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Showing posts from June, 2017

यदि किसी चलती हुई दुकान को कोई तांत्रिकबाँध दे

कभी-कभी देखने में आता है कि खूब चलती हुईदूकान भी एकदम से ठप्प हो जाती है ।जहाँ पर ग्राहकों की भीड़ उमड़ती थी, वहाँ सन्नाटापसरने लगता है । यदि किसी चलती हुई दुकान को कोई तांत्रिकबाँध दे, तोऐसी स्थिति उत्पन्न होती है, अतः इससे बचने के लिए निम्नलिखितप्रयोग करने चाहिए - १॰ दुकान में लोबान की धूप लगानी चाहिए। २॰ शनिवार के दिन दुकान के मुख्य द्वार पर बेदाग नींबू एवं सात हरी मिर्चें लटकानी चाहिए । ३॰ नागदमन के पौधे की जड़ लाकर इसे दुकान केबाहर लगा देना चाहिए । इससे बँधी हुई दुकान खुल जाती है । ४॰ दुकान के गल्ले में शुभ-मुहूर्त में एकाक्षी नारियल वस्त्र में लपेटकर रखना चाहिए और नित्य पूजन करना चाहिए। ५॰ प्रतिदिन संध्या के समय दुकान में मातालक्ष्मी के सामने शुद्ध घी का दीपक प्रज्वलित कर श्री सूक्त का पाठ करना चाहिए । ६॰ दुकान अथवा व्यावसायिक प्रतिष्ठान की दीवारपर शूकर-दंत इस प्रकार लगाना चाहिए कि वह दिखाई देता रहे । ७॰ व्यापारिक प्रतिष्ठान तथा दुकान को नजर सेबचाने के लिए काले- घोड़े की नाल को मुख्य द्वार की चौखट के ऊपर ठोकना चाहिए । ८॰ दुकान में मोरपंख की झाडू लेकर निम्नलिखितमंत्र के द...

तंत्रोक्त सामग्री से व्यापर वृद्धि के कुछ सरल प्रयोग (नवरात्री विशेष)

तंत्रोक्त सामग्री से व्यापर वृद्धि के कुछ सरल प्रयोग (नवरात्री विशेष) A - गोमती चक्र 1. अगर किसी का व्यापार न चल रहा हो या व्यापार को कोई नजर लग गई हो या व्यापार में कोई परेशानी बार बार आ रही हो तो अपने व्यापार कि चोखट पर ११  गोमती चक्र एवं ३ लघु नारियल सिद्ध करके शुभ महुर्त में किसी लाल कपड़े में बांध कर टांग दें व् उस पर लाल कामिया सिंदूर का तिलक कर दें ध्यान रखे ग्राहक उस के निचे से निकले बस कुछ ही दिनों में आप का व्यापार तरकी पर होगा 2. व्यवसाय स्थान पर पीतल के लोटे में जल रखा जाये और साथ गोमती चक्र उसके अन्दर डालकर खुला रखा जाये तथा जिस स्थान पर व्यापारी की बैठक है उसके दक्षिण-पश्चिम दिशा में इसे ऊपर की तरफ़ स्थापित करने के बाद रखा जाये सुबह को उस लोटे से सभी गोमती चक्र को निकाल कर उस पानी को व्यसाय स्थान के बाहर छिडक दिया जाये और नया पानी भरकर फ़िर से गोमती चक्र डालकर रख दिया जाये तो व्यवसाय में बारह दिन के अन्दर ही फ़र्क मिलना शुरु हो जाता है। 3. व्यापर स्थान पर ग्यारह सिद्ध गोमती चक्र और एक ९ मुखी रुद्राक्ष  लाल कपड़े में बांध कर धन रखने वाले स्थान पर रख दे तो व्यापर म...

स्वास्थ्य के लिये टोटके

1॰ सदा स्वस्थ बने रहने के लिये रात्रि को पानी किसी लोटे या गिलास में सुबह उठ कर पीने के लियेरख दें। उसे पी कर बर्तन को उल्टा रख दें तथा दिन में भी पानी पीने के बाद बर्तन (गिलास आदि) को उल्टा रखने से यकृतयकृत सम्बन्धीसम्बन्धी परेशानियां नहीं होती तथा व्यक्ति सदैव स्वस्थ बना रहता है। 2॰ हृदय विकार, रक्तचाप के लिए एकमुखी या सोलहमुखी रूद्राक्ष श्रेष्ठ होता है। इनके न मिलने पर ग्यारहमुखी, सातमुखी अथवा पांचमुखी रूद्राक्ष का उपयोग कर सकते हैं। इच्छित रूद्राक्ष को लेकर श्रावण माह में किसी प्रदोष व्रत के दिन, अथवा सोमवार के दिन, गंगाजल से स्नान करा कर शिवजी पर चढाएं, फिर सम्भव हो तो रूद्राभिषेक करें या शिवजी पर “ॐ नम: शिवाय´´ बोलते हुए दूध से अभिषेक कराएं। इस प्रकार अभिमंत्रित रूद्राक्ष को काले डोरे में डाल कर गले में पहनें। 3॰ जिन लोगों को 1-2 बार दिल का दौरा पहले भी पड़ चुका हो वे उपरोक्त प्रयोग संख्या 2 करेंतथा निम्न प्रयोग भी करें:-एक पाचंमुखी रूद्राक्ष, एक लाल रंग का हकीक, 7 साबुत (डंठल सहित) लाल मिर्च को, आधा गज लाल कपड़े में रख कर व्यक्ति के ऊपर से 21 बार उसार कर इसे किसी नदी या बहते ...

ज्योतिष और कुत्ते का रहस्य

🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 कुत्ते को भगवान भैरव का सेवक माना जाता है. कुत्ते को भोजन देने से वे प्रसन्न होते हैं और हर तरह के आकस्मिक संकटों से वे भक्त की रक्षा करते हैं. मान्यता है कि कुत्ते को प्रसन्न रखने से वह आपके आसपास यमदूत को भी नहीं फटकने देता है. कुत्ते को देखकर हर तरह की आत्माएं दूर भागने लगती हैं. दरअसल, कुत्ता एक ऐसा प्राणी है, जो भविष्य में होने वाली घटनाओं और ईथर माध्यम (सूक्ष्म जगत) की आत्माओं को देखने की क्षमता रखता है. कुत्ता कई किलोमीटर तक की गंध सूंघ सकता है. इसलिए कुत्ते को एक रहस्यमय प्राणी माना गया है, लेकिन इसको भोजन कराने से हर तरह के संकटों से बचा जा सकता है. कुत्ते से जुड़े शकुन - 🌹🌹🌹🌹🌹🌹 कुत्ते के भौंकने और रोने को अपशकुन माना जाता है. कुत्ते के भौंकने के कई कारण होते हैं उसी तरह उसके रोने के भी कई कारण होते हैं, लेकिन अधिकतर लोग भौंकने या रोने का कारण नकारात्मक ही लेते हैं. - शकुन शास्त्र के अनुसार कुत्ते का घर के चारों ओर उछल कूद करना अपशकुन या अद्‍भुत घटना कहा गया है. - सूत्र-ग्रंथों में भी कुत्ते को अपवित्र माना गया है. इसके स्पर्श व दृष्टि से भोजन अपव...

