कुछ विशिष्ट मंत्रों से रोगमुक्ति के लिए जाप पाठ व ध्यान करें।
गुर्दे सम्बंधी रोगों से मुक्ति के लिए मंत्र मूत्र, पथरी और गुर्दे सम्बंधी रोगी किसी भी रविवार से प्रात:काल सूर्य के समक्ष ताम्र पत्र में शुद्ध जल भरे। उस जल में पत्थरचट्टा के दो तीन पत्तों का रस डालकर सूर्य ताप में दो-तीन घंटे रहने दे। फिर उस जल को पीते हुए सूर्य को देखते हुए इस मंत्र का 101 बार पाठ करें -
विद्या शरस्य पितरं सूयंü शतवृष्णयम्।
अमूर्या उप सूर्ये याभिर्वा सूर्य सह।।
ता नो हिन्वन्त्वध्वरम्।। ॐ भास्कराय नम:।
दिल के रोगों के निदान के लिए मंत्र
दिल से सम्बंधी बीमारियों के निदान के लिए सूर्य उपासना सर्वोत्तम मानी गई हैं। अथर्वा ऋषि के अनुसार प्रतिदिन प्रात: व सायंकाल सूर्योपासनाकरें और ॐ रवये नम: के साथ साथ कम से कम 50-60 बार सूर्य की ओर मुंह करके सूर्य ध्यान के साथ तालियां बजाएं। प्राणायाम करें व इस मंत्र
का रविवार या सोमवार कम से कम 21 बार जाप करें-
मुंच शीर्षक्तया उत कास एनं
परस्पराविशेषा यो अस्य।
ॐ आदित्याय नम:
सामान्य व्याधि निदान के लिए मंत्र
रविवार से प्रतिदिन सूर्य को जल का अर्घ देकर प्रात: काल सूर्य ताप लें। सूर्य किरणों को अपने आवास में आने का मार्ग प्रशस्त करें। रविवार को लाल वस्त्र व लाल अनाज का दान करें और इस मंत्र का 51 बार प्रतिदिन जाप करें -
ॐ विश्वानि देव सवितुर्दुरितानि
परासुव: यत् भद्रं तन्न: आसुव:।।
इसी प्रकार सूर्य स्तोत्रम् के पाठ भी काफी लाभकारी सिद्ध होते हैं।
विद्या शरस्य पितरं सूयंü शतवृष्णयम्।
अमूर्या उप सूर्ये याभिर्वा सूर्य सह।।
ता नो हिन्वन्त्वध्वरम्।। ॐ भास्कराय नम:।
दिल के रोगों के निदान के लिए मंत्र
दिल से सम्बंधी बीमारियों के निदान के लिए सूर्य उपासना सर्वोत्तम मानी गई हैं। अथर्वा ऋषि के अनुसार प्रतिदिन प्रात: व सायंकाल सूर्योपासनाकरें और ॐ रवये नम: के साथ साथ कम से कम 50-60 बार सूर्य की ओर मुंह करके सूर्य ध्यान के साथ तालियां बजाएं। प्राणायाम करें व इस मंत्र
का रविवार या सोमवार कम से कम 21 बार जाप करें-
मुंच शीर्षक्तया उत कास एनं
परस्पराविशेषा यो अस्य।
ॐ आदित्याय नम:
सामान्य व्याधि निदान के लिए मंत्र
रविवार से प्रतिदिन सूर्य को जल का अर्घ देकर प्रात: काल सूर्य ताप लें। सूर्य किरणों को अपने आवास में आने का मार्ग प्रशस्त करें। रविवार को लाल वस्त्र व लाल अनाज का दान करें और इस मंत्र का 51 बार प्रतिदिन जाप करें -
ॐ विश्वानि देव सवितुर्दुरितानि
परासुव: यत् भद्रं तन्न: आसुव:।।
इसी प्रकार सूर्य स्तोत्रम् के पाठ भी काफी लाभकारी सिद्ध होते हैं।
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