108 की गिनती में ही माला क्यों की जाती है?

9 नंबर बहुत इफेक्टिव होता है जीतने भी पुराण है सभी
इस ही अंक से जुड़े है।
जैसे 9 ग्रह
नर्वाण मन्त्र भी 9 है।
नवरात्री के दिन भी 9 है।
नक्षत्र भी 27 है जिनका टोटल 9 है
दुर्गा माँ के अवतार भी 9 ही विख्यात है।
बहुत पुराण ऐसे है या वेद ग्रन्थ जेह सकते ही उनके पेज की संख्या या प्रसंग भी 18 या 1800 या 1008 ऐसे ही है।गणितीय सिद्धान्तों को मानते हुए महर्षियो ने निर्धारित किया की मनको की संख्या भी 108 ही रखी जाये। ऐसी 108 मनको की माला से जप करने का आनंद और प्रयास ही अनोखा है।
जिसको हम ऐसे डिफाइन कर सकते है।
इस प्रकार के जप से साधक अखिल ब्रह्माण्ड में व्याप्त नक्षत्रीय क्षेत्र वायुमंडल से डायरेक्ट संपर्क साध कर लेता है। प्रत्येक नक्षत्र 4 चरण लेता है 27 x 4=108 होते है।इसी प्रकार ब्रह्माण्ड के स्पर्श को करना है तो 108 मनको से 108 बार मनको को मूव करवा कर मंत्र जपने पढ़ते है। इस प्रकार हमारी माला जपने की विधि सम्पूर्ण होती है।

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