भगवान राम और भगवान शिव में प्रलयंकारीयुद्ध का क्या हुआ परिणाम ?

रामयण के उत्तरार्ध में एक वक़्त ऐसा भी आता है जब विष्णु अवतार राम और स्वयं महादेव के बीच न चाहते हुए भी भयंकर युद्ध होता है। आखिर क्यों होता है यह युद्ध? और क्या निकलता है इसका परिणाम? जानने के लिए पढ़ते है यह पौराणिक कथा - बात उन दिनों कि है जब श्रीराम का अश्वमेघ यज्ञ चल रहा था। श्रीराम के अनुज शत्रुघ्न के नेतृत्व में असंख्य वीरों की सेना सारे प्रदेश को विजित करती जा रही थी जहाँ भी यज्ञ का अश्व जा रहा था। इस क्रम में कई राजाओं के द्वारा यज्ञ का घोड़ा पकड़ा गया लेकिन अयोध्या की सेना के आगे उन्हें झुकना पड़ा. शत्रुघ्न के आलावा सेना में हनुमान, सुग्रीव और भारत पुत्र पुष्कल सहित कई महारथी उपस्थित थे जिन्हें जीतना देवताओं के लिए भी संभव नहीं था। कई जगह भ्रमण करने के बाद यज्ञ का घोडा देवपुर पहुंचा जहाँ राजा वीरमणि का राज्य था। राजा वीरमणि अति धर्मनिष्ठ तथा श्रीराम एवं महादेव के अनन्य भक्त थे। उनके दो पुत्र रुक्मांगद और शुभंगद वीरों में श्रेष्ठ थे। राजा वीरमणि के भाई वीरसिंह भी एक महारथी थे। राजा वीरमणि ने भगवान रूद्र की तपस्या कर उन्हें प्रसन्न किया था और महादेव ने उन्हें उनकी और उनके पूरे ...

कभी सोचा है, घर बनवाते समय नाग की पूजा के पीछे क्या कारण है?

कभी सोचा है, घर बनवाते समय नाग की पूजा के पीछे क्या कारण है? अपने देखा होगा कि जब कोई व्यक्ति खाली जमीन पर घर बनवानेका काम शुरु करता है। तो नींव डलवाने से पहले भूमि की पूजा करता है। भूमि पूजन में चांदी के नाग और कलश की पूजा होती है। इसके पीछे ऐसी मान्यता है जिसे जानेंगे तो आप भी कहेंगे यूं ही नहीं करते सांपों की पूजा। वास्तु विज्ञान और शास्त्रों का मत है कि भूमि के नीचे पाताल लोक है जिसके स्वामी भगवान विष्णु के सेवक शेषनाग भगवान हैं। इन्होंने ही अपने फन पर पृथ्वी को उठाकर रखा हुआ है। भूमि पूजन के समय नींव में चांदी के सांप की पूजा का उद्देश्य शेषनाग की कृपा पाना होता है। नींव में सांप को रखकर यह माना जाता है कि जिस प्रकार शेष नाग ने पृथ्वी को संभालकर रखा है उसी प्रकार शेष नाग उनके भवन को भी संभलकर रखें। भवन सुरक्षित और दीर्घायु होगा। भूमि पूजन में कलश रखने के पीछे भी यही आस्था और विश्वास काम करता है कि इससे शेषनाग भगवान की कृपा प्राप्त होगी। शास्त्रों के अनुसार शेषनाग क्षीर सागर में रहते हैं इसलिए कलश में दूध, दही, घी डालकर शेषनाग का आह्वान मंत्रों द्वारा कलश में किया जाता है ताकि शेष...

वास्तु के महत्वपूर्ण सिद्धांत

#   भवन के मुख्य द्वार पर मूर्ती या चित्र लगाना शुभ माना जाता हे इसलिए मुख्य  द्वार के ऊपर गणेश जी की मूर्ति या चित्र लगवाना चाहिए। #  घर का मुख्य द्वार इस प्रकार बनवाए,जिससे उस पर किसी की छाया न पड़े. #   घर का मुख्य द्वार किसी अन्य मकान  के मुख्यद्वार के ठीक सामने नहीं होना चाहिए। #   घर के बाहर तुलसी का पौधा उगायें। #   रसोईघर, शौचालय तथा पूजास्थल एक दूसरे के पास- पास न बनाये। #   रसोईघर मुख्यद्वार के ठीक सामने नहीं होना चाहिए,उससे हटकर होना  चाहिए। #   घर का उत्तर पूर्वी कोना घर के मुख के समान होता हे, अतः उसे सदेव  साफ सुथरा रखना चाहिए। #   बिजली के गर्मी पैदा करने वाले उपकरण कमरे के दक्षिण-पूर्व कोने  में रखें। #   घर में टूटे हुए दर्पण नहीं होना चाहिए,ये बहुत अशुभ होते हें. #   दर्पण,सिंक,वाश - बेसिन और नलकों को यथा संभव उत्तर - पूर्वी  दीवार के सहारे रखें। #   सेफ या अलमारी का दरवाजा,उत्तर अथवा पूर्व की खुले,इसके लिए  सेफ या अलमारी को दक्षिण या पश्चिम की दीवार की तरफ रखें। # ...

-------------साधारण उपाय:-------

चमत्कारी फिटकरी के उपाय:-------- (वराह पुराणः 186.43) 50 ग्राम फिटकरी का टुकड़ा घर के प्रत्येक कमरे में तथा कार्यालय के किसी कोने में अवश्य रखना चाहिए। इससे वास्तुदोषों से रक्षा होती है। व्यवसाय के लिए:--- किसी दुकान या प्रतिष्ठान के मुख्य द्वार पर काले कपड़े में फिटकरी बाँधकर लटकाने से बरकत आती है। नजर दाेष व नकारात्मकता दूर हाेती है। ङर चमक बूरे सपने दूर करे:---- आप साेने वाले बिस्तर के नीचे काले कपङे मे फिटकरी बाध कर रखे। इससे बुरे स्वप्न निंद मे चमकना अज्ञात भय दूर हाेता है। ***************************************** पानी द्वारा कष्ट निवारण:------ परिवार के सदस्यों में झगड़े होते हों तो परिवार का मुख्य व्यक्ति रात्रि को अपने पलंग के नीचे एक लोटा पानी रख दे और सुबह गुरुमंत्र अथवा भगवन्नाम का उच्चारण करके वह जल पीपल को चढ़ायें। इससे पारिवारिक कलह दूर होंगे, घर में शांति होगी। पाेछा लगाकर दूर करे नकारात्मकता:---- घर में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाने के लिए रोज पोंछा लगाते समय पानी में थोड़ा नमक व गाैमूत्र मिलाकर पाेछा लगायें। इससे नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव घटता है। **************...

