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Showing posts from 2017

आपको या आपके किसी परिचित या फिर किसी relative को उनकी अपनी shop

आपको या आपके किसी परिचित या फिर किसी relative को उनकी अपनी shop या firm या कोई भी business में यदि आशाजनक लाभ untitledनही मिल रहा है, अथवा कार्य तो ठीक चल रहा है लेकिन बिना कारण के धन का दुरूपयोग हो जाता है या हानि का सामना करना पडता है तो हमारे महापुरुषों ने और ज्योतिष शास्त्र में बहुत से उपाय सुझाए गए हैं, सबसे पहले समस्या को ज्योतिष द्वारा समाधान करें और यदि फिर भी सफलता नहीं मिल रही है हमारे द्वारा सुझाये गए उपायों को श्रद्धा और विश्वास से करें तो उम्मीद है आशातीत लाभ प्राप्त होगा. अपनी income बढ़ाने के लिए प्रत्येक मनुष्य बहुत कोशिश करता है, अधिक लाभ प्राप्त करना और अपने business को continuous grow करना ही उसका प्रमुख उद्देश्य रहता है. अधिक से अधिक लाभ प्राप्त हो इसके लिए ही मनुष्य व्यापार करता है और लाभ प्राप्त करने के लिए व्यापारी उपाय भी करते है आज कुछ उपाय जो कि सदियों से हमारे मध्य प्रचलित है उन्हें आपके सामने हम रख रहे हैं – - सबसे पहले जब दूकान या व्यापार आरम्भ किया जाता है तो एक चांदी की कटोरी में धनियां (coriander seeds) रखकर उसमें चांदी के ही श्री लक्ष्मी जी और श्री ग...

*गर्भ न ठहरता हो तो*

पुरुष द्वारा समागम के पश्चात् स्त्री को गर्भ न ठहरना बांझपन कहलाता है| वस्तुत: स्त्री पूर्णता तभी प्राप्त करती है, जब वह मां बनती है| जो स्त्री विवाहोपरांत मातृत्व-सुख से वंचित रहती है, वह समाज में तिरस्कृत नजरों से देखी जाती है| परंतु ऐसा नहीं है की वह मां न बन सके| यदि उचित उपचार किया जाए तो बांझ स्त्री भी मां बन सकती है|कारणस्त्रियों को कुछ विशेष कारणों से गर्भ नहीं ठहरता| शारीरिक कमजोरी, जरायु में गांठ, जरायु का टेढ़ा होना, योनि का छोटी होना, मासिक धर्म में गड़बड़ी, बहुत अधिक सम्भोग, जननेन्द्रिय की बीमारी, शरीर में चर्बी का बढ़ जाना आदि स्थितियों में संतान उत्पन्न करने की शक्ति नहीं रहती| पहचान इस रोग में स्त्री को मासिक धर्म ठीक से नहीं होता| ऐसा लगता है, जैसे गर्भ में सुइयां चुभ रही हों| कभी-कभी गर्भाशय में पीड़ा भी होती है| सम्भोग करते समय सब-कुछ ठीक-ठाक रहने पर भी गर्भ नहीं ठहरता| गर्भ ठहरने का मार्ग बहुत खुश्क, कमजोर तथा खुजली पैदा करने वाला रहता है| गर्भ में फुंसी, जलन, सूजन आदि भी मालूम पड़ती है| नुस्खे 1) यदि गर्भाशय में किसी प्रकार की खराबी हो तो एक चम्मच मेथी के च...

राहु का प्रभाव और उपाय

प्रथम भाव में राहु प्रथम भाव में राहु सिंहासन पर बिराजमान राजा के समक्ष चिंघाड़ते हुए हाथी की तरह है। यह एक कुशल प्रशासक है। ४२ वर्ष बाद राहु का अनिष्ट प्रभाव दूर होता है। अनिष्ट प्रभाव और कारण १. जातक को अपने जीवनसाथी के साथ अच्छा संबध हो। २. दुश्मन उनसे डरते हैं। ३. वे अपना कार्य अच्छी तरह पूरा नहीं कर सकते, बारंबार नौकरी बदला करते हैं। ४. यदि सातवें भाव में शुक्र हो तो जातक के धनवान होने की संभावना है, परंतु उसकी पत्नी को सहन करना पड़ता है। उपाय १. गेहूँ, गुड़ और ताम्रपात्र का दान करना, तांबे के पात्र में गेहूँ तथा गुड़ भर कर रविवार बहते पानी में प्रवाहित कर दें। २. ब्लू रंग के कपड़े न पहनें । ३. गले में चाँदी की सिकड़ी पहनें । ४. बहते जल में नारियल प्रवाहित करें। दूसरे भाव में राहु यह राहु धन और परिवार के लिए प्रतिकूल है। किसी शस्त्र द्वारा व्यक्ति की मृत्यु होती है। अनिष्ट प्रभाव और कारण १. धार्मिक संस्थाओं की तरफ से मिलनेवाली वस्तुओं पर उसका जीवन नीर्वाह होता है। २. उसका पारिवारिक जीवन सुखी होता है। उसकी आर्थिक परिस्थिति का आधार कुंडली में गुरु के बैठने के स्थान ...

प्रयोग

*!! ॐॐॐॐॐॐॐॐ (“निरंजनो निराकरो एको देवो महेश्वर:। मृत्यू मुखम् गतात् प्राणं बलात रक्षति:॥ ) ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ ॐॐॐॐॐॐॐॐॐ ( ॐकारं बिन्दु संयुक्तं नित्यं ध्यायन्ति योगिनः । कामदं मोक्षदं चैव ॐकाराय नमो नमः ॥ ) ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ* हर एक से पूछ के देख लिया ! हर एक से पूछ के देख लिया ! एक हर से पूछना बाकि है ! हर दर पे लुट के देख लिया ! हरी दर पे लुटना बाकि है ! *"पुनरपि जननं, पुनरपि मरणं, पुनरपि जननी जठरे शयनं ! इह संसारे खलु दुस्सारे कृपया पाहि पार मुरारे"* *!!! जीवन जीने की कला !!!* *!!! पेड़ पोधो से बदले भाग्य !!!* *मन्त्र- शरीर-* रक्षा, आरोग्य, शक्ति आदि के लिए बांदा की इस मन्त्र दुवारा सिद्ध करें :- *" ॐ नमो रुदाय मृतार्क मध्ये संस्थिताय मम शरीर अमृतं कुरु कुरु स्वाहा l "* मन्त्र - भोतिक - समृधि के लिए प्रयुक्त होने वाले बांदा को इस मन्त्र दुवारा सिद्ध करें :- *"ॐ नमो धनदाय स्वाहा l "* *प्रयोग -* बांदा को मन्त्र- सिद्ध कर लेने के पश्यात निम्नलिखित नश्त्र- क्रम से विविध उद्देश्यों की पूर्ति हेतु इस प्रकार प्रयुक्त किया जा सकता है l *अश्विनी -* इसनक्षत...

