- णमोकार महामंत्र से संबंधित कुछ बाते

- हम सबको पता है की णमोकार महामंत्र है, बस आज इस मंत्रराज से संबंधित कुछ बातों पे ध्यान देंगे. णमोकार महामंत्र, प्राकृत मे लिखा गया है.
# णमोकार महामंत्र के कोई बनानेवाले/लिखनेवाले/ रचियेता नही हैं, यह अनादि-निधन मंत्र है.
# णमोकार महामंत्र को सबसे पहले आचार्यश्री भूतबली और पुष्पदंत जी महाराज ने अपने महान ग्रंथराज "षटखंडागम" मे लिपीबद्ध किया.
# णमोकार महामंत्र को महामन्त्र इसलिए कहा गया है, क्यूंकी सामान्य मंत्र सांसारिक पदार्थों की सिद्धि मे सहायक होते हैं परंतु णमोकार महामंत्र जपने से ये तो प्राप्त होते ही हैं , साथ ही परमार्थ पद प्राप्त करने मे भी ये मंत्र सहायक है.
# णमोकार महामंत्र से 84 लाख मंत्रों की उत्पत्ति हुई है.
# णमोकार महामंत्र , के साथ ॐ लगाना अनिवार्य नही है, क्यूंकी ॐ एक- अक्षरी मंत्र अपने आप मे ही एक मंत्र है.
# णमोकार महामंत्र पढ़ने के लिए कोई मुहूर्त नही होता, इसे तो कहीं भी, कभी भी, मन मे बोल सकते हैं.
# णमोकार महामंत्र मे 5 पद है ... अर्थात पाँच परमेष्ठी को नमस्कार किया है.
# णमोकार महामंत्र मे किसी भी ऐलक, क्षुल्लक, आर्यिका,क्षुल्लिका आदि को नमस्कार नही किया गया है.
# णमोकार महामंत्र को 3 स्वासोछ्वास मे पढ़ना चाहिए. पहले साँस लेते समय मे णमो अरिहंताणं , और साँस छोड़ते समय णमो सिद्धाणं ! दूसरी साँस लेते समय णमो आयरियाणं और उसे छोड़ते हुए णमो उवज्झायाणं तीसरी साँस लेते समय णमो लोए और छोड़ते हुए सव्व साहूणं बोलना चाहिए.
# णमोकार महामंत्र का किसी भी अवस्था मे अपमान नही करना, ये मंत्र केवलज्ञान स्वरूप है. अक्सर ऐसा होता है की किसी शास्त्र सभा के अंत मे जिनवाणी माता की स्तुति उपरांत 9 बार णमोकार महामंत्र बोलते हैं. कई बार, कई लोगों क साथ ये होता है की वो 3-4 या 5 वी बार ही मंत्र बोल पाया ओर बाकी लोगों ने 9 पूरे कर लिए और जयकारा लगा दिया. ऐसी स्थिति मे वो लोग अपना मंत्र बीच मे ही छोड़ देते हैं, यह णमोकार महामंत्र का अपमान ही है. आप 3 ही बार बोलें पर पूरी शुद्धता से.
# णमोकार महामंत्र को कुछ लोग नमोकार बोलते हैं और णमो के स्थान पर नमो शब्द का उच्चारण करते हैं, यह सर्वथा ग़लत है।
# क्या णमोकार महामंत्र को इसी क्रम मे पढ़ना अनिवार्य है ? नही, जिस प्रकार 1 लड्डू को किसी भी तरफ से खाने पर उसका स्वाद एक जैसा ही प्रतीत होता है, उसकी मिठास एक जैसी ही मालूम पड़ती है, ठीक उसी प्रकार इस महा मंत्र को किसी भी क्रम मे बोलने से भी उसका महत्व वही रहता है.
# णमोकार महामंत्र, को बोलना तो मन-वचन ओर काय तीनो योग एक साथ लेके, टीवी देखते हुए, खाते हुए, गाड़ी चलाते हुए, इधर उधर देखते हुए इस महामंत्र को बोलना इसका अपमान ही है ।
--- णमोकार महामंत्र की कृपया अपने विचार प्रेषित करे ......!!

Comments

Popular posts from this blog

सूर्य तप्त जल और उसके रंगों से चिकत्सा(क्रोमोथैरेपी )-

मंत्र

सर्व विपत्ति-हर्ता श्री घंटाकर्ण मंत्र व साधना - प्रयोग विधि