ग्रह शांति के अचूक 50 सूत्र

ग्रह शांति के अचूक 50 सूत्र ॐ नमः जय स्वाहा – दिन में कम से कम एक बार बोलने से सभी कार्य बनते है. प्रत्येक को अपने घर में कल्पवृक्ष,कामधेनु व चिंतामणि रत्ना का चित्र रखना चाहिए व्रतियों, महाव्रतियों को आहार करना चाहिए साकार परमात्मा की उपासना करना चाहिए प्रतिदिन दान करना चाहिए अतिथि सेवा दिन में ब्रहमचर्य का पालन अवस्त्र स्नान नहीं करना माता – पिता का आदर करना कुटुम्बी जनों से बैर न करना अपनों से बड़ों का आशीर्वाद लेना व्यसनों का त्याग करना प्रसन्नचित होकर भोजन करना सूर्य की ओर मल का त्याग न करना ऋण चुकाया जाना चाहिए झूठे बर्तन रात्रि में नहीं छोड़ना चाहिए टूटे बर्तन, टूटा दर्पण घर में नहीं रखना चाहिए पिता को दुखी करके धन नहीं लेना सभी के सुखी जीवन की कामना करना कृतघ्नी व्यक्ति की कभी दोस्ती न करना जानवरों को भिजन देना असहाय की सेवा करना विकलांगों पर दया करना अपने माकन में कहीं कच्ची जगह छोड़ देना चाहिए नैऋत्य कोण में घर के दरवाजे वाले घर का त्याग कर देना चाहिए घर में कोई छेद न हो लोभ में आकर चोरी का पात्र धारण न करें बुआ, बहन, बेटी आदि के लिए उपहार देना चा...

नौकरी मिलने में बाधा के योग

सूर्य और कॅरियर: दसवां भाव सूर्य का माना गया है। दसवें घर से व्यक्ति प्रोफेशन, कॅरियर, कार्यस्थल, कार्य सफलता,और प्रगति देखी जाती है। दसवें भाव में कोई अनिष्टकारी घर बैठा हो, सूर्य नीच एवं किसी ग्रह से पीड़ित हो, सूर्य को ग्रहण लगा हो तो कॅरियर में समस्याएं आती हैं। नौकरी मिलने में बाधा आ रही हो , सफलता न मिल पा रही हो और पदोन्नति में समस्याएं आ रही हो उन्हें सूर्य साधना से अत्यधिक लाभ प्राप्त होता है। सूर्य के उपाय आदित्य ह्रदय स्तोत्र का पाठ करे 3 बार सूर्य के सामने ॐ घृणी सूर्याय नमः का कम से कम 108 बार जप कर ले गायत्री का जप कर ले घर की पूर्व दिशा से रौशनी आयेगी तो अच्छा रहेगा। घर में तुलसी का पौधा जरूर लगा दे पिता की सेवा शराब और मांसाहार न खिलाये शिवजी ,पीपल के उपाय। कॅरियर में सफलता के लिए आदित्य हृदय स्त्रोत का प्रतिदिन पाठ करें। लाल वस्त्र, लाल चन्दन, तांबे का बर्तन, केसर, गुड़, गेहूं का दान रविवार को करना शुभ फल प्रदान करता है। रविवार काव्रत रखें, इस दिन नमक का प्रयोग न करें। घर से बहार निकलने से पहले थोड़ा सा गुड़ खाएं। माता पिता के पांव छुकर आशीर्वाद लें।

आदत बदलने से ग्रह भी अच्छा फल दे सकते......

1-मंदिर को साफ़ करते है तो बृहस्पति बहुत अच्छे फल देगा २-अपनी झूठी थाली या बर्तन उसी जगह पर छोड़ना -सफलता मे कमी.. 3-झूठे बर्तन को उठाकर जगह पर रखते है या साफ़ कर लेते है तो चन्द्रमा , शनि ग्रह ठीक होते है । 4-देर रात जागने से चन्द्रमा अच्छे फल नहीं देता है। 5-कोई भी बाहर से आये उसे स्वच्छ पानी जरुर पिलाए। राहू ग्रह ठीक होता है । राहू का बुरा प्रभाव नहीं पड़ता । 6-रसोई को गन्दा रखते हैं तो आपको मंगल ग्रह से दिक्क्तें आएँगी। रसोई हमेशा साफ़ सुथरी रखेंगै तो मंगल ग्रह ठीक होता । 7-घर में सुबह उठकर पौधों को पानी दिया जाता है तो हम बुध,सूर्य,शुक्र और चन्द्रमा मजबूत करते हैं ।। 8-जो लोग पैर घसीट कर चलते है उन का राहु खराब होता है। 9-बाथरूम में कपडे इधर उधर फेंकते है , बाथरूम में पानी बिखराकर आ जाते है तो चन्द्रमा अच्छे फल नहीं देता है। 1०-बाहर से आकर अपने चप्पल , जूते , मोज़े इधर उधर फेंक देते है ,उन्हें शत्रु परेशान करते है 11-राहू और शनि ठीक फल नही देते है जब बिस्तर हमेशा फैला हुआ होगा , सलवटे होंगी ,चादर कही , तकिया कही है।। 12-चीख कर बोलेंने से शनि खराब खराब होता है 13-बुजूर...

ज्ञान

1 यदि आप व्यवसायी हैं, पुराने उद्योग के चलते नया उद्योग आरम्भ कर रहे हों तो अपने पुराने कारखाने से कोई भी लोहे की वास्तु ला कर अपने नए उद्योग स्थल में रख दें। जिस स्थान पर इस को रखेंगे वहां पर स्वस्तिक बनाएं और वहां पर थोड़े से काले उडद रखें उसके ऊपर उस वस्तु को रख दें। ऐसा करने से नवीन उद्योग भी पुराने उद्योग की तरह सफलता पूर्वक चल पड़ता है। 2 यदि आप के कर्मचारी अक्सर छोड़कर जाते हैं तो इसको रोकने के लिये आपको यदि रास्ते में पडी हुए कोई कील मिले, यदि वह दिन शनिवार हो तो अति उत्तम है। इसे भैंस के मूत्र से धो लें। जिस जगह के कर्मचारी ज्यादा छोड़ कर जाते हैं। वहां पर इस कील को गाद दें इस के फलस्वरूप कर्मचारी स्थिर हो जायेंगे। इस बात का भी ध्यान रखें कि आपके कर्मचारी इस प्रकार अपना काम करें कि काम करते समय उनका मुख पूर्व या उत्तर की ओर रहे। 3 यदि धन की कमी हो या किसी का धन कहीं अटक गया हो तो शुक्ल पक्ष के गुरूवार से अपने माथे पर केसर एवं चन्दन का तिलक लगाना आरम्भ कर दें। प्रत्येक गुरूवार को रामदरबार के सामने दण्डवत प्रणाम कर मनोकामना करें, कार्य सफल हो जाएगा। 4 यदि धन टिकता नहीं है तो...

