हर व्यक्ति के पीछे होता है आभामंडल,अपने आभामंडल को बनाए शक्तिशाली और बने उर्जावान और ज्ञानवान

आभामंडल को अंग्रेजी में ओरा कहते हैं। वर्तमान दौर में ओरा विशेषज्ञों का महत्व भी बढ़ने लगा है। देवी या देवताओं के पीछे जो गोलाकार प्रकाश दिखाई देता है उसे ही ओरा कहा जाता है। दरअसल 'ओरा' किसी व्यक्ति और वस्तु के भीतर बसी ऊर्जा का वह प्रवाह है जो प्रत्यक्ष तौर व खुली आँखों से कभी दिखाई नहीं देता। उसको सिर्फ महसूस किया जा सकता है या सूक्ष्मदर्शी यंत्र से देखे जाने का दावा किया जाता है। हम खुद अनुभव करते हैं कि कुछ लोगों से मिलकर हमें आत्मिक शांति का अनुभव होता है तो कुछ से मिलकर उनसे जल्दी से छुटकारा पाने का दिल करता है, क्योंकि उनमें बहुत ज्यादा नकारात्मक ऊर्जा होती है। दरअसल ओरा से ही किसी व्यक्ति की सकारात्मक या नकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह को पहचाना जाता है। यह तो बात हुई किसी व्यक्ति विशेष की। लेकिन जब हम किसी वस्तु के नजदीक जाते हैं या मान लो कि कुछ दिनों के लिए घुमने जाते हैं तो होटल में जो भी कमरा बुक करवाते हैं, हो सकता है कि वहाँ घुसते ही आपको सुकून महसूस नहीं हो। हालाँकि घर जैसा सुकून तो कहीं नहीं मिलता। फिर भी कुछ कमरे ऐसे होते हैं जो डरावने से महसूस होते हैं तो समझ लें की वहाँ नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह घना हो चला है।
ओरा विशेषज्ञों का मानना है कि ध्यान के माध्यम से ओरा के सही प्रवाह को जाना जा सकता है। ओरा विद्या भी एक ऐसी विद्या है जिसमें कोई भी व्यक्ति अपने आध्यात्मिक चक्रों को कुछ इस प्रकार जागृत कर देता है कि उससे निकलने वाली शक्तियों का प्रवाह सामने वाले व्यक्ति के शरीर तक पहुँच सकता है।।
ओरा क्या है : प्रत्येक व्यक्ति के शरीर के चारों और इलेक्ट्रॉनिक मैग्नेटिक फिल्ड का अस्तित्व छाया हुआ है जिसे 'ओरा' कहते हैं। ओरा का क्षेत्र व्यक्ति के शरीर पर तीन इंच के लेकर 20 से 40 मीटर तक की लंबाई तक हो सकता है। इतना ही नहीं 'ओरा' सजीव व्यक्तियों से लेकर निर्जीव व्यक्ति, वस्तुओं का भी हो सकता है। ओरा व्यक्ति के आभामंडल को कहते हैं। हर व्यक्ति का अपना एक प्रभाव होता है और उसमें इस ओरा का खास महत्व होता है। स्वयं को प्रभावशाली बनाने के लिए ओरा का प्रभावी होना आवश्यक है। आपमें से कई लोगों को इसकी जानकारी होगी। आपने तस्वीरों में देवताओं के चारों तरफ एक प्रकाश का घेरा, एक दिव्य रोशनी का सर्किल देखा होगा, इसे हॉलो कहते हैं परंतु जीव-अजीव सभी के इर्द-गिर्द एक प्रकाश का घेरा होता है जिससे जानवर, पे़ड- पौधे, इन्सान (आदमी-औरत), वस्तु, पदार्थ सबके इर्द- गिर्द एक प्रकाश पुंज होता है जो हमें नंगी आँखों से नहीं दिखाई देता परंतु वैज्ञानिक यंत्रों से इसे देखा जा सकता है। इसका फोटोग्राफ लिया जा सकता है और इसके प्रभाव क्षेत्र को नापा जा सकता है। आभा मण्डल के फोटोग्राफ पोली इन्टरफेस फोटोग्राफी जिसे Kirlon Photography भी कहते हैं, से लिए जा सकते हैं। यह आभा मण्डल प्रकाश का घेरा सूर्य किरणों के सप्तरंगों के घेरे जिसका क्रम VIBGYOR होता है।
