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Showing posts from August, 2017

मंत्र महायोग की शक्तिशाली

मंत्र महायोग की शक्तिशाली दुनिया मे मंत्र की वो शक्ति अनुभव कर सकते है जिस से टूटता हुआ घर,दिल व समाज ये सब बच सकते है इस मंत्र के चमत्‍कार से घर मे सुख और आनंद हो जाता है और आनंद की दात्री होती है घर की स्त्री अर्थात यदि घर मे पत्नी कलह करती हो या बार बार मायके जा कर बैठती हो या तलाक की बात करती हो या फिर पति को पत्नी अपेक्षित सहयोग ना मिलता हो to इस मंत्र का प्रयोग आवश्याही आपके लिये सफल सीध होगा। मंत्र मोहिनी माता भूत पिता भूत सिर बेताल उढ़ ए काली.............को जा लाग एसी जाके लाग ..........को लग जाये हमारी मुहबत की आग न खड़े सुख ना लेटे सुख न सोते सुख सिन्दूर चढ़ाऔं मंगलवार कभी ना छोड़े हमारा ख्याल। जब तक ना देखे हमारा मुख काया तड़प तड़प मर जाये चलो मंत्र फुरो वाचा दिखाओ रे शब्द अपने गुरू के इलम का तमाशा खाली जगह पर उस स्त्री का नाम ले जिसको आप वश मे करना चाहते हैं यह मंत्र केवल शादी शुदा लोगो को ही लाभ देता है।

अभिषेक का महत्त्व

अभिषेक का महत्त्व -- - सृष्टि की शुरुवात से यही जल चक्र में आ रहा है , जा रहा है| ये हम सभी स्कूल में वाटर साइकल में पढ़ चुके है| - जो जल नदियों , नालों में बहता है , वहीँ समुन्दर में मिलता है , वही वाष्प बन कर बादल बनता है | वही बादल बरस कर नदियाँ बनते है| नदी , तालाब , कुँओं का यह जल विभिन्न कार्यों के लिए प्राणी उपयोग में लाते है | इसके साथ निहित भावनाओं से उस जल में सूक्ष्म परिवर्तन आते है जो कई बार अच्छे होते है , अधिकतर बुरे होते है , जिनका प्रभाव प्राण तत्व पर बुरा होता है| - जल तत्व को शुद्ध करने के लिए हमारे ऋषि मुनियों ने बहुत ही विचार पूर्वक अभिषेक का कार्य बनाया | - अभिषेक की प्रक्रिया में हम शुद्ध भावना से बूँद बूँद जल या थोड़ा थोड़ा जल ईश्वरीय प्रतिमा पर डालते जाते है| - इसके साथ समूह में मन्त्र और श्लोक बोले जाते है| इन मन्त्रों की ध्वनी का प्रभाव उस जल , या दूध या अन्य द्रवों पर होता है| - उस द्रव्य में सूक्ष्म परिवर्तन आते है| मन्त्र शक्ति युक्त यह द्रव्य अत्यंत गुणकारी , प्रभावशाली और अमृत तत्व से युक्त हो जाता है| - यहीं द्रव्य नदियों , तालाबों में मिल जाता है| ...

गणेशजी के यह 3 विलक्षण अमोघ मंत्र

गणेशजी के यह 3 विलक्षण अमोघ मंत्र भगवान श्री गणेश अप ने हर रूप में प्रसन्नता और खुशियों का वरदान देते हैं। उनकी हर आराधना फलदायक होती है। वह प्रथम पुज्य होने के साथ ही सौभाग्य और मंगल के प्रदाता हैं। आइए जानते हैं उनके 3 ऐसेचमत्कारी मंत्र जो विधिवत करने पर मात्र 11 दिन में जीवनबदल देने की क्षमता रखते हैं। मंत्र 1 : गणेश गायत्री मंत्र ॐ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो बुदि्ध प्रचोदयात।। यहगणेश गायत्री मंत्रहै। इस मंत्र का 11 दिन शांत मन से 108बार जप करने से गणेशजी की विशिष्ट कृपा होती है। गणेश गायत्री मंत्र के जप से व्यक्ति का भाग्य चमक जाता है और हर कार्य अनुकूल सिद्ध होने लगता है। मंत्र 2 : तांत्रिक गणेश मंत्र "ॐ ग्लौम गौरी पुत्र, वक्रतुंड,गणपति गुरू गणेश। ग्लौम गणपति, ऋद्धिपति, सिद्धिपति। मेरे करों दूर क्लेश।।" 11 दिन तक इस मंत्र का 108 बार जाप करने व्यक्ति के जीवन के सारे क्लेश समाप्त होते हैं। धन, धान्य, संपत्ति, समृद्धि, खुशियां, वैभव, पराक्रम, विद्या और शांति की प्राप्ति होती है। लेकिन इस मंत्र के प्रयोग के समय व्यक्ति को पूर्ण सात्विकता रखनी होती है और ...