संवत्सर के नाम , फल एवं स्वामी

भारतीय संस्कृति में चन्द्र वर्ष का प्रयोग किया जाता है| चन्द्र वर्ष को ही संवत्सर कहा जाता है |ब्रह्माजी ने सृष्टि का आरम्भ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से किया था अतः नव संवत का प्रारम्भ भी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से होता है|हिंदू परंपरा में समस्त शुभ कार्यों के आरम्भ में संकल्प करते समय उस समय के संवत्सर का उच्चारण किया जाता है|अग्नि ,नारद आदि पुराणों, विभिन्न ज्योतिष ग्रंथो में वर्णित साठ संवत्सरों के नाम तथा उनके विश्व में होने वाले शुभाशुभ फल निम्नलिखित प्रकार से हैं I ये फल वृहत संहिता ज्योतिष ग्रन्थ के अनुसार हैं I प्रथम 20 सम्वत (1 से 20 ) ब्रह्मविंशति अगले 20 सम्बत (21 से 40) विष्णुविंशति अगले 20 सम्बत (41 से 60)रूद्रविंशति होते हैI संवत्सर का नाम वर्ष फल संवत्सर स्वामी 1. प्रभव प्रजा में यज्ञादि शुभ कार्यों कि भावना हो | विष्णु 2. विभव प्रजा में सुख समृद्धि हो | बृहस्पति 3. शुक्ल विश्व में धान्य प्रचुर मात्रा मेंहो | इंद्र 4. प्रमोद प्रजा में आमोद प्रमोद ,सुख वैभव कि वृद्धि हो | लोहित 5. प्रजापति विश्व में चतुर्विध उन्नति हो | त्वष्टा 6. अंगिरा भोग विलास कि वृद्धि हो | अहिर्बुध्...

(पोस्ट पढे, आज थोड़ी लम्बी ज़रूर है पोस्ट किन्तु अच्छी लगेगी)

--------एक ही ग्रह के प्रभाव से कोई सुखी तो कोई दु:खी होता है। दुष्कर्म, सत्कर्म, पाप-पुण्य सब उससे ही संचालित होते हैं। ग्रह हमारे जीवन को इतना प्रभावित करते हैं कि कभी इच्छा मात्र से सबकुछ आसानी से हासिल हो जाता है और कभी बहुत प्रयत्न करने के बाद भी छोटी सी सफलता नहीं मिल पाती है। -------अब सवाल यह है कि जब सारे ग्रहों की ऊंचाई हर मानव के लिए समान है तो लोगों को अलग-अलग कैसे प्रभावित कर सकते हैं ये। सूर्य-चंद्र को तो सभी आसानी से देख लेते हैं। किन्तु समझना सात ग्रहों को है।  -------स्कूल में सभी बच्चे जब एक ड्रेस में होते हैं और छुट्टी के समय बाहर निकलते हैं तो उसमें अपने बच्चे को पहचानना मुश्किल होता है। हमारे बच्चे हमें आसानी से पहचान लेते हैं और दौड़कर पास आ जाते हैं। दरअसल जब हम खड़े होते हैं तो हमारे जैसा दूसरा व्यक्ति वहां भ्रम पैदा करने वाला नहीं होता है। इसलिए हमारे बच्चे हमें पहचान लेते हैं। चूंकि सभी बच्चे एक जैसे दिखते हैं इसलिए हमें पहचानने में कठिनाई होती है। इसी तरह सूर्य-चंद्र कुछ अलग विशेषता के कारण पहचान में आ जाते हैं, सूर्य-चंद्र आसानी से दिख जाते हैं। ---...

गर्भपात – एक ऐसा पाप जिसका कोई क्षमा नहीं !!!* 🙏🏻

...गर्भपात जैसे अमानुषिक घोर महापाप के ऊपर हमारे धर्मशास्त्र क्या कहते है … आगे देखे… एवं इसे प्रचारित करे , ताकि इस कुकृत्य की रूपरेखा अगर किसी के दिमाग में चल रही हो तो वो इस महापाप से बचे !!! – ब्रह्महत्या से जो पाप लगता है , उससे दुगना पाप गर्भपात करने से लगता है … इस गर्भपात रूपी महापाप का कोई प्रायश्चित भी नहीं है … (पाराशरस्मृति ४ । २० एवं गरुण पुराण १५ । २०-२१ ) – गर्भपात करने वाली स्त्री का देखा हुआ अन्न तक नहीं खाना चाहिए एवं उससे बातचीत भी नहीं करनी चाहिए ….. (मनुस्मृति ४। २०८ एवं अग्निपूराण १७३।३३ ) – गर्भपात करने वाली स्त्री नमस्कार करने के योग्य भी नहीं रहती …(नारद पुराण २५। ४०-४१ ) – श्रेष्ठ पुरुषो ने सभी प्रकार के पापो का प्रायश्चित बताया है , पाखंडी और परनिंदक का भी उद्धार होता है , किन्तु जो गर्भ के बालक की हत्या करता है , उसके उद्धार का कोई उपाय नहीं है …… (नारदपुराण , पूर्व॰ ७ । ५३ ) – भ्रूण हत्या अथवा गर्भपात करने वाले रोध ,शुनीमुख , रौरव आदि नरको में जाते है …. (ब्रह्मवैवर्त पुराण ८५।६३ एवं विष्णु पुराण २।६।८ , एवं ब्रह्मपुराण २२।८ ) – गर्भ की हत्या करने वा...

