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Showing posts from October, 2017

यूं तो किसी को किस्मत से ज्यादा नहीं मिलता

यूं तो किसी को किस्मत से ज्यादा नहीं मिलता लेकिन कई बार अनेक बाधाओं के कारण किस्मत में लिखी धन-समृद्धि भी प्राप्त नहीं होती। वास्तु को मानने वाले अगर इसके मुताबिक काम करें तो उन्हें वो मिल सकता है जो अब तक नहीं मिला है। - पूर्व दिशा : यहां घर की संपत्ति और तिजोरी रखना बहुत शुभ होता है और उसमें बढ़ोतरी होती रहती है। - पश्चिम दिशा : यहां धन-संपत्ति और आभूषण रखे जाएं तो साधारण ही शुभता का लाभ मिलता है। परंतु घर का मुखिया अपने स्त्री-पुरुष मित्रों का सहयोग होने के बाद भी बड़ी कठिनाई के साथ धन कमा पाता है। उत्तर दिशा : घर की इस दिशा में कैश व आभूषण जिस अलमारी में रखते हैं, वह अलमारी भवन की उत्तर दिशा के कमरे में दक्षिण की दीवार से लगाकर रखना चाहिए। इस प्रकार रखने से अलमारी उत्तर दिशा की ओर खुलेगी, उसमें रखे गए पैसे और आभूषण में हमेशा वृद्धि होती रहेगी। दक्षिण दिशा : इस दिशा में धन, सोना, चाँदी और आभूषण रखने से नुकसान तो नहीं होता परंतु बढ़ोत्तरी भी विशेष नहीं होती है। - ईशान कोण : यहां पैसा, धन और आभूषण रखे जाएं तो यह दर्शाता है कि घर का मुखिया बुद्धिमान है और यदि यह उत्तर ईशान में रख...

यदि आपके घर का बजट गड़बड़ा गया हो

यदि आपके घर का बजट गड़बड़ा गया हो, आप से ज्यादा खर्च होता है, परिवार में अशांति रहती है, नोट कमाने के सारे प्रयास व्यर्थ साबित हो रहे हों, तो भगवान को खुश करने के लिए पूजा कक्ष में लाल रंग का प्रयोग ज्यादा से ज्यादा करें। जहां आप बटुआ रखते हों, उस स्थान को भी लाल व पीले कलर से रंग दें। कुछ ही दिनों में फर्क महसूस होगा। यदि आपको लगता है कि आपसे कोई ईर्ष्या करता है, आपके कई दुश्मन हो गए हैं। हमेशा असुरक्षा व भय के माहौल में जी रहे हों, तो मकान की दक्षिण दिशा में से जल के स्थान को हटा दें। इसके साथ ही एक लाल रंग की मोमबत्ती आग्नेय कोण में तथा एक लाल व पीली मोमबत्ती दक्षिण दिशा में नित्यप्रति जलाना शुरू कर दें। घर में बेटी जवान है, उसकी शादी नहीं हो पा रही है, तो एक उपाय करें- कन्या के पलंग पर पीले रंग की चादर बिछाएं, उस पर कन्या को सोने के लिए कहें। इसके साथ ही बेडरूम की दीवारों पर हल्का रंग करें। ध्यान रहे कि कन्या का शयन कक्ष वायव्य कोण में स्थित होना चाहिए। कभी-कभी ऐसा होता है कि व्यक्ति सर्वगुण सम्पन्न होते हुए भी बेरोजगार रह जाता है। वह नौकरी के लिए जितना अधिक प्रयास करता है, उस...