मंत्र mantra

संतान होने और नही होने की पहिचान करना : पुरुष और स्त्री के दाहिने हाथ मे साफ़ मिट्टी रख कर उसके अन्दर थोडा दही और पिसी शुद्ध हल्दी रखनी चाहिये,यह काम रात को सोने से पहले करना चाहिये,सुबह अगर दोनो के हाथ में हल्दी का रंग लाल हो गया है तो संतान आने का समय है,स्त्री के हाथ में लाल है और पुरुष के हाथ में पीली है तो स्त्री के अन्दर कामवासना अधिक है,पुरुष के हाथ में लाल हो गयी है और स्त्री के हाथ में नही तो स्त्री रति सम्बन्धी कारणों से ठंडी है,और संतान पैदा करने में असमर्थ है,कुछ समय के लिये रति क्रिया को बंद कर देना चाहिये। * चार वीरवार को 900 ग्राम जौं चलते जल में बहाए| * वीरवार का व्रत भी रखना शुभ होगा | * राधा कृष्णजी के मंदिर में शुक्ल पक्ष के वीरवार या जन्माष्टमी को चान्दी की बांसुरी चढाये| * लाल या भूरी गायें को आट्टे का पेढा व पानी दे | उपाय मन से करने से मनोकामना पूरण होगी | ★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★ मंत्र महायोग की शक्तिशाली दुनिया मे मंत्र की वो शक्ति अनुभव कर सकते है जिस से टूटता हुआ घर,दिल व समाज ये सब बच सकते है इस मंत्र के चमत्‍कार से घर मे सुख...

चमत्कारी राम रक्षा स्त्रोत मुर्दे में भी जान डाल देता है

चमत्कारी राम रक्षा स्त्रोत मुर्दे में भी जान डाल देता है 👇 🍁 👇 🍁 👇 🍁 👇 🍁 👇 🍁 👇 🍁 👇 🍁 👇 🍁 राम रक्षा स्त्रोत को ग्यारह बार एक बार में पढ़ लिया जाए तो पूरे दिन तक इसका प्रभाव रहता है। अगर आप रोज ४५ दिन तक राम रक्षा स्त्रोत का पाठ करते हैं तो इसके फल की अवधि बढ़ जाती है। इसका प्रभाव दुगुना तथा दो दिन तक रहने लगता है और भी अच्छा होगा यदि कोई राम रक्षा स्त्रोत को नवरात्रों में प्रतिदिन ११ बार पढ़े । सरसों के दाने एक कटोरी में दाल लें। कटोरी के नीचे कोई ऊनी वस्त्र या आसन होना चाहिए। राम रक्षा मन्त्र को ११ बार पढ़ें और इस दौरान आपको अपनी उँगलियों से सरसों के दानों को कटोरी में घुमाते रहना है। ध्यान रहे कि आप किसी आसन पर बैठे हों और राम रक्षा यंत्र आपके सम्मुख हो या फिर श्री राम कि प्रतिमा या फोटो आपके आगे होनी चाहिए जिसे देखते हुए आपको मन्त्र पढ़ना है। ग्यारह बार के जाप से सरसों सिद्ध हो जायेगी और आप उस सरसों के दानों को शुद्ध और सुरक्षित पूजा स्थान पर रख लें। जब आवश्यकता पड़े तो कुछ दाने लेकर आजमायें। सफलता अवश्य प्राप्त होगी। वाद विवाद या मुकदमा हो तो उस दिन सरसों के दान...

किसी भी तरह का जप-कर्म हो, अधिकतर माला जपते हुए पूरा किया जाता है

किसी भी तरह का जप-कर्म हो, अधिकतर माला जपते हुए पूरा किया जाता है। इस दौरान प्रयोग में लाई जाने वाली माला में 108 मनके होते हैं। हालांकि मालाएं इससे कम या ज्यादा मनकों की भी होती हैं, लेकिन नौ के गुणांक वाले मनकों की माला ही जप कर्म में स्वीकार्य की गई है। माला का उपयोग किसी मंत्र, नाम आदि के जप की संख्या को याद रखने के लिए किया जाता है। इन देवी-देवताओं के नाम अथवा मंत्रों के जप से साधकों की इच्छाओं की पूर्ति होती है। प्रस्तुत है हिंदू धर्म की कुछ लोकप्रिय मालाओं का विवरण। कमल बीज माला: इस माला का उपयोग देवी लक्ष्मी की आराधना के लिए किया जाता है। माना जाता है कि अपने प्रिय पुष्प की माला के बीज से लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करने से देवी लक्ष्मी जल्द प्रसन्न होती हैं और साधक को धन-धान्य, ऐश्वर्य से संपन्न करती हैं। हल्दी माला: इस माला का उपयोग विशेष प्रार्थना या अनुष्ठान, शत्रुओं के नाश, मुकदमों में विजय आदि की प्राप्ति के लिए किया जाता है। कहा जाता है कि इस माला को धारण करने से पीलिया रोगों की पीड़ा कम होती है। साथ ही इसे धारण करने से मानसिक शांति मिलती है और चिंता व तनाव दूर होते हैं...