ऑरा अर्थात् V = Voilet, I = Indigo, B=Blue,G=Green, Y=Yellow, O=Orange, R=Red जिसकी गहराई दो से ढाई फुट तक हो सकती है। ये सात रंग कभी एक जैसी स्थिति में नहीं होते। जैसे हर एक का DNA अलग होता है इसी तरह आभा मण्डल अथवा Aura भी अलग-अलग होता है। आभा मण्डल की सात रंगों की स्थिति कहीं ज्यादा गहरा, कहीं हल्का, उसकी मोटाई कहीं कम कहीं ज्यादा, कहीं नियमित, कहीं अनियमित एवं इन्सान की स्थिति के अनुसार बदलती भी रहती है। अब वैज्ञानिकों ने इस बदलाव को गहराई से अध्ययन करके इनका सॉफ्टवेयर विकसित कर लिया है जिससे बीमारी के लक्षण, विचार, मानसिकता का प्रभाव सबसे पहले उसके आभा मण्डल पर नजर आयेगा। भौतिक शरीर में प्रवेश काफी समय बाद कर पाता है इसलिए आपको अग्रिम सूचना मिल सकती है। आपका इलाज समय पर किया जा सकता है। आने वाले समय में diagonosis का सबसे अच्छा तरीका आभा मण्डल का विश्लेषण साबित होगा। आभा मण्डल यंत्रों द्वारा matching frequency से पता लगाकर विशेषज्ञों द्वारा -
1. किसी भी जीव-अजीव का आभा मण्डल क्षेत्र बताया जा सकता है, इसे नापा जा सकता है।
2. किसी की पहचान की जा सकती है।
3. Compatibility टेस्ट से आपके लिए suitability का पता लगाया जा सकता है।
4. स्केनर द्वारा बीमारी की जाँच, आपके किस चक्र में कौन से भाग में बीमारी है, पता लगाया जा सकता है।
5. हमारे शरीर को कौन से रंग अनुकूल रहेंगे, कप़डे, बेडरूम का रंग, कार का रंग व अन्य स्थानों पर रंगों की जानकारी ली जा सकती है।
6. हमारे लिए उपयुक्त स्टोन, आभूषणों की जांच की जा सकती है। बहुत सी बार उनकी vity से आभा मण्डल का ह्रास होता रहता है।
7. हमारे घरों में दिशावस्तु, भूमि दोषों के अलावा नेगेटिव व पोजेटिव ऊर्जा का पता लगाया जा सकता है एवं उसे दूर करने के उपाय किए जा सकते हैं। जिस घर में आपका आभा मण्डल क्षीण हो रहा है या बढ़ रहा है, पता लगाया जा सकता है। जिस भवन की ऑरा एनर्जी 6.00 मीटर से कम आती है उसमें विशेषज्ञों द्वारा दोष दूर करके उसकी नेगेटिव ऊर्जा को समाप्त करके उसकी ऑरा एनर्जी बढ़ाई जा सकती है एवं रहने योग्य बनाया जा सकता है।
8. भूमिगत, ऊर्जाओं में, जिसमें जियोपेथिक स्ट्रेस जो जमीन के अन्दर से radiations आ रहे हैं एवं जहां ऎसे भवनों में लोग निवास कर रहे हैं अभी तक की जाँच से यह पता लगा है कि 90 प्रतिशत भयानक रोग केन्सर सहित ऎसे स्थानों पर विकसित होते हैं।
9. हमें कौनसी थेरेपी, कौनसी दवाई सूट करेगी, इसका चुनाव कराया जा सकता है।
10. पुलिस एवं मिलिट्री में भी इसके उपयोग किए जा सकते हैं, यह झूठ भी पक़ड सकता है।