🙏🏻 *!! श्मशान से लौटते समय पीछे मुड़कर क्यों नहीं देखना चाहिए?!!* 🙏🏻

*नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः ।* *न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुतः ।।२३।।* ....इस आत्माको शस्त्र काट नहीं सकते, आग जला नहीं सकती, जल गला नहीं सकता और वायु सूखा नहीं सकता । २३ ......यह सिर्फ एक श्लोक नहीं है, यह जीवन का अटल सत्य है। जो पैदा हुआ है उसका अंत भी सत्य है। हिन्दू धर्म में आत्मा को अजर अमर मन गया है तथा कहा गया है की किसी के भी अंतिम संस्कार के बाद वहां से वापस लौटते समय पीछे मुड़ कर नहीं देखना चाहिए। इसके कुछ कारण भी बताये गए हैं !! *1. आत्मा इसी धरती पर भटकती रहती है-* हिन्दू धर्म के सोलह संस्कारों में अंतिम संस्कार है दाह संस्कार। इस संस्कार में धरती पर अपने जीवन काल को पूरा करने लेने के बाद जब व्यक्ति की आत्मा शरीर को त्यागकर वापस अन्य शरीर में प्रवेश के लिए चली जाती है तब मृत शरीर का अंतिम संस्कार किया जाता है !! ..अंतिम संस्कार में वेद मंत्रों के साथ शव को अग्नि के हवाले कर दिया जाता है। शास्त्रों में बताया गया है कि अग्नि में भष्म होने के बाद शरीर जिन पंच तत्वों से बना है उन पंच तत्वों में जाकर वापस मिल जाता है। लेकिन आत्मा को अग्नि जला नहीं सकती...

हाथों की लकीरें और विवाह मानव जीवन में विवाह बहुत बड़ी विशेषता मानी गई है।

हाथों की लकीरें और विवाह मानव जीवन में विवाह बहुत बड़ी विशेषता मानी गई है। विवाह का वास्तविक अर्थ है- दो आत्माओं का आत्मिक मिलन। एक हृदय चाहता है कि वह दूसरे हृदय से सम्पर्क स्थापित करे, आपस में दोनों का आत्मिक प्रेम हो और हृदय मधुर कल्पना से ओतप्रोत हो। जब दोनों एक सूत्र में बँध जाते हैं, तब उसे समाज 'विवाह' का नाम देता है। विवाह एक पवित्र रिश्ता है। इसकी सफलता व असफलता के बारे में हमे हस्तरेखाओं से काफी जानकारी मिलती है। हथेली पर स्थित विवाह रेखा पर यदि हम सूक्ष्मता से ध्यान दें तो स्थिति स्पष्ट हो जाती है। हथेली पर स्थित विवाह रेखा : हथेली पर कनिष्ठा उँगली के नीचे बुध पर्वत क्षेत्र पर हथेली के बाहर से आती हुई स्पष्ट रेखा विवाह रेखा होती है, जो कि हृदय रेखा के पास स्थित होती है। उनकी अलग-अलग आकृति से विवाह कब, कैसे होगा व उसकी सफलता/ असफलता के बारेमें ज्ञात होता है। हथेली पर ऐसी रेखाएँ दो या तीन भी हो सकती हैं। मानव जीवन में विवाह बहुत बड़ी विशेषता मानी गई है। विवाह का वास्तविक अर्थ है- दो आत्माओं का आत्मिक मिलन। एक हृदय चाहता है कि वह दूसरे हृदय से सम्पर्क स्थापित करे, आपस म...

यजुर्वेद में 9 ग्रहों की प्रसन्नता के लिए उनका आह्वान किया गया है

वैदिक काल से ग्रहों की अनुकूलता के प्रयास किए जाते रहे हैं। यजुर्वेद में 9 ग्रहों की प्रसन्नता के लिए उनका आह्वान किया गया है। यह मंत्र चमत्कारी रूप से प्रभावशाली हैं। प्रस्तुत है नवग्रहों के लिए विलक्षण वैदिक मंत्र- * सूर्य- ॐ आ कृष्णेन रजसा वर्तमानो निवेशयन्नमृतं मर्त्यं च। हिरण्ययेन सविता रथेना देवो याति भुवनानि पश्यन् (यजु. 33। 43, 34। 31) * चन्द्र- ॐ इमं देवा असपत्नं सुवध्यं महते क्षत्राय महते ज्यैष्ठ्याय महते जानराज्यायेन्द्रस्येन्द्रियाय। इमममुष्य पुत्रममुष्ये पुत्रमस्यै विश एष वोऽमी राजा सोमोऽस्माकं ब्राह्मणानां राजा।। (यजु. 10। 18) * भौम- ॐ अग्निमूर्धा दिव: ककुत्पति: पृथिव्या अयम्। अपां रेतां सि जिन्वति।। (यजु. 3।12) * बुध- ॐ उद्बुध्यस्वाग्ने प्रति जागृहि त्वमिष्टापूर्ते सं सृजेधामयं च। अस्मिन्त्सधस्थे अध्युत्तरस्मिन् विश्वे देवा यशमानश्च सीदत।। (यजु. 15।54) * गुरु- ॐ बृहस्पते अति यदर्यो अर्हाद् द्युमद्विभाति क्रतुमज्जनेषु। यद्दीदयच्छवस ऋतुप्रजात तदस्मासु द्रविणं धेहि चित्रम्।। (यजु. 26।3) * शुक्र- ॐ अन्नात्परिस्त्रुतो रसं ब्रह्मणा व्यपित्क्षत्रं पय: सोमं प्रजापति:। ऋत...

चमत्कारी 12 खंभों के पूजन से शनि संबंधित सभी कष्टों से निजात पाएं

हिमाचल प्रदेश के महाकाल गांव में स्थित शनिदेव का मंदिर है। जहां प्रत्येक राशि का एक खंभा है। मान्यता है कि जातक अपनी राशि अनुसार खंभे पर कच्चा धागा बांधकर जो भी फरियाद करता है शनिदेव उसे कभी निराश नहीं करते। कच्चा धागा बांधने से साढ़ेसाती हो या ढैय्या, अष्टम शनि का संकट हो या कंटक जीवन के सारे दुख इस स्थान पर आकर सुख में परिवर्तित हो जाते हैं। जिस प्रकार सूर्य के इर्द-गिर्द ग्रह घूमते हैं उसी प्रकार महाकाल मंदिर के गोल-गोल खंभों के इर्द गिर्द घूमती है शनि भक्तों की दुनिया। ये खंभे कोई साधारण खंभे नहीं हैं बल्कि ये खंभे हर मुरादें पूरी करने वाले खंभे हैं। इन खंभों में भक्तों की अटूट आस्था एवं श्रद्धा है। ये सौभाग्यशाली चमत्कारी 12 खंभे भक्तों को शनिदेव का आशीर्वाद दिलाते हैं जिससे जीवन में आने वाले सभी दुखों का निवारण होता है। मान्यता है कि इस मंदिर में शनिदेव ने महाकाल को अपने तप से खुश कर उनसे बलशाली होने का वर पाया था। जब शनि देव का जन्म हुआ तो शनि के श्यामवर्ण को देखकर भगवान सूर्य नारायण क्रोधित हो गए और शनिदेव को अपना पुत्र मानने से इंकार कर दिया। छाया ने उन्हें बहुत प्रकार से स...