नहाने के पानी का ये प्राचीन उपाय करने से दूर हो सकती है

- नहाने के पानी का ये प्राचीन उपाय करने से दूर हो सकती है दरिद्रता : नहाने से स्वास्थ्य लाभ और पवित्रता मिलती है। सभी प्रकार के पूजन कर्म आदि नहाने के बाद ही किए जाते हैं, इस कारण स्नान का काफी अधिक महत्व है। पुराने समय में सभी ऋषि-मुनि नदी में नहाते समय सूर्य को जल अर्पित करते थे और मंत्रों का जप करते थे। इस प्रकार के उपायों से अक्षय पुण्य मिलता है और पाप नष्ट होते हैं। ज्योतिष में धन संबंधी परेशानियों से मुक्ति पाने के लिए कई उपाय बताए गए हैं, जो अलग-अलग समय परकिए जाते हैं। नहाते समय करने के लिए एक उपाय बताया गया है। इस उपाय को सही विधि से हर रोज किया जाए तो निकट भविष्य में सकारात्मक फल प्राप्त सकते हैं हो। जानिए उपाय की विधि ... प्रतिदिन नहाने से पहले बाल्टी में पानी भरें और इसके बाद अपनी तर्जनी उंगली (इंडेक्स फिंगर) से पानी पर त्रिभुज का चिह्न बनाएं। त्रिभुज बनाने के बाद एक अक्षर का बीज मंत्र 'ह्रीं' उसी चिह्न के बीच वाले स्थान पर लिखें। साथ ही, अपने इष्ट देवी-देवता से परेशानियों दूर करने की प्रार्थना करें। नहाते समय करें मंत्रों का जप शास्त्रों में दिन के सभी आवश्यक...

गायत्री मन्त्र सर्वोपरि मन्त्र है

गायत्री मन्त्र सर्वोपरि मन्त्र है। इससे बड़ा और कोई मन्त्र नहीं। जो काम संसार के किसी अन्य मन्त्र से नहीं हो सकता, वह निश्चित रूप से गायत्री द्वारा हो सकता है। दक्षिणमार्गी योग साधक वेदोक्त पद्धति से जिन कार्यों के लिये अन्य किसी मन्त्र से सफलता प्राप्त करते हैं, वे सब प्रयोजन गायत्री से पूरे हो सकते हैं। इसी प्रकार वाममार्गी तान्त्रिक जो कार्य तन्त्र प्रणाली से किसी मन्त्र के आधार परपर करतेकरते हैं, वह भी गायत्री द्वारा किये जा सकते हैं। यह एक प्रचण्ड शक्ति है, जिसे जिधर भी लगा दिया जायेगा, उधर ही चमत्कारी सफलता मिलेगी। काम्य कर्मों के लिये, सकाम प्रयोजनों के लिये अनुष्ठान करना आवश्यक होता है। सवालक्ष का पूर्ण अनुष्ठान, चौबीस हजार का आंशिक अनुष्ठान अपनी-अपनी मर्यादा के अनुसार फल देते हैं। ‘जितना गुड़ डालो उतना मीठा’ वाली कहावत इस क्षेत्र में भी चरितार्थ होती है। साधना और तपश्चर्या द्वारा जो आत्मबल संग्रह किया गया है, उसे जिस काम में भी खर्च किया जायेगा, उसका प्रतिफल अवश्य मिलेगा। बन्दूक उतनी ही उपयोगी सिद्ध होगी, जितनी बढिय़ा और जितने अधिक कारतूस होंगे। गायत्री की प्रयोग विधि एक प्र...

हस्तकला अंगूठे पढ़ना

हस्तकला अंगूठे पढ़ना: अंगूठे से पता चलती हैं स्वभाव की ये 20 बातें हिंदी में हस्तकला अंगूठे पढ़ने: हथेली में रेखाओं के साथ ही उंगलियों और हथेली की बनावट का भी अध्ययन किया जाता है । अंगूठा भी स्वभाव और भविष्य से जुड़ी कई बातें बता सकता है। यहां जानिए हस्तरेखा ज्योतिष के अनुसार सिर्फ अंगूठे के आधार पर व्यक्ति के स्वभाव और भविष्य से जुड़ी खास बातें ... तीन भागों में बंटा होता है अंगूठा हमारा अंगूठा तीन भागों में विभक्त रहता है। प्रथम भाग ऊपर वाला, फिर मध्यम भाग और अंतिम भाग। ये तीनों भाग रेखाओं से विभाजित रहते हैं। यदि पहला भाग अधिक लंबा हो तो व्यक्ति अच्छी इच्छा शक्ति वाला होता है। वह किसी पर निर्भर नहीं होता। ऐसे अंगूठे वाले लोग किसी भी कार्य को पूरी स्वतंत्रता के साथ करना पसंद करते हैं और इन्हें सफलता भी प्राप्त हो जाती है। कार्यों में सफलता के साथ ही इनकी आर्थिक स्थिति में भी सुधार होता है। 1. यदि अंगूठे के पहले पर्व (भाग) पर आड़ी रेखाएं होती हैं तो व्यक्ति को जीवन में महालक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है । भाग्य का साथ मिलता है। ऐसे लोगों को धन संबंधी कार्यों में कभी भी परेश...

