो वही कार्य होना शुरु हो जाता है क्योंकि कार्य को करने के अन्दर कोई अन्य कारण या मन की कोई दूसरी शाखा पैदा नही होती है। चित्त वृत्ति को साधने के लिये महापुरुषो ने कई उपाय बताये है। पहला उपाय योगात्मक उपाय बताया है। जिसे त्राटक के नाम से जाना जाता है। एक सफ़ेद कागज पर एक सेंटीमीटर का वृत बना लिया जाता है उसे जहां बैठने के बाद कोई बाधा नही पैदा होती है उस स्थान पर ठीक आंखो के सा...

शुक्र-ग्रह

शुक्र का प्रथम घर का भाव ●●●●●●●●●●●●●●● शुक्र का पहले भाव में फल पहले घर का शुक्र जातक को अत्यधिक सुंदर, दीर्घायु, मॄदुभाषी, और विपरीत लिंगियो के बीच लोकप्रिय बनाता है। जातक की पत्नी बीमार रहती है। धर्म, जाति, पंथ जातक को किसी के साथ यौन संबंध बनाने में बाधक नहीं बनेंगे। आमतौर पर ऐसा जातक स्वाभाव से बहुत रोमांटिक होता है और अन्य महिलाओं के साथ प्यार और सेक्स के लिए लालायित रहता है। कमाई शुरू करने से पहले ही जातक की शादी हो जाती है। ऐसा जातक हमउम्र लोगो का नेता बन जाता है, लेकिन परिवार के सदस्यों का नेतृत्व करना मुसीबतों का कारण बनता है। ऐसा जातक कपडों के व्यापार से बहुत लाभ कमाता है। आमतौर पर ऐसे जातक की रुचि धार्मिक गतिविधियों में नहीं होती। जब वर्षफल में शुक्र सातवें भाव में आता है तो यह जीर्ण ज्वर और खूनी खाँसी का कारण बनता है। उपाय ●●●● (1) 25 वर्ष की उम्र में शादी न करें। (2) हमेशा दूसरों की सलाह लेकर ही किसी नये काम की शुरुआत करें। (3) काले रंग की गाय की सेवा करें। (4) दिन के समय सेक्स करने से बचें। (5) दही मिलाकर स्नान करें। (6) गोमूत्र का सेवन बहुत उपयोगी होगा। शुक...

यदि हें नोकरी/जॉब के लिए परेशान …तो यह उपाय करें—

वर्तमान समय में बेरोजगारी एक बहुत बड़ी समस्या है। नौकरी न होने के कारण न तो समाज में मान-सम्मान मिलता है और न ही घर-परिवार में। यदि आप भी बेरोजगार हैं और बहुत प्रयत्न करने पर भी रोजगार नहीं मिल रहा है तो निराश होने की कोई जरुरत नहीं है। कुछ साधारण तांत्रिक उपाय कर आप रोजगार पा सकते हैं। – शनिवार को हनुमानजी के मंदिर में जाकर सवा किलो मोतीचूर के लड्डुओं का भोग लगाएं। घी का दीपक जलाएं और मंदिर में ही बैठकर लाल चंदन की या मूंगा की माला से 108 बार नीचे लिखे मंत्र का जप करें- कवन सो काज कठिन जग माही। जो नहीं होय तात तुम पाहिं।। इसके बाद 40 दिनों तक रोज अपने घर के मंदिर में इस मंत्र का जप 108 बार करें। 40 दिनों के अंदर ही आपको रोजगार मिलेगा। – शनैश्चरी अमावस्या के दिन एक कागजी नींबू लें और शाम के समय उसके चार टुकड़े करके किसी चौराहे पर चारों दिशाओं में फेंक दें। इसके प्रभाव से भी जल्दी ने बेरोजगारी की समस्या दूर हो जाएगी। – मंगलवार से प्रारंभ करते हुए 40 दिनों तक रोज सुबह के समय नंगे पैर हनुमानजी के मंदिर में जाएं और उन्हें लाल गुलाब के फूल चढ़ाएं। ऐसा करने से भी शीघ्र ही रोजगार...