सूर्य तप्त जल और उसके रंगों से चिकत्सा(क्रोमोथैरेपी )-

सूर्य तप्त जल और उसके रंगों से चिकत्सा(क्रोमोथैरेपी )- क्रोमोथैरेपी रोम की एक प्रचीन चिकित्सा पद्धति है। क्रोमो का अर्थ होता है रंग और पैथी का अर्थ है- चिकित्सा पद्धति यानि रंगों पर आधारित चिकित्सा जिसमें बीमारियों का पता लगाकर उससे सम्बन्धित रंगों का प्रकाश दिया जाता है। उर्जा के प्रमुख संचालक सूर्य के प्रकाश में सात प्रकार के रंग मौजूद होते है। 1-लाल, 2- पीला, 3-हरा, 4-नीला, 5- आसमानी, 6-बैंगनी, 7- नारंगी इस पद्धति में सूर्य के प्रकाश में सात प्रकार के रंगों को शरीर के विभिन्न अवयव ग्रहण करते हैं। जिससे शरीर में रंगों का संतुलन बना रहता है, और यह संतुलन बिगड़ते ही शरीर रोगों की चपेट में आ जाता है। इस प्रचीन चिकित्सा पद्धति में बीमारियों के लक्षणों का पता लगाकर उससे सम्बन्धित रंगों का प्रकाश देकर शरीर के विकारों को दूर किया जाता है। इसमें बीमारी के अनुसार उससे सम्बन्धित रंग का जल सेवन करना पड़ता है। एक साफ कांच की बोतल में पानी भरकर उसके चारों ओर विशेष रंग का कागज लपेट दिया जाता है, तत्पश्चात आठ-आठ घन्टे इस बोतल को धूप में रखकर रोगी को 7 दिनों तक एक-एक कप सुबह व शाम जल पिलाया जाता...

जन्म नक्षत्र का सीधा प्रभाव दान्तों

जन्म नक्षत्र का सीधा प्रभाव दान्तों पर पड़ता है जो हमारे व्यक्तित्व को बहुत प्रभावित करते हैं जिनके ऊपर के दांत थोड़े बड़े होते हैं वो जातक भागयशाली होते हैं ऊपर वाले दांतों के साथ नीचे वाले दांत भी बड़े हो तो जातक ज्ञानी तो होगा लेकिन उसका जीवन संघर्षमय रहेगा छोटे-छोटे दांत एक सीढ़ी कतार में हों तो जातक चंचल स्वाभाव का होगा १ ऐसे जातक का बुद्ध मजबूत होने से जातक तीक्ष्ण बुद्धि का होगा ऊपर के दांत असामान्य रूप से बड़े हों तो ऐसे जातक का मंगल बहुत मजबूत होता है और जातक उच्च पद पर पहुँचता है दांत बड़े हों और उनमें गैप हो तो जातक मूल नक्षत्र से प्रभावित होता है ऐसा जातक 42 वर्ष कि उम्र तक संघर्ष करता है जातक गुस्से वाला भी होता है अगर किसी की नीचे की दाढ़ जल्दी गिर जाए और शरीर भारी हो तो जातक का भाग्योदय 36 वर्ष की उम्र में होता है दांत पर दांत चढ़ जाये तो शुक्र मजबूत होता है १ जातक को यश, वैभव, मान-सम्मान मिलता है चेहरे और वाणी में सौम्यता रहती है १ कोई दांत छोटा और कोई दांत बड़ा यानि बेतरतीब दांत हों तो जातक नैतिक होता है ऊपर के बीच के दो दांत बड़े हों तो जातक का जीवन बहुत ...

ग्रहों की नाराजगी दूर करें -

ग्रहों की नाराजगी दूर करें - 1-सूर्य-(The Sun) भूल कर भी झूठ न बोलें,सूर्य का गुस्सा कम हो जाएगा .झूठ क्या है ?झूठ वो है जो अस्तित्व में नहीं है और यदि हम झूठ बोलेंगे तो सूर्य को उसका अस्तित्व(Existence) पैदा करना पडेगा (आश्चर्य की कोई बात नहीं है -ये नौ ग्रह हमारे जीवन के लिए ही अस्तित्व (existence)में आये हैं )सूर्य का काम बढ़ जाएगा और मुश्किल भी हो जाएगा . 2-चंद्रमा (The Moon)-- जितना ज्यादा हो सके सफाई पसंद हो जाईये ,और साफ़ रहिये भी - चंद्रमा का गुस्सा कम हो जाएगा . चंद्रमा को सबसे ज्यादा डर राहू से लगता है .राहू अदृश्य ग्रह है ,राहू क्रूर है .हमारी रोजमर्रा की ज़िंदगी में राहू गंदगी है .हम हमारे घर को, आसपास के वातावरण को कितना भी साफ़ करें -उसमें ढूँढने जायेंगे तो गंदगी मिल ही जायेगी ,या हम हमारे घर और आस पास के वातावरण को कितना भी साफ़ रखें वो गंदा हो ही जाएगा और हम सब जानते हैं कि गंदगी कितनी खतरनाक हो सकती है और होती है -- ज़िंदगी के लिए ,न जाने कितने बेक्टीरिया ,वायरस ,जो अदृश्य होते हुए भी हमारी ज़िंदगी को भयभीत कर देते हैं ,बीमार करके ,ज़िंदगी को खत्म तक कर देते हैं ,चंद्रमा (ज...

कर्पूर अति सुगंधित पदार्थ होता है।

कर्पूर अति सुगंधित पदार्थ होता है। इसके दहन से वातावरण सुगंधित हो जाता है। आरती में प्रयोग होने वाले कपूर को कई तरीके से प्रयोग में लाया जाता हैं । कर्पूर का ज्योतिष, पूजन विधान, मंत्र – तंत्र तथा औषधी के रूप में काफी प्रयोग बताये गये हैं । इसके अतिरिक्त वैज्ञानिको ने भी कर्पूर के कई लाभ बताये हैं । ज्योतिष शास्त्र में कर्पूर के फायदे :- 1 – दरिद्र्ता नाश एवम स्थिर लक्ष्मी के लिये – जिनके घर में धन की समस्या बनी रहती हैं । वे कर्पूर के द्वारा नित्य सुबह शाम भगवान आरती करें । 2 – नजर दोष व वास्तु दोष नाशक- आरती होने के पश्चात घर के प्रत्येक कमरे के कोने में आरती दर्शन करायें । 3 – देवदोष व भूत प्रेत दोष नाशक – अखंड घी का दीपक जलाये तथा कर्पूर से भगवान आरती करें । 4 – भाग्य हीनता नाशक – कर्पूर को घी में डुबाये उसके बाद आरती करें । 5 – कलह कलेश नाशक – कर्पूर के साथ दो लांग जलायें 6 – रोग व कर्ज नाशक – अशोक के वृक्ष के नीचे कर्पूर बाती जलायें औषधि के रूप में उपयोग :- 1- बालो के झडने व गंजे पन के लिये कपूर का प्रयोग आति लाभकारी होता हैं । 2- कर्पूर का तेल त्वचा में रक्त संचार को ...

नित्य पूजा पाठ के नियम

नित्य पूजा पाठ के नियम कई बार लोग प्रश्न करते हैं कि घर में नियमित पूजा-पाठ किस तरह की जाये और किस भगवान की पूजा की जाये १ शुद्ध आसन पर बैठकर प्रातः और संध्या को पूजा अर्चना करने को नित्य नियम कहते हैं १ पाठ का क्रम इस तरह से होना चाहिए :- 1. सर्वप्रथम गणेश जी की उपासना:- विघ्नों को दूर करने के लिए 2 . सूर्य भगवान की उपासना:- स्वास्थ्य के लिए 3 . माँ भगवती की उपासना :- शक्ति के लिए 4 . भगवान शंकर की उपासना:- भक्ति के लिए 5 . उसके बाद अपने कुल देवता, इष्ट देवता और पितृ देवताओं की उपासना करनी चाहिए कुछ अनुभूत नित्य नियम 1. नारायण कवच या हनुमान चालीसा एक सर्वविदित और लोकप्रिय उपाय है १ इसके नित्य कम से कम तीन बार पाठ करने से हर तरह की बाधाओं का निवारण हो जाता है और अटके हुए काम बन जाते हैं १ २. दरिद्रता के नाश के लिए माँ लक्ष्मी के श्रीसूक्त या लिंगाष्टक का पाठ करना चाहिए १ ३. रोग से मुक्ति पाने के लिए और ऋण से पाने के लिए गजेन्द्र मोक्ष और नवग्रह स्तुति नित्य नियम से करना चाहिए. ४. यदि कोई व्यक्ति प्राचीन मंदिर का जीर्णोद्धार कराता है तो उसे अनंत कोटि फल प्राप्त होते हैं ५. म...