आज हम चद्र देव के बारे मे बात करते है

आज हम चद्र देव के बारे मे बात करते है आज के समय मे मनुष्य हर छोटी बात के लिए मानसिक तनाव से ग्रस्त रहता है चाहे काम से हो या रिश्तो से चद्र देव बदलाव विचारो के साथ तो करते ही है काम मे भी मानसिक हालाद बदल देते है खराब राहु औ र खराब चद्र का मेल यानी युति यदि हो जाए तो बुद्धी ना के बराबर काम करती है जैसा कोई कहेगा वो वेसा करेगा इसी लिए जब भी कोई टोना करता है तो राहू और चद्र को दबा दिया जाता है और केतू नेगेटिव किया जाता तभी किया कराया काम करता है उसके हालाद पागलो जैसे हो जाते है बिमार रहने लगता है अगर ऐसे आदमी का शनी कमजोर हो तो उसका खुद का घर और काम के अदंर हालाद भी खराब होने शुरू हो जाते है ऐसे लोगो की माता व पत्नी बहुत दुखः उठाती है ऐ मन और माता के कारक है पहली भूमिका चद्र देव निभाते है इनके फल जलूदी खराब और सही होते रहते है पर जिनका चद्र अच्छी अवस्ता मे होता है उनका स्वभाव शान्त और उनकी सहन शक्ती गजब की होती है । उनकी माता सदैव उनके साथ रहती है और जब तक साथ रहती है सुरक्षा कवच का काम करती है ऐसा भी देखे गया है की ऐसे जातक को पत्नी भी शान्त स्वभाव की मिलती है या पति सुख अच्छा होता है ...

व्यक्ति को उसके अच्छे-बुरे सभी कर्मों का फल उसके भाग्य के रूप में मिलता है

व्यक्ति को उसके अच्छे-बुरे सभी कर्मों का फल उसके भाग्य के रूप में मिलता है। अच्छे कर्मों पर अच्छा तथा बुरे कर्मों पर बुरा भाग्य बनता है। हालांकि ज्योतिष के कुछ विशेष उपायों (तांत्रिक टोने-टोटकों सहित) को अपना कर व्यक्ति अपने भाग्य में कुछ हद तक परिवर्तन कर सकता है परन्तु पूरी तरह बदलना केवल ईश्वर कृपा और अच्छे कर्मों से ही संभव हो पाता है। इस पोस्ट में हम आपके लिए लाएं हैं ऐसे ही कुछ विशेष टोने-टोटके जो आपके भाग्य को पूरी तरह तो नहीं बदल सकते परन्तु आपकी समस्या का तुरंत निराकरण अवश्य कर देंगे, रोगों से मुक्ति पाने के लिए (1) कोई असाध्य रोग हो जाए तथा दवाईयां काम करना बंद कर दें तो पीडि़त व्यक्ति के सिरहाने रात को एक तांबे का सिक्का रख दें तथा सुबह इस सिक्के को किसी श्मशान में फेंक दें। दवाईयां असर दिखाना शुरू कर देंगी और रोग जल्दी ही दूर हो जाएगा। (2) यदि व्यक्ति चिड़चिढ़ा हो रहा है तथा बात-बात पर गुस्सा हो रहा है तो उसके ऊपर से राई-मिर्ची उसार कर जला दें। तथा पीडि़त व्यक्ति को उसे देखते रहने के लिए कहें। (3) सुबह कुल्ला किए बिना पानी, दूध अथवा चाय न पिएं। साथ ही उठते ही सबसे पहले...

पितृ दोष

यदि पूर्वजों ने किसी प्रकार के अशुभ कार्य किये हो, अनैतिक रूप से धन एकत्र किया हो तो उसके दुष्परिणाम आने वाली पीढि़यों को भोगने पड़ते हैं, क्योंकि आगे आने वाली पीढि़यों के भी कुछ ऐसे अशुभ कर्म होते हैं कि वे उन्ही पूर्वजों के यहाँ पैदा होते हैं। अतः पूर्वजों के कर्मा के फलस्वरूप आने वाली पीढि़यों पर पड़ने वाले अशुभ प्रभाव को पितृ-दोष कहा जाता है। पितृ-दोष पीढ़ी दर पीढ़ी होते रहते हैं। हमें अपने पूर्व जन्मों के कर्मो के अनुसार ही वेश, जाति , परिवार एवं माता-पिता के यहाँ ही जन्म लेना पड़ता हैं , जिनसे पूर्व जन्मों में हमारे सम्बन्ध रहे हैं , एवं उनके साथ रहकर उनकी स्वीकृति अथवा सहयोग से हमने पाप या पुण्य कर्म किये होते हैं। चूंकि मंगल का संबंध रक्त से होता हे जो पितृदोष का कारक माना जाता हैं । रक्त कम हो जाना , पितृदोष में आया मंगल रक्त की कमी करके संतान पैदा करने की शक्ति का हनन करता हैं । भूतकाल से वर्तमान काल तक आती हुई अनन्त भविष्य तक गतिशील पीढि़यों के स्वभाव तो होते ही हैं पेतृक भी होते हैं। कुछ पैतृक चिन्ह व स्वभाव आश्र्चय जनक होते हैं। जैसे – प्रायः व्यक्ति का चेहरा स्पष्ट हो ...