इस टोटके से हर बाधा हो जाएगी दूर —–

जीवन में कई ऐसे अवसर आते हैं जब हर काम में बाधा आने लगती है। काम बनते-बनते बिगड़ जाते हैं। जहां से हमें उम्मीद होती है वहीं से निराशा हाथ लगती है। ऐसे समय में अगर यह टोटका किया जाए तो हर काम बनने लगते हैं और बाधाएं स्वत: ही दूर हो जाती हैं। टोटका—- सुबह उठकर नहाकर साफ पीले कपड़े पहनें। इसके बाद आसन बिछाकर पूर्व दिशा की ओर मुंह करके बैठ जाएं और 7 हल्दी की साबूत गांठे, 7 जनेऊ, 7 पूजा की छोटी सुपारी, 7 पीले फूल व 7 छोटी गुड़ की ढेली एक पीले रंग के कपड़े में बांध लें। अब भगवान सूर्य का स्मरण करें और अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए प्रार्थना करें। यह पोटली घर में कहीं ऐसी जगह रख दें जहां कोई और उसे हाथ न लगाए। जब आपका कार्य हो जाए तो यह पोटली किसी नदी या तालाब में प्रवाहित कर दें। इस उपाय से मिलेगी कर्ज से मुक्ति- क्या आप कर्ज से परेशान है। बहुत कोशिश करने के बाद भी लोन नहीं चुका पा रहे हैं तो आज यानी शनिवार को यह बहुत ही सरल व अचूक उपाय करें। इस उपाय से निश्चित ही आपको कर्ज से मुक्ति मिल जाएगी। उपाय—- शनिवार के दिन सुबह नित्य कर्म व स्नान आदि करने से बाद अपनी लंबाई के अनुसार काल धा...

इस टोटके से आने लगेगा आपके घर में पैसा—-

कुछ लोग ऐसे होते हैं जिनके घर में पैसों का आगमन बिल्कुल कम होता है। उस घर के सदस्य कमाते तो बहुत हैं लेकिन घर में पैसा नहीं आ पाता। दूसरे कामों में ही खर्च हो जाता है। अगर ऐसा हो तो नीचे लिखा टोटका करने से घर में पैसों का आगमन होने लगेगा और सुख-शांति भी बनी रहेगी। टोटका—- शुक्ल पक्ष के बुधवार की शाम को किसी केले के पौधे के समीप जाएं। उस पर जल चढ़ाएं। हल्दी से तिलक करें और गुरु बृहस्पति का ध्यान कर पौधे से अगले दिन (गुरुवार को) थोड़ी सी जड़ ले जाने की आज्ञा मांगें। दूसरे दिन सूर्य निकलने पर स्नान कर केले के पेड़ की पूजा करें और लकड़ी के एक टुकड़े से पौधे की जड़ खोदकर निकल लें और घर ले आएं। इस जड़ को गंगाजल से धोकर केसर के जल में डाल दें। घी का दीपक जलाकर ऊँ बृं बृहस्पते नम: मंत्र की एक माला का जप करें और उस जड़ को जल से निकालकर पीले कपड़े में लपेटकर अपनी तिजोरी में रखें। इसके बाद प्रति गुरुवार को उस जड़ को केसर घुले गंगाजल में स्नान कराकर पुन: उस पीले कपड़े में बांध कर इस मंत्र का जप करें और पुन: तिजोरी में रखें। जब भी यह टोटका करें जरुरतमंदों को दान दें व बच्चों को मिठाई अवश्य खि...

कुण्डली ज्ञान - १

गुरू यदि कुडली मे अशुभ फल मे हो तो जातक को शिक्षा मे ,उसके ब्यवहार मे कमिया आती है शिक्षा अछी होके भी काम नी आती ,वह जिमेदारीयो से भागता है बाल झडने तथा मोटापा बढने लगता है रमते साधु को पीले वस्त्र दान करने और भोजन कराने से गुरु के अच्छे परिणाम हासिल होते हैं। जिन जातकों की गुरु की दशा चल रही हो, अगर वे नियमित रूप से अपने ईष्ट के मंदिर जाएं और पीपल में जल सींचें तो गुरु की दशा में अच्छे लाभ हासिल कर सकते हैं। इसी दशा में स्कूल, धर्म स्थान में नियमित दान करना भी भाग्य को बढ़ाता है। चमड़ी के रोग और अंगूठे पर चोट से शुक्र के खराब प्रभाव का पता चलता है। अगर प्रतिदिन रात के समय अपने हिस्से की एक रोटी गाय को दें तो शुक्र का प्रभाव यानी समृद्धि तेजी से बढ़ती है। शुक्र का खराब प्रभाव हो तो रात के समय बैठी गाय को गुड़ देना लाभदायक होता है। सुहागिनों को समय-समय पर सुहाग की वस्तुएं देने से शुक्र का प्रभाव बढ़ता है। जूते खोने, घर में नुक्सान, पालतू पशु के मरने और आग लगने से शनि का खराब प्रभाव देखा जाता है। डाकोत को नियमित रूप से तेल देने, साधु को लोहे का तवा, चिमटा या अंगीठी दान करने से शनि का ...

