Posts

Showing posts from 2018

लघुरुद्राभिषेक

लघुरुद्राभिषेक तांबेका लोटा लेकर उसमें शुध्ध पानी, दूध, चोखा (चावल), बिल्व पत्र, दुर्वा, सफेद तिल, मिलाकर शिवलिंग उपर धृतधारा चालु रखके निम्नोक्त लघुरुद्राभिषेक का पठन ग्यारा बार श्रध्धापूर्वक करने से जीवन में आयी हुई और आनेवाली आधि, व्याधि और उपाधि से छुटकारा मिलता है और सुख शांति प्राप्त होती है । ॐ सर्वदेवेभ्यो नम : ॐ नमो भवाय शर्वाय रुद्राय वरदाय च । पशूनां पतये नित्यमुग्राय च कपर्दिने ॥1॥ महादेवाय भीमाय त्र्यम्बकाय च शान्तये । ईशानाय मखघ्नाय नमोऽस्त्वन्धकघातिने ॥2॥ कुमारगुरवे तुभ्यं नीलग्रीवाय वेधसे । पिनाकिने हिवष्याय सत्याय विभवे सदा ॥3॥ विलोहिताय धूम्राय व्याधायानपराजिते । नित्यनीलिशखण्डाय शूलिने दिव्यचक्षुषे ॥4॥ हन्त्रे गोप्त्रे त्रिनेत्राय व्याधाय वसुरेतसे । अचिन्त्यायाम्बिकाभर्त्रे सर्वदेवस्तुताय च ॥5॥ वृषध्वजाय मुण्डाय जिटने ब्रह्मचारिणे । तप्यमानाय सिलले ब्रह्मण्यायाजिताय च ॥6॥ विश्वात्मने विश्वसृजे विश्वमावृत्य तिष्ठते । नमो नमस्ते सेव्याय भूतानां प्रभवे सदा ॥7॥ ब्रह्मवक्त्राय सर्वाय शंकराय शिवाय च । नमोऽस्तु वाचस्पतये प्रजानां पतये नम: ॥8॥ नमो विश्वस्य पतये म...

कुंडली का पहला भाव यानी लग्न

मित्रों जन्म कुंडली विश्लेष्ण में यदि किसी का सबसे ज्यादा महत्व है तो वो लग्न का है हालांकि अन्य भाव और वर्ग कुंडलियों का भी अपनी अपनी जगह महत्व है लेकिन जब तक लग्न और लग्नेश की सिथ्थी सही नही हो अच्छे से अच्छा योग भी अपना पूर्ण प्रभाव नही दे पाता है| वैसे तो और भाव किसी न किसी अंग को दर्शाता है लेकिन लग्न हमारे पुरे शरीर को दर्शाता है | लग्न से किसी इंसान के व्यव्क्तित्व का पता चलता है समाज में जातक का नाम किस हशिय्त का होगा जातक कितना परोपकारी होगा हालांकि ये भाव 25% ही परोपकारी दर्शाता है बाकी ७५% परोपकार का नवम भाव से पता चलता है| ये भाव हमारे जीवन के पहले भाग यानी 25 वर्ष तक की उम्र को विशेष रूप से दर्शाता है जातक अपने पुराने रिति रिवाजों पर कितना चलताहै उसका इस भाव से पता चलता है| हम पिछले जन्म के कर्मों का कितना भाग इस जन्म में लेकर आये है और उनका कितना फल हमे मिलना है वो इसी भाव से पता चलता है| पहला भाव पूर्व दिशा को दर्शाता है इसिलिय जिस जातक का सूर्य पहले भाव में हो या बहुत अच्छी सिथ्ती में हो उसे पूर्व दिशा का मकान शुभ फल देता है| इसी भाव के द्वारा हमारा वर्तमान कैसा ब...

कुंडली में दुसरा भाव

मित्रों ज्योतिष  में दुसरे भाव  को एक महत्वपूर्ण  स्थान  दिया गया  है  |  ये  सबसे  मुख्य  बात की हमारे  कुटुंब  परिवार  को  दर्शाता   है ,हमारे  द्वारा  किये  जाने  वाले  संचित  धन  और  परिवार  से मिलने  वाले  धन  को ये  भाव  दर्शाता है इसिलिय  सोने  चांदी  का  सम्बन्ध इसी भाव  से  मना  गया  है  | हमारे शरीर में ये  दाई आँख  चेहरे  और  गले  को  दर्शाता  है  |  इस  भाव  को  वाणी  भाव  भी कहा  जाता  है  इसिलिय  हमारी  वाणी  मीठी होगी  या नही  और  गायन  छेत्र  में हमे  कैसी  सफलता  मिल  सकती  है  वो  इसी  भाव  पर  निर्भर  करता  है   \  हमारी  वाणी  का प्रभावशाली  होना  भी  इसी   भ...

