Posts

Showing posts from May, 2017

कुंडली का छठा भाव

लग्न- पंचम-नवम भाव का त्रिकोण महत्वपूर्ण त्रिकोण होता है। दूसरा भाव ,प्राप्त होने का भाव है। किसी भी भाव को यदि बीज -जड़ या मूल मान लिया जाय तो समझिए अगला भाव, इस बीज का फल है, इसकी उपज है ,इससे प्राप्त हासिल है. नवम का फल कर्म है ,लग्न का फल धन भाव है। धन भाव अर्थात आपके पैदा होते ही आपको सहज प्राप्त वसीयत ,आपको स्वतः प्राप्त सुविधा। इसी प्रकार पंचम भाव जो की शिक्षा, संतान या सीधे कहूँ उत्पादन का भाव है ,इसका ही फल षष्टम भाव है.जातक के जन्म लेते ही उसके लिए शत्रु का रोल निभाने वाला भाव। ये शत्रु भाव है ,किसका शत्रु भला ?कुंडली का ,जातक का। उसकी हैसियत का ,उसकी पर्सनैलिटी का। अपने प्राप्त ज्ञान से,अपने उत्पादन से (पंचम से ) आगे के जीवन के लिए जो उत्पादित होना था ,जो लाभ नवम के रूप में लग्न को प्राप्त होना था, उसके लिए लिए विनाश का कारण बन जाता है छठा भाव। लग्न को यह आठवीं दृष्टि से देखता है ,उसे बर्बाद करने वाली स्थितियां उत्पन्न करता है। शायद उलझ रहे हैं आप .... चलिए सामान्य भाषा में कहता हूँ। अपनी सोच ,अपने प्राप्त ज्ञान को (पंचम ) जातक अपने भाग्य को बदलने ,या कहें काम करने का अवसर ...

गृह उपाय

स्वर्गीय परिजनों के चित्र दक्षिणी दीवार पर लगाने से उनका आशीर्वाद मिलता रहता है. संध्या के समय घर में एक दीपक अवश्य जलाएं तथा ईश्वर से अपने द्वारा किए गए पापों के लिए क्षमा याचना करें। भवन में आपके नाम की प्लेट (नेम प्लेट) को बड़ी एवं चमकती हुई रखने से यश की वृद्धि होती है. घर में स्वस्तिक का निशान बनाने से निगेटिव ऊर्जा का क्षय होता है. घर के उत्तर पूर्व में गंगा जल रखने से घर में सुख सम्पन्नता आती है. घर में कभी भी मकड़ी के जाले नहीं लगने चाहिए नहीं तो राहु खराब होता है तथा राहु के बुरे फल भोगने पड़ते हैं।

कुंडली में राहु शनि एक साथ ? उपाएँ करे !!

कुंडली में राहु शनि एक साथ ? उपाएँ करे !! ज्योतिष कोई जादू की छड़ी नहीं है ! ज्योतिष एक विज्ञानं है ! ज्योतिष में जो ग्रह आपको नुकसान करते है, उनके प्रभाव को कम कर दिया जाता है और जो ग्रह शुभ फल देता है,उनके प्रभाव को बढ़ा दिया जाता है ! आज के इस युग में हर मोड़ पर ज्योतिष की दूकान मिल जाएगी पर दुःख की बात यह है आजकल ज्योतिष किताबी ज्ञान रखते है वास्तविकता से कोसो दूर है! किसी ज़माने में ज्योतिष का काम बहुत पवित्र होता था पर आज के ज्योतिष तो बस यजमान को ठगने में लगे है ! हमारे ज्योतिष आचार्यो ने शनि को छेवे आठवे दशवे और बारवे भाव का पक्का कारक माना है जबकि राहु एक छाया ग्रह है ! एक मान्यता के अनुसार राहु और केतु का फल देखने के लिए पहले शनि को देखा जाता है क्योंकि यदि शनि शुभ फल दे रहे हो तो राहु और केतु अशुभ फल नहीं दे सकते और यह भी माना जाता है कि शनि का शुभ फल देखने के लिए चंद्रमा को देखा जाता है ! कहने का भाव यह है कि प्रत्येक ग्रह एक दुसरे पर निर्भर है ! इन सभी ग्रहों में शनि का विशेष स्थान है ! शनि से मकान और वाहन का सुख देखा जाता है साथ ही इसे कर्म स्थान का कारक भी माना जाता है...

नक्षत्रों के नाम --------- स्वामी ग्रह *

नक्षत्रों के नाम --------- स्वामी ग्रह * ********************************** १ - अश्वनी - केतु २ - भरनी - शुक्र ३ - कृतिका - सूर्य ४ - रोहिणी - चंद्रमा ५ - मृगशिरा - मंगल ६ - आर्द्रा - राहू ७ - पुनर्वसु - गुरु ८ - पुष्य - शनि ९ - आश्लेषा - बुध १० - मघा - केतु ११ - पूर्व-फाल्गुनी - शुक्र १२ - उत्तरा-फाल्गुनी - सूर्य १३ - हस्त - चन्द्र १४ - चित्रा - मंगल १५ - स्वाति - राहू १६ - विशाखा - गुरु १७ - अनुराधा - शनि १८ - ज्येष्ठा - बुध १९ - मूला - केतु २० - पूर्वा-सादा - शुक्र २१ - उत्तरा-सादा - सूर्य २२ - श्रवण - चन्द्र २३ - धनिष्ठा - मंगल २४ - शतभिषा - राहू २५ - पूर्वा -भाद्रपद - गुरु २६ - उत्तरा-भाद्रपद - शनि २७ - रेवती - बुध