मानसिक, आर्थिक एवं शारीरिक कष्टों का निवारण टोटके जैसे उपायों से हो सकता है

मानसिक, आर्थिक एवं शारीरिक कष्टों का निवारण टोटके जैसे उपायों से हो सकता है लेकिन उसके लिए मन में विश्वास की पूर्ण शक्ति होनी चाहिए तभी मनका चाहा अवश्य में मिलता है क्योंकि विश्वास ही फलदायक होता है। ऐसे ही कुछ टोटकों की जानकारी प्रस्तुत है इस लेख मेंकृ आर्थिक समृद्धि के लिए :-बहुत समय से आर्थिक स्थिति खराब चल रही हो तो 5 वीरवार महालक्ष्मी की श्रृंगार सामग्री मंदिर में पुजारिन को दान में दें। लेकिन दी हुई सामग्री दुबारा उस पुजारिन को न दें। इससे आपका व्यापार या आय का साधन सुधरता जायेगा। धीरे-धीरे आप महसूस करेंगे। मेहनत करने पर भी आय के पर्याप्त साधन नहीं जुटा पाने की स्थिति में 9 वीरवार केसर वाले मिठे चावल गरीब या मजदूरी करने वाले मजदूरों को बांटें, 3 वीरवार के बाद आपकी मेहनत आपको अच्छा फल देने लगेगी। इस उपाय को आप 45 दिनों के बाद दोबारा कर सकते हैं, परन्तु साल में 1 या दो बार ही कर सकते हैं। आर्थिक संपन्नता एवं घर में अन्न की बरकत बनाये रखने के लिए गेहूं को पिसवाते वक्त उसमें केसर की पत्तियां एवं तुलसी दल मिलाकर पिसा लें और उस आटे की बनी हुई रोटी घर में खाने से अन्न और धन की कभी कमी...

व्यापार / लक्ष्मी बंधन दूर करने और धन वर्षा का उपाय

एक समस्या जो अक्सर सुनने में आती है या जिसका समाधान अक्सर पूछा जाता है वो है व्यापार या लक्ष्मी बंधन का। लोग कहते हैं की अच्छा खासा चलता बिजनेस या दुकान अचानक से ठप हो गयी। पैसे की आवक ख़त्म हो गयी रोजमर्रा की जरूरतें पूरी करना भी मुश्किल हो रहा है। ये सिर्फ बिजनेस वालो की नहीं नौकरी वालों की भी समस्या होती है की अचानक ऑफिस में माहौल और सम्बन्ध बिगड़ जाते हैं तनख्वाह कट जाती है किसी नुकसान का जिम्मेदार आपको ठहरा दिया जाता है। जो पैसे मिलते है उसमे आवश्यकता पूर्ति नहीं हो पाती जबकि उतने ही पैसों में पहले जिन्दगी आराम से चल रही थी। अक्सर लोगों को पता भी होता है की उनके इस कठिन समय के लिए कौन जिम्मेदार है या किसने ये किया कराया है तो कई बार वे इससे बिलकुल अनभिज्ञ रहते हैं। मित्रों एक अचूक उपाय बता रहा हूँ जिन्हें करके आप इस मुसीबत से छुटकारा पा सकते हैं इससे न सिर्फ व्यापार या लक्ष्मी का बंधन कटेगा बल्कि धनागम भी सुचारू और बेहतर होगा साथ ही नियम पूर्वक करने पर धन वर्षा का भी आनंद लेंगे। वैसे तो ये प्रयोग नवरात्र या दीपावली पर करना अधिक प्रभावी होता है पर जब पैसे के लाले पड़े हों तब कोई इतन...

वास्तु में चार दिशाएं व चार ही उप या विदिशाएं (कोण) होती हैं

 वास्तु में चार दिशाएं व चार ही उप या विदिशाएं (कोण) होती हैं- दिशाएं: पूर्व, पश्चिम, उर, दक्षिण कोण: ईशान (उर-पूर्व), आग्नेय (दक्षिण-पूर्व), वायव्य (उर-पश्चिम), र्नैत्य (दक्षिण-पश्चिम)। उपरोक्त आठों दिशाएं, पंचतत्वों से निम्न तरह से जुड़ी होती हैं- इन पंच तत्वों (अग्नि, पृथ्वी, वायु, आकाश, जल) का दिशाओं के साथ संतुलन ही वास्तु दोष को दूर करता है, जिससे जातक की समस्याओं का निदान हो जाता है। जातक जिस भूमि, मकान में रहता है, वह वास्तु सम्मत होनी चाहिए, यदि नहीं हो तो सुधार या उपाय द्वारा उन्हें ठीक कर सकते हैं जिससे जातक परेशानियों से छुटकारा पाकर पंचतत्वों का संतुलन बनाकर स्वस्थ व समृद्ध जीवन जीता है। कोई भी जातक किसी भी मकान में रहे, उसके लिए न्यूनतम निम्न चीजों की आवश्यकता होती है - पूजन कक्ष, अध्ययन कक्ष, रसोईघर, स्नान घर, ड्राइंग रूम, पानी की टंकी, स्रोत, शयन कक्ष, सीढ़ियां, कोषागार, शौचालय आदि। दिशाओं के हिसाब से इनका विवरण प्रस्तुत किया गया है। यदि ये दिशाओं के अनुरूप नहीं है तो निम्न उपाय या सुधार द्वारा इन्हें ठीक कर सकते हैं- 1. ईशान कोण: ईशान कोण में पूजन कक्ष, अध्ययन क...

क्यों हें ऋण मुक्ति से ही समृद्धि संभव-?? क्या आप आर्थिक तंगी से परेशान हैं?

महीने के आखिरी तारिख आने से पहले ही आप का हाथ तंग हो जाता है। पैसा घर में आता तो है पर कहा चला जाता है पता ही नहीं चलता। बचत के नाम पर आपके पास कुछ नहीं रह पाता है। यदि ऐसा है तो कहीं इसका कारण आपके घर की तिजोरी का गलतसमय पर धन तिजोरी से निकलना या राखना हो सकता है या फिर राहू काल में पैसे की लेन- देन का कारण हो सकता है ! भारतीय ज्योतिष में हर कार्य के लिए एक विशेष मुहूर्त निकाला जाता है। ऐसा मानते हैं कि शुभ मुहूर्त में किया गया कार्य सफल व शुभ होता है। लेकिन भारतीय ज्योतिष के अनुसार दिन में एक समय ऐसा भी आता है जब कोई शुभ कार्य नहीं किया जाता। वह समय होता है राहुकाल। हर दिन एक टाइम ऐसा होता है जो आपके पैसों के लिए खतरनाक हो सकता है। ये खतरनाक समय डेढ़ घंटे का होता है अगर आपने अपनी तिजोरी इस डेढ़ घंटे में खोल ली यानी तिजोरी में से पैसे निकाले या रखें तो समझ लें धीरे-धीरे आपका पैसा खत्म होने लगेगा और खर्च बढऩे लगेंगे। हो सकता है इस समय में लक्ष्मी आपकी तिजोरी से निकलnजाए इसलिए सावधान रहें और जान लें किस दिन ,कौन से समय के डेढ़ घंटेतक आपके पैसों के लिए हो सकते हैं खतरनाक…! इसके पीछे का...

