ज्योतिष: ग्रह और रोग :Astrology: Planets and diseases​.

ग्रह और रोग *****अगर ग्रह पीड़ित हो खराब युति मे हो 6 ;8;12भाव या अन्य किसी भाव मे खराब हो या शनि राहू केतु युति या द्रस्तिगत प्रभावित हो तो व्यक्ति निम्न रोगों से ग्रस्त होता हैं ***
प्रत्येक ग्रह हमारे शरीर पर प्रभाव डालते है। जिससे की हमे बीमारियों का सामना करना पड़ता है।नीचे हम बता रहे है कि कौनसा ग्रह कौनसा रोग. दे सकता है।
**सूर्य और रोग:
विवेक : विवेक खोना ।
दिमाग : दिमाग और शरीर का दायां भाग सूर्य से प्रभावित
होकर रोग देता है।
अकड़न :सूर्य के कारण खराब होने पर शरीर में
अकड़न आ सकती है।
थूक का आना :मुंह में थूक आते रहता है।
दिल का रोग :दिल के रोग का होना।
धड़कन :धड़कन का कम-ज्यादा होते रहना ।
दांतों : दांतों में तकलीफ का होना।
बेहोशी और सिरदर्द :का रोग होना ।
**चंद्र ग्रह और रोग :
दिल और बायां भाग : दिल और बायां भाग मे चंद्र ग्रह का प्रभाव होने से रोग देता है।
रोग : सर्दी-जुकाम ,मिर्गी ,पागलपन, बेहोशी ,मासिक धर्म ,फेफड़े संबंधी रोगो का होना।
मासिक धर्म :मासिक धर्म ठीक से न होना।
स्मरण शक्ति कमजोर होना, मानसिक तनाव और मन में घबराहट
होना, शंका और अनिश्चित भय का होना ।
आत्महत्या : मन में आत्महत्या करने के विचार आते रहते हैं।
**मंगल और रोग :
रोग :नेत्र रोग,उच्च रक्तचाप ,वात रोग, गठिया रोग ,फोड़े-फुंसी ,जख्मी या चोट। ।
बुखार : बार-बार बुखार का आना ।
रोग :शरीर में कंपन ,गुर्दे में पथरी,शारीरिक ताकत मे कमी ,।
शरीर के जोड़ :शरीर के जोड़ मे समस्या का होना ।
रक्त : मंगल से रक्त संबंधी बीमारी हो सकती है । बच्चे पैदा होने मे समस्या हो सकती ।
**बुध ग्रह और रोग :
तुतलाहट : तुतलाहट का होना।
सूंघने : सूंघने की शक्ति क्षीण होना ।
दांतों : दांतों का खराब होना।
मित्र : मित्र से संबंध ख़राब होना । बहन, बुआ और मौसी : बहन, बुआ और मौसी पर मुसीबत आना।
नौकरी या व्यापार : नौकरी या व्यापार में हानि होना।
बदनामी :बदनामी होती है।
**गुरु ग्रह और रोग :
रोग : पेचिश, रीढ़ की हड्डी में दर्द, कब्ज, रक्त विकार, कानदर्द, पेट फूलना, जिगर में खराबी ,अस्थमा, दमा, श्वास आदि के रोग, गर्दन, नाक या सिर में दर्द , वायु विकार, फेफड़ों में दर्द ।
**शुक्र ग्रह और रोग :
रोग : गाल, ठुड्डी और नसों पर प्रभाव ,अंतड़ियों के रोग,गुर्दे का दर्द , पांव में तकलीफ ।
वीर्य : वीर्य की कमी होना, यौन रोग का होना , कामेच्छा का समाप्त होना ।
अंगूठे : अंगूठे में दर्द का रहना ।
त्वचा : त्वचा संबंधी रोग का होना ।
**शनि ग्रह और रोग : :
रोग : दृष्टि, बाल, भवें और कनपटी पर रहता है। आंखें कमजोर होना। भवों के बाल झड़ना । कनपटी की नसों में दर्द का होना। सिर के बाल का झड़ना । फेफड़े की तकलीफ होती है। हड्डियां का कमजोर होना। जोड़ों का दर्द होना । रक्त की कमी होना । पेट का फूलना। सिर की नसों में तनाव। चिंता और घबराहट का होना ।
**राहु के रोग :
रोग :गैस प्रॉब्लम, बाल झड़ना , उदर रोग,बवासीर, पागलपन।
मानसिक तनाव : मानसिक तनाव का रहना ।
नाखून :नाखून का टूटते रहना ।
मस्तिष्क : मस्तिष्क में पीड़ा और दर्द का बने रहना । पागलखाने, दवाखाने या जेलखाने जा सकता है। राहु अचानक से कोई बड़ी बीमारी पैदा हो सकती है।
**केतु का रोग :
पेशाब :पेशाब का रोग ,कान, रीढ़ ,घुटने, लिंग, जोड़ की समस्या ।
संतान : संतान उत्पति में कठिनाई ।
बाल : सिर के बाल झड़ते हैं।
नसों :शरीर की नसों में कमजोरी का होना ।
चर्म रोग : चर्म रोग होता है।
कान :सुनने की क्षमता कमजोर होना ।
**********

Comments

Popular posts from this blog

सूर्य तप्त जल और उसके रंगों से चिकत्सा(क्रोमोथैरेपी )-

मंत्र

सर्व विपत्ति-हर्ता श्री घंटाकर्ण मंत्र व साधना - प्रयोग विधि