*दस महाविद्या-*

देवी दुर्गा के दस रूप, जानिए किसकी की साधना से मिलते है क्या लाभ..... दस महाविद्या को देवी दुर्गा के दस रूप माने जाते हैं। कहा जाता है कि इन महाविद्याओं की शक्तियां ही पूरे संसार को चलाती हैं। देवी दुर्गा के ये सभी स्वरूप तंत्र साधना में बहुत उपयोगी और महत्वपूर्ण माने गए हैं। आइए जानते हैं मान्यता के अनुसार किस महाविद्या की पूजा तंत्र में किस इच्छा पूर्ति के लिए की जाती है। *देवी काली-* माना जाता है माँ ने ये काली रूप दैत्यों के संहार के लिए लिया था। जीवन की हर परेशानी व दुःख दूर करने के लिए इनकी आराधना की जाती है। *देवी तारा-* सौंदर्य और रूप ऐश्वर्य की देवी तारा आर्थिक उन्नति और भोग के साथ ही. मोक्ष देने वाली मानी जाती है। *ललिता माँ-* ललिता लाल वस्त्र पहनकर कमल पर बैठी हैं। इनकी पूजा समृद्धि व यश प्राप्ति के लिए की जाती है। *माता भुवनेश्वरी-* माता भुवनेश्वरी ऐश्वर्य की स्वामिनी हैं। देवी देवताओं की आराधना में इन्हें विशेष शक्ति दायक माना जाता हैं। ये समस्त सुखों और सिद्धियों को देने वाली हैं। *त्रिपुर भैरवी-* मां त्रिपुर भैरवी तमोगुण और रजोगुण की देवी हैं। इनकी आराधना विश...

बहुत कम लोग जानते हैं गायत्री मंत्र की खास बातें और चमत्कारी उपाय...

मंत्र जप ऐसा उपाय है जिससे किसी भी प्रकार की समस्या को दूर किया जा सकता है। मंत्रों की शक्ति से सभी भलीभांति परिचित हैं। मनचाही वस्तु प्राप्ति और इच्छा पूर्ति के लिए मंत्र जप से अधिक अच्छा साधन कोई और नहीं है। सभी मंत्रों में गायत्री मंत्र सबसे दिव्य और चमत्कारी है। इस जप से बहुत जल्द परिणाम प्राप्त हो जाते हैं। यहां जानिए मंत्र से जुड़ी खास बातें और चमत्कारी उपाय... गायत्री मंत्र विद्या का प्रयोग भगवान की भक्ति, ब्रह्मज्ञान प्राप्ति, दैवीय कृपा प्राप्त करने के साथ ही सांसारिक एवं भौतिक सुख-सुविधाओं, धन प्राप्त करने की इच्छा के लिए भी किया जा सकता है। ये है गायत्री मंत्र:- ऊँ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्। शास्त्रों के अनुसार गायत्री मंत्र को वेदों को सर्वश्रेष्ठ मंत्र बताया गया है। इस मंत्र जप के लिए तीन समय बताए गए हैं। इन तीन समय को संध्याकाल भी कहा जाता हैं। गायत्री मंत्र का जप का पहला समय है प्रात:काल, सूर्योदय से थोड़ी देर पहले मंत्र जप शुरू किया जाना चाहिए। जप सूर्योदय के पश्चात तक करना चाहिए। मंत्र जप के लिए दूसरा समय है दोपहर मध्...

दीपावली पर किये जाने वाले अदभुत टोटके

1- गृहक्लेश निवारण हेतु- दीपावली पर से शुरु करके प्रत्येक महीने के प्रथम शुक्रवार को 9 साल से छोटी कन्या को देवीस्वरुप समझ कर भोजन करायेँ और दान दक्षिणा भी देँ । उसके चरण धोने के बाद उस जल को अपने घर मेँ छिड़के । साक्षात आप आशीर्वाद अनुभव करेँगे । 2- दीपावली के दूसरे दिन पांच पत्ते पीपल के लेकर सुखे कुएँ मे डाल दे बिना पीछे देखे घर वापस आ जाये शीघ्र ही धन प्राप्ति के शुभ समाचार प्राप्त होगे । 3- दीपावली के दिन सुबह निर्धन व्यक्ति को नौ किलो गेहुँ दान करेँ उसके बाद अन्य कार्य करेँ जीवन मेँ धन की कमी का अभाव नही रहेगा। 4- दीपावली की रात्री मेँ रुद्राक्ष की माला से ॐ श्रीँ श्रियै नमः मन्त्र का उच्चारण करते हुए हवन मेँ घी शक्कर की आहुति दे आकस्मिक धनलाभ होगा 5- दीपावली के दिन लक्ष्मीपूजन मेँ माता लक्ष्मी को 11 पीली कौड़िया अर्पित करेँ । दुसरे दिन उन कौड़ियोँ को लाल वस्त्र मे बाँध करके तिजोरी या व्यवसाय स्थल मेँ रखेँ ।धन लाभ तेजी से होने लगेगा 6- दीपावली के दिन पीपल को प्रणाम करने के बाद माँग कर एक अखण्ड पत्ता लायेँ और उसे अपने पूजा स्थान पर रखेँ। इसके बाद शनिवार को वह पत्ता ले जाकर पीपल ...

