चंद्रदोष दूर कर जीवन बनाएं सुखमय
चंद्रदोष दूर कर जीवन बनाएं सुखमय
जिस प्रकार सूर्य का प्रभाव आत्मा पर पूरा पड़ता है,ठीक उसी प्रकार चन्द्रमा का भी मनुष्य पर प्रभाव पड़ता है. नि:संदेह खगोलवेत्ता ज्योतिष काल से यह मानते आ रहे हैं कि ग्रह तथा उपग्रह मानव जीवन पर पल-पल पर प्रभाव डालते हैं. जगत की भौतिक परिस्थिति पर भी चंद्रमा का प्रभाव होता है. उदाहरण के रूप में समुद्र में छोटे-छोटे ज्वार-भाटे उत्पन्न होते हैं. यह सुप्रसिद्ध सिद्धांत है कि आकाश मार्ग में गमन करते हुए चंद्रमा की कमी और आवृति पृथ्वी को आकर्षित करती है व आकर्षण पृथ्वी पर अवस्थित समुद्रों में ज्वार-भाटा उत्पन्न होता है. इसके अतिरिक्त यह सभी जानते हैं कि चन्द्र जिस प्रकार समुद्र में ज्वार-भाटा पैदा करता है उसी तरह वातावरण में भी ज्वार-भाटा उत्पन्न करता है. उसी प्रकार मनुष्य के मन में भी चन्द्रमा की कलाएं जैसी घटती बढती है. चन्द्रमा जैसे-जैसे कृष्ण पक्ष में छोटा व शुक्ल पक्ष में पूर्ण होता है वैसे-वैसे मनुष्य के मन पर भी चन्द्र का प्रभाव पड़ता है.
चन्द्रदोष कहीं आपको तो नहीं ?
यदि आप हमेशा कश्मकश में रहते हैं, इधर-उधर की सोचते रहते हैं, निर्णय लेने में कमजोर हैं, भावुक एवं संवेदनशील हैं, अन्तर्मुखी हैं, शेखी बघारने वाले व्यक्ति हैं, नींद पूरी नही आती है, सीधे आप सो नहीं सकते हैं अर्थात हमेशा करवट बदलकर सोएंगे अथवा उल्टे सोते हैं, भयभीत रहते हैं तो निश्चित रुप से आपकी कुंडती में चन्द्रमा कमजोर होगा. समय पर इस कमजोर चंद्रमा अर्थात प्रतिकूल प्रभाव को कम करने का उपाय करना चाहिए अन्यथा जीवन भर आप आत्म विश्वास की कमी से ग्रस्त रहेंगे.
चन्द्रदोष से नुकसान
जिन व्यक्तियों का चन्द्रमा क्षीण होकर अष्टम भाव में और चतुर्थ तथा चंद्र पर राहु का प्रभाव हो, अन्य शुभ प्रभाव न हो तो वे मिरगी रोग का शिकार होते हैं. जिन लोगों का चन्द्रमा छठे आठवें आदि भावों में राहु दृष्ट न हो, वैसे पाप दृष्ट हो तो उनको रक्त चाप आदि होता है. हमारे पुराणों में "चन्द्रमा मनसो जात:" का वर्णन मिलता है जिसका अर्थ है चन्द्रमा मन है व मन पर पूर्णत: चन्द्रमा का नियंत्रण है. मन से ही सारी प्रवृतियां होती हैं.
कमजोर चन्द्रमा का अन्य ग्रहों पर प्रभाव
यदि जन्म कुंडली में चन्द्रमा कमजोर हो तो अन्य ग्रहों की सार्थकता कम हो जाती है. पूर्ण चन्द्रमा शुभ ग्रह की श्रेणी में आता है व अपूर्ण चन्द्रमा अशुभ ग्रह की श्रेणी में आता है.