कुछ विशिष्ट मंत्रों से रोगमुक्ति के लिए जाप पाठ व ध्यान करें।

गुर्दे सम्बंधी रोगों से मुक्ति के लिए मंत्र मूत्र, पथरी और गुर्दे सम्बंधी रोगी किसी भी रविवार से प्रात:काल सूर्य के समक्ष ताम्र पत्र में शुद्ध जल भरे। उस जल में पत्थरचट्टा के दो तीन पत्तों का रस डालकर सूर्य ताप में दो-तीन घंटे रहने दे। फिर उस जल को पीते हुए सूर्य को देखते हुए इस मंत्र का 101 बार पाठ करें - विद्या शरस्य पितरं सूयंü शतवृष्णयम्। अमूर्या उप सूर्ये याभिर्वा सूर्य सह।। ता नो हिन्वन्त्वध्वरम्।। ॐ भास्कराय नम:। दिल के रोगों के निदान के लिए मंत्र दिल से सम्बंधी बीमारियों के निदान के लिए सूर्य उपासना सर्वोत्तम मानी गई हैं। अथर्वा ऋषि के अनुसार प्रतिदिन प्रात: व सायंकाल सूर्योपासनाकरें और ॐ रवये नम: के साथ साथ कम से कम 50-60 बार सूर्य की ओर मुंह करके सूर्य ध्यान के साथ तालियां बजाएं। प्राणायाम करें व इस मंत्र का रविवार या सोमवार कम से कम 21 बार जाप करें- मुंच शीर्षक्तया उत कास एनं परस्पराविशेषा यो अस्य। ॐ आदित्याय नम: सामान्य व्याधि निदान के लिए मंत्र रविवार से प्रतिदिन सूर्य को जल का अर्घ देकर प्रात: काल सूर्य ताप लें। सूर्य किरणों को अपने आवास में आने का मार्ग प्रशस...

लग्न से जानिए शरीर के रोग-रखें सावधानी और परहेज:

लग्न से जानिए शरीर के रोग-रखें सावधानी और परहेज::::– जन्मकुंडली का छठा (6) और ग्यारहवाँ (11) भाव रोग के भाव माने जाते है यानि इन भावों से हमें होने वाले रोगों की संभावित जानकारी मिल सकती है। यदि इन भाव के स्वामी अच्छी स्थिति में हो तो रोग का निदान हो जाता है या रोग होने की संभावना घट जाती है मगर यदि इन भावों के स्वामी खराब स्थिति में हो तो रोग भयंकर रूप लेते हैं और उनका निदान होना कठिन हो जाता है। ऐसे में यदि बचपन से ही इस बारे में सावधानी और परहेज रखा जाए तो इनसे बचा जा सकता है। मेष लग्न के लिए एलर्जी, त्वचा रोग, सफेद दाग, स्पीच डिसऑर्डर, नर्वस सिस्टम की तकलीफ आदि रोग संभावित हो सकते हैं। वृषभ लग्न के लिए हार्मोनल प्रॉब्लम, मूत्र विकार, कफ की अधिकता, पेट व लीवर की तकलीफ और कानों की तकलीफ सामान्य रोग है। मिथुन लग्न के लिए रक्तचाप (लो या हाई), चोट-चपेट का भय, फोड़े-फुँसी, ह्रदय की तकलीफ संभावित होती है। कर्क लग्न के लिए पेट के रोग, लीवर की खराबी, मति भ्रष्ट होना, कफजन्य रोग होने की संभावना होती है। सिंह लग्न के लिए मानसिक तनाव से उत्पन्न परेशानियाँ, चोट-चपेट का भय, ब्रेन में तकली...

किस ग्रह से कौन-सी बीमारी::::—

मनुष्य के मन, मस्तिष्क और शरीर पर मौसम, ग्रह और नक्षत्रों का प्रभाव लगातार रहता है। कुछ लोग इन प्रभाव से बच जाते हैं तो कुछ इनकी चपेट में आ जाते हैं। बचने वाले लोगों की सुदृढ़ मानसिक स्थिति और प्रतिरोधक क्षमता का योगदान रहता है। लाल किताब अनुसार हम जानते हैं कि किस ग्रह से कौन-सा रोग उत्पन्न होता है। कुंडली का खाना नं. छह और आठ का विश्लेषण करने के साथ की ग्रहों की स्थिति और मिलान अनुसार ही रोग की स्थिति और निवारण को तय किया जाता है। प्रत्येक व्यक्ति की कुंडली में यह स्थितियाँ अलग-अलग होती है। यहाँ प्रस्तुत है सामान्य जानकारी, जिसका किसी की कुंडली से कोई संबंध है या नहीं यह किसी लाल किताब के विशेषज्ञ से पूछकर ही तय किया जा सकता है। ग्रहों से उत्पन्न बीमारी :- 1. बृहस्पति : पेट की गैस और फेफड़े की बीमारियाँ। 2. सूर्य : मुँह में बार-बार थूक इकट्ठा होना, झाग निकलना, धड़कन का अनियंत्रित होना, शारीरिक कमजोरी और रक्त चाप। 3. चंद्र : दिल और आँख की कमजोरी। 4. शुक्र : त्वचा, दाद, खुजली का रोग। 5. मंगल : रक्त और पेट संबंधी बीमारी, नासूर, जिगर, पित्त आमाशय, भगंदर और फोड़े होना। 6. बुध : च...

राहु भाव

राहु एक छाया ग्रह है, परंतु जन्म पत्रिका में यह जिस भाव स्थित होता है, उस स्थान को बेहद प्रभावित करता है। खासकर जब राहु की महादशा हो। जातक पूर्णत: असमंजस की स्थिती में आ जाता है। वह अच्छे-बुरे का विचार भी छोड देता है। जातक की रूचि विपरित कार्यों में हो जाती है १. प्रथम भाव- विजयी, कृपण, वैरागी, गुस्सैल, कमजोर मस्तिष्क। २. द्वितिय भाव- द्वैष रखने वाला, झूठा, कड़वा बोलने वाला, मक्कार, धनवान। ३. तृतीय भाव- ताकतवर, अक्लमंद, उद्यमी, विवेकशील। ४. चतुर्थ भाव- मातृद्रोही, सुखहीन, झगडऩे वाला। ५. पंचम भाव- पुत्रवाला, सुखी, धनवान, कम अक्ल का। ६. षष्ठ भाव- ताकतवर, धैर्यशली, शत्रुविजयी, कर्मठ। ७. सप्तम भाव- अनेक विवाह, कपटी, व्यभिचारी, चतूर। ८. आठवां भाव- लम्बी आयु परंतु क ष्टकारी जीवन, गुप्त रोगी। ९. नवां भाव- भाग्यहीन, यात्रा करने वाला, मेहनती। १0. दसवा भाव- नीच कर्म करने वाला, नशाखोर, वाचाल। ११. एकादश भाव- चोकस, छोटे कार्य करनेे वाला, लालची। १२. द्वादश भाव- पैसा लुटानेवाला, जल्दबाज, चिंता। ये एक आम जानकारी है।ग्रह,नक्षत्र,लग्न, दृष्टि,भाव स्वामी,डिग्री सब जरूरी है सटीक फलित के लिए।...