जो भक्तजन यदि दुर्गासप्तशती का पाठ करने में असमर्थ हों तो वह इस सप्तश्लोकी दुर्गा को पढें,इन सात श्लोकों में दुर्गा सप्तशती का संपूर्ण सार समाहित है-

जो भक्तजन यदि दुर्गासप्तशती का पाठ करने में असमर्थ हों तो वह इस सप्तश्लोकी दुर्गा को पढें,इन सात श्लोकों में दुर्गा सप्तशती का संपूर्ण सार समाहित है- अथ सप्तश्लोकी दुर्गापाठम्- शिव उवाच- देवि त्वं भक्तसुलभे सर्वकार्यविधायिनी । कलौ कार्यसिद्ध्यर्थमुपायं ब्रूहि यत्नतः ॥ देव्युवाच- श्रृणु देव प्रवक्ष्यामि कलौ सर्वेष्ट्साधनम् । मया तवैव स्नेहेनाप्यम्बास्तुतिः प्रकाश्यते ॥ विनियोग : ॐ अस्य श्रीदुर्गासप्तश्लोकीस्तोत्रमन्त्रस्य नारायण ॠषिः, अनुष्टुपछन्दः, श्रीमहाकाली-महा लक्ष्मी-महासरस्वत्यो देवताः, श्री दुर्गाप्रीत्यर्थं सप्तश्लोकी दुर्गापाठे विनियोगः । ॐ ज्ञानिनामपि चेतांसि देवी भगवती हि सा । बलादाकृष्य मोहाय महामाया प्रयच्छति ॥ १ ॥ दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तोः स्वस्थैः स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि । दारिद्र्यदुःखभयहारिणि का त्वदन्या सर्वोपकारकरणाय सदार्द्रचित्ता ॥२॥ सर्वमङ्गल माङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके । शरण्ये त्र्यंम्बके गौरि नारायणि नमोस्तु ते ॥३॥ शरणागत दीनार्तपरित्राणे परायणे । सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमोस्तु ते ॥४॥ सर्वस्वरुपे सर्वेशे सर्वशक्तिसमन्विते । भयेभ्...

वास्तु के अनुसार घर की कौन सी दीवार किस रंग की होनी चाहिए

घर की दीवार और छत के रंगों को लेकर हम अक्सर चूज़ी रहते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि वास्तु शास्त्र में इनके रंगों के बारे में क्या कहता है? जिससे हमें समृद्धि और सकारात्मक उर्जी मिलती रहे। कैसा हो छत: कुछ लोग अपने घर की छत को गुलाबी, पीला, नीला आदि रंगों से रंगना पसंद करते हैं, लेकिन यदि आप अपने घर की छत को कोई ऐसा वैसा रंग देने जा रहे हैं तो रुक जाएं, क्योंकि वास्तु के अनुसार छतों का रंग सफेद ही सर्वोत्तम माना गया है। कहते हैं यह स्थान ब्रह्मस्थान की भूमिका निभाती है और इससे घर में पॉजिटिव एनर्जी आती है। बेडरूम की दीवार पर हमेशा हल्के रंगों का प्रयोग करें, वर्ना गहरे या चुभने वाले रंग आपकी लाइफ की उलझनें बढ़ा सकते हैं। बच्चों का कमरा (स्टडी रूम) हल्का बैंगनी, हल्का हरा या गुलाबी रखें। गहरे रंग का इस्तेमाल यहां सही नहीं होता। इससे बच्चों की एकाग्रत और मनन में बाधा आती है। कमरा यदि दक्षिण-पूर्व या दक्षिण दिशा में हो तो इसकी दीवार पर आप नारंगी या लाल रंग का इस्तेमाल कर सकते हैं। दक्षिण में वैसे लाल रंग का इस्तेमाल सबसे बेहतरीन बताया गया है। यदि कोई नया शादीशुदा कपल हो तो वह बेड...