लक्ष्मी जी की कृपा पाने के सरल उपाय।

लक्ष्मी जी की कृपा पाने के सरल उपाय। =========================== दीपावली के दिन पीपल का एक अखंडित पत्ता वृक्ष से प्रार्थना करके तोड़ लाएं और इसे पूजाघर अथवा किसी अन्य पवित्र स्थान पर रख दें। फिर प्रत्येक शनिवार को नया पत्ता तोड़कर उस स्थान पर रखें और पुराने पत्ते को पेड़ के नीचे रख आएं , घर में लक्ष्मी का स्थायी वास होगा। *********मंत्र: ऊँ नमो भगवती पद्म पदमावी ऊँ ह्रीं ऊँ ऊँ पूर्वाय दक्षिणाय उत्तराय आष पूरय सर्वजन वश्य कुरु कुरु स्वाहा। शय्या पर मंत्र जप करने के बाद दसों दिशाओं में दस-दस बार फूंक मारें। इस उपाय से साधक को चारों तरफ से पैसा प्राप्त होता है। ★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★ धन प्राप्ति के उपाय श्वेत बबूल के पुष्प, अरण्डी के पुष्प एवं मेंहदी के पुष्प- तीनों को प्राप्त करके चांदी की डिब्बी में बंद करके घर में रखने से धन का आगमन होने लगता हैं। दान करने से धन घटता नहीं, बल्कि जितना देते हैं उसका दस गुना र्इश्वर हमें दे देता है। इनमें से किसी भी एक मंत्र का चयन करके सुबह, दोपहर और रात को सोते समय पांच-पांच बार नियम से उसका स्मरण करें। मातेश्वरी लक्...

प्राय: स्वास्थ्य के लिये किये जाने वाले टोटके .....

प्राय: स्वास्थ्य के लिये किये जाने वाले टोटके ..... 1॰ हृदय विकार, रक्तचाप के लिए एकमुखी या सोलहमुखी रूद्राक्ष श्रेष्ठ होता है। इनके न मिलने पर ग्यारहमुखी, सातमुखी अथवा पांचमुखी रूद्राक्ष का उपयोग कर सकते हैं। इच्छित रूद्राक्ष को लेकर श्रावण माह में किसी प्रदोष व्रत के दिन, अथवा सोमवार के दिन, गंगाजल से स्नान करा कर शिवजी पर चढाएं, फिर सम्भव हो तो रूद्राभिषेक करें या शिवजी पर “ॐ नम: शिवाय´´ बोलते हुए दूध से अभिषेक कराएं। इस प्रकार अभिमंत्रित रूद्राक्ष को काले डोरे में डाल कर गले में पहनें। 2॰ किसी भी सोमवार से यह प्रयोग करें। बाजार से कपास के थोड़े से फूल खरीद लें। रविवार शाम 5 फूल, आधा कप पानी में साफ कर के भिगो दें। सोमवार को प्रात: उठ कर फूल को निकाल कर फेंक दें तथा बचे हुए पानी को पी जाएं। जिस पात्र में पानी पीएं, उसे उल्टा कर के रख दें। कुछ ही दिनों में आश्चर्यजनक स्वास्थ्य लाभ अनुभव करेंगे। 3॰ घर में नित्य घी का दीपक जलाना चाहिए। दीपक जलाते समय लौ पूर्व या दक्षिण दिशा की ओर हो या दीपक के मध्य में (फूलदार बाती) बाती लगाना शुभ फल देने वाला है। 4॰ रात्रि के समय शयन कक्ष में कपूर...

सात अचूक मंत्र

सात अचूक मंत्र 01 घर में क्लेश ना होने के लिए दत्तात्रेय भगवान का चित्र स्तापित करे, चित्र के समुख एक पानीवाला नारियल मिटटी के घड़े के ऊपर रखकर चारो तरफ पत्ते लगाकर कलश स्तापित करे, और चार मुख वाला दीपक उसके सामने प्रज्वलित करे, स्वयम पीले वस्त्र धारण करे और दत्तात्रेय भगवान को भी पीले वस्त्र अर्पित करे, पीले रंग का आसन का प्रयोग करे और निचे दिए हुवे मन्त्र की चन्दन के मालापर सात माला जप करे, जप पूरा होनेके बाद कन्या को भोजन या मीठा प्रसाद, सिंगारका सामान, दक्षिणा अप्रीत करके मंवांचित फल प्राप्त कर सकते है I मंत्र - उं झं ‍‌द्रां विपुलमुर्तेये नमः स्वाहा 02 शत्रुओ से छुटकारा दत्तात्रेय भगवान का चित्र स्तापित करेके उनके सामने एक सुखा नारियल काले कपडे में लिपटा कर मोली सूत्रसे बांध दे और भगवान को अर्पित करे, साथ ही एक सुपारी अर्पित करे, कम्बल के आसन का प्रयोग करे और निचे दिए हुवे मन्त्र की रुद्राक्ष के मालापर आठ माला जप करे, जप पूरा होनेके बाद भगवान को मीठे रोटी का भोग लगाये उसमेसे एक भाग कव्वे को और एक भाग कुत्ते को खिलाये और कपडे में लिपटा नारियल शिव मंदिर में जाकर शत्रुका नाश होन...