11. हमारे शास्त्रों में वर्णित जो तथ्य हैं जैसे तुलसी की पूजा, पीपल की पूजा, ब़ड का महत्व, सफेद आक़डे का महत्व, गाय को पूजनीय बताना, आखे, नमक का महत्व आदि कई बातें सहज किवदन्तियां या कथानक की बातें नहीं हैं, ये सब वैज्ञानिक सत्य पर आधारित हैं। इन सबकी ऑरा एनर्जी +ve ऊर्जा इतनी अधिक है कि ये सभी हमें सुरक्षा प्रदान करते हैं। शारीरिक और मानसिक तौर पर हमें स्वस्थ रख सकते हैं। इनके सान्निध्य में आभा मण्डल का विकास होता है। वृक्षों में शास्त्रोक्त जिनका महत्व दर्शाया गया है जैसे ब़ड इसकी ऑरा एनर्जी 10.1 मीटर है, कदम्ब पे़ड की 8.4 मीटर है, तुलसी की 6.11 मीटर, नीम की 5.5 मी., आंवला की 4.3 मी., आम की 3.5 मी. पीपल की 3.5 मी., फूलों में ओलिएन्डर 7.2 मी., कमल 6.8 मी., गुलाब 5.7 मी., मेरीगोल्ड 4.7 मी., लिलि 4.1 मी. एवं आश्चर्यजनक तौर पर सफेद आक़डे के फूल (जो शिव भगवान को चढ़ाए जाते हैं) की ऑरा 15 मी., गाय के घी की 14 मी., गोबर की 6 मी., पंचकर्म की 8.9 मी., गाय के दूध की 13 मी., गाय दही की 6.9 मी., गाय की पूजनीयता स्पष्ट है। इसी तरह पूजन सामग्री में नारियल का महत्व इसकी ऑरा एनर्जी 10.5 मी. होने से है। अक्षत चावल 4.9 मी., कपूर 4.8 मी., क्रिस्टल नमक 4.8 मी., सफेद कोला 8.6 मी., कुमकुम 8 मी., अगरबत्ती सुगंध के अनुसार 5-15 मी.। जिनका महत्व हमारे दैनिक जीवन में है उन सबका ऑरा एनर्जी अधिक होने की वजह से उन्हें धर्मशास्त्रों में उल्लेखित किया है।
12. इन्सान की व्यक्तिगत अच्छाइयों, कर्मो से आभा मण्डल विकसित होता है। अच्छे सद्पुरूषों, सच्चो साधुओं, विशेषज्ञों के आभा मण्डल 30 से 50 मीटर तक पाये गये हैं।
13. आभा मण्डल सीधा अपने कर्मो से जु़डा रहता है। काम-क्रोध, मोह-माया, झूठ आदि जो मानव स्वभाव की प्रकृति के विपरीत हैं, उनमें संलग्न होने से आभा मण्डल क्षीण हो जाता है। एक साधारण स्वस्थ इंसान जिसका आभा मण्डल 2.8 से 3 मीटर तक माना जाता है, इससे भी नीचे जाने लगता है तब मानसिक एवं भौतिक तौर पर बीमार होकर मृत्यु की तरफ बढ़ता रहता है। तब मृत्यु पर ऑरा 0.9 मीटर जो मिट्टी या पंचभूत की अवस्था में पहुंच जाता है। आभा मण्डल के विकास के लिए हम धार्मिक स्थानों पर नियमित पूजा-पाठ, मन्त्रोच्चाार, सत्संग आदि से सकारात्मक होते जाते हैं एवं जीवन में गुणात्मक परिवर्तन आने लगता है। वहीं गलत साहित्य, आधुनिक तथाकथित नाच-गाने, फास्टफूड, कल्चर से negative वातावरण, negative विचार, विपरीत आहार से सब सीधे आपका आभा मण्डल का ह्रास करते हैं इसलिए यह घटता-बढ़ता रहता है। अगर आप अपना आभा मण्डल विकसित करते हैं तो सही समय पर सही निर्णय लेकर सही सलाहकार ढूंढ लेंगे एवं सही राय से आप सही दिशा में कार्य करेंगे। अच्छी आय के स्रोत ढूंढ लेंगे एवं अपनी समस्या का निदान कर सकेंगे। ऎसे कई सफल योजनाकारों के उदाहरण दिये जा सकते हैं एवं दिवालिया घोषित व्यक्तियों की हिस्ट्री से आप पता लगा सकते हैं कि उन्होंने कहा क्या गलतियां की हैं?