सर्व विपत्ति-हर्ता श्री घंटाकर्ण मंत्र व साधना - प्रयोग विधि

सर्व विपत्ति-हर्ता श्री घंटाकर्ण मंत्र व साधना - प्रयोग विधि श्री घंटाकर्ण को हिन्दू, बौध और जैन लोक हितकारी देवता के रूप में मानते है ! यह अत्यधिक प्रभावशाली देव माने गए हैं .इनके मंत्र -यन्त्र के अनेको बिभेद मिलते हैं जो की अपने आप में ही एक अद्भुत तथ्य हैं और हर मंत्र यन्त्र से संबंधित एक से एक सरल और उच्च कोटि की साधनाए हैं , जिनका अपने आप में कोई सानी नही , पर अभी भी वे सारे विधान जो अत्यधिक चमकृत करने वाले हैं साधको के सामनेसामने आनाआना बाकी हैं ! पुराणों में श्री घंटाकर्ण को यक्ष राज कुबेर का सेनापति भी माना जाता है ! दक्ष प्रजापति के यज्ञ को जिन शिव गणों ने भंग किया था श्री घंटाकर्ण भी उनमे से एक थे ! रविन्द्रनाथ टैगोर की एक कथा में श्री घंटाकर्ण का जिक्र है ! केरल मे कृष्ण लीलाओं मे उनकी कृष्ण से भेंट का निर्त्य नाटक मे वर्णन होता है ! हरिवंश पुराण में कहा गया है कि घंटाकर्ण कान में घंटी बाँधकर भगवान शिव कि आराधना करते थे , ताकि शिव नाम के सिवा उन्हें कुछ ना सुनाई दे ! मान्यता है कि तपस्या पूर्ण होने पर शिव जी ने घंटाकर्ण से कहा कि तुम विष्णु जी कि पूजा करो ! भगवान विष्णु न...

क्या आपने कभी सोचा है की ऐसा क्यों होता है

क्या आपने कभी सोचा है की ऐसा क्यों होता है जैसे :-------- किसी धार्मिक स्थान पे दर्शनों के लिए गए और रास्ते में एक्सीडेंट हो जाना किसी धर्म स्थान पे गए और पीछे से चोर घर साफ़ कर गए घर में ख़ुशी का माहोल बना यानि लड़के की सगाई की और और घर में कोई बीमार या किसी की मौत या कारोवार चोपट लड़के के जन्म के बाद कोई बीमार या मोत या कोई और परेशानी जैसे हस्पताल कोट कचहरी के चकर लड़ाई झगड़ा आदि मकान बनाना शुरू ही किया था और कोई परेशानी खड़ी हो गई जैसे जैसे माँ बाप या कोई बच्चा बीमार या किसी की मौत हो जाना नई गाड़ी लेकर आ रहे रास्ते में ही एक्सीडेंट और किसी न किसी की मौत हो जाना अचानक घर में किसी की मौत होना अचानक किसी को हस्पताल जाना पड़ जाये अचानक ही किसी को जेल जाना पड़ जाये सगाई के तुरंत बाद लड़का या लड़की बीमार या दोनों में से किसी का एक्सीडेंट बच्चा पेट में आते ही पिता बीमार या जेल या कारोवार चोपट शादी के तुरंत बाद घर में किसी बड़ी आफत का आना जैसे आपने कई बार सुना होगा या अखवारों में पड़ा होगा की दूल्हे की कार का एक्सीडेंट हो गया दूल्हा या दुल्हन मर गई और बाकी किसी को खरोंच भी नहीं आई ज्योतिष वो विद्या ...

घर में करें यह जाप अष्ट लक्ष्मी बनाएंगी आपके ठाटबाट...

पैसा खुदा तो नहीं पर खुदा से कम भी नहीं। आज के परिवेश में यह बात शत प्रतिशत खरी उतरती है। मनुष्य के जीवन की सबसे बड़ी समस्या हैं गरीबी अर्थात निर्धनता। धन के अभाव में मनुष्य मान-सम्मान प्रतिष्ठा से भी वंचित रहता है। ऐसा शास्त्रों में वर्णन है की व्यक्ति को दरिद्रता दूर करने हेतु मां लक्ष्मी की आराधना करनी चाहिए। शास्त्रों के अनुसार लक्ष्मी को चंचला कहा जाता है अर्थात जो कभी एक स्थान पर रूकती नहीं। अतः लक्ष्मी अर्थात धन को स्थायी बनाने के लिए कुछ उपाय, पूजन, आराधना, मंत्र-जाप आदि का विधान है। ऋषि विश्वामित्र के कठोर आदेश अनुसार लक्ष्मी साधना गोपनीय एवं दुर्लभ है तथा इसे गुप्त रखना चाहिए। ऐसा शास्त्रोक्त वर्णित है के समुद्र-मंथन से पूर्व सभी देवता निर्धन और ऐश्वर्य विहीन हो गए थे तथा लक्ष्मी के प्रकट होने पर देवराज इंद्र ने महालक्ष्मी की स्तुति की, जिससे प्रसन्न होकर महालक्ष्मी ने देवराज इंद्र को वरदान दिया कि तुम्हारे द्वारा दिए गए द्वादशाक्षर मंत्र का जो व्यक्ति नियमित रूप से प्रतिदिन तीनों संध्याओं में भक्तिपूर्वक जप करेगा, वह कुबेर सदृश ऐश्वर्य युक्त हो जाएगा। ऐसा शास्त्रों में वर्णन...