जिन जातको की जन्मपत्रिका नहीं बनी होती

ज्योतिष शास्त्र में किसी भी ग्रह का शुभ अथवा अशुभ प्रभाव जन्मकुंडली पर र्निभर करता है। कुंडली में ग्रह दोष हो तो जिन्दगी में अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। जिन जातको की जन्मपत्रिका नहीं बनी होती अथवा बनी भी हो तो कभी किसी ज्योतिष को दिखाई न हो ऐसी स्थिति में नीचे बताए गए लक्षणों को देखकर यह जानना चाहिए कि आपके लिए कौन सा ग्रह अशुभ प्रभाव दे रहा है सूर्य- सूर्य से प्रभावित जातक का बाल्यावस्था में ही अपने पिता से संबंध विच्छेद हो जाता है। उसके शरीर में विकार उत्पन्न हो जाते हैं जैसे नेत्र रोग। उसे वो यश नहीं मिल पाता जिसका वो भागिदार होता है। उसे नींद नाम मात्र आती है। चंद्र- चंद्र से प्रभावित जातक के घर में पानी की समस्या रहती है। उसकी कल्पनाशक्ति कमजोर हो जाती है। उसके घर में दुधारू पशु जैसे गाय, भैंस जीवित नहीं रह पाते और माता का स्वास्थ्य बिगड़ा रहता है। बुध- बुध से प्रभावित जातक को नशे, सट्टे व जुए की लत लग जाती है। उसकी बेटी व बहन पर सदैव दुख मंडराता रहता है। गुरु- गुरु से प्रभावित जातक के विवाह में विलंब होता है। उसका सोना खोने लगता है, चोटी के बाल उड़ जाते हैं, शिक्षा म...

घर में सदा कलह होता रहता है

कुछ लोगो की सदा शिकायत रहती है की हमारे घर में सदा कलह होता रहता है .धन टिकता नहीं है.जबसे हम यहाँ आये है हमारे घर में कोई न कोई बीमार रहता ही है.या अन्य कोई विपदा आती ही रहती है जिसके कारण मानसिक अशांति बनी रहती है.मित्रो उसके कई कारण हो सकते है.घर में नकारत्मक उर्जा के होने से भी ये सब होता ही है.अतः करे ये लघु प्रयोग। सामग्री : हल्दी की ७ साबूत गाठ,पूजा की ५ सुपारी,ताम्बे का लोटा ढक्कन सहित,चांदी का चोकोर चोड़ा टुकड़ा,चांदी का सर्प सर्पिनी का जोड़ा। प्रयोग किसी भी सोमवार को प्रातः काल में करे,लोटे में थोडा सा गंगा जल भरे,गंगाजल न हो तो शुद्ध जल भर दे.बाकि उपरोक्त सभी सामग्री लोटे में डाल दे.तथा लोटे को ताम्बे के ढक्कन से ढ़क दे.और इस लोटे को बिना खोले मकान के मुख्य द्वार की दाहिनी और ज़मीन में गाड दे.स्मरण रहे घर से बाहर जाते वक़्त आपको आपके दाहिनी हाथ की और इसे गाड़ना है.यदि आप बाहर खड़े होंगे तो ये हिस्सा आपकी बायीं और आएगा।

धन के ठहराव के लिए

आप जो भी धन मेहनत से कमाते हैं उससे ज्यादा खर्च हो रहा हो अर्थात घर में धन का ठहराव न हो तो ध्यान रखें को आपके घर में कोई नल लीक न करता हो ! अर्थात पानी टपदृटप टपकता न हो ! और आग पर रखा दूध या चाय उबलनी नहीं चाहिये ! वरना आमदनी से ज्यादा खर्च होने की सम्भावना रह्ती है ! ॰ घर में समृद्धि लाने हेतु घर के उत्तरपश्चिम के कोण (वायव्य कोण) में सुन्दर से मिट्टी के बर्तन में कुछ सोने-चांदी के सिक्के, लाल कपड़े में बांध कर रखें। फिर बर्तन को गेहूं या चावल से भर दें। ऐसा करने से घर में धन का अभाव नहीं रहेगा। ॰ घर में स्थायी सुख-समृद्धि हेतु पीपल के वृक्ष की छाया में खड़े रह कर लोहे के बर्तन में जल, चीनी, घी तथा दूध मिला कर पीपल के वृक्ष की जड़ में डालने से घर में लम्बे समय तक सुख-समृद्धि रहती है और लक्ष्मी का वास होता है। ॰ घर में बार-बार धन हानि हो रही हो तों वीरवार को घर के मुख्य द्वार पर गुलाल छिड़क कर गुलाल पर शुद्ध घी का दोमुखी (दो मुख वाला) दीपक जलाना चाहिए। दीपक जलाते समय मन ही मन यह कामना करनी चाहिए की ृभविष्य में घर में धन हानि का सामना न करना पड़े´। जब दीपक शांत हो जाए तो उसे बहते हुए प...

नगा / सर्प / राहु दोष से पीड़ित लोगों के लिए हर दिन प्रार्थना

नगा / सर्प / राहु दोष से पीड़ित लोगों के लिए हर दिन प्रार्थना विष्णुलोके च ये सर्पाः अनंताद्या महाबलाः नमोस्तु तेभ्यस्सुप्रीताः पन्नगास्सन्तु मे सदा ब्रह्मलोके च ये सर्पाः वासुकिप्रमुखाश्शुभाः नमोस्तु तेभ्यस्सुप्रीताः पन्नगास्सन्तु मे सदा इन्द्रलोके च ये सर्पास्तक्षकाद्याः महाबलाः नमोस्तु तेभ्यस्सुप्रीताः पन्नगास्सन्तु मे सदा कैलासलोके ये सर्पाः कार्कोटकबलादयः नमोस्तु तेभ्यस्सुप्रीताः पन्नगास्सन्तु मे सदा पाताळलोके ये सर्पा आदिशेषादयो वराः नमोस्तु तेभ्यस्सुप्रीताः पन्नगास्सन्तु मे सदा द्वीपान्तरे च ये सर्पाः काळिन्दीनिलयस्तथा नमोस्तु तेभ्यस्सुप्रीताः पन्नगास्सन्तु मे सदा सर्वताग्रेषु ये सर्पाश्शिलासंधिषु संस्थिताः नमोस्तु तेभ्यस्सुप्रीताः पन्नगास्सन्तु मे सदा ग्रामे वा यदि वारण्ये ये च सर्पा गृहेषु वा नमोस्तु तेभ्यस्सुप्रीताः पन्नगास्सन्तु मे सदा

