कर्पूर अति सुगंधित पदार्थ होता है।

कर्पूर अति सुगंधित पदार्थ होता है। इसके दहन से वातावरण सुगंधित हो जाता है। आरती में प्रयोग होने वाले कपूर को कई तरीके से प्रयोग में लाया जाता हैं । कर्पूर का ज्योतिष, पूजन विधान, मंत्र – तंत्र तथा औषधी के रूप में काफी प्रयोग बताये गये हैं । इसके अतिरिक्त वैज्ञानिको ने भी कर्पूर के कई लाभ बताये हैं ।
ज्योतिष शास्त्र में कर्पूर के फायदे :-
1 – दरिद्र्ता नाश एवम स्थिर लक्ष्मी के लिये – जिनके घर में धन की समस्या बनी रहती हैं । वे कर्पूर के द्वारा नित्य सुबह शाम भगवान आरती करें ।
2 – नजर दोष व वास्तु दोष नाशक- आरती होने के पश्चात घर के प्रत्येक कमरे के कोने में आरती दर्शन करायें ।
3 – देवदोष व भूत प्रेत दोष नाशक – अखंड घी का दीपक जलाये तथा कर्पूर से भगवान आरती करें ।
4 – भाग्य हीनता नाशक – कर्पूर को घी में डुबाये उसके बाद आरती करें ।
5 – कलह कलेश नाशक – कर्पूर के साथ दो लांग जलायें
6 – रोग व कर्ज नाशक – अशोक के वृक्ष के नीचे कर्पूर बाती जलायें
औषधि के रूप में उपयोग :-
1- बालो के झडने व गंजे पन के लिये कपूर का प्रयोग आति लाभकारी होता हैं ।
2- कर्पूर का तेल त्वचा में रक्त संचार को सहज बनाता है। दमा खांसी में भी इसका प्रयोग किया जाता हैं ।
3- पपीते के गूदे को दही और कपूर में मिलाकर लेप तैयार करें और इसे रोज चेहरे पर लगाने से चेहरे से झुर्रियां हट जाती हैं।
4- सूजन, मुहांसे और तैलीयत्वचा के उपचार में इसका उपयोग किया जाता है।
5- कफ की वजह से छाती में होने वाली जकड़न में कर्पूर का तेल मलने से राहत मिलती है।
6- चोट पर कर्पूर का सेकन करने से दर्द से अराम तथा सूजन नही आती ।
7- कर्पूर का प्रयोग कामोतेजक दवाईयो के हेतु भी प्रयोग किया जाता हैं ।
इसकी सुगंध से जीवाणु, विषाणु आदि बीमारी फैलाने वाले जीव नष्ट हो जाते हैं जिससे वातावरण शुद्ध हो जाता है तथा बीमारी होने का भय भी नहीं रहता । अत: कर्पूर की सुगंध के द्वारा आप भी अपने घर को महकाइये ।

Comments

Popular posts from this blog

सूर्य तप्त जल और उसके रंगों से चिकत्सा(क्रोमोथैरेपी )-

मंत्र

सर्व विपत्ति-हर्ता श्री घंटाकर्ण मंत्र व साधना - प्रयोग विधि