जब चाहें आप सितारे बदलना

अगर आप सितारे बदलना चाहते हैं तो अपने बेड पर आराम करते हुए भी बदल सकते हैं. ये आपको अजीब लग रहा होगा कि ये कैसे हो सकता है? लेकिन ये सच है क्योंकि ज्योतिष के अनुसार कुछ ऐसे उपाय होते है जो बेड पर सोकर भी कर  सकते हैं  जिनसे किस्मत बदली जा सकती हैं. जानें कैसे *  अगर आपकी कुंडली में सूर्य अशुभ है व उसका कुप्रभाव आपको परेशान कर रहा है तो पलंग के नीचे तांबे के पात्र में जल या तकिए के नीचे लाल चंदन रखें. *  यदि चंद्र से परेशान हों तो पलंग के नीचे चांदी के बर्तन में जल रखें या चांदी के आभूषण धारण करें. *  यदि कुंडली में मंगल अशुभ है तो पलंग के नीचे कांसे के बर्तन में जल रखें या सोने-चांदी मिश्रित आभूषण तकिए के नीचे रखें. *  यदि आप बुध से परेशान हों तो तकिए के नीचे सोने के आभूषण रखें. *  गुरु से परेशान हों तो पलंग के नीचे पीतल के बर्तन में जल रखें या हल्दी की गांठ पीले कपड़े में बांधकर तकिए के नीचे रखें. *  शुक्र से संतप्त हों तो चांदी की मछली बनाकर तकिए के नीचे रखें या पलंग के नीचे चांदी के पात्र में जल रखें. *  शनि से संतप्त हों तो लोहे क...

सभी प्रकार के कार्य पूरे करने के टोन टोटके और उपाय

§  बुधवार के दिन जैन बंधू और पद्मावती देवी के मंदिर में जाकर चावल चढाने से और पद्मावती जी के मंत्र का 11 बार पाठ करने से भी आपके सारे कार्य सिद्ध होते है.. §  अपने सभी कार्यो की सिद्धि के लिए आप भगवान शिव जी के चरणों में एक हरी इलायची और एक लौंग को अर्पित करें. §  आप हनुमान जी की ऐसी मूर्ति ले जिस पर सिंदूर लगा हो और उस मूर्ति से सिंदूर को लेकर आप माता सीता के चरणों पर लगा दें. §  जब भी आप किसी कार्य के लिए बाहर जाएँ तो आप स्वयं के चेहरे को एक दर्पण में देख कर ही जाएँ. §  साथ ही जब आप कार्य के लिए जा रहे हो तो आप अपने घर में रखे पूजास्थल पर रखे पूजा के कलश को प्रणाम करके ही जाएँ. §  आप अपने घर में महाकाली का पूजन शुद्ध देशी घी के दीपक से ही करें. §  किसी कार्य को करने जाने से पहले आप एक चुटकी हींग लें और उसे अपने सिर के ऊपर से उतार कर दक्षिण दिशा में फेंक कर ही जाएँ. §  किसी शनिवार के दिन आप 1 रूपये का सिक्का या फिर थोडा सरसों का तेल लें और उसे किसी कोढ़ी को दान में दे दें. ऐसा करने से आपके कार्यो को पूर्णता मिलती है. §  जब आप अपने व...

सर्व कार्यसिद्धि उपाय

हर व्यक्ति अपने जीवन में आगे बढ़ने के लिए कोई न कोई कार्य करता ही रहता है, ताकि वो अपनी निजी और सामजिक जरूरतों को पूरा कर सके, साथ ही अपने कर्तव्यों का निर्वाह भी कर सके, किन्तु कई बार ऐसा होता है कि उनके कार्य संपन्न नही होते और वे अटके रहते है, ऐसे में आप परेशान हो जाते हो. आज हम आपको आपके सभी कार्यो को सिद्ध करने के उपायों को बता रहे है. अपने कार्यो को सिद्ध करने के लिए आप निम्नलिखित उपायों को अपनाएं. §  आप मिट्टी के बने हुए शेर को बुधवार के दिन दुर्गा माता के मंदिर में चढ़ा आयें. आपके सभी कार्य पुरें होंगे. §  आप हर बुधवार के दिन एक कटोरी चावल का दान किसी गरीब व्यक्ति को करें. आप इस उपाय को कम से कम एक साल की अवधि तक अवश्य करें. §  साथ ही आप हर बुधवार के दिन गणेश जी को एक सुपारी भी अर्पित करें, सुपारी गणेश जी को अति प्रिय है और इससे प्रसन्न होकर वे आपके सभी कार्यो को सिद्ध करते है