शनि को सच बोलकर व रसोई मे बैठ कर भोजन करने से साधा जा सकता है।

"एक सच" ■■■■■■■■■■■■☆ शनि को मनाने का सबसे अच्छा उपाय है कि, हर मंगलवार और शनिवार को हनुमान चालीसा का पाठ करें। हनुमान जी के दर्शन और उनकी भक्ति करने से शनि के सभी दोष समाप्त हो जाते हैं। शनि किसी भी परिस्थिति में हनुमान जी के भक्तों को परेशान नहीं करते हैं। विशेष उपाय ¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤ 01 अपने माता पिता का आदर-सम्मान करें। 02 यथा संभव सच बोलने का प्रयास करें। 03 भिखारी, निर्बल-दुर्बल का मजाक/परिहास नहीं करें। 04. शनि के अशुभ प्रभाव को दूर करने के लिए तिल का तेल एक कटोरी में लेकर उसमें अपना मुंह देखकर शनि मंदिर में रख आएं। (जिस कटोरी में तेल हो उसे भी घर न लाएं)। कहते हैं तिल के तेल से शनि विशेष प्रसन्न रहते हैं। 05. साबुत काले उड़द लेकर काले कपड़े में बांध कर शुक्रवार को अपने पास रखकर सोएं। ध्यान रहे अपने पास किसी को भी न सुलाएं। फिर उसको शनिवार को शनि मंदिर में रख आएं। 06. काला सुरमा एक शीशी में लेकर अपने ऊपर से शनिवार को नौ बार सिर से पैर तक किसी से उतरवा कर सुनसान जमीन में दबा देवें। 07. इस शनिवार को नित्य कर्मों के निवृत्त होने के बाद स्वच्छ व श्वेत वस्त्र पहनें। पीपल...

चंद्रदोष दूर कर जीवन बनाएं सुखमय

जिस प्रकार सूर्य का प्रभाव आत्मा पर पूरा पड़ता है,ठीक उसी प्रकार चन्द्रमा का भी मनुष्य पर प्रभाव पड़ता है. नि:संदेह खगोलवेत्ता ज्योतिष काल से यह मानते आ रहे हैं कि ग्रह तथा उपग्रह मानव जीवन पर पल-पल पर प्रभाव डालते हैं. जगत की भौतिक परिस्थिति पर भी चंद्रमा का प्रभाव होता है. उदाहरण के रूप में समुद्र में छोटे-छोटे ज्वार-भाटे उत्पन्न होते हैं. यह सुप्रसिद्ध सिद्धांत है कि आकाश मार्ग में गमन करते हुए चंद्रमा की कमी और आवृति पृथ्वी को आकर्षित करती है व आकर्षण पृथ्वी पर अवस्थित समुद्रों में ज्वार-भाटा उत्पन्न होता है. इसके अतिरिक्त यह सभी जानते हैं कि चन्द्र जिस प्रकार समुद्र में ज्वार-भाटा पैदा करता है उसी तरह वातावरण में भी ज्वार-भाटा उत्पन्न करता है. उसी प्रकार मनुष्य के मन में भी चन्द्रमा की कलाएं जैसी घटती बढती है. चन्द्रमा जैसे-जैसे कृष्ण पक्ष में छोटा व शुक्ल पक्ष में पूर्ण होता है वैसे-वैसे मनुष्य के मन पर भी चन्द्र का प्रभाव पड़ता है. चन्द्रदोष कहीं आपको तो नहीं ? यदि आप हमेशा कश्मकश में रहते हैं, इधर-उधर की सोचते रहते हैं, निर्णय लेने में कमजोर हैं, भावुक एवं संवेदनशील हैं, ...

अशुभ ग्रहों के उपाय

कुंडली में अगर निम्न गृह अशुभ है तो निम्न बीमारी देंगे अपनी महादशा या अंतर दशा में:- सूर्य : मुँह में बार-बार थूक इकट्ठा होना, झाग निकलना, धड़कन का अनियंत्रित होना, शारीरिक कमजोरी और रक्त चाप। चंद्र : दिल और आँख की कमजोरी। मंगल : रक्त और पेट संबंधी बीमारी, नासूर, जिगर, पित्त आमाशय, भगंदर और फोड़े होना। बुध : चेचक, नाड़ियों की कमजोरी, जीभ और दाँत का रोग। बृहस्पति : पेट की गैस और फेफड़े की बीमारियाँ। शुक्र : त्वचा, दाद, खुजली का रोग। शनि : नेत्र रोग और खाँसी की बीमारी। राहु : बुखार, दिमागी की खराबियाँ, अचानक चोट, दुर्घटना आदि। केतु : रीढ़, जोड़ों का दर्द, शुगर, कान, स्वप्न दोष, हार्निया, गुप्तांग संबंधी रोग आदि। अशुभ ग्रहों का उपाय किस प्रकार से करे: 1. सूर्य : बहते पानी में गुड़ बहाएँ। सूर्य को जल दे, पिता की सेवा करे या गेहूँ और तांबे का बर्तन दान करें., 2. चंद्र : किसी मंदिर में कुछ दिन कच्चा दूध और चावल रखें या खीर-बर्फी का दान करें, या माता की सेवा करे, या दूध या पानी से भरा बर्तन रात को सिरहाने रखें. सुबह उस दुध या पानी से किसी कांटेदार पेड़ की जड़ में डाल...

दिशा

कंपास में दिशाओं को दर्शाने के लिये इन अंग्रेजी के इन शब्दों का उपयोग किया जाता है। N, NE, E, SE, S, SW, W, NW इनका अर्थ इस प्रकार है। N = North उत्तर उत्तरी ध्रुव की दिशा NE = North-East ईशान कोण पूर्व एवं उत्तर के मध्य की दिशा E = East पूर्व सूर्योदय की दिशा SE = South-East आग्नेय कोण दक्षिण एवं पूर्व के मध्य की दिशा S = South दक्षिण दक्षिणी की दिशा SW = South-West नैऋत्य कोण दक्षिण एवं पश्चिम के मध्य की दिशा W = West पश्चिम सूर्यास्त की दिशा NW = North-West वायव्य कोण उत्तर एवं पश्चिम के मध्य की दिशा