चोथा भाव और हमारी कुंडली

मित्रों  आज  कुंडली  के  एक  अहम  भाव   के  बारे  में  लिख  रहा  हूँ | आज के इन्सान  की  सबसे  मुख्य  समस्या  यदि  कोई  है  तो   मानसिक  सुख  ग्रहस्थ  सुख  मकान  वाहन आदि  के   सुख  की   है जातक  को  इनमे  से किसी  न  किसी  समस्या  का सामना अक्सर   करना पड़ता   है  और  ये  सभी  चीजें  चोथे  भाव  से देखि   जाती  है | चोथे भाव  में  अशुभ   ग्रह  होने  पर  जातक  की  मन  की  शान्ति  पर बहुत बुरा प्रभाव  पड़ता है यानी जातक  के  पास  कई  बार  सब कुछ  होते  हुवे  भी कुछ  पास में  न  होने  का अहसास  होता  है  |  जीवन  में विघ्न  आते  रहते है | जातक  का  मन  मुरझाये  हुवे   फुल  ...

पंचम भाव

मित्रों भाव  के  सम्बन्ध  में आज  हम  पंचम  भाव  से  क्या  क्या  देखते  है  उस  पर  कुछ  लिख  रहा  हूँ  | पंचम  भाव  कुंडली  के  मुख्य  भावों में स्थान  प्राप्त  है  क्योंकि इसकी  गिनती त्रिकोण में होती  है |पंचम  भाव  से  मुख्य  रूप  से  सन्तान  विद्या  बुद्धि को  देखा  जाता  है  \ ये  हमारी  समझ  का  भाव  होता  है  की  हमारी  समझ  कैसी  है  हम  अपनी  बुद्धि  का किस  प्रकार  से कितना  प्रयोग करते  है  | मानसिक  तौर पर  हमारी  चेतनता  कितनी  है  , हमारे  मन   में इमानदारी किस हद  तक  है  , जमाने  में हमारा  नाम  मान कैसा  है  यानी की समाज में हमारा  मान  सम्मान कैसा  है  उसका  पता  भ...

छटा भाव

मित्रों  आज की  भागमभाग  की  जिन्दगी  में   इंसान  की  जो  सबसे  बड़ी  समस्या  होती  है   वो  ऋण   रोग  शत्रु  मुख्य  रूप  से   होते  है  और  यदि   इंसान  इनसे  बचा  रहता  है  तो   उसे हम   एक   सुखी  इंसान  की  संज्ञा   दे  सकते  है  और  इन  सभी  चीजो  को  जो   भाव   कुंडली  में  दर्शाता  है  वो  छटा   भाव  होता  है | छटा  भाव हमारे  आंतरिक  मन  के  साथ  साथ बाहरी  शरीर  को  भी  दर्शता  है  | छटा  भाव   हमारे  मानसिक  संताप , दुश्मनी  , बिमारी ,ननिहाल , नौकरी , रखैल , भुत बाधा , पेट पाचन   शक्ति , कर्ज  और फौजदारी  मुकदमे   का  कारक  भाव  है | यदि  इस  भाव  में  कोई   ग्र...

सप्तम भाव और ज्योतिष

मित्रों  ज्योतिष  सप्तम भाव  को अहम  भूमिका  सोंपी  गई  है  \ सप्तम  भाव  से  मुख्य  रूप  से  विवाह के  बारे   में देखा  जाता है  \  शादी  सही  समय  पर  होगी  या  नही  , कितनी  शादिया  होगी  और  विवाहिक  जीवन  कैसा  रहेगा  इन  सभी  प्रश्नों  के  उतर खोजने  में इस  भाव  की  अहम  भूमिका  होती  है  \  जातक  का  जीवन  साथी  कैसा  होगा  उसका  रूप  रंग  स्वभाव  सब  कुछ  इसी  भाव  पर  निर्भर  करता  है  \  शुक्र और  बुद्ध   इस  भाव  का कारक  ग्रह  है  इसिलिय  शुक्र बुद्ध    की  कुंडली  में सिथ्ती  पर  इस  भाव के  फल  मुख्य  रूप  से  निर्भर  करते  है  \ {आप...

अस्ठ्म भाव और ज्योतिष

मित्रों  ज्योतिष में    कुंडली   में   सबसे  ज्यादा  बुरे   भाव  की  संज्ञा   दी  गई  है  वो   अस्ठ्म   भाव  है   जिसका   कारण  ये  है  की   नवम  भाव  हमारे   भाग्य   का  भाव  होता  है  और  ये  भाव  भाग्य   भाव  से  व्यय  भाव  होने  से  दुर्भाग्य का   भाव  कहलाता  है   याने  हमारे  भाग्य  का  खर्च | भाग्य  में  आने  वाली रुकावट  को  ये  ही  भाव  दर्शता   है | किस्मत  से मिलने  वाले  दोखे  को  ये  भाव  ही  दर्शाता  है | किस्मत  के  हाथों  हम कितना  दोखा   खायेंगे  और  जीवन  में कितनी  जेह्दोजह्द करेंगे   वो   इसी   भाव   पर  निर्भर   करता  है | जीवन  में  अचानक  आ...

