(पोस्ट पढे, आज थोड़ी लम्बी ज़रूर है पोस्ट किन्तु अच्छी लगेगी)

--------एक ही ग्रह के प्रभाव से कोई सुखी तो कोई दु:खी होता है। दुष्कर्म, सत्कर्म, पाप-पुण्य सब उससे ही संचालित होते हैं। ग्रह हमारे जीवन को इतना प्रभावित करते हैं कि कभी इच्छा मात्र से सबकुछ आसानी से हासिल हो जाता है और कभी बहुत प्रयत्न करने के बाद भी छोटी सी सफलता नहीं मिल पाती है।

-------अब सवाल यह है कि जब सारे ग्रहों की ऊंचाई हर मानव के लिए समान है तो लोगों को अलग-अलग कैसे प्रभावित कर सकते हैं ये। सूर्य-चंद्र को तो सभी आसानी से देख लेते हैं। किन्तु समझना सात ग्रहों को है।

 -------स्कूल में सभी बच्चे जब एक ड्रेस में होते हैं और छुट्टी के समय बाहर निकलते हैं तो उसमें अपने बच्चे को पहचानना मुश्किल होता है। हमारे बच्चे हमें आसानी से पहचान लेते हैं और दौड़कर पास आ जाते हैं। दरअसल जब हम खड़े होते हैं तो हमारे जैसा दूसरा व्यक्ति वहां भ्रम पैदा करने वाला नहीं होता है। इसलिए हमारे बच्चे हमें पहचान लेते हैं। चूंकि सभी बच्चे एक जैसे दिखते हैं इसलिए हमें पहचानने में कठिनाई होती है। इसी तरह सूर्य-चंद्र कुछ अलग विशेषता के कारण पहचान में आ जाते हैं, सूर्य-चंद्र आसानी से दिख जाते हैं।

-------रही बात सूर्य सबको एक ही डिग्री में धूप देता है। सभी पर अपनी अपनी ऊर्जा एक जैसा फेंकता है तो अलग-अलग लोगों को अलग-अलग फल कैसे देता है। दरअसल सूर्य तो एक जैसा ही प्रभाव डालता है पर हमारे शरीर का निर्माण किस तरह का है, उसी के अनुसार ऊर्जा रिसीव हो पाती है।

------दूसरी बात यह है कि एक समय में ही सूर्य एक जैसी ऊर्जा दे रहा होता है, दूसरे समय में वैसी ऊर्जा सूर्य नहीं दे सकता। अर्थात अलग-अलग तिथि-समयों में जन्म हमारा होता है। सूर्य व अन्य ग्रहों की राशि के अनुसार हमारे शरीर का निर्माण होता है। जिस समय हमारे शरीर का निर्माण हो रहा था उस समय के ग्रहों की शक्‍ित का हमपर प्रभाव होता है। बाद में सूर्य कैसी भी ऊर्जा दे हमारा शरीर हमारी पात्रता के अनुसार ही उसे ग्रहण करता है।

--------मिठाई सबको मीठी लगती है पर जिस व्यक्ति में बुखार हो उसे मिठाई का मूल स्वाद नहीं मिलता है। किसी को सुगर हो तो वही मिठाई जहर का काम करती है। हमें समझना चाहिए कि दोष मिठाई में नहीं है। एक ही मिठाई किसी को लाभ पहुंचा रही है और किसी को नुकसान। उसी प्रकार ग्रहों का प्रभाव भी हमारे ऊपर होता है।

-------अब सवाल यह भी उठता है कि जब भाग्य के अनुसार दुःख भोगना ही है तो फिर.दान, मन्त्र, ग्रहों के उपाय करने के लिए ज्योतिषी के पास क्यूं जाए इससे क्या लाभ होगा ?

-------जैसे किसी व्यक्ति को सजा या जेल हो जाए तो एक रास्ता यह है कि वो अपने पूरे दिनो की सजा भुगते और दूसरा रास्ता यह है कि वह जुर्माना देकर कैद की अवधि कुछ कम करा सकता है अथवा कैद से छूट भी सकता है, लेकिन कुछ कष्ट तो भुगतना ही होगा । वैसे ही मनुष्य मन्त्र, दान आदि का उपाय करके भाग्य में लिखे हुये दुःखो को क्षीण कर सकता है । एवं जीवन को सरल करे

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