कुंडली के बारह भाव में मंगल का फल-

जय श्रीराम ।। 1.लग्न में मंगल हो तो जातक क्रूर, साहसी, चपल, महत्वाकांक्षी एवं व्रणजन्य कष्ट से युक्त एवं व्यवसाय में हानि होती है। 2. दूसरे भाव में मंगल हो तो कटुभाषी, धनहीन, पशुपालक, धर्मप्रेमी, नेत्र एवं कर्ण रोगी होता है। 3. तीसरे भाव में मंगल हो तो जातक प्रसिद्ध शूरवीर, धैर्यवान, साहसी, भ्रातृ कष्टकारक एवं कटुभाषी होता है। 4. चौथे भाव में मंगल हो तो वाहन सुखी, संततिवान, मातृ सुखहीन, प्रवासी, अग्नि भययुक्त एवं लाभयुक्त होता है। 5. पांचवें स्थान में मंगल हो तो जातक उग्रबुद्धि, कपटी, व्यसनी, उदर रोगी, चंचल, बुद्धिमान होता है। 6. छठे भाव में हो तो बलवान, धैर्यशाली, शत्रुहंता एवं अधिक व्यय करने वाला होता है। 7. सातवें भाव में मंगल हो तो स्त्री दुखी, वात रोगी, शीघ्र कोपी, कटुभाषी, धननाशक एवं ईर्ष्यालु होता है। 8. आठवें भाव में मंगल हो तो जातक व्याधिग्रस्त, व्यसनी, कठोरभाषी, उन्मत्त, नेत्र रोगी, संकोची एवं धन चिंतायुक्त होता है। 9. मंगल नौवें स्थान में हो तो द्वैषी, अभिमानी, क्रोधी, नेता, अधिकारी, ईर्ष्यालु एवं अल्प लाभ करने वाला होता है। 10. मंगल दसवें भाव में हो तो धनवान, कु...

सुखी जीवन के लिए सामन्य जानकारी.....

घर में स्टोर के पास पूजा कक्ष न रखे । .• मकान के जीस कोने में दोष हो, वहां शंख बजाना चाहीये । .• घर में दुध वाले वृक्ष से गृहस्वामी फेफडे एवं किडनी के रोग से ग्रस्त होते है । .• घर में बंघ पडी घडी भाग्यको अवरुद्ध करती है । .• पूजा स्थल में सुबह शाम दीपक जलाना सौभाग्य वर्धक है । .• पलंग नीचे सामान या चप्पल रखने से ऊर्जा का बहाव अधिक होता है । .• ओफिस में पीठ के पीछे पुस्तक की अलमारी न रखे । .• मुकदमे या विवाह से संबंघित फाईल तिजोरी या लोकर में न रखे । .• पूजा स्थल के उपर कोई भी वस्तु न रखे । .• मृतात्मा के चित्र पूजा कक्ष में रखने से घर में क्लेश एवं रोग होता है । .• घर में पूर्वज के चित्र नैऋत्य कोने या पश्चिम में रखे । .• नजर लगानेवाले व्यक्ति जाते ही तीन अगरबत्ती की धूप पुरे घर में फैला दे I .• प्रस्थान के वक्त जुत्ते-चप्पल का नाम लेना अशुभ है । .• तुटा हुआ दर्पण ( आयना ) घर में न रखे । .• बेड रुम में डबल बेड पर दो अलग-अलग गद्दे रखने से तनाव एवं दंपति में दरार पडती है । .• बीम के नीचे डाईनींग टेबल रखने से उधार रकम वापस नही आती । .• शयन कक्ष में जल तथा दर्पण अशुभ है ।...

प्रचलित उपायों में से एक उपाय है

देवी-देवताओं को जल अर्पित करना। यदि आपके घर के आसपास कोई मंदिर नहीं है या आप मंदिर जा नहीं पाते हैं, तो घर के मंदिर में इष्टदेवी-देवताओं की मूर्तियों पर हर रोज जल अर्पित करें। देवी-देवताओं पर जल चढ़ाने के साथ ही एक लोटा पानी अपनी राशि से संबंधित वृक्ष को अर्पित करें। ऐसा करेंगे तो कुंडली के दोषों का निवारण हो जाएगा। भाग्योदय में आ रही बाधाएं दूर हो सकती हैं और धन संबंधी परेशानियां समाप्त हो सकती हैं। ज्योतिष में सभी ग्रहों के लिए अलग-अलग वृक्ष बताए गए हैं। इन वृक्षों की विधि-विधान से पूजा करने पर कुंडली में स्थित सभी नौ ग्रहों के दोष दूर होते हैं। यदि आप विधिवत पूजा नहीं करवा पा रहे हैं तो प्रतिदिन केवल एक लोटा जल अपनी राशि से संबंधित वृक्ष में चढ़ाएं। ऐसा करने पर भी आपको सकारात्मक फल प्राप्त होंगे। जल चढ़ाने के लिए तांबे के लोटे का इस्तेमाल करना चाहिए। राशि अनुसार इन पेड़ों को करें एक लोटा जल अर्पित... मेष एवं वृश्चिक- खैर वृषभ एवं तुला- गूलर मिथुन एवं कन्या- अपामार्ग कर्क- पलाश सिंह- आंकड़े का पौधा धनु एवं मीन- पीपल मकर एवं कुंभ- शमी विशेष = इन्हीं पेड़ों की लकड़ियों से...

शनि की साढ़ेसाती

शनि की साढ़ेसाती को ‘वृहद कल्याणी’ और शनि की ढैया को ‘लघु कल्याणी’ कहा जाता है। यदि शनि की साढ़ेसाती अथवा ढैया चल रही हो और शनि की महादशा, अंतरदशा, प्रत्यन्तर दशा में प्रतिकूल फल प्राप्त हो रहे हों या दूसरे किसी कारण से शनि के प्रकोप से आक्रान्त हैं तो घबराइए नहीं, कुछ सुगम उपाय हैं जिनसे शनि के प्रकोप से मुक्ति पाई जा सकती है। 1- शनिवार सहित प्रतिदिन प्रात:काल हनुमानजी की उपासना करें। हनुमान चालीसा का पाठ करें। महीने में एक बार शनिवार को चमेली के तेल अथवा देशी घी में सिन्दूर मिलाकर मंदिर में हनुमानजी की मूर्ति पर चढ़ाएं। प्रतिदिन न हो सके तो शनिवार को चीटियों को अवश्य आटा खिलाएं। 2- प्रतिदिन या शनिवार को तिल का तेल शरीर पर मलकर स्नान करें। 3- प्रत्येक शनिवार को सायंकाल पीपल वृक्ष की जड़ में तेल का दीपक जलाएं और एक लोटा जल में काला तिल व चावल मिलाकर चढ़ाएं। इस दिन भगवान विष्णु की पंचोपचार अर्चना करके आपत्ति-विपत्तियों से रक्षा की प्रार्थना करें। 4-काले घोड़े की नाल अथवा गंगा नदी में चलने वाली नाव की कील से निर्मित मुद्रिका दाएं हाथ की मध्यमा उंगली में धारण करें। 5- सात शनिवार त...