गृह बाधा शान्ति शाबर मन्त्र

गृह बाधा शान्ति शाबर मन्त्र यह मंत्र जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में साधक की रक्षा करता है । कोई भी व्यक्ति इसे सिद्ध करके स्वयं को सुरक्षित कर सकता है । जिसने इसे सिद्ध कर लिया हो, ऐसा व्यक्ति कहीं भी जाए, उसको किसी प्रकार की शारीरिक हानि की आशंका नहीं रहेगी। केवल आततायी से सुरक्षा ही नहीं, बल्कि रोग- व्याधि से मुक्ति दिलाने में भी यह मंत्र अद्भुत प्रभाव दिखाता है । इसके अतिरिक्त किसी दूकान या मकान में प्रेत-बाधा, तांत्रिक-अभिचार प्रयोग, कुदृष्टि आदि कारणों से धन-धान्य, व्यवसाय आदि की वृद्धि न होकर सदैव हानिकारक स्थिति हो, ऐसी स्थिति में इस मंत्र का प्रयोग करने से उस द्थान के समस्त दोष-विघ्न और अभिशाप आदि दुष्प्रभाव समाप्त हो जाते हैं । मन्त्रः- “ॐ नमो आदेश गुरु को। ईश्वर वाचा अजपी बजरी बाड़ा, बज्जरी में बज्जरी बाँधा दसौं दुवार छवा और के घालो तो पलट बीर उसी को मारे । पहली चौकी गणपति, दूजी चौकी हनुमन्त, तिजी चौकी भैंरो, चौथी चौकी देत रक्षा करन को आवे श्री नरसिंह देवजी । शब्द साँचा पिण्ड काँचा, ऐ वचन गुरु गोरखनाथ का जुगोही जुग साँचा, फुरै मन्त्र ईशवरी वाचा ।” विधिः- इस मंत्र को मंत्र...

लक्ष्मी प्राप्ति के बीस सूत्र

बीस सूत्र प्रत्येक गृहस्थ इन सूत्रों-नियमों का पालन कर जीवन में लक्ष्मी को स्थायित्व प्रदान कर सकता है। आप भी अवश्य अपनाएं - 1. जीवन में सफल रहना है या लक्ष्मी को स्थापित करना है तो प्रत्येक दशा में सर्वप्रथम दरिद्रता विनाशक प्रयोग करना ही होगा। यह सत्य है की लक्ष्मी धनदात्री हैं, वैभव प्रदायक हैं, लेकिन दरिद्रता जीवन की एक अलग स्थिति होती है और उस स्थिति का विनाश अलग ढंग से सर्वप्रथम करना आवश्यक होता है। 2. लक्ष्मी का एक विशिष्ट स्वरूप है "बीज लक्ष्मी"। एक वृक्ष की ही भांति एक छोटे से बीज में सिमट जाता है - लक्ष्मी का विशाल स्वरूप। बीज लक्ष्मी साधना में भी उतर आया है भगवती महालक्ष्मी के पूर्ण स्वरूप के साथ-साथ जीवन में उन्नति का रहस्य। 3. लक्ष्मी समुद्र तनया है, समुद्र से उत्पत्ति है उनकी, और समुद्र से प्राप्त विविध रत्न सहोदर हैं उनके, चाहे वह दक्षिणवर्ती शंख हो या मोती शंख, गोमती चक्र, स्वर्ण पात्र, कुबेर पात्र, लक्ष्मी प्रकाम्य क्षिरोदभव, वर-वरद, लक्ष्मी चैतन्य सभी उनके भ्रातृवत ही हैं और इनकी गृह में उपस्थिति आह्लादित करती है, लक्ष्मी को विवश कर देती है उन्हें गृह म...

पितृदोष और पितृशांति के लिए मंत्र

पितृदोष और पितृशांति के लिए मंत्र__(***) पितृदोष क्या है और कैसे होता है:- जब किसी भी व्यक्ति की कुंडली के नवम पर जब सूर्य और राहू की युति हो रही हो तो यह समझा जाता है कि उसके पितृ दोष योग बन रहा है | भारतीय संस्कृति में पुराणों और शास्त्रों के अनुसार सूर्य तथा राहू जिस भी भाव में बैठते है, उस भाव के सभी फल नष्ट हो जाते है | यह योग व्यक्ति की कुण्डली में एक ऎसा दोष है जो सभी प्रकार के दु:खों को एक साथ देने की क्षमता रखता है, इस दोष को पितृ दोष के नाम से जाना जाता है | व्यक्ति की कुन्डली का नवम् भाव अथवा घर धर्म का सूचक है तथा यह पिता का घर भी होता है | इसलिए अगर किसी की कुंडली में नवम् घर में ग्रहों कि स्थिति ठीक नहीं है अर्थात खराब ग्रहों से ग्रसित है तो इसका तात्पर्य है कि जातक के पूर्वजों की इच्छायें अधूरी रह गयीं थी अत: इस प्रकार का जातक हमेशा तनाव में रहता है एवं उसे मानसिक, शारीरिक तथा भौतिक समस्याओं और संकटों का सामना कारण पडता है | अत: सपष्ट है कि जातक का नवां भाव या नवें भाव का मालिक राहु या केतु से ग्रसित है तो यह सौ प्रतिशत पितृदोष के कारणों में माना जाता है | मुख्यतया: ...

टोटका ज्ञान

धन-समृद्धि को अर्जित करने के लिए प्रबल पुरुषार्थ यानि कि ईमानदारी पूर्वक कठोर परिश्रम तो आवश्यक है ही। किंतु साथ ही कुछ जांचे-परखे और कारगर उपायों जिन्हें टोने-टोटके के रूप में जाना जाता है को भी आजमाना चाहिये। तो देखें ऐसे ही कुछ आसान किंतु प्रभावशाली टोटके को: 1. हर पूर्णिमा को सुबह पीपल के वृक्ष पर जल चढ़ाएं। 2. तुलसी के पौधे पर गुरुवार को पानी में थोड़ा दूध डालकर चढ़ाएं। 3. यदि आपको बरगद के पेड़ के नीचे कोई छोटा पौधा उगा हुआ नजर आ जाए तो उसे उखाड़कर अपने घर में लगा दें। 4. गूलर की जड़ को कपड़े में बांधकर उसे ताबीज में डालकर बाजु पर बांधे। 5. पीपल के वृक्ष की छाया में खड़े होकर लोहे के पात्र में पानी लेकर उसमें दूध मिलाकर उसे पीपल की जड़ में डालने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है और घर में लक्ष्मी का स्थाई निवास होता है। 6. धन समृद्धि की देवी लक्ष्मी को प्रति एकादशी के दिन नौ बत्तियों वाला शुद्ध घी का दीपक लगाएं। 7. घर के मुख्य प्रवेश द्वार पर तांबे के सिक्के को लाल रंग के नवीन वस्त्र में बांधने से घर में धन, समृद्धि का आगमन होता है। 8. शनिवार के दिन कृष्ण वर्ण के पशुओं को...