भाग्य को मजबूत कैसे करें

मनुष्य बलि नहीं होत है समय होत बलवाना ,भिल्लन लूटी गोपिका वही अर्जुन वही बाणा .कबीर बाबाजी की ये पंक्तियाँ जिन जिन लोगों ने पढ़ कर इस पर चिंतन किया होगा वो जानते होंगे की समय का क्या महत्त्व है.कुछ वर्षों पहले झारखण्ड की सत्ता में एक अजीबोगरीब वाकया देखने को मिला. आम जातक के लिए ये बड़ा रोचक और हैरानी भरा किस्सा रहा होगा किन्तु ज्योतिष के जानकार बंधू जन व सभी श्रद्धेय गुरुजनों को इसकी हकीकत छुपी नहीं होगी.कैसे एक ऐसा जातक जिसे उसकी तत्कालीन पार्टी रूलिंग विधायक होते हुए भी दुबारा टिकट नहीं देती व बाद में सभी पार्टियों के दिग्गजों को हैरान कर वो जातक निर्दलीय रूप से जीतकर वहां की सत्ता की सर्वोच्च कुर्सी पर विराजमान होता है. पार्टियों के थिंक टैंक अपने अपने अनुभव को बड़ा मानकर रणनीतियां बना रहे थे और ऊपर तारामंडल अपना निर्णय ले चुका था.जातक का कारक ग्रह अपनी सर्वोच्च अवस्था में आ चुका था,और अब अपनी शक्ति संसार को दिखाकर उसे ग्रह नक्षत्रों की ताकत का एहसास करने को बेताब था.चुनाव हुए और फिर वो हुआ जिसका अंदाजा भी किसी को नहीं था ! भाग्य जब भी देने में आता है सदा छप्पर फाड़ कर ही देता है...

अब हर दिन किस्मत देगी आपका साथ अगर...

ज्योतिष में सप्ताह के सात दिनों की प्रकृति और स्वभाव बताए गए हैं। इन सात दिनों पर ग्रहों का अपना प्रभाव होता है। अगर आप इन दिनों की प्रकृति और स्वभाव के अनुसार कार्यों को करें तो जरूर आपकी किस्मत साथ देगी। निश्चित ही हर काम में सफलता मिलेगी। अगर आपके सोचे हुए काम पूरे नही होते या उनका कोई परिणाम नही मिलता तो आप उन कार्यों को पुराणों, मुहूर्त ग्रंथों और फलति ज्योतिष ग्रंथों के अनुसार बताए गए वार को करें। आप जरूर सफल होंगे। जानिए किस दिन क्या करें.. ======================================== रविवार- यह सूर्य देव का वार माना गया है। इस दिन नवीन गृह प्रवेश और सरकारी कार्य करना चाहिए। सोने के आभूषण और तांबे की वस्तुओं का क्रय विक्रय करना चाहिए या इन धातुओं के आभूषण पहनना चाहिए। सोमवार- सरकारी नौकरी वालों के लिए पद ग्रहण करने के लिए यह दिन बहुत महत्वपूर्ण है। गृह शुभारम्भ, कृषि, लेखन कार्य और दूध, घी व तरल पदार्थों का क्रय विक्रय करना इस दिन फायदेमंद हो सकता है। मंगलवार- मंगल देव के इस दिन विवाद एवं मुकद्दमे से संबंधित कार्य करने चाहिए। शस्त्र अभ्यास, शौर्य और पराक्रम के कार्य इस दिन क...

क्यों अधिक प्रभावी होता है भोजपत्र निर्मित यन्त्र धारण करना

विभिन्न धर्मो ,समुदायों में यन्त्र रचना और धारण प्राचीन काल से चला आ रहा है ,यन्त्र विभिन्न आकृतियों अथवा अंको के एक विशिष्ट संयोजन होते है ,जिनसे एक विशिष्ट उर्जा विकिरित होती है अथवा जिनमे एक विशिष्ट उर्जा संग्रहीत होती है ,जो धारक को विशिष्ट रूप से प्रभावित करती है ,यंत्रो को देवी देवताओ का निवास भी माना जाता है ,यह आंकिक भी होते है अथवा न समझ में आने वाली आकृतियों के भी ,फिर भी इनके विशिष्ट अर्थ होते है ,यंत्रो की पूजा भी की जाती है और धारण भी किया जाता है ,अथवा अन्य रूप से भी उपयोग किया जाता है , यंत्रो का निर्माण वुभिन्न सामग्रियों ,वस्तुओ पर होता है ,कागज़,भोजपत्र ,धातु ,पत्थर ,कपडे आदि पर भी ,,हिन्दू परम्परा के अनुसार भोजपत्र को परम पवित्र माना जाता है ,अन्य माध्यमो की अपेक्षा भोजपत्र पर निर्मित यन्त्र को प्रमुखता दी जाती है क्योकि इसके साथ कई विशिष्टताये जुड़ जाती है ,जो अन्य माध्यमो में कुछ कम पायी जाती है , भोजपत्र स्वयं एक सकारात्मक उर्जा आकर्षित करने वाला माध्यम होता है और नकारात्मक ऊर्जा दूर करता है ,इस पर यन्त्र निर्माण में प्रयुक्त होने वाले अष्टगंध अथवा पंचगंध की अपनी...