कलयुग के देवता हनुमान जी कि पूजा

कलयुग के देवता हनुमान जी कि पूजा, उपासना, मंत्र और पाठ करने से अलग-अलग फल प्राप्त होते हैं और बताऐ कष्ट दूर होते हैं।जो की इस प्रकार हैं। जेल से उसे मुक्ति के लिए : हनुमान चालिसा का पाठ करना चाहिए। दोषी व्यक्ति 108 बार "हनुमान चालीसा" का पाठ करे तो जेल से उसे मुक्ति मिल जाती है। शत्रुओं से मुक्ति के लिए : 21 दिन तक विधि-विधान से "बजरंग बाण" का पाठ करने पर शत्रुओं से मुक्ति मिलती है। निरोगी काया के लिए : "हनुमान बाहुक" का पाठ करने विधान है। विधिः शुद्ध जल का बर्तन ले ,सामने रखकर 26 अथवा 21 दिनों तक (मुहूर्त के मुताबिक) प्रतिदिन करना चाहिए। शुद्ध जल को प्रतिदिन पाठ के बाद पीना चाहिए और रोजाना पात्र को शुद्ध जल से भरें। कंठ रोग, गठिया, वात, जोड़ों का दर्द आदि रोगों से मुक्ति मिल सकती है। आत्मविश्वास की कमी , विपरीत परिस्थितियां का होना , काम का नहीं बनना : ऎसे समय में "सुंदरकाण्ड" सबसे उतम उपाय है। सुंदरकांड अध्याय में हनुमान जी कि विजयगाथा है। इसका पाठ करने वाला व्यक्ति आत्मविश्वास से भर जाता है। भूत-प्रेत और अंधेरे से डर लगै तो : हनु...

झाड़ू-पोछा करने से घर साफ और स्वच्छ रहता है। साथ ही, इनसे जुड़ी कुछ बातों का ध्यान रखा जाए तो महालक्ष्मी की कृपा भी प्राप्त की जा सकती है।

झाड़ू-पोछा करने से घर साफ और स्वच्छ रहता है। साथ ही, इनसे जुड़ी कुछ बातों का ध्यान रखा जाए तो महालक्ष्मी की कृपा भी प्राप्त की जा सकती है। शास्त्रों के अनुसार झाड़ू को भी महालक्ष्मी का ही एक स्वरूप माना गया है। झाड़ू से दरिद्रता रूपी गंदगी को बाहर किया जाता है। जिन घरों के कोने-कोने में भी सफाई रहती है, वहां का वातावरण सकारात्मक रहता है। घर के कई वास्तु दोष भी दूर होते हैं। यहां जानिए झाड़ू और पोछा करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए... घर में पोछा लगाते समय करें ये उपाय जब भी घर में पोछा लगाते है, तब पानी में थोड़ा-सा नमक भी मिला लेना चाहिए। नमक मिले हुए पानी से पोछा लगाने पर फर्श के सूक्ष्म कीटाणु नष्ट होंगे। साथ ही, घर की नकारात्मक ऊर्जा भी खत्म हो जाएगी। घर का वातावरण पवित्र होगा और जिन घरों में पवित्रता रहती है, वहां लक्ष्मी का आगमन होता है। झाड़ू कहां और कैसे रखें झाड़ू से घर में प्रवेश करने वाली बुरी अथवा नकारात्मक ऊर्जा नष्ट होती है। अत: इसके संबंध ध्यान रखें कि... 1. खुले स्थान पर झाड़ू रखना अपशकुन माना जाता है, इसलिए इसे छिपा कर रखें। 2. भोजन कक्ष में झाड़ू न रखें, ...

बलि देना,बलि चढाना या बलिदान -:

बलिदान को प्रमुख उपचार माना गया है जो अपने इष्टदेव की पूजा-अर्चना के कुल सोलह उपचारमे से एक है। ऐसी मान्यता है कि पूजा की समाप्ति पर यदि आराधक या साधक ने पशु बलिदान नहीं दिया तो पूजा निष्फल सिद्ध होगी, मनचाहा फल नही मिलता । आइए अब तनिक गहरे में उतरें........ बलिदान का बडा व्यापक अर्थ है । वेदों में बलिदान के महत्त्व पर बल दिया गया है । किंतु कालांतर में न जाने कैसे बलिदान का अर्थ संकुचित हो गया । यह दिग्भ्रमित धारणा जड पकड गई कि पशुबलि के बिना आराधक की आराधना अधूरी है । ऐसा कैसे संभव हो सकता है कि जिन देवताओं को कल्याणकारी और करुणामय माना जाता है, वे जीव की हत्या से ही प्रसन्न हो सकेंगे । हाँ, वामाचार व तंत्र साधना आदि में पशुबलि का विधान जरूर है, किंतु वह भी केवल विशेष अवसरों पर । सात्विक पूजा में पशुबलि सर्वथा निषिद्ध है । महाकाल संहिता में स्पष्ट लिखा गया है कि जो आराधक सात्विक आराधना करता है, वह बलिदान के लिए भूल से भी पशुहत्या नहीं करता । वह ईख, कूष्मांड (सीताफल), नीबू व अन्य वन्यफलों की बलि देता है या खीरपिंड, आटे अथवा चावल से पशु बनाकर बलि देता है । सात्विक आराधना स्वार्थसिद्...

रोग मिटाने का प्रयॊग

जी हाँँ आज हम आपको बता रहे है रोग मिटाने का प्रयॊग ..............! किसी भी मंगलवार के दिन ताबे के लोटे में साफ़ जल भर ले और उसमे चिरमी (गुंजा)के ( ३ पीस ) डाल दे ,और फिर उस लोटे को सामने रख कर इस मंत्र - "ॐ णमो अरिहंताणं " का सिर्फ 21 बार जाप करे ! इसके बाद उस जल को रोगी को पिला दे तथा चिरमी को उसके सर से चारो और गुमाकर घर से बाहर दक्षिण दिशा की और फ़ेक दे , ऐसा करने पर रोगी को तुरन्त आराम अनुभव होता है ! मेरा यह अनुभव है की किसी को भूत -प्रॆत बाधा हो या उसे मिर्गी आ रही हो या रात को बडबडा रहा हो अथवा उसे कोई ऐसी बीमारी हो जो समझ मे नहीं आ रही हो तो उसे यह प्रयॊग करना चाहिए ! भाइयो यह मंत्र स्वं सिद्ध है सिद्ध करने की जरुरत नहीं है

भोजन को भगवान के भोग क्यों लगाते हैं?

नास्तिक लोग कहते हैं कि जब अन्न ब्रह्म है तो भोजन को भगवान के भोग क्यों लगाते हैं। शास्त्रकार कहते हैं- अन्न विष्टा, जलं मूत्रं, यद् विष्णोर निवेदितम्। -ब्रह्म वैवर्त पुराण, ब्रह्मखंड,27/6 विष्णुभगवान को भोग न लगा अन्न विष्टा के समान और जल मूत्र के तुल्य है। ईश्वर के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने के लिए कि उसकी कृपा से आप और हम जीवित हैं, और यह अन्न-जल हमें मिला है। अतः जैसा भी भोजन मिले इसको प्रेमपूर्वक भगवान का प्रसाद समझकर स्वीकार करना चाहिये। भारतीय संस्कृति में भोजन करना मात्र पेट भरने का कार्य नहीं। जब भी भूख लगे जैसा भी भोजन मिले, बिना नियम के खा लेना पशुओं का कार्य है। हमारे यहां भोजन करना भी ईश्वर उपासना के तुल्य पवित्र कार्य है। ईश्वर को जूठी वस्तु का, अपवित्र वस्तु का भोग नहीं लगता। भोजन क्या, हमारे यहां अन्न व जल की उपयेागिता भी परखी जाती है। कहा भी है: जैसा खाये अन्न, वैसा होवे मन जैसा पीओ पानी, वैसी होवे वाणी।