प्रातः से लेकर रात्रि तक बोलने चाहिए ये 10 मंत्र

हिंदू धर्म में मंत्रों का विशेष महत्व है। मंत्रों के माध्यम से अनेक कठिन काम भी आसानी से किए जा सकते हैं। हमारे ऋषि-मुनियों ने दैनिक जीवन से जुड़े हर काम से पहले या बाद में एक विशेष मंत्र बोलने का विधान बनाया है, लेकिन बदलते समय के साथ हम इस परंपरा से दूर होते जा रहे हैं। आज हम आपको 10 ऐसे मंत्रों के बारे में बता रहे हैं जो सुबह उठने से लेकर रात को सोने से पहले हर मनुष्य को बोलना चाहिए। ये 10 मंत्र इस प्रकार हैं- *1.* सुबह उठते ही अपनी दोनों हथेलियां देखकर ये मन्त्र बोलें (कर दर्शन मंत्र) कराग्रे वसते लक्ष्मीः करमध्ये सरस्वति। करमूले तु गोविन्दः प्रभाते करदर्शनम् ।। *2.* *धरती पर पैर रखने से पहले ये मंत्र बोलें* समुद्रवसने देवि पर्वतस्तनमण्डले । विष्णुपत्नि नमस्तुभ्यं पादस्पर्शं क्षमस्वमे ॥ *3.* *दातून (मंजन) से पहले ये मंत्र बोलें* आयुर्बलं यशो वर्च: प्रजा: पशुवसूनि च। ब्रह्म प्रज्ञां च मेधां च त्वं नो देहि वनस्पते।। *4.* *नहाने से पहले ये मंत्र बोलें* स्नान मन्त्र गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती। नर्मदे सिन्धु कावेरी जले अस्मिन् सन्निधिम् कुरु॥ *5.* *सूर्य को ...

गुरु दोष दूर करने का बेहद आसान उपाय..खोले भाग्य व सफलता के द्वार

परिवार या समाज में उठते-बैठते हुए इंसान अनेक अवसरों पर वैचारिक मतभेद या मनमुटाव के चलते अचानक ही संबंधों में तनाव, अनचाही उपेक्षा या मान-सम्मान में कमी महसूस करता है। इसी तरह कई मौको पर सफलता के लिये मेहनत से काम करने पर भी बेहतर या मनचाहे नतीजे न मिलने से परेशान हो जाता है। शास्त्रों के मुताबिक ऐसी अनचाही स्थितियों का सामना गुरु ग्रह के अशुभ प्रभाव के कारण हो सकता है। क्योंकि गुरु ग्रह सौभाग्य, सम्मान और समृद्धि नियत करने वाला माना गया है। शास्त्रों में यश व सफलता के इच्छुक हर इंसान के लिये गुरु ग्रह दोष शांति का एक सरल उपाय भी बताया गया है। इसे हर इंसान दिन की शुरुआत में नहाते वक्त अपना सकता है। यह उपाय औषधीय स्नान के रूप में प्रसिद्ध है। जानिए यह बेहद सरल उपाय - नहाते वक्त नीचे लिखी चीजों में से थोड़ी मात्रा में कोई भी एक चीज जल में डालकर नहाने से गुरु दोष शांति होती है - - गुड़, - सोने की रकम, - हल्दी, शहद, - शक्कर, - नमक, - मुलेठी, - पीले फूल, - सरसों इनमें से सोने के गहने हर रोज इस्तेमाल कर सकते हैं। नहाने के बाद इन गहनों को पोंछकर रखें और अगली बार फिर से स्नान में उप...