दान का महत्व एवं विधि

दान का महत्व एवं विधि शास्त्रों में गृह शांति के विभिन्न उपायों में गृहानुसार दान देने का विशेष महत्व है किन्तु ऐसा देखने में आया हैं कि लोग दान के महत्व व विधि से पूर्णतः अवगत नहीं है। इसलिये दान देने के बावजूद भी दान का सुफल दानदाता को नहीं मिल पाता है। दान देने की सही विधि व सही कारण दान के पुण्य को दुगुना कर देता है। दान का सुफल उतना ही लौटकर आ जाता है, जैसे :- कुएं में झाककर आवाज देने से हमारे स्वर पुनः लौट आते है। दान का सुफल किसी भी रुप में निश्चित मिलता ही है। किन्तु हम यह जान नहीं पाते कि किस दान का क्या सुफल हमें मिला। दान के पुण्य का न तो कोई निश्चित समय होता है और न ही कोई निश्चित मात्रा। १. दान देने से पूर्व यह जरुर मालूम होना चाहिये कि दान किसे, कब और क्यों देना है, अर्थात दान हमेशा किसी जरुरतमंद को, किसी उपयुक्त दिन व समय में देना शुभ माना गया है। २. शास्त्रों में विभिन्न ग्रहों की शांति के लिये विभिन्न उपाय बताये गये है। विभिन्न ग्रहो के अनुसार दान भी अलग – अलग है। अतः ग्रहों के उपयुक्त दिन, रंग व वस्तु को ध्यान में रखकर दान देना चाहिए। ३. सूर्य ग्रह की शांति के ल...

मंगल दोष शांति के कुछ सरल उपाय जानते है:-

मंगल दोष शांति के कुछ सरल उपाय जानते है:- 1 - चांदी की चौकोर डिब्बी में शहद भरकर हनुमान मंदिर या किसी निर्जन वन, स्थान में रखने से मंगल दोष शांत होता है| 2 - मंगलवार को सुन्दरकाण्ड एवं बालकाण्ड का पाठ करना लाभकारी होता है | 3 - बंदरों व कुत्तों को गुड व आटे से बनी मीठी रोटी खिलाएं| 4 - मंगल चन्द्रिका स्तोत्र का पाठ करना भी लाभ देता है | 5 - माँ मंगला गौरी की आराधना से भी मंगल दोष दूर होता है | 6 - कार्तिकेय जी की पूजा से भी मंगल दोष के दुशप्रभाव में लाभ मिलता है | 7 - मंगलवार को बताशे व गुड की रेवड़ियाँ बहते जल में प्रवाहित करें | 8 - आटे की लोई में गुड़ रखकर गाय को खिला दें | 9 - मंगली कन्यायें गौरी पूजन तथा श्रीमद्भागवत के 18 वें अध्याय के नवें श्लोक का जप अवश्य करें | 10 - मांगलिक वर अथवा कन्या को अपनी विवाह बाधा को दूर करने के लिए मंगल यंत्र की नियमित पूजा अर्चना करनी चाहिए। 11 - मंगल दोष द्वारा यदि कन्या के विवाह में विलम्ब होता हो तो कन्या को शयनकाल में सर के नीचे हल्दी की गाठ रखकर सोना चाहिए और नियमित सोलह गुरूवार पीपल के वृक्ष में जल चढ़ाना चाहिए | 12 - मंगलवार के ...

बुरी नजर से बचाए तुलसी का ‍तांत्रिक उपाय

तुलसी के बारे में हिंदू मान्यताओं में बताया गया है कि हर घर के बाहर तुलसी का पौधा होना अनिवार्य है। इतना ही नहीं, बल्कि जो व्यक्ति प्रतिदिन तुलसी का सेवन करता है, उसका शरीर अनेक चंद्रायण व्रतों को फल के समान पवित्रता प्राप्त कर लेता है। जल में तुलसीदल (पत्ते) डालकर स्नान करना तीर्थों में स्नान कर पवित्र होने जैसा है और जो व्यक्ति ऐसा करता है वह सभी यज्ञों में बैठने का अधिकारी होता है। इतना ही नहीं यह वास्तु दोष भी दूर करने में सक्षम है। प्रतिदिन तुलसी का पूजन करना और पौधे में जल अर्पित करना हमारी प्राचीन परंपरा है। जिस घर में प्रतिदिन तुलसी की पूजा होती है, वहां सुख-समृद्धि, सौभाग्य बना रहता है। धन की कभी कोई कमी महसूस नहीं होती। अत: हमें विशेष तौर पर प्रतिदिन तुलसी का पूजन अवश्य करना चाहिए। माना जाता है कि घर के आंगन में तुलसी का पौधा हो तो घर का कलह और अशांति दूर होती है। घर-परिवार पर मां लक्ष्मी जी की विशेष कृपा बनी रहती है। इतना ही नहीं प्रतिदिन दही के साथ चीनी और तुलसी के पत्तों का सेवन करना बहुत शुभ माना जाता है। पौराणिक शास्त्रों के अनुसार तुलसी के पत्तों के सेवन से भी देवी-...

जन्मपत्री का छठा भाव

जन्मपत्री का छठा भाव ****************** मनुष्य अपने भाग्य द्वारा बंधा हुआ है। उस पर ग्रहों का जो प्रभाव होता है, उसके अनुसार ही उसका जीवन चलता है। यह किसी के वश की बात नहीं है कि वह अपनी इच्छानुसार अपने जीवन को मोड़ ले अथवा बिना भाग्य कोई लक्ष्य प्राप्त कर ले। कार्य को करने के दौरान हमारे सामने कई बार समस्याएं भी आती हैं। इन उलझनों को कुंडली के छठे घर से देखा जाता है। जन्मपत्री में छठा घर बीमारी, शत्रु और ऋण का माना गया है जिसका कारक ग्रह मंगल है। छठा भाव यदि कमजोर हो तो जातक को बीमारी, ऋण और शत्रुओं से परेशानी आ सकती है। अचानक चोट या कष्ट आ सकता है, पिता और मामा के लिए भी खराब और यात्रा में हानिप्रद होता है। छठा स्थान रोग, शत्रु, कर्ज एवं नौकरी का है। बहुत से लोग नौकरी के पीछे-पीछे फिरते हैं। कर्मचारी लोग स्कूटर, मकान के लिए ऋण चाहते हैं। यदि छठे भाव में प्रबल मंगल हो तो शत्रुहन्ता योग का निर्माण होता है। ऐसे जातक के शत्रु उसके नाम से कांपते हैं तथा छठे घर में बलवान राहु हो तो ऐसा जातक अपने विरोधी की जमानत जब्त करा कर तबाह कर देता है। छठे घर में मंगल-शनि वाले जातक की दुर्घटना, आप्...