प्रात: स्मरणम

ब्रम्हा मुरारी स्त्रिपुरंतकारी भानू: शशि भूमिसुतो बुधश्च गुरुश्च शुक्र: शनि राहू केतव: कुर्वन्तु सर्व मम सुप्रभातम। (ब्रम्हा, मुरारी ( विष्णु ), त्रिपुरासुर नाशक शिव, सूर्य, चंद्र, भूमिसुत मंगल, बुध, ब्रहस्पति, शुक्र, शनि, राहू और केतु ये सब नवग्रह मेरे लिए सुप्रभात करे। ) कराग्रे वास्ते लक्ष्मी: कर मध्ये सरस्वती। कर मूले तू गोविन्द: प्रभाते कर दर्शनम।। ( करतल ( हथेली ) के अग्रभाग में लक्ष्मी का, मध्य भाग में सरस्वती का और मूल भाग में गोविन्द का निवास है। अत: प्रात:काल उठकर पुरषार्थ का प्रतीक करतल का दर्शन करना चाहिए। )

शनि के प्रिय मसालों और अन्य खाद्य पदार्थों में शामिल हैं-

चना, काली मिर्च,दही, लौंग, दालचीनी, मूंगफली, जामुन, काली उड़द, सरसों, राई, तिल, तेल, कुलथी, काले फूल, कस्तूरी, सूखे मेवे, एसेंस और अन्य विभिन्न प्रकार के सुंगंधित एवं जायकेदार मसाले। हम कह सकते हैं कि गरम मसाले में पड़ने वाले अधिकांश मसालों का प्रतिनिधित्व शनि करते हैं। साथ ही गरम मसाले का भी। इस प्रकार कहा जा सकता है कि हमारी रसोई में शनि देव की उपस्थिति सबसे महत्पूर्ण होती है।

पेड़ों की जड़ करें धारण

ग्रहों से शुभ फल प्राप्त करने के लिए संबंधित ग्रह का रत्न पहनना एक उपाय है। असली रत्न काफी मूल्यवान होते हैं जो कि आम लोगों की पहुंच से दूर होते हैं। इसी वजह से कई लोग रत्न पहनना तो चाहते हैं, लेकिन धन अभाव में इन्हें धारण नहीं कर पाते हैं। ज्योतिष के अनुसार रत्नों से प्राप्त होने वाला शुभ प्रभाव अलग-अलग ग्रहों से संबंधित पेड़ों की जड़ों को धारण करने से भी प्राप्त किया जा सकता है। सूर्य ग्रह के लिए यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य अशुभ प्रभाव दे रहा हो तो सूर्य के लिए माणिक रत्न बताया गया है। माणिक के विकल्प के रूप में बेलपत्र की जड़ लाल या गुलाबी धागे में रविवार को धारण करना चाहिए। इससे सूर्य से शुभ फल प्राप्त किए जा सकते हैं। चंद्र ग्रह के लिए चंद्र से शुभ फल प्राप्त करने के लिए सोमवार को सफेद वस्त्र में खिरनी की जड़ सफेद धागे के साथ धारण करें। मंगल ग्रह के लिए मंगल के लिए अनंतमूल की जड़ धारण करे मंगल के लिए अनंतमूल की जड़ धारण करे मंगल ग्रह को शुभ बनाने के लिए अनंत मूल या खेर की जड़ को लाल वस्त्र के साथ लाल धागे में डालकर मंगलवार को धारण करें। बुध ग्रह के लिए बुध के ...

राहु के उपाय

अपनी शक्ति के अनुसार संध्या को काले-नीले फूल, गोमेद, नारियल, मूली, सरसों, नीलम, कोयले, खोटे सिक्के, नीला वस्त्र किसी कोढ़ी को दान में देना चाहिए। राहु की शांति के लिए लोहे के हथियार, नीला वस्त्र, कम्बल, लोहे की चादर, तिल, सरसों तेल, विद्युत उपकरण, नारियल एवं मूली दान करना चाहिए. सफाई कर्मियों को लाल अनाज देने से भी राहु की शांति होती है. राहु से पीड़ित व्यक्ति को इस ग्रह से सम्बन्धित रत्न का दान करना चाहिए. राहु से पीड़ित व्यक्ति को शनिवार का व्रत करना चाहिए इससे राहु ग्रह का दुष्प्रभाव कम होता है. मीठी रोटी कौए को दें और ब्राह्मणों अथवा गरीबों को चावल और मांसहार करायें. राहु की दशा होने पर कुष्ट से पीड़ित व्यक्ति की सहायता करनी चाहिए. गरीब व्यक्ति की कन्या की शादी करनी चाहिए. राहु की दशा से आप पीड़ित हैं तो अपने सिरहाने जौ रखकर सोयें और सुबह उनका दान कर दें इससे राहु की दशा शांत होगी. ऐसे व्यक्ति को अष्टधातु का कड़ा दाहिने हाथ में धारण करना चाहिए।हाथी दाँत का लाकेट गले में धारण करना चाहिए।अपने पास सफेद चन्दन अवश्य रखना चाहिए। सफेद चन्दन की माला भी धारण की जा सकती है।जमादार को तम्बाक...

🌿🌸 अति महत्वपूर्ण बातें 🌸🌿

🌸1. घर में सेवा पूजा करने वाले जन भगवान के एक से अधिक स्वरूप की सेवा पूजा कर सकते हैं । 🌸2. घर में दो शिवलिंग की पूजा ना करें तथा पूजा स्थान पर तीन गणेश जी नहीं रखें। 🌸3. शालिग्राम जी की बटिया जितनी छोटी हो उतनी ज्यादा फलदायक है। 🌸4. कुशा पवित्री के अभाव में स्वर्ण की अंगूठी धारण करके भी देव कार्य सम्पन्न किया जा सकता है। 🌸5. मंगल कार्यो में कुमकुम का तिलक प्रशस्त माना जाता हैं। 🌸6.  पूजा में टूटे हुए अक्षत के टूकड़े नहीं चढ़ाना चाहिए। 🌸7. पानी, दूध, दही, घी आदि में अंगुली नही डालना चाहिए। इन्हें लोटा, चम्मच आदि से लेना चाहिए क्योंकि नख स्पर्श से वस्तु अपवित्र हो जाती है अतः यह वस्तुएँ देव पूजा के योग्य नहीं रहती हैं। 🌸8. तांबे के बरतन में दूध, दही या पंचामृत आदि नहीं डालना चाहिए क्योंकि वह मदिरा समान हो जाते हैं। 🌸9. आचमन तीन बार करने का विधान हैं। इससे त्रिदेव ब्रह्मा-विष्णु-महेश प्रसन्न होते हैं। 🌸10.  दाहिने कान का स्पर्श करने पर भी आचमन के तुल्य माना जाता है। 🌸11. कुशा के अग्रभाग से दवताओं पर जल नहीं छिड़के। 🌸12. देवताओं को अंगूठे से नहीं म...