उपाय और लाभ
चन्द्रमा के अधिदेवता भी शिव हैं और इसके प्रत्याधिदेवता जल है. अत: महामृत्युंजय मंत्र जाप शिव पूजा एवं शिव कवच का पाठ चंद्रपीड़ा में श्रेयस्कर है ही,साथ ही प्रत्याधिदेवता जल होने के कारण गणेशोपासना (विशेष रुप से केतु के साथ चंद्र हो तो) भी शुभदायी है,क्योंकि गणेश जलतत्व के स्वामी हैं. गौरी,दुर्गा,काली,ललिता और भैरव की उपासना भी हितकर है. दुर्गा सप्तशती का पाठ तो नवग्रह पीड़ा में लाभप्रद रहता ही है, क्योंकि यह समस्त ग्रहों को अनुकूल करता है व सर्व सिद्धिदायक है. इसके अलावा चंद्र मंत्र व चंद्रस्तोत्र का पाठ भी अतिशुभ है. चंद्रमा की पीड़ा शांति के निमित्त नियमित (अथवा कम से कम सोमवार को) चंद्रमा के मंत्र का 1100 बार जाप करना अभिष्ट होता है.
जाप मंत्र इस प्रकार है-
ऊँ श्रां श्रीं श्रौं स: चन्द्रमसे नम:.
चंद्र नमस्कार के लिए निम्लिखित मंत्र का प्रयोग करें-
दधि शंख तुषारामं क्षीरोदार्णव सम्भवम्. नमामि शशिनं भक्तया शम्भोर्मकुट भूषणम्..
चंद्रमा सोम के नाम से भी जाने जाते हैं तथा मन,औषधियों एवं वनस्पतियों के स्वामी कहे गए हैं. शिव का महामृत्युंजय मंत्र तो चंद्र पीड़ा के साथ-साथ सभी ग्रह पीड़ाओं का निवारण कर मृत्यु पर विजय प्राप्त करने का सामर्थ्य देता है. वह इस प्रकार है-
त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्ष्रिय मामृतात्.
इसे मृत संजीवनी मंत्र भी कहा गया है.यह मंत्र दैत्य गुरु शुक्राचार्य़ द्वारा दधीचि ऋषि को प्रदान किया गया था.चन्द्र दोष निवारण के लिये शिवरात्रि पर रुद्राभिषेक करवाएं.यदि आपके आसपास कोई शिव मंदिर हो तो वहां जाकर विशेष पूजा -अर्चना करनी चाहिए.उस रात्रि को संभव हो तो शिव मंदिर में जाकर जागरण करें.
जिस प्रकार सूर्य का प्रभाव आत्मा पर पूरा पड़ता है,ठीक उसी प्रकार चन्द्रमा का भी मनुष्य पर प्रभाव पड़ता है. नि:संदेह खगोलवेत्ता ज्योतिष काल से यह मानते आ रहे हैं कि ग्रह तथा उपग्रह मानव जीवन पर पल-पल पर प्रभाव डालते हैं. जगत की भौतिक परिस्थिति पर भी चंद्रमा का प्रभाव होता है. उदाहरण के रूप में समुद्र में छोटे-छोटे ज्वार-भाटे उत्पन्न होते हैं. यह सुप्रसिद्ध सिद्धांत है कि आकाश मार्ग में गमन करते हुए चंद्रमा की कमी और आवृति पृथ्वी को आकर्षित करती है व आकर्षण पृथ्वी पर अवस्थित समुद्रों में ज्वार-भाटा उत्पन्न होता है. इसके अतिरिक्त यह सभी जानते हैं कि चन्द्र जिस प्रकार समुद्र में ज्वार-भाटा पैदा करता है उसी तरह वातावरण में भी ज्वार-भाटा उत्पन्न करता है. उसी प्रकार मनुष्य के मन में भी चन्द्रमा की कलाएं जैसी घटती बढती है. चन्द्रमा जैसे-जैसे कृष्ण पक्ष में छोटा व शुक्ल पक्ष में पूर्ण होता है वैसे-वैसे मनुष्य के मन पर भी चन्द्र का प्रभाव पड़ता है.
चन्द्रदोष कहीं आपको तो नहीं ?