जामुनी रंग आध्यात्मिकता से परिपूर्ण व्यक्तित्व की सूचना देता है। यह रंग विशेषकर साधु-संतों में ही देखनेको मिलता है। वायलट रंग इस बात की सूचना देता है कि आपका आज्ञा चक्र खुलकर जागृत हो चुका है। इसी प्रकार के व्यक्ति दूसरों की नकारात्मक शक्ति को ग्रहण कर उसमें सकारात्मक ऊर्जा को प्रवाहित करने की क्षमता रखते हैं। इसी को शक्तिपात करना कहा जाता है।
अगर कोई संत या महापुरुष के पास तीन मीटर तक की परिधि में कोई भी व्यक्ति उनके आसपास है तो वह उनके 'ओरा' से प्रभावित हो जाएगा। पेश है कुछ टिप्स अपने ओरा को चमकदार बनाने के लिए।
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1. अपने प्रवेश द्वार पर 2 इंच ऊँची दहलीज लगवाएँ। यह दहलीज लकड़ी की ही हो।
2. प्रवेश स्थल को साफ-सुथरा एवं ठीक रखें।
3. प्रवेश द्वार के सामने बाथरूम का दरवाजा न दिखे, अगर ऐसा हो तो प्रयास करें कि उसका दरवाजा दूसरी तरफ खुले अथवा उसके दरवाजे पर बाँस की चिक का पर्दा लगाएँ।
4. घर के अंदर दरवाजे के सामने कचरे का ‍डिब्बा न रखें।
5. घर के किसी भी कोने में अथवा मध्य में जूते-चप्पल (मृत चर्म) न रखें।
6. जूतों के रखने का स्थान घर के प्रमुख व्यक्ति के कद का एक चौथाई हो, उदाहरण के तौर पर 6 फुट के व्यक्ति (घर का प्रमुख) के घर में जूते-चप्पल रखने का स्थल डेढ़ फुट से ऊँचा न हो।
7. द्वार के बाहर दरवाजे के दोनों तरफ प्रमुख व्यक्ति की आँखों की सतह की ऊँचाई पर काले स्वस्तिक बनाएँ, जिससे नेगेटीव आकाशीय एनर्जी घर में प्रवेश न कर सके।
8. द्वार के सामने खाली दीवार हो तो काँच के कटोरे को ताजे फूलों से भरकर रखें।
9. बैठक के कमरे में द्वार के सामने की दीवार पर दो सूरजमुखी के या ट्यूलिप के फूलों का चित्र लगाएँ।
10. घर के बाहर के बगीचे में दक्षिण-पश्चिम के कोने को सदैव रोशन रखें।
- तीन व्यक्तियों की एक सीध में एकाकी फोटो हो तो घर में न रखें।
- फोटो कभी भी टाँगें नहीं।
- अगर दीवार पर फोटो लगानी हो तो उसके नीचे एक लकड़ी की पट्टी लगाएँ, अर्थात वह फोटो लकड़ी के पट्टे पर टिकें।
- बाथरूम की ओर न हो।
- प्रमुख द्वार की ओर कदापि न हो।
- सीढ़ियों की ओर न दिखे।
- तलघर में कभी भी परिवार के सदस्यों की अथवा ईश्वर की फोटो न लगाएँ।
- उपहार में आई कैंची अथवा चाकू न रखें। चाहे मायके से ही क्यों न आई हो।
- उत्तर-पश्चिम में तेज रोशनी का बल्ब न लगाएँ।
- कैक्टस तथा अन्य काँटे के पौधे घर में न रखें।
- धुले कपड़े पूरी रात घर के बाहर न रखें।
- धुलने के लिए खोले हुए कपड़े इधर-उधर न डालें, व्यवस्थित किसी स्थान पर ढँक कर रखें। उत्तर-पूर्व में संसार का नक्शा अथवा ग्लोब रखें।
- पूरब तथा उत्तर में नीले तथा बैंगनी फूल सजाएँ।
- पश्चिम में सफेद फूल रखें।
- दक्षिण में पीले-लाल फूल रखें।
- कमरों के द्वार के सामने बिस्तर न लगाएँ।
- रसोई में पानी कभी भी न टपके इसका ध्यान रखें।
- कार्यालय में आपके कार्यशील हाथ की ओर टेलीफोन रखने से आपको सहायता मिलेगी।
- कार्यशील हाथ की ओर कागजों का ढेर न लगाएँ।
- टेबल के नीचे कचरे की टोकरी न रखें, यह आपके चमकते प्रभामंडल में व्यावधान डालती है।
- कार्यस्थल में अपने बैठने की कुर्सी के पीछे कोई सामान न रखें तथा कोई खिड़की न रखें।
- नाखूनों को जल में बहाएँ।

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