तंत्र शास्त्र के अनुसार

तंत्र शास्त्र के अनुसार किसी भी सिद्धि प्राप्ति या मनोकामना पूर्ति के लिए चार रात्रियां सर्वश्रेष्ठ हैं पहली है कालरात्रि (नरक चतुर्दशी या दीपावली), दूसरी है अहोरात्रि (शिवरात्रि), तीसरी है दारुणरात्रि (होली) व चौथी है मोहरात्रि अर्थात जन्माष्टमी। अर्थात इन दिनों में किए गए तंत्र उपाय जरुर सफल होते हैं - काफी कोशिशों के बाद बाद भी यदि आमदनी नहीं बढ़ रही है या नौकरी में प्रमोशन नहीं हो रहा है जन्माष्टमी के दिन सात कन्याओं को घर बुलाकर खीर या सफेद मिठाई खिलाएं। इसके बाद लगातार पांच शुक्रवार तक सात कन्याओं को खीर बांटें। - जन्माष्टमी से शुरू कर यदि सत्ताइस दिन तक लगातार नारियल, बादाम मंदिर में चढ़ाते हैं तो यकीन मानिए सब सुख प्राप्त होंगे। सब कार्य बनते चले जाएंगे। - यदि आर्थिक परेशानियां लगातार चल रही हों तो जन्माष्टमी के दिन सुबह स्नान आदि करने के बाद राधा-कृष्ण मंदिर जाकर दर्शन करें व पीले फूलों की माला अर्पण करें। - जीवन में समृद्धि प्राप्त करने के लिए जन्माष्टमी के दिन से पीले चंदन, केसर, गुलाबजल मिलाकर माथे पर टीका-बिंदी लगाएं। प्रत्येक गुरुवार को ऐसा ही करें। - निरंतर कर्ज म...

: शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए 10 ज्योतिष उपाय

: शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए 10 ज्योतिष उपाय शनिदेव ko prasan karne ke Upay: धार्मिक मान्यता के अनुसार शनिवार को कुछ विशेष उपाय करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों का कल्याण करते हैं । मान्यता के अनुसार, मनुष्य को उसके अच्छे-बुरे कामों का फल शनिदेव ही देते हैं, इसलिए अच्छे काम करने के साथ ही शनिदेव को प्रसन्न रखना भी आवश्यक है। जिस पर शनिदेव प्रसन्न हो जाएं, उसके सब कष्ट दूर हो जाते हैं। शनिदेव को प्रसन्न करने के उपाय इस प्रकार हैं, ये उपाय किसी भी शनिवार को कर सकते हैं- शनिदेव ko prasan karne ke Upay 1. शनिवार को इन 10 नामों से शनिदेव की पूजा करें- कोणस्थ पिंगलो बभ्रु: कृष्णो रौद्रोन्तको यम :. सौरि: शनैश्चरो मंद: पिप्पलादेन संस्तुत: .. अर्थात: 1. कोणस्थ, 2. पिंगल, 3. बभ्रु, 4. कृष्ण, 5. रौद्रान्तक, 6. यम, 7. सौरि, 8. शनैश्चर, 9. मंद व 10 पिप्पलाद। इन दस नामों से शनिदेव का स्मरण करने से सभी दोष दूर हो जाते हैं। 2. शनिवार को पीपल के वृक्ष की पूजा विधि-विधान से करें। भागवत के अनुसार पीपल, भगवान श्रीकृष्ण का ही रूप है। शनि दोषों से मुक्ति के लिए पीपल की पूजा ऐसे करें...