# घर में # गरीबी आने के #कारण

1=रसोई घर के पास में पेशाब करना 2=टुटी हूई कन्घी से कंगा करना 3=टूटा हूआ सामान ईस्तेमाल करना 4= घर में कूडा-करकट रखना 5=रिश्तेदारो से बदसुलकी करना 6=बांए पैर से पेैट पहनना 7=सांध्यवेला मे सोना 8=मेहमान आने पर नाराज होना 9=आमदनी से ज्यादा खर्च करना 10=दाँत से रोटी काट कर खाना 11=चालीस दीन से ज्यादा बाल रखना 12=दांत से नाखून काटना 13=खडे खडे पैंट पहनना 14=औरतो का खडे खडे बाल बांधना 15 =फटे हुए कपड़े पहनना 16=सुबह सूरज निकलने तक सोते रहना। 17=पेंड के नीचे पेशाब करना 18=बैतुल खला में बाते करना 19=उल्टा सोना। 20=श्यमसान भूमि में हसना 21=पीने का पानी रात में खुला रखना 22=रात में मागने वाले को कुछ ना देना 23=बुरे ख्याल लाना। 24=पवित्रता के बगैर धर्मग्रंथ पढना। 25=इस्तंजा करते,वक्त बाते,करना। 26=हाथ धोए बगैर खाना खना। 27=अपनी औलाद को कोसना। 28=दरवाजे पर बैठना 29=लहसन प्याज के छीलके जलाना 30=साधु फकिर से रोटी या फिर और कोई चीज खरीदना। 31=फुक मारके दिपक बुझाना 32=ईश्वर को धन्यवाद किए बगैर भोजन करना। 33=गलत कसम खाना। 34=जूत चप्पल उल्टा देख कर उसको सिधा नही करना। ...

सूर्य

सूर्य अगर निर्बल हो तो व्यक्ति बुनियादी चीजों से वंचित होता रहता है । जन्म के समय हासिल हर चीज बुनियादी मानी जायेगी। खाने में उसे अतिरिक्त नमक की आवश्यकता होती है अथवा वो खाने के दौरान और नमक की मांग करता है । लोकप्रियता से उसे विशेष लगाव होता है, जो उसे मिलती नहीं है । ऐसे व्यक्ति के जन्म के बाद उसका पिता आयु और साधनों की कमी से जूझता रहता है । ऐसा व्यक्ति विवेक से काम नहीं कर पाता है और अपयश का भागी होता है । इसके विपरीत सूर्य अगर बलवान हो तो व्यक्ति सरकारी लोगों से जुड़ता है और उच्च पद पर आसीन लोगों से उसकी मित्रता होती है । वो बुनियादी चीजों का लाभ पाता है और बुद्धिमानी से कार्य करने के लिये लोकप्रिय होता है । धर्म के कार्यो में उसकी रुचि होती है और वो मन्त्रोउच्चारण की जिज्ञासा से भरा रहता है । ऐसा व्यक्ति भविष्य की चिंता नहीं करता है उल्टा दूसरों का भविष्य सुधारने की बात करता है । क्योंकि ऐसा व्यक्ति राजसिक स्वभाव का होता है ।

पुरुष की कुंडली का सप्तमस्थ शुक्र

पुरुष की कुंडली का सप्तमस्थ शुक्र स्नेह सौन्दर्यबोध विलासितापूर्ण मधुर दाम्पत्य सुखकारक होता है|| फिर भी भी कुछ शुक्र विशिष्ट परिणाम भी देता है || इसी सन्दर्भ में सारदीप के रचयिता आचार्य नृसिंह देवेज्ञ जी ने लिखा है कि ●××××××××××××××××××××● रतिगीतप्रिय: खल्वटन: कलहवर्जित शुकेद्यूने सुखी स्वाभोSसमदारो धनान्वित: || ●××××××××××××××××××××● अर्थात सप्तमस्थ शुक्र हो तो गीत संगीत एवं रतिप्रिय गंजा कलहरहित सुखी सुंदर विषम पत्नि वाला होता है || जबकि पारिजात के रचयिता सर्वश्री वैद्यनाथ जी लिखते है कि ●××××××××××××××××××××● शुक्रे सौभाग्य संयुक्ता श्रीमती च बलन्विते || ●××××××××××××××××××××● अर्थात सप्तमस्थ शुक्र से सौभाग्ययुक्त और धनवती स्त्री होती है || कुछ विश्लेषण मेरे शिष्य का सप्तमस्थ शुक्र से जीवन सहचर सुंदर होता है || कामुकता विवाहपूर्व यौन सम्बन्ध और विवाहेत्तर यौन सम्बन्ध इसका फल होता है || और जातक विलासी संधर्षप्रिय एव स्त्री लोलुप होता है || मघुर दाम्पत्य सुखवर्धक उत्तम आदि फलो को देने वाला होता है|| परन्तु यथार्थ में || कारको भावनाशय: || ******************* अर्थात ज...

