ज्ञान २

काली मिर्च : काली मिर्च के सेवन से हमारा शुक्र और चंद्रमा अच्छा होता है , इसके सेवन से कफ की समस्या कम होती है और हमारी स्मरण शक्ति भी बढ़ती है , तांबे के किसी बर्तन में काली मिर्च डालकर dining table पर रखने से घर को नज़र नहीं लगती |
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यदि जन्मपत्रिका के किसी भी भाव में बुध-शुक्र की युति हो तो गादी पर न सोएं। यदि भाव पांच में गुरु बैठा हो तो धन का दान नहीं करना चाहिए।
एक बार भवन निर्माण शुरू हो जाए तो उसे बीच में ना रोकें, अन्यथा अधूरे मकान में राहु का वास हो जाएगा।
चतुर्थी (4) नवमी (9) और चतुर्दशी (14) को नया कार्य आरंभ न करें, क्योंकि यह रिक्ता तिथि होती हैं। इन तिथियों को कोई भी कार्य सिद्ध नहीं होता।
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पति-पत्नी में कलह शांत करने हेतु तंत्र:
एक कागज के टुकड़े पर लाल रंग की कलम (पैन) से शुक्रवार के दिन पति या पत्नी का नाम लिखकर उसे शहद से भरी शीशी में डालकर ढक्कन लगाकर घर में किसी पवित्र स्थान पर रखें। कुछ ही दिनों में कलहपूर्ण वातावरण दूर होकर दाम्पत्य जीवन सुखमय हो
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अनजाना भय : शनि, राहु या केतुजनित कोई समस्या हो, कोई ऊपरी बाधा हो, बनता काम बिगड़ रहा हो, कोई अनजाना भय आपको भयभीत कर रहा हो अथवा ऐसा लग रहा हो कि किसी ने आपके परिवार पर कुछ कर दिया है, तो इसके निवारण के लिए शनिवार के दिन एक जलदार जटावाला नारियल लेकर उसे काले कपड़े में लपेटें। 100 ग्राम काले तिल, 100 ग्राम उड़द की दाल तथा 1 कील के साथ उसे बहते जल में प्रवाहित करें। ऐसा करना बहुत ही लाभकारी होता है।
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केतु की पीडा से जातक का स्वास्थ खराब होता है,तो चन्द्रमा सहायक माना जाता है,कभी कभी केतु पुरुष सन्तान यानी पुत्रो को कष्ट देता है,ऐसा होने पर मन्दिर में कम्बल का दान करना चाहिये,केतु के बुरे प्रभाव से पांव के पंजो एं या पेशाब की नली में रोग पीडा आदि होने के कारण मिलने वाले कष्टो से बचने के लिये पावों के अंगूठो पर रेशमी धागा बांध लेना चाहिये।
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भोजन करने से पूर्व इस मंत्र का उच्चारण करें |
ओ३म् अन्नपते अन्नस्य नो देह्यनमीवस्य शुष्मिणः |
प्र प्र दातारं तारिष ऊर्जं नो धेहि द्विपदे चतुष्पदे ||
शब्दार्थ :- हे {अन्नपते } अन्न के पति भगवन् ! {नः} हमे {अनमीवस्य }कीट आदि रहित{शुष्मिणः} बलकारक {अन्नस्य } अन्न के भण्डार{ देहि } दीजिये {प्रदातारं }अन्न का खूब दान देने वाले को {प्रतारिष } दु:खो से पार लगाईये{ नः} हमारे {द्विपदे चतुष्पदे} दोपायो और चौपायो को { ऊर्जं } बल {धेहि } दीजिये |
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नवग्रह पीडा निवारक औषधि स्नान
समुद्री नमक, फिटकरी, हल्दी, लौंग, तुलसी, काली मिर्च, बायबिडंग, गो मूत्र तथा गुडहल (अड़हुल) का पुष्प डालकर स्नान करे तो तत्काल लाभ मिलेगा । इन सभी औषधियों को गंगाजल में भिगोकर स्नान करने से समस्त ग्रहों की पीड़ा के साथ शारीरिक पीडा शान्त होती है। इन्हें यदि तीर्थजल में मिलाकर स्नान किया जाए तो अवश्य लाभ होता है। सप्ताह में 2 बार करे व एक माह में 8 से 10 बार ही करे ।
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घर के दक्षिण-पश्चिम हिस्से में बाथरूम होने से व्यक्ति का कर्ज बढ़ सकता है। ऐसा हो तो बाथरूम में नमक का कटोरा रखें, इससे वास्तु दोष कम होगा।
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