दुर्गा के कल्याणकारी सिद्ध मन्त्र

दुर्गा के कल्याणकारी सिद्ध मन्त्र १॰ बाधामुक्त होकर धन-पुत्रादि की प्राप्ति के लिये “सर्वाबाधाविनिर्मुक्तो धनधान्यसुतान्वित:। मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशय:॥” (अ॰१२,श्लो॰१३) अर्थ :- मनुष्य मेरे प्रसाद से सब बाधाओं से मुक्त तथा धन, धान्य एवं पुत्र से सम्पन्न होगा- इसमें तनिक भी संदेह नहीं है। २॰ बन्दी को जेल से छुड़ाने हेतु “राज्ञा क्रुद्धेन चाज्ञप्तो वध्यो बन्धगतोऽपि वा। आघूर्णितो वा वातेन स्थितः पोते महार्णवे।।” (अ॰१२, श्लो॰२७) ३॰ सब प्रकार के कल्याण के लिये “सर्वमङ्गलमङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके। शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते॥” (अ॰११, श्लो॰१०) अर्थ :- नारायणी! तुम सब प्रकार का मङ्गल प्रदान करनेवाली मङ्गलमयी हो। कल्याणदायिनी शिवा हो। सब पुरुषार्थो को सिद्ध करनेवाली, शरणागतवत्सला, तीन नेत्रोंवाली एवं गौरी हो। तुम्हें नमस्कार है। ४॰ दारिद्र्य-दु:खादिनाश के लिये “दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तो: स्वस्थै: स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि। दारिद्र्यदु:खभयहारिणि का त्वदन्या सर्वोपकारकरणाय सदाऽऽर्द्रचित्ता॥” (अ॰४,श्लो॰१७) अर्थ :- माँ दुर्गे! आप स्मरण करने पर सब ...

गायत्री उपासना और जप से लाभ

गायत्री उपासना और जप से लाभ ============================= गायत्री मंत्र के जप से उत्साह एवं सकारात्मकता, त्वचा में चमक आती है, तामसिकता से घृणा होती है, परमार्थ में रूचि जागती है, पूर्वाभास होने लगता है, आर्शीवाद देने की शक्ति बढ़ती है, नेत्रों में तेज आता है, स्वप्र सिद्धि प्राप्त होती है, क्रोध शांत होता है, ज्ञान की वृद्धि होती है। विद्यार्थीयों के लिए- -------------------------- गायत्री मंत्र का जप सभी के लिए उपयोगी है किंतु विद्यार्थियों के लिए तो यह मंत्र बहुत लाभदायक है। रोजाना इस मंत्र का एक सौ आठ बार जप करने से विद्यार्थी को सभी प्रकार की विद्या प्राप्त करने में आसानी होती है। विद्यार्थियों को पढऩे में मन नहीं लगना, याद किया हुआ भूल जाना, शीघ्रता से याद न होना आदि समस्याओं से निजात मिल जाती है। दरिद्रता के नाश के लिए- ------------------------------ यदि किसी व्यक्ति के व्यापार, नौकरी में हानि हो रही है या कार्य में सफलता नहीं मिलती, आमदनी कम है तथा व्यय अधिक है तो उन्हें गायत्री मंत्र का जप काफी फायदा पहुंचाता है। शुक्रवार को पीले वस्त्र पहनकर हाथी पर विराजमान गायत्री ...

समुद्र शास्त्र - बोलने का तरीका, खर्राटे और हंसी भी बताती है आपका स्वभाव

समुद्र शास्त्र - बोलने का तरीका, खर्राटे और हंसी भी बताती है आपका स्वभाव कायम किए Shashtra - बोल रहा है और हिन्दी में खर्राटों के अनुसार मानव प्रकृति: ज्योतिष शास्त्र की एक शाखा समुद्र शास्त्र के द्वारा मनुष्यों के हाव -भाव, उनके शरीर पर स्तिथ चिन्हों, उनके शरीर के लक्षणों के आधार पर उनके स्वभाव के बारे बताया जाता है । तक हम अब जातक के शरीर पर मौजूद तिल उसके स्वभाव के बीच क्या सम्बन्ध है , इस बारे में पढ़ चुके है। आज हम जातक के बोलने के तरीके और उसके खर्राटों से उसके स्वभाव के बारे में क्या पता चलता है, इस बारे में पढ़ेंगे। प्रत्येक मनुष्य के बोलने का तरीका एक-दूसरे से भिन्न होता है। समुद्र शास्त्र व शरीर लक्षण विज्ञान के अंतर्गत मनुष्यों के बोलने के तरीकों पर गहन शोध किया गया है, जिसके आधार पर इंसान के स्वभाव के बारे में काफी कुछ जाना जा सकता है। आज हम आपको बता रहे हैं कि किस प्रकार बोलने वाले इंसान का स्वभाव कैसा होता है- बोलने से जानिए स्वभाव 1- ऊंचे स्वर में बोलने वाले लोग दूसरे लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करना चाहते हैं या वे हठपूर्वक अपने अधूरे ज्ञान को दूसरों पर थोपना चा...