चन्द्र

● चन्द्र अगर निर्बल हो तो आदमी सदा ही असमंजस में रहता है । उसका मन विचलित रहता है और वो घबराया सा रहता है । ● उसे किसी साहसी व्यक्ति का सहयोग चाहिए होता है । रोजमर्रा के कार्यो में उसे पानी कि किल्लत का सामना करना पड़ता है । ● उसकी माँ यां तो बीमार रहती है यां उसका माँ से रिश्ता अच्छा नहीं होता । भावनात्मक रूप से पीड़ित ऐसा आदमी सदा ही भावनात्मक आवेग में रहता है । उसके निर्णय भावना प्रधान होते हैं, जो गलत सिद्ध होते हैं । जीवन यापन ऐसे आदमी के लिए सहज नहीं होता । ● इसके विपरीत चन्द्र अगर बलवान हो तो आदमी में दृढ़-निश्चय के भाव दृष्टिगोचर होते है । ऐसा आदमी जन्म से सात वर्षों के दौरान बच्चों वाली बीमारियों से पीड़ित नहीं होता । ● वो जीवन यापन के लिये विभिन्न साधन जुटा कर रखता है । उसकी माँ की लम्बी आयु होती है और वो बुद्धिमानी से काम करने के लिये चर्चित होता है । दुनियादारी और व्यवहारिकता की उसे खूब पहचान होती है । ● खानपान में उसकी विशेष पसंद होती है और वो प्रशसंनीय होती है । ऐसा व्यक्ति विद्यावान और गहरी सोच वाला होता है । बलवान चन्द्र वाली स्त्रियाँ मासिक धर्मं की किसी भी समस्या से...

जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करने एवं सभी कार्यों में सफलता प्राप्त करने के लिए कुछ खास उपाय / टोटके:-

जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करने एवं सभी कार्यों में सफलता प्राप्त करने के लिए कुछ खास उपाय / टोटके:- 1. 5 बत्तियों का दीपक किसी भी मंगलवार या शनिवार को हनुमान मंदिर में जला कर उनसे अपनी समस्या के निराकरण के लिए प्रार्थना करें सभी परेशानियाँ, मानसिक तनाव दूर हो जायेंगे । 2. सुबह पूजा के बाद आरती करते हुए दीपक में दो लौंग डाल दें या कपूर में दो फूल वाले लौंग डालकरआरती करें दिन भर सारे कार्य सुगमता से बनेगें । 3. शनिवार के दिन सरसों के तेल और काली उरद के दान देने से सभी बाधाएं दूर हो जाती है । 4. यदि आये दिन आपके कार्यों में विघ्न आते है बने हुए काम बिगड़ जाते है तो किसी भी दिन सरसों के तेल के दीपक में एक अखंडित लौंग डालकर उस दीपक को निर्जन स्थान में जला दें और प्रभु से मन ही मन अपनी समस्या के निराकरण के लिए प्रार्थना करें .....सभी विघ्न बाधाएं शांत हो जाएगी।।।। कार्यों में सफलता मिलने लगेगी । 5. रविवार को छोड़कर प्रतिदिन सुबह तुलसी के पौधे में जल चड़ाकर धूप से अर्ध्य देकर ही घर से बाहर जाएँ ...सभी दिशाओं से उत्साह वर्धक समाचार प्राप्त होंगे । 6. महत्वपूर्ण कार्यों को करते समय...

लाल किताब के अचूक उपाय :-

लाल किताब के अचूक उपाय :- प्रत्येक जातक की कुंडली में अशुभ ग्रहों की स्थिति अलग-अलग रहती है, परंतु कुछ कर्मों के आधार पर भी ग्रह आपको अशुभ फल देते हैं। व्यक्ति के कर्म-कुकर्म के द्वारा किस प्रकार नवग्रह के अशुभ फल प्राप्त होते हैं, आइए जानते हैं : चंद्र : सम्मानजनक स्त्रियों को कष्ट देने जैसे, माता, नानी, दादी, सास एवं इनके पद के समान वाली स्त्रियों को कष्ट देने एवं किसी से द्वेषपूर्वक ली वस्तु के कारण चंद्रमा अशुभ फल देता है। बुध : अपनी बहन अथवा बेटी को कष्ट देने एवं बुआ को कष्ट देने, साली एवं मौसी को कष्ट देने से बुध अशुभ फल देता है। इसी के साथ हिजड़े को कष्ट देने पर भी बुध अशुभ फल देता है। गुरु : अपने पिता, दादा, नाना को कष्ट देने अथवा इनके समान सम्मानित व्यक्ति को कष्ट देने एवं साधु संतों को कष्ट देने से गुरु अशुभ फल देता है। सूर्य : किसी का दिल दुखाने (कष्ट देने), किसी भी प्रकार का टैक्स चोरी करने एवं किसी भी जीव की आत्मा को ठेस पहुँचाने पर सूर्य अशुभ फल देता है। शुक्र : अपने जीवनसाथी को कष्ट देने, किसी भी प्रकार के गंदे वस्त्र पहनने, घर में गंदे एवं फटे पुराने वस्त्र रखने ...

हस्त रेखा ज्योतिष- 15 बातें जो जीवन रेखा देखकर मालूम हो सकती हैं

*******हस्त रेखा ज्योतिष- 15 बातें जो जीवन रेखा देखकर मालूम हो सकती हैं********* हथेली में सामान्यत: तीन रेखाएं मुख्य रूप से दिखाई देती हैं। ये तीन रेखाएं जीवन रेखा, मस्तिष्क रेखा और हृदय रेखा है। इनमें से जो रेखा अंगूठे के ठीक नीचे शुक्र पर्वत को घेरे रहती है, वही जीवन रेखा कहलाती है। यह रेखा इंडेक्स फिंगर के नीचे स्थित गुरु पर्वत के आसपास से प्रारंभ होकर हथेली के अंत मणिबंध की ओर जाती है। छोटी जीवन रेखा कम उम्र और लंबी जीवन रेखा लंबी उम्र की ओर इशारा करती है। यदि जीवन रेखा टूटी हुई हो तो यह अशुभ होती है, लेकिन उसके साथ ही कोई अन्य रेखा समानांतर रूप से चल रही हो तो इसका अशुभ प्रभाव नष्ट हो सकता है। 1. हस्तरेखा ज्योतिष में बताया गया है कि लंबी, गहरी, पतली और साफ जीवन रेखा शुभ होती है। जीवन रेखा पर क्रॉस का चिह्न अशुभ होता है। यदि जीवन रेखा शुभ है तो व्यक्ति की आयु लंबी होती है और उसका स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है। 2. यदि मस्तिष्क रेखा (मस्तिष्क रेखा और जीवन रेखा लगभग एक ही स्थान से प्रारंभ होती है) और जीवन रेखा के मध्य थोड़ा अंतर हो तो व्यक्ति स्वतंत्र विचारों वाला होता है। 3. यदि म...