यदि आप हमेशा कश्मकश में रहते हैं, इधर-उधर की सोचते रहते हैं, निर्णय लेने में कमजोर हैं, भावुक एवं संवेदनशील हैं, अन्तर्मुखी हैं, शेखी बघारने वाले व्यक्ति हैं, नींद पूरी नही आती है, सीधे आप सो नहीं सकते हैं अर्थात हमेशा करवट बदलकर सोएंगे अथवा उल्टे सोते हैं, भयभीत रहते हैं तो निश्चित रुप से आपकी कुंडती में चन्द्रमा कमजोर होगा. समय पर इस कमजोर चंद्रमा अर्थात प्रतिकूल प्रभाव को कम करने का उपाय करना चाहिए अन्यथा जीवन भर आप आत्म विश्वास की कमी से ग्रस्त रहेंगे.
चन्द्रदोष से नुकसान
जिन व्यक्तियों का चन्द्रमा क्षीण होकर अष्टम भाव में और चतुर्थ तथा चंद्र पर राहु का प्रभाव हो, अन्य शुभ प्रभाव न हो तो वे मिरगी रोग का शिकार होते हैं. जिन लोगों का चन्द्रमा छठे आठवें आदि भावों में राहु दृष्ट न हो, वैसे पाप दृष्ट हो तो उनको रक्त चाप आदि होता है. हमारे पुराणों में "चन्द्रमा मनसो जात:" का वर्णन मिलता है जिसका अर्थ है चन्द्रमा मन है व मन पर पूर्णत: चन्द्रमा का नियंत्रण है. मन से ही सारी प्रवृतियां होती हैं.
कमजोर चन्द्रमा का अन्य ग्रहों पर प्रभाव
यदि जन्म कुंडली में चन्द्रमा कमजोर हो तो अन्य ग्रहों की सार्थकता कम हो जाती है. पूर्ण चन्द्रमा शुभ ग्रह की श्रेणी में आता है व अपूर्ण चन्द्रमा अशुभ ग्रह की श्रेणी में आता है.
उपाय और लाभ
चन्द्रमा के अधिदेवता भी शिव हैं और इसके प्रत्याधिदेवता जल है. अत: महामृत्युंजय मंत्र जाप शिव पूजा एवं शिव कवच का पाठ चंद्रपीड़ा में श्रेयस्कर है ही,साथ ही प्रत्याधिदेवता जल होने के कारण गणेशोपासना (विशेष रुप से केतु के साथ चंद्र हो तो) भी शुभदायी है,क्योंकि गणेश जलतत्व के स्वामी हैं. गौरी,दुर्गा,काली,ललिता और भैरव की उपासना भी हितकर है. दुर्गा सप्तशती का पाठ तो नवग्रह पीड़ा में लाभप्रद रहता ही है, क्योंकि यह समस्त ग्रहों को अनुकूल करता है व सर्व सिद्धिदायक है. इसके अलावा चंद्र मंत्र व चंद्रस्तोत्र का पाठ भी अतिशुभ है. चंद्रमा की पीड़ा शांति के निमित्त नियमित (अथवा कम से कम सोमवार को) चंद्रमा के मंत्र का 1100 बार जाप करना अभिष्ट होता है.
जाप मंत्र इस प्रकार है-
ऊँ श्रां श्रीं श्रौं स: चन्द्रमसे नम:.
चंद्र नमस्कार के लिए निम्लिखित मंत्र का प्रयोग करें-
दधि शंख तुषारामं क्षीरोदार्णव सम्भवम्. नमामि शशिनं भक्तया शम्भोर्मकुट भूषणम्..
चंद्रमा सोम के नाम से भी जाने जाते हैं तथा मन,औषधियों एवं वनस्पतियों के स्वामी कहे गए हैं. शिव का महामृत्युंजय मंत्र तो चंद्र पीड़ा के साथ-साथ सभी ग्रह पीड़ाओं का निवारण कर मृत्यु पर विजय प्राप्त करने का सामर्थ्य देता है. वह इस प्रकार है-
त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्ष्रिय मामृतात्.
इसे मृत संजीवनी मंत्र भी कहा गया है.यह मंत्र दैत्य गुरु शुक्राचार्य़ द्वारा दधीचि ऋषि को प्रदान किया गया था.चन्द्र दोष निवारण के लिये शिवरात्रि पर रुद्राभिषेक करवाएं.यदि आपके आसपास कोई शिव मंदिर हो तो वहां जाकर विशेष पूजा -अर्चना करनी चाहिए.उस रात्रि को संभव हो तो शिव मंदिर में जाकर जागरण करें.
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