राहु और बुध

********' कबूतर को दाना डालना एक पुण्य का काम है | लेकिन इसमें कुछ सावधानी रखनी चाहिए अपने सुना होगा या नहीं सुना होगा की कभी भी घर की छत पे कबूतर को दाना न डाले | अपने आँगन में या balconi में या घर से बाहर डाले लेकिन घर की छत पर नहीं | आइये जानते है , इसका ज्योतिषीय कारण| जन्मकुंडली में बुध और rahu का खराब मेल बहुत बुरा होता है | यदि जन्मकुंडली में बुध और rahu का खराब मेल हो तों इन्सान को इनके खराब योग बनने से कुछ परेशानी भी हो सकती है ऐसे में हम अपनी हरकतों से भी बुध और rahu को एक कर दे या इनको और ख़राब कर दे तों बुरा नतीजा मिलता है |ज्योतिष में बुध से सम्बंधित वस्तुओं मे कबूतर को भी जाना जाता है अब कबूतर बुध और छत हो गयी rahu | अब ऐसे लोग जब छत पे दाना डालते है तों छत पर कबूतर आते है तों एक तरह से बुध और rahu का मेल हो गया. लेकिन कबूतर तों फिर भी दाना खा कर चले जायेगे , वो तों चिंता की बात नहीं लेकिन जब वहां कबूतर आयेगे तों अपने मल से छत को गन्दी कर देगे| छत यानि rahu ख़राब हो जायेगा और बुरा नतीजा मिलेगा | बाकि किसी पार्क या खुले मैदान मे भी दाना दाल सकते है इसी लिये केहते है की ...

संयुक्त ग्रहों के उपाय

- यदि किसी जातक की जन्मकुंडली में शुक्र और सूर्य की युति किसी भी भाव में हो तो जातक को दुर्गा पूजन लाभदायक होगा । - सूर्य.शनि की युति कुण्डली के किसी भी भाव में होने पर जातक बादाम,नारियल बहते पानी में बहाए। - सूर्य.राहू की युति होने पर जातक जौ को दूध या गौ मूत्र से धोकर बहते पानी में बहायें। - यदि जातक की कुण्डली में बुध अशुभ या नीच राशि का हो तब जातक मंगल एवं राहू के उपाय करके बुध के दुश्प्रभाव को दूर करें। - सूर्य.केतु की युति होने पर सूर्य ग्रहण के समय तिल,नींबू,पका केला बहते पानी जैसे नदी में बहायें। - गौ मूत्र घर में छिड़कने से केतु.शुक्र एवं बुध का अशुभ प्रभाव कम हो जाता है । - जातक की जन्म कुण्डली में चंद्र.शुक्र की युति हो तो चांदी की ठोस गोली हमेसा अपने जेब में रखें । - चंद्र.शनि की युति होने पर भानि एवं केतु के उपाय लाभकारी होते है। चंद्रग्रहण के समय भानि की वस्तुएं बहते पानी में बहाने से लाभ होता है। - भानि.चंद्र के अशुभ प्रभाव को दूर करने के लिए सूर्य का उपाय करें । - कुण्डली में मंगल.राहू की युति होने पर मिट्टी के बर्तन में जौ भरकर बहते पानी जैसे नदी में बहाये तथ...

108 की गिनती में ही माला क्यों की जाती है?

9 नंबर बहुत इफेक्टिव होता है जीतने भी पुराण है सभी इस ही अंक से जुड़े है। जैसे 9 ग्रह नर्वाण मन्त्र भी 9 है। नवरात्री के दिन भी 9 है। नक्षत्र भी 27 है जिनका टोटल 9 है दुर्गा माँ के अवतार भी 9 ही विख्यात है। बहुत पुराण ऐसे है या वेद ग्रन्थ जेह सकते ही उनके पेज की संख्या या प्रसंग भी 18 या 1800 या 1008 ऐसे ही है।गणितीय सिद्धान्तों को मानते हुए महर्षियो ने निर्धारित किया की मनको की संख्या भी 108 ही रखी जाये। ऐसी 108 मनको की माला से जप करने का आनंद और प्रयास ही अनोखा है। जिसको हम ऐसे डिफाइन कर सकते है। इस प्रकार के जप से साधक अखिल ब्रह्माण्ड में व्याप्त नक्षत्रीय क्षेत्र वायुमंडल से डायरेक्ट संपर्क साध कर लेता है। प्रत्येक नक्षत्र 4 चरण लेता है 27 x 4=108 होते है।इसी प्रकार ब्रह्माण्ड के स्पर्श को करना है तो 108 मनको से 108 बार मनको को मूव करवा कर मंत्र जपने पढ़ते है। इस प्रकार हमारी माला जपने की विधि सम्पूर्ण होती है।