- णमोकार महामंत्र से संबंधित कुछ बाते

- हम सबको पता है की णमोकार महामंत्र है, बस आज इस मंत्रराज से संबंधित कुछ बातों पे ध्यान देंगे. णमोकार महामंत्र, प्राकृत मे लिखा गया है. # णमोकार महामंत्र के कोई बनानेवाले/लिखनेवाले/ रचियेता नही हैं, यह अनादि-निधन मंत्र है. # णमोकार महामंत्र को सबसे पहले आचार्यश्री भूतबली और पुष्पदंत जी महाराज ने अपने महान ग्रंथराज "षटखंडागम" मे लिपीबद्ध किया. # णमोकार महामंत्र को महामन्त्र इसलिए कहा गया है, क्यूंकी सामान्य मंत्र सांसारिक पदार्थों की सिद्धि मे सहायक होते हैं परंतु णमोकार महामंत्र जपने से ये तो प्राप्त होते ही हैं , साथ ही परमार्थ पद प्राप्त करने मे भी ये मंत्र सहायक है. # णमोकार महामंत्र से 84 लाख मंत्रों की उत्पत्ति हुई है. # णमोकार महामंत्र , के साथ ॐ लगाना अनिवार्य नही है, क्यूंकी ॐ एक- अक्षरी मंत्र अपने आप मे ही एक मंत्र है. # णमोकार महामंत्र पढ़ने के लिए कोई मुहूर्त नही होता, इसे तो कहीं भी, कभी भी, मन मे बोल सकते हैं. # णमोकार महामंत्र मे 5 पद है ... अर्थात पाँच परमेष्ठी को नमस्कार किया है. # णमोकार महामंत्र मे किसी भी ऐलक, क्षुल्लक, आर्यिका,क्षुल्लिका आदि को नम...

नारियल की ये प्राचीन बातें जानेंगे तो आप भी मानेंगे ये चमत्कारी है...

हम सभी जानते हैं पूजन कर्म में नारियल का महत्वपूर्ण स्थान है। किसी भी देवी- देवता की पूजा नारियल के बिना अधूरी ही मानी जाती है। क्या आप जानते हैं नारियल खाने से शारीरिक दुर्बलता एवं भगवान को नारियल चढ़ाने से धन संबंधी समस्याएं दूर हो जाती हैं। ~~स्त्रियां नहीं फोड़तीं नारियल यह भी एक तथ्य है कि महिलाएं नारियल नहीं फोड़तीं। नारियल बीज रूप है, इसलिए इसे उत्पादन (प्रजनन) क्षमता से जोड़ा गया है। स्त्रियों बीज रूप से ही शिशु को जन्म देती है और इसलिए नारी के लिए बीज रूपी नारियल को फोड़ना अशुभ माना गया है। देवी-देवताओं को श्रीफल चढ़ाने के बाद पुरुष ही इसे फोड़ते हैं। नारियल से निकले जल से भगवान की प्रतिमाओं का अभिषेक भी किया जाता है। सौभाग्य का प्रतीक है नारियल ऐसा माना जाता है, जब भगवान विष्णु ने पृथ्वी पर अवतार लिया तो वे अपने साथ तीन चीजें- लक्ष्मी, नारियल का वृक्ष तथा कामधेनु लाए। इसलिए नारियल के वृक्ष को कल्पवृक्ष भी कहते है। नारियल में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों ही देवताओं का वास माना गया है। नारियल अर्थात श्रीफल भगवान शिव का परम प्रिय फल है। नारियल में बनी तीन आंखों को त्रिनेत्र...

* अकस्मात धन लाभ दे‍ता है यह कुबेर मंत्र

कुबेर धन के अधिपति यानि धन के राजा हैं। पृथ्वीलोक की समस्त धन संपदा का एकमात्र उन्हें ही स्वामी बनाया गया है। कुबेर भगवान शिव के परमप्रिय सेवक भी हैं। धन के अधिपति होने के कारण इन्हैं मंत्र साधना द्वारा प्रसन्न करने का विधान बताया गया है। कुबेर मंत्र को दक्षिण की और मुख करके ही सिद्ध किया जाता है। अति दुर्लभ कुबेर मंत्र इस प्रकार है- मंत्र- ॐ श्रीं, ॐ ह्रीं श्रीं, ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय: नम:। विनियोग- अस्य श्री कुबेर मंत्रस्य विश्वामित्र ऋषि:वृहती छन्द: शिवमित्र धनेश्वरो देवता समाभीष्टसिद्धयर्थे जपे विनियोग: हवन- तिलों का दशांस हवन करने से प्रयोग सफल होता है। यह प्रयोग शिव मंदिर में करना उत्तम रहता है। यदि यह प्रयोग बिल्वपत्र वृक्ष की जड़ों के समीप बैठ कर हो सके तो अधिक उत्तम होगा। प्रयोग सूर्योदय के पूर्व संपन्न करें। मनुजवाह्य विमानवरस्थितं गुरूडरत्नानिभं निधिनाकम्। शिव संख युक्तादिवि भूषित वरगदे दध गतं भजतांदलम्।। अष्टाक्षर मंत्र- ॐ वैश्रवणाय स्वाहा: षोडशाक्षर मंत्र- ॐ श्री ॐ ह्रीं श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय नम:। पंच त्रिंशदक्षर मंत्र- ॐ य...

पूजा-सामग्रीके रखनेका प्रकार

पूजनकी किस वस्तुको किधर रखना चाहिये, इस बातका भी शास्त्रने निर्देश दिया है । इसके अनुसार वस्तुओंको यथास्थान सजा देना चाहिये । बायी ओर - १. सुवासित जलसे भरा उदकुम्भ (जलपात्र) २. घंटा और ३. धूपदानी, ४. तेलका दीपक भी बायीं ओर रखे । दायीं और - १. घृतका दीपक और २. सुवासित जलसे भरा शङ्ख । सामने - १. कुङ्कुम (केसर) और कपूरके साथ घिसा गाढ़ा चन्दन, २. पुष्प आदि हाथमें तथा चन्दन ताम्रपात्रमें न रखे ।

यूं तो किसी को किस्मत से ज्यादा नहीं मिलता

यूं तो किसी को किस्मत से ज्यादा नहीं मिलता लेकिन कई बार अनेक बाधाओं के कारण किस्मत में लिखी धन-समृद्धि भी प्राप्त नहीं होती। वास्तु को मानने वाले अगर इसके मुताबिक काम करें तो उन्हें वो मिल सकता है जो अब तक नहीं मिला है। - पूर्व दिशा : यहां घर की संपत्ति और तिजोरी रखना बहुत शुभ होता है और उसमें बढ़ोतरी होती रहती है। - पश्चिम दिशा : यहां धन-संपत्ति और आभूषण रखे जाएं तो साधारण ही शुभता का लाभ मिलता है। परंतु घर का मुखिया अपने स्त्री-पुरुष मित्रों का सहयोग होने के बाद भी बड़ी कठिनाई के साथ धन कमा पाता है। उत्तर दिशा : घर की इस दिशा में कैश व आभूषण जिस अलमारी में रखते हैं, वह अलमारी भवन की उत्तर दिशा के कमरे में दक्षिण की दीवार से लगाकर रखना चाहिए। इस प्रकार रखने से अलमारी उत्तर दिशा की ओर खुलेगी, उसमें रखे गए पैसे और आभूषण में हमेशा वृद्धि होती रहेगी। दक्षिण दिशा : इस दिशा में धन, सोना, चाँदी और आभूषण रखने से नुकसान तो नहीं होता परंतु बढ़ोत्तरी भी विशेष नहीं होती है। - ईशान कोण : यहां पैसा, धन और आभूषण रखे जाएं तो यह दर्शाता है कि घर का मुखिया बुद्धिमान है और यदि यह उत्तर ईशान में रख...