🍁 सर्व ग्रह पीड़ा निवारक टोटके 🍁

🍁 सर्व ग्रह पीड़ा निवारक टोटके 🍁 सूर्य👇 सूर्य को बली बनाने के लिए व्यक्ति को प्रातःकाल सूर्योदय के समय उठकर लाल पूष्प वाले पौधों एवं वृक्षों को जल से सींचना चाहिए। रात्रि में ताँबे के पात्र में जल भरकर सिरहाने रख दें तथा दूसरे दिन प्रातःकाल उसे पीना चाहिए। ताँबे का कड़ा दाहिने हाथ में धारण किया जा सकता है। लाल गाय को रविवार के दिन दोपहर के समय दोनों हाथों में गेहूँ भरकर खिलाने चाहिए। गेहूँ को जमीन पर नहीं डालना चाहिए। किसी भी महत्त्वपूर्ण कार्य पर जाते समय घर से मीठी वस्तु खाकर निकलना चाहिए। हाथ में मोली (कलावा) छः बार लपेटकर बाँधना चाहिए। लाल चन्दन को घिसकर स्नान के जल में डालना चाहिए। सूर्य के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे टोटकों हेतु रविवार का दिन, सूर्य के नक्षत्र (कृत्तिका, उत्तरा-फाल्गुनी तथा उत्तराषाढ़ा) तथा सूर्य की होरा में अधिक शुभ होते हैं। चन्द्रमा 👇 व्यक्ति को देर रात्रि तक नहीं जागना चाहिए। रात्रि के समय घूमने-फिरने तथा यात्रा से बचना चाहिए। रात्रि में ऐसे स्थान पर सोना चाहिए जहाँ पर चन्द्रमा की रोशनी आती हो। ३॰ ऐसे व्यक्ति के घर में दूषित जल का संग्...

सात प्रकार के चांडाल योग

।।जय श्रीराम ।। सात प्रकार के चांडाल योग ज्योतिष के अनुसार राहु-केतु छाया ग्रह हैं, लेकिन इनकी स्थिति और अन्य ग्रहों के साथ युति से व्यक्ति का जीवन पूरी तरह बदल सकता है। राहु-केतु चांडाल यानी अशुभ ग्रह माने गए हैं। ये दोनों जिस ग्रह के साथ युति करते हैं, उससे संबंधित चांडाल योग बनता है। 1. सूर्य - चांडाल योग सूर्य के साथ राहु या केतु हो तो इसे रवि चांडाल योग कहते हैं। इस युति को सूर्य ग्रहण योग भी कहा जाता है। इस योग में जन्म लेने वाला व्यक्ति गुस्सेवाला और जिद्दी होता है। पिता से साथ मतभेद रहते हैं और पिता से सुख भी प्राप्त नहीं हो पाता है। 2. चंद्र - चांडाल योग चन्द्र के साथ राहु या केतु हो तो इसे चंद्र चांडाल योग कहते हैं। इस युति को चन्द्र ग्रहण योग भी कहा जाता है। इस योग में जन्म लेने वाला व्यक्ति शारीरिक और मानसिक रूप से परेशान रहता है। माता संबंधी सुख भी प्राप्त नहीं हो पाते हैं। 3. मंगल - चांडाल योग मंगल के साथ राहु या केतु हो तो इसे भौम चांडाल योग कहते हैं। इस युति को अंगारक योग भी कहा जाता है। इस योग में जन्म लेने वाला व्यक्ति क्रोधी, जल्दी में काम करने वाला हो...

कुंडली अध्ययन में सहायक जन्म पत्री के बारह भावों के विभिन्न नाम एवं उनसे संबंधित विषयों का विवरण प्रस्तुत कर रहे हैं।

कुंडली अध्ययन में सहायक जन्म पत्री के बारह भावों के विभिन्न नाम एवं उनसे संबंधित विषयों का विवरण प्रस्तुत कर रहे हैं। 👇 🍁 👇 🍁 👇 🍁 👇 🍁 👇 🍁 👇 🍁 👇 🍁 👇 🍁 👇 🍁 प्रथम भाव : 👉 इसे लग्न कहते हैं। अन्य कुछ नाम ये भी हैं : हीरा, तनु, केन्द्र, कंटक, चतुष्टय, प्रथम। इस भाव से मुख्यत: जातक का शरीर, मुख, मस्तक, केश, आयु, योग्यता, तेज, आरोग्य का विचार होता है। द्वितीय भाव : 👉 यह धन भाव कहलाता है। अन्य नाम हैं, पणफर, द्वितीय। इससे कुटुंब-परिवार, दायीं आंख, वाणी, विद्या, बहुमुल्य सामग्री का संग्रह, सोना-चांदी, चल-सम्पत्ति, नम्रता, भोजन, वाकपटुता आदि पर विचार किया जाता है। तृतीय भाव : 👉 यह पराक्रम भाव के नाम से जाना जाता है। इसे भातृ भाव भी कहते हैं। अन्य नाम हैं आपोक्लिम, अपचय, तृतीय। इस भाव से भाई-बहन, दायां कान, लघु यात्राएं, साहस, सामर्थ्य अर्थात् पराक्रम, नौकर-चाकर, भाई बहनों से संबंध, पडौसी, लेखन-प्रकाशन आदि पर विचार करते है। चतुर्थ भाव : 👉 यह सुख भाव कहलाता है। अन्य नाम हैं- केन्द्र, कंटक, चतुष्टय। इस भाव से माता, जन्म समय की परिस्थिति, दत्तक पुत्र, हृदय, छाती, पति-पत्न...