उपाय

सूर्य कमजोर हो तो थोडा सा गुड हाथ से छुआ कर नदी या तालाब में प्रवाहित कराएं, तुलसी का पत्ता मुँह में रखें १ गायत्री मन्त्र का जाप करें १ पिता की सेवा करें १ चन्द्र कमजोर हो तो खूब पानी पियें, खेलें, चाँद कि रोशनी में बैठें, चांदी के गिलास में दूध पियें, खिरनी का फल खाएं १ माँ की सेवा करें १ बुध बुद्धि का कारक है अतः बुद्ध कमजोर हो तो हरी घास पर चलें, मध्यमा उंगली में ताम्बे का छल्ला पहनें, हरी सब्जियां खाएं , जंक फ़ूड से बचें १ राहु का प्रभाव हो तो उड़द, चना, राजमा यानि बादी वाली चीजों से बचें १ अगर शुक्र कमजोर हो तो सौंफ खाएं १ जो लोग अपने शारीर में कम ऊर्जा महसूस करते हैं उन्हें प्रातःकाल सूर्य दर्शन अवश्य करना चाहिए १ जो लोग बिजली का काम करते हैं उन्हें जब भी मौका मिले मछलियों को दाना जरुर डालना चाहिए, ये उन्हें बिजली के झटके से बचाएगा १ शत्रुओं से बचाव के लिए बजरंग बाण का पाठ करें १ केले का पेड़ घर में नहीं लगाना चाहिए यह पितृ दोष उत्पन्न करता है १ घर में क्लेश, रोग बढ़ जाते हैं और वंश वृद्धि भी रुक जाती है १ मन निर्बल हो, हमेशा मन में एक अनजाना भय बना रहे तो "आ...

राहु अचानक से चौंकाने वाली खबर लाता है।

राहु-केतु ग्रह अचानक से परिवर्तन करते हैं। राहु अपनी शुभ अवस्था में अचानक से लाभ करवाता है। वहीं राहु या केतु के अशुभ स्थिति में होने पर अचानक से कोई बुरी घटना की खबर लग सकती है। कैसा होता है राहु और केतु का कुंडली में स्वभाव राहु और केतु राक्षस ग्रह होने के कारण तामसिक ग्रह है। राक्षस ग्रह होने के कारण ही ये स्वभाव से चालाक, धूर्त और आलस देने वाले ग्रह है। राहु का जन्मपत्रिका के प्रथम भाव में बैठने पर ये व्यक्ति को आलसी बनाता है। ऐसा व्यक्ति चतुर होता है। लेकिन अपने कामों में आलसी होता है। दूसरों को शक की निगाह से देखना इनकी आदत होती है। कुंडली के पहले घर में राहु के स्थित होने पर व्यक्ति स्वयं के कार्य रुक-रुककर करेगा। ऐसा ये जानबूझकर नहीं करते हैं बल्कि कार्य करने की गति ही धीमी होती है। दूसरे घर का राहु होने पर पुश्तैनी जमीन-जायदाद में परेशानी खड़ी करता है। तीसरे घर का राहु बहुत शुभ होता है। व्यक्ति अपने कार्याे में जबरदस्त साहस दिखाता है। चौथे घर का राहु बहुत ही अधिक कष्टदायक होता है। घर से संबंधित मामलों में रुकावटें खड़ी करता है। अपनी महादशा में घर में भयंकर झगड़े ...

आर्थिक परेशानियों से मुक्ति हेतु मंत्र

ध्यान दें - जिन्हें आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है वो रोज सुबह उठ कर माँ लक्ष्मी का ध्यान करते हुये नीचे दिये गये मंत्र का पूरी श्रद्धा से पाँच बार जाप करें, नित्य जाप से आप सभी भक्तों का कल्याण माँ लक्ष्मी अवश्य करेंगी यह मेरा विश्वास है । मंत्र - " त्वम् ज्योतिः श्री रविश्चंद्रो विद्यात सो वर्ण तारिकाम । सर्वेशाम ज्योतिर्शाम ज्योतिर्दीप ज्योतिः स्तुते नमः ।। "  माँ लक्ष्मी सब पर कृपा करो मेरी अम्बे ।