यदि आपके घर का बजट गड़बड़ा गया हो

यदि आपके घर का बजट गड़बड़ा गया हो, आप से ज्यादा खर्च होता है, परिवार में अशांति रहती है, नोट कमाने के सारे प्रयास व्यर्थ साबित हो रहे हों, तो भगवान को खुश करने के लिए पूजा कक्ष में लाल रंग का प्रयोग ज्यादा से ज्यादा करें। जहां आप बटुआ रखते हों, उस स्थान को भी लाल व पीले कलर से रंग दें। कुछ ही दिनों में फर्क महसूस होगा। यदि आपको लगता है कि आपसे कोई ईर्ष्या करता है, आपके कई दुश्मन हो गए हैं। हमेशा असुरक्षा व भय के माहौल में जी रहे हों, तो मकान की दक्षिण दिशा में से जल के स्थान को हटा दें। इसके साथ ही एक लाल रंग की मोमबत्ती आग्नेय कोण में तथा एक लाल व पीली मोमबत्ती दक्षिण दिशा में नित्यप्रति जलाना शुरू कर दें। घर में बेटी जवान है, उसकी शादी नहीं हो पा रही है, तो एक उपाय करें- कन्या के पलंग पर पीले रंग की चादर बिछाएं, उस पर कन्या को सोने के लिए कहें। इसके साथ ही बेडरूम की दीवारों पर हल्का रंग करें। ध्यान रहे कि कन्या का शयन कक्ष वायव्य कोण में स्थित होना चाहिए। कभी-कभी ऐसा होता है कि व्यक्ति सर्वगुण सम्पन्न होते हुए भी बेरोजगार रह जाता है। वह नौकरी के लिए जितना अधिक प्रयास करता है, उस...

*दस महाविद्या-*

देवी दुर्गा के दस रूप, जानिए किसकी की साधना से मिलते है क्या लाभ..... दस महाविद्या को देवी दुर्गा के दस रूप माने जाते हैं। कहा जाता है कि इन महाविद्याओं की शक्तियां ही पूरे संसार को चलाती हैं। देवी दुर्गा के ये सभी स्वरूप तंत्र साधना में बहुत उपयोगी और महत्वपूर्ण माने गए हैं। आइए जानते हैं मान्यता के अनुसार किस महाविद्या की पूजा तंत्र में किस इच्छा पूर्ति के लिए की जाती है। *देवी काली-* माना जाता है माँ ने ये काली रूप दैत्यों के संहार के लिए लिया था। जीवन की हर परेशानी व दुःख दूर करने के लिए इनकी आराधना की जाती है। *देवी तारा-* सौंदर्य और रूप ऐश्वर्य की देवी तारा आर्थिक उन्नति और भोग के साथ ही. मोक्ष देने वाली मानी जाती है। *ललिता माँ-* ललिता लाल वस्त्र पहनकर कमल पर बैठी हैं। इनकी पूजा समृद्धि व यश प्राप्ति के लिए की जाती है। *माता भुवनेश्वरी-* माता भुवनेश्वरी ऐश्वर्य की स्वामिनी हैं। देवी देवताओं की आराधना में इन्हें विशेष शक्ति दायक माना जाता हैं। ये समस्त सुखों और सिद्धियों को देने वाली हैं। *त्रिपुर भैरवी-* मां त्रिपुर भैरवी तमोगुण और रजोगुण की देवी हैं। इनकी आराधना विश...

बहुत कम लोग जानते हैं गायत्री मंत्र की खास बातें और चमत्कारी उपाय...

मंत्र जप ऐसा उपाय है जिससे किसी भी प्रकार की समस्या को दूर किया जा सकता है। मंत्रों की शक्ति से सभी भलीभांति परिचित हैं। मनचाही वस्तु प्राप्ति और इच्छा पूर्ति के लिए मंत्र जप से अधिक अच्छा साधन कोई और नहीं है। सभी मंत्रों में गायत्री मंत्र सबसे दिव्य और चमत्कारी है। इस जप से बहुत जल्द परिणाम प्राप्त हो जाते हैं। यहां जानिए मंत्र से जुड़ी खास बातें और चमत्कारी उपाय... गायत्री मंत्र विद्या का प्रयोग भगवान की भक्ति, ब्रह्मज्ञान प्राप्ति, दैवीय कृपा प्राप्त करने के साथ ही सांसारिक एवं भौतिक सुख-सुविधाओं, धन प्राप्त करने की इच्छा के लिए भी किया जा सकता है। ये है गायत्री मंत्र:- ऊँ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्। शास्त्रों के अनुसार गायत्री मंत्र को वेदों को सर्वश्रेष्ठ मंत्र बताया गया है। इस मंत्र जप के लिए तीन समय बताए गए हैं। इन तीन समय को संध्याकाल भी कहा जाता हैं। गायत्री मंत्र का जप का पहला समय है प्रात:काल, सूर्योदय से थोड़ी देर पहले मंत्र जप शुरू किया जाना चाहिए। जप सूर्योदय के पश्चात तक करना चाहिए। मंत्र जप के लिए दूसरा समय है दोपहर मध्...

दीपावली पर किये जाने वाले अदभुत टोटके

1- गृहक्लेश निवारण हेतु- दीपावली पर से शुरु करके प्रत्येक महीने के प्रथम शुक्रवार को 9 साल से छोटी कन्या को देवीस्वरुप समझ कर भोजन करायेँ और दान दक्षिणा भी देँ । उसके चरण धोने के बाद उस जल को अपने घर मेँ छिड़के । साक्षात आप आशीर्वाद अनुभव करेँगे । 2- दीपावली के दूसरे दिन पांच पत्ते पीपल के लेकर सुखे कुएँ मे डाल दे बिना पीछे देखे घर वापस आ जाये शीघ्र ही धन प्राप्ति के शुभ समाचार प्राप्त होगे । 3- दीपावली के दिन सुबह निर्धन व्यक्ति को नौ किलो गेहुँ दान करेँ उसके बाद अन्य कार्य करेँ जीवन मेँ धन की कमी का अभाव नही रहेगा। 4- दीपावली की रात्री मेँ रुद्राक्ष की माला से ॐ श्रीँ श्रियै नमः मन्त्र का उच्चारण करते हुए हवन मेँ घी शक्कर की आहुति दे आकस्मिक धनलाभ होगा 5- दीपावली के दिन लक्ष्मीपूजन मेँ माता लक्ष्मी को 11 पीली कौड़िया अर्पित करेँ । दुसरे दिन उन कौड़ियोँ को लाल वस्त्र मे बाँध करके तिजोरी या व्यवसाय स्थल मेँ रखेँ ।धन लाभ तेजी से होने लगेगा 6- दीपावली के दिन पीपल को प्रणाम करने के बाद माँग कर एक अखण्ड पत्ता लायेँ और उसे अपने पूजा स्थान पर रखेँ। इसके बाद शनिवार को वह पत्ता ले जाकर पीपल ...