कब करें मंत्र साधना

सूर्योदय से प्राय: दो घंटे पहले ब्रह्ममूहुर्त्त साधक की सर्वाग उन्नति के लिये शुभ होता है। उस समय सोते रहना स्वास्थ्य व आर्थिक समृद्धि के विकास के लिये अशुभ है। अत: ब्रह्ममुहूर्त्त में उठकर अपने दोनों हाथों को देखें तथा भावना करें- कराग्रे वसते लक्ष्मी, करमध्ये सरस्वती। करमूले स्थितो ब्रह्मा, प्रभाते करदर्शनम्।। स्नान कर गणेश, सरस्वती, लक्ष्मी, सूर्य, तुलसी, गौ, गुरु, माता-पिता व वृद्धजनों को प्रणाम करें। वस्त्र- मुख्य रूप से पूजा-जाप के लिये दो वस्त्र-एक अद्योवस्त्र धोती तथा ऊर्ध्ववस्त्र दुप्पटा पहनने की शास्त्रों में आज्ञा है। वस्त्र रेशमी व ऊनी हो, तो उत्तम है। सिले वस्त्र, फटे-हुए, नील या मांडी लगे हुए वस्त्रों का त्याग करें। नया वस्त्र हो तो उसे एक बार धोकर ही पहनना चाहिये। सफेद वस्त्र शांति व उत्तम कर्मों के लिये, पीले वस्त्र आकर्षण के लिये लाल वस्त्र देवी की उपासना व शक्ति प्राप्ति के लिये शुभ है। पाजामा व तंग पैंट पहनकर जप करना उचित नहीं है। जप का स्थान- पूजा जाप के लिये एकांत, पवित्र व शुद्ध वायु वाला पवित्र स्थान शुभ है। तंग स्थान, अधिक शोर, दुर्गंधयुक्ता स्थान में मन ...

सूर्य को जल कैसे चढ़ाएं ?

सूर्य को जल चढ़ाने के लिए एक तांबे का लोटा ले लें। उसमें शुद्ध जल ले लें, थोड़े चावल के दाने डाल लें, थोड़ी रौली डाल लें एवं थोड़ा सा गुड़ का टुकड़ा डाल लें।     तदोपरान्‍त सूर्य को जल चढ़ाते समय अर्थात् जल का लोटा खाली होने तक अधोलिखित सूर्य के द्वादश नामों का जाप करें-     ॐ मित्राय नमः     ॐ रवये नमः     ॐ सूर्याय नमः     ॐ भानवे नमः     ॐ खगय नमः     ॐ पुष्णे नमः     ॐ हिरण्यगर्भाय नमः     ॐ मारिचाये नमः     ॐ आदित्याय नमः     ॐ सावित्रे नमः     ॐ अर्काय नमः     ॐ भास्कराय नमः     सूर्य को जल सदैव प्रात:काल में चढ़ाएं। 6 से 7बजे प्रात: का समय उपयुक्‍त है। अधिक विलम्‍ब से न चढ़ाएं। अधिकाधिक आठ बजे  तक जल अवश्‍य चढ़ा लें।     सूर्य को जल चढ़ाते समय सीधा उसे न देखें। सूर्य को जल चढ़ाते समय जल की जो धारा आप बनाते हैं उसमें सूर्य रश्मियों या सूर्य के दर्शन करें। जल चढ़ाने के उपरान्‍त सूर्य देवता से अपने समस्‍त गलतियों क...