आप के विच कुछ टोटका के माध्यम से कुछ बताना चाहता हूँ।

आप सभी के सुख-समृद्धि के लिए टोटके 1॰ यदि परिश्रम के पश्चात् भी कारोबार ठप्प हो, या धन आकर खर्च हो जाता हो तो यह टोटका काम में लें। किसी गुरू पुष्य योग और शुभ चन्द्रमा के दिन प्रात: हरे रंग के कपड़े की छोटी थैली तैयार करें। श्री गणेश के चित्र अथवा मूर्ति के आगे “संकटनाशन गणेश स्तोत्र´´ के 11 पाठ करें। तत्पश्चात् इस थैली में 7 मूंग, 10 ग्राम साबुत धनिया, एक पंचमुखी रूद्राक्ष, एक चांदी का रूपया या 2 सुपारी, 2 हल्दी की गांठ रख कर दाहिने मुख के गणेश जी को शुद्ध घी के मोदक का भोग लगाएं। फिर यह थैली तिजोरी या कैश बॉक्स में रख दें। गरीबों और ब्राह्मणों को दान करते रहे। आर्थिक स्थिति में शीघ्र सुधार आएगा। 1 साल बाद नयी थैली बना कर बदलते रहें। 2॰ किसी के प्रत्येक शुभ कार्य में बाधा आती हो या विलम्ब होता हो तो रविवार को भैरों जी के मंदिर में सिंदूर का चोला चढ़ा कर “बटुक भैरव स्तोत्र´´ का एक पाठ कर के गौ, कौओं और काले कुत्तों को उनकी रूचि का पदार्थ खिलाना चाहिए। ऐसा वर्ष में 4-5 बार करने से कार्य बाधाएं नष्ट हो जाएंगी। 3॰ रूके हुए कार्यों की सिद्धि के लिए यह प्रयोग बहुत ही लाभदायक है। गणेश चतुर...

वेदमंत्र का संक्षिप्त रूप बीजमंत्र

वेदमंत्र का संक्षिप्त रूप बीजमंत्र कहलाता है । वेद वृक्ष का सार संक्षेप बीज है । मनुष्य का बीज वीर्य है । समूचा काम विस्तार बीज में सन्निहित रहता है । गायत्री के तीन चरण हैं । इन तीनों का एक-एक बीज (भूः, भुवः, स्वः) है । इस व्याहृति भाग का भी बीज है-ॐ । यह समग्र गायत्री मंत्र की बात हुई । प्रत्येक अक्षर का भी एक-एक बीज है । उसमें उस अक्षर की सार शक्ति विद्यमान है । तांत्रिक प्रयोजनों में बीजमंत्र का अत्यधिक महत्त्व है । इसलिए गायत्री एवं महामृत्युंजय जैसे प्रख्यात मंत्रों की भी एक या कई बीजों समेत उपासना की जाती है। चौबीस अक्षरों के २४ बीज इस प्रकार हैं- (१)ॐ (२) ह्रीं (३) श्रीं (४) क्लीं (५) हों (६) जूं (७) यं (८) रं (९) लं (१०) वं (११) शं (१२) सं (१३) ऐं (१४) क्रों (१५) हुं (१६) ह्लीं(१७) पं (१८) फं (१९) टं (२०) ठं (२१) डं (२२) ढं (२३) क्षं (२४) लृं । यह बीज मंत्र व्याहृतियों के पश्चात् एवं मंत्र भाग से पूर्व लगाये जाते हैं । भूर्भुवः स्वः के पश्चात् 'तत्सवितुः' से पहले का स्थान ही बीज लगाने का स्थान है । प्रचोदयात् के पश्चात् भी इन्हें लगाया जाता है। ऐसी दशा में उसे सम्प...

**लग्नो के अनुसार रत्न और रुद्राक्ष**

प्रत्येक लग्न के लिए एक ग्रह ऐसा होता है जो योगकारक होने के कारण शुभ फलदाई होता है। यदि ऐसा ग्रह कुण्डली में बलवान अर्थात् उच्चराशिस्थ, स्वराशिस्थ् का या वर्गोत्तमी होकर केन्द्र या त्रिकोण भाव में शुभ ग्रह के प्रभाव में स्थित हो व इस पर किसी भी पाप ग्रह का प्रभाव न हो तो यह अकेला ही जातक को उन्नति देने में सक्षम होता है,अतः इसका रत्न धारण करना विशेष शुभ फलदाई तथा चमत्कारी प्रभाव देने वाला होगा,परन्तु यदि यह अशुभ भाव में अशुभ ग्रहों के प्रभाव से ग्रस्त हो तो जातक इस योगकारक ग्रह के चमत्कारी प्रभाव से वंचित रह जाता है। ऐसी स्थिति में इसकी अशुभ भाव जनित अशुभता को नष्ट करने हेतु इसके लिये रुद्राक्ष को धारण किया जाना चाहिए। आज कल की भाग दौड़ व अतिव्यस्तता भरी जीवन-शैली में कई बार पूजा पाठ आदि के लिए समय दे पाना सम्भव नहीं हो पाता। ऐसी स्थिति में रत्न धारक को सकारात्मक ऊर्जा की प्राप्ति हेतु रुद्राक्ष भी धारण करना चाहिए क्योंकि रत्न सकारात्मक ऊर्जा वाले व्यक्ति के लिए अधिक लाभकारी सिद्ध होते हैं। जहां शुभ, योगकारक व बली ग्रहों के प्रभाव को बढ़ाने के लिए रत्न धारण करना चाहिए वहीं अकारक, नीच र...