नजर हटाने वाले उपाय

1. जिस स्त्री या पुरुष पर आपको संदेह हो कि उसकी नजर बच्चे को लगी हैं , तो उसका हाथ बच्चे के सिर पर फिकवा दें | नजर उतर जाएगी | 2. गाय के ताज़ा गोबर का दीपक बनाकर, उसमे छोटा सा गुड का एक टुकड़ा और सरसों का तेल डालकर घर के प्रमुख द्वार की देहलीज़ के मध्य जलाकर नजर लगे या बच्चे को दिखाकर दीपक की ज्योति को किसी चमड़े की चप्पल से बुझा दें | इससे नजर उतर जाएगी | 3. रविवार के दिन बच्चे के सिर से तीन बार दूध उतारकर मिट्टी के पात्र में भर दे और कुत्ते को पिला दें | 4. शनिवार के दिन हनुमानजी के मदिर से हनुमानजी के कन्धों का सिन्दूर लाना चाहिए और नजर लगे व्यक्ति के मस्तिक पर लगाना चाहिए | 5.बुरी नजर उतारने के लिए राई के सात दाने , नमक की सात छोटी - छोटी डली , सात साबुन लाल मिर्च नजर से पीड़ित बच्चे के सिर के उपर से सात बार उतारकर जलती आग में दाल दें | इस क्रिया को करते समय किसी की टोक नहीं होनी चाहिए | साथ हे ये समस्त कार्य बाएं हाथ से करने चाहिए | आग के लिए लकड़ी देसी आम की होनी चाहिए | 6. नजर लगे व्यक्ति के उपर से फिटकिरी उतारकर उसे बाएं हाथ से कूट लें और फिर उस चूर्ण को कुएं में दाल देना...

ज्ञान

Image
यदि शनि प्रथम भाव में तथा बृहस्पति पंचम भाव में हो तो ऐसे व्यक्ति द्वारा तांबे का दान करने पर संतान नष्ट हो जाती है। अष्टम भावस्थ शनि होने पर मकान बनवाना मृत्यु का कारक होगा। जिन व्यक्तियों की पत्रिका में दूसरा घर खाली हो तथा आठवें घर में शनि जैसा क्रूर ग्रह विद्यमान हो, उन्हें कभी मंदिर नहीं जाना चाहिए। बाहर से ही अपने इष्टदेव को नमस्कार करें। यदि 6, 8, 12 भाव में शत्रु ग्रह हो तथा भाव 2 खाली हो तो भी मंदिर न जाएं। जन्मपत्री में केतु भाव सात में हो तो लोहे का दान नहीं करना चाहिए । जन्मपत्री के चौथे भाव में मंगल बैठा हो तो वस्त्र का दान नहीं करना चाहिए। ********#*#****#****(((((*((*****************†****************** गंभीर रोगों से रक्षा करता है कलावा शरीर विज्ञान के अनुसार शरीर के कई प्रमुख अंगों तक पहुंचने वाली नसें कलाई से होकर गुजरती है। कलाई पर कलावा बांधने से इन नसों की क्रिया नियंत्रित रहती है। इससे त्रिदोष यानी वात, पित्त और कफ का मंजस्य बना रहता है। माना जाता है कि कलावा बांधने से रक्तचाप, हृदय रोग, मधुमेह और लकवा जैसे गंभीर रोगों से काफी हद तक बचाव होता है।

बिना औषध के रोगनिवारण

अनियमित क्रिया के कारण जिस तरह मानव -देह में रोग उत्पन्न होते हैं , उसी तरह औषध के बिना ही भीतरी क्रियाओं के द्वारा नीरोग होने के उपाय भगवान् ‍ के बनाये हुए हैं । हमलोग उस भगवत्प्रदत्त सहज कौशल को नहीं जानते , इसी कारण दीर्घकाल तक रोग का दुःख भोगते रहते है । यहाँ रोगों के निदान के लिय स्वरशास्त्रोक्त कुछ यौगिक उपायों का उल्लेख किया गया है । इनके प्रयोग से विशेष लाभ हो सकता है --- १ . ज्वर में स्वर परिवर्तन --- ज्वर का आक्रमण होने पर अथवा आक्रमण की आशङ्का होने पर जिस नासिका से श्वास चलता हो , उस नासिका को बंद कर देना चाहिये । जब तक ज्वर न उतरे और शरीर स्वस्थ न हो जाय , तब तक उस नासिका को बंद ही रखना चाहिये । ऐसा करने से दस -पंद्रह दिनों में उतरने वाला ज्वर पाँच ही सात दिनों में अवश्य ही उतर जायगा। ज्वरकाल में मन -ही -मन सदा चाँदी के समान श्वेत वर्ण का ध्यान करने से और भी शीघ्र लाभ होता है । सिन्दुवार की जड रोगी के हाथ में बाँध देने से सब प्रकार के सब प्रकार के ज्वर निश्चय ही दूर हो जाते हैं । अँतरिया ज्वर --- श्वेत अपराजिता अथवा पलाश के कुछ पत्तों को हाथ से मलकर , कपडे से लपेटकर एक प...

कुछ उपयोगी टोटके

कुछ उपयोगी टोटके *********************************** शत्रु शमन के लिए : साबुत उड़द की काली दाल के 38 और चावल के 40 दाने मिलाकर किसी गड्ढे में दबा दें और ऊपर से नीबू निचोड़ दें। नीबू निचोड़ते समय शत्रु का नाम लेते रहें, उसका शमन होगा और वह आपके विरुद्ध कोई कदमनहींउठाएगा। अकारण परेशान करने वाले व्यक्ति से शीघ्र छुटकारा पाने के लिए : यदि कोई व्यक्ति बगैर किसी कारण के परेशान कर रहा हो, तो शौच क्रिया काल में शौचालय में बैठे-बैठे वहीं के पानी से उस व्यक्ति का नाम लिखें और बाहर निकलने से पूर्व जहां पानी से नाम लिखा था, उस स्थान पर अप बाएं पैर से तीन बार ठोकर मारें। ध्यान रहे, यहप्रयोग स्वार्थवश न करें, अन्यथा हानि हो सकती है। नजर उतारने के प्राचीन उपाय 1. नमक, राई, राल, लहसुन, प्याज के सूखे छिलके व सूखी मिर्च अंगारे पर डालकर उस आग को रोगी के ऊपर सात बार घुमाने से बुरी नजर का दोष मिटता है। 2. शनिवार के दिन हनुमान मंदिर में जाकर प्रेमपूर्वक हनुमान जी की आराधना कर उनके कंधे पर से सिंदूर लाकर नजर लगे हुए व्यक्ति के माथे पर लगाने से बुरी नजर का प्रभाव कम होता है। 3. खाने के समय भी किसी व्यक्...