जो भक्तजन यदि दुर्गासप्तशती का पाठ करने में असमर्थ हों तो वह इस सप्तश्लोकी दुर्गा को पढें,इन सात श्लोकों में दुर्गा सप्तशती का संपूर्ण सार समाहित है-

जो भक्तजन यदि दुर्गासप्तशती का पाठ करने में असमर्थ हों तो वह इस सप्तश्लोकी दुर्गा को पढें,इन सात श्लोकों में दुर्गा सप्तशती का संपूर्ण सार समाहित है- अथ सप्तश्लोकी दुर्गापाठम्- शिव उवाच- देवि त्वं भक्तसुलभे सर्वकार्यविधायिनी । कलौ कार्यसिद्ध्यर्थमुपायं ब्रूहि यत्नतः ॥ देव्युवाच- श्रृणु देव प्रवक्ष्यामि कलौ सर्वेष्ट्साधनम् । मया तवैव स्नेहेनाप्यम्बास्तुतिः प्रकाश्यते ॥ विनियोग : ॐ अस्य श्रीदुर्गासप्तश्लोकीस्तोत्रमन्त्रस्य नारायण ॠषिः, अनुष्टुपछन्दः, श्रीमहाकाली-महा लक्ष्मी-महासरस्वत्यो देवताः, श्री दुर्गाप्रीत्यर्थं सप्तश्लोकी दुर्गापाठे विनियोगः । ॐ ज्ञानिनामपि चेतांसि देवी भगवती हि सा । बलादाकृष्य मोहाय महामाया प्रयच्छति ॥ १ ॥ दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तोः स्वस्थैः स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि । दारिद्र्यदुःखभयहारिणि का त्वदन्या सर्वोपकारकरणाय सदार्द्रचित्ता ॥२॥ सर्वमङ्गल माङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके । शरण्ये त्र्यंम्बके गौरि नारायणि नमोस्तु ते ॥३॥ शरणागत दीनार्तपरित्राणे परायणे । सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमोस्तु ते ॥४॥ सर्वस्वरुपे सर्वेशे सर्वशक्तिसमन्विते । भयेभ्...

वास्तु के अनुसार घर की कौन सी दीवार किस रंग की होनी चाहिए

घर की दीवार और छत के रंगों को लेकर हम अक्सर चूज़ी रहते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि वास्तु शास्त्र में इनके रंगों के बारे में क्या कहता है? जिससे हमें समृद्धि और सकारात्मक उर्जी मिलती रहे। कैसा हो छत: कुछ लोग अपने घर की छत को गुलाबी, पीला, नीला आदि रंगों से रंगना पसंद करते हैं, लेकिन यदि आप अपने घर की छत को कोई ऐसा वैसा रंग देने जा रहे हैं तो रुक जाएं, क्योंकि वास्तु के अनुसार छतों का रंग सफेद ही सर्वोत्तम माना गया है। कहते हैं यह स्थान ब्रह्मस्थान की भूमिका निभाती है और इससे घर में पॉजिटिव एनर्जी आती है। बेडरूम की दीवार पर हमेशा हल्के रंगों का प्रयोग करें, वर्ना गहरे या चुभने वाले रंग आपकी लाइफ की उलझनें बढ़ा सकते हैं। बच्चों का कमरा (स्टडी रूम) हल्का बैंगनी, हल्का हरा या गुलाबी रखें। गहरे रंग का इस्तेमाल यहां सही नहीं होता। इससे बच्चों की एकाग्रत और मनन में बाधा आती है। कमरा यदि दक्षिण-पूर्व या दक्षिण दिशा में हो तो इसकी दीवार पर आप नारंगी या लाल रंग का इस्तेमाल कर सकते हैं। दक्षिण में वैसे लाल रंग का इस्तेमाल सबसे बेहतरीन बताया गया है। यदि कोई नया शादीशुदा कपल हो तो वह बेड...

कब करें मंत्र साधना

सूर्योदय से प्राय: दो घंटे पहले ब्रह्ममूहुर्त्त साधक की सर्वाग उन्नति के लिये शुभ होता है। उस समय सोते रहना स्वास्थ्य व आर्थिक समृद्धि के विकास के लिये अशुभ है। अत: ब्रह्ममुहूर्त्त में उठकर अपने दोनों हाथों को देखें तथा भावना करें- कराग्रे वसते लक्ष्मी, करमध्ये सरस्वती। करमूले स्थितो ब्रह्मा, प्रभाते करदर्शनम्।। स्नान कर गणेश, सरस्वती, लक्ष्मी, सूर्य, तुलसी, गौ, गुरु, माता-पिता व वृद्धजनों को प्रणाम करें। वस्त्र- मुख्य रूप से पूजा-जाप के लिये दो वस्त्र-एक अद्योवस्त्र धोती तथा ऊर्ध्ववस्त्र दुप्पटा पहनने की शास्त्रों में आज्ञा है। वस्त्र रेशमी व ऊनी हो, तो उत्तम है। सिले वस्त्र, फटे-हुए, नील या मांडी लगे हुए वस्त्रों का त्याग करें। नया वस्त्र हो तो उसे एक बार धोकर ही पहनना चाहिये। सफेद वस्त्र शांति व उत्तम कर्मों के लिये, पीले वस्त्र आकर्षण के लिये लाल वस्त्र देवी की उपासना व शक्ति प्राप्ति के लिये शुभ है। पाजामा व तंग पैंट पहनकर जप करना उचित नहीं है। जप का स्थान- पूजा जाप के लिये एकांत, पवित्र व शुद्ध वायु वाला पवित्र स्थान शुभ है। तंग स्थान, अधिक शोर, दुर्गंधयुक्ता स्थान में मन ...