नवम भाव भाग्य भाव

मित्रों  ज्योतिष  की  लगभग  सभी  विधियों में नवम  भाव  को  भाग्य  भाव की  संज्ञा  दी  गई  | ये  भाव  हमारे  भाग्य  की बुनियाद  यानी की  नीव  होता  है  | हमारा  भाग्य  कैसा  है  भाग्य  का  जीवन  में कितना  साथ  मिलेगा  आदि   सभी  इसी  भाव  के  द्वारा  देखें  जाते है  | नवम भाव  धर्म कर्म दान पुण्य  का  भाव भी  कहलाता  है  | धर्म के प्रति हमारी  कितनी  आस्था है  दान  पुण्य  हम कितना करते है  धार्मिक  यात्रा  हम कितनी  कर सकते  है  इन सभी  बातों a अनुमान  भी इसी  भाव  से  लगाया जता  है  | हमारे  बड़े  बुज्रुगों  को भी ये  भाव  दर्शाता  है  और उनसे  हमे  मिलने  वाले  लाभ  को  भी येभाव  इंगित  करता ...

तृतीय भाव और ज्योतिष

मित्रों  तीसरे  भाव को ज्योतिष  में साहस  और  शोर्य का  भाव  की संज्ञा  दी  गई  है  क्योंकि ये  हमारी  बाजुओ  की  ताकत को  दर्शाने  वाला  भाव  है  हम  में कितना  साहस  आत्मविश्वास  है उसे  ये  ही  भाव  दर्शाता  है  \ इसका  एक प्रमुख  कारण  ये  है  की मंगल   इस  भाव  का कारक  ग्रह  है  और  मंगल को ज्योतिष  में उतेजना  साहस  हिम्मत  का  कारक  ग्रह  माना गया  है |  इसी  के साथ ये  जातक  के द्वारा अपना  फर्ज  किस  हद  तक  निभा सकता है उसके  बारे  में भी  हमे  जानकारी  देता  है  \साथ  ही  दूसरों  के  साथ  लड़ाई  झगड़े में हमारी  हालत  कैसी  होगी  उसे  भी ये  भाव  दर्शाता है  | रिश्तेदारी  में य...

दसम भाव और ज्योतिष

मित्रों  ज्योतिष  में दसम भाव  को  हमारे  जीवन का सबसे महत्वपूर्ण भाग  यानी की कर्म  को  सोंपा  गया है  इसी कारन  केंद्र  में इस  भाव  को  सबसे  बलि  भाव  भी  मना  जाता  है  | हमारा  कार्य छेत्र  हमारे  कार्य  व्यवसाय  नोकरी  आदि  सब  कुछ  मुख्य रूप  से इसी  भाव  पर निर्भर  करते है | इस  भाव  की  शुभता  अशुभता  के द्वारा  ही  ये  निर्धारित  होता है  की  हमारे  कार्य  कैसे  होंगे  उनमे  हमे  कितनी  सफलता  मिलेगी  और  कर्म  छेत्र  में हमे  कितना  संघर्ष  करना  पड़ेगा  \ मतांतर   से  इस  भाव  से पिता  के  लिय भी  अध्ययन किया  जता  है इसी  लिय  पिता  की  सिथ्ती  का  अध्ययन  भी  इस  भाव  ...

बारवां भाव और कुंडली

मित्रों ज्योतिष  में बारवें भाव  की  गिनती  त्रिक  भाव  में की  जाती है  | ये भाव हमारे  लग्न यानी  की  शरीर  के  व्यय  का  भाव  होता  है  और  शरीर  का  व्यय  इंसान  का  सबसे  बड़ा  व्यय  माना  जाता  हिया  इसिलिय  इस  भाव  की  गिनती  बुरे  भाव में  की जाती है और  मह्रिषी  पराशर जी  ने  तो इस  भाव  के  मालिक  को  उसकी  सिथ्ती  के  आधार  पर  मारक  ग्रह  भी  निर्धारित  किया  हुआ  है यानि   की  इस  भाव का  मालिक  कई  बार  कुंडली   में  मारक  ग्रह  भी  बन  जाता  है \ बाकी  मुख्य  रूप  से इसे  सम  भाव  की  संज्ञा  दी  है  जिसके  अनुसार  इस  भाव  का  मालिक  कुंडली ...

कुंडली का ग्यारवाँ भाव

मित्रों ज्योतिष में ग्यारवें भाव को आय का भाव माना गया है | ये भाव हमारे लालच को भी दर्शाता है की हम अपने लालच को पूराकरने केलिय किस हद तक जासकते है|| ये भाव हमारे घरकी बाहरी शोभा को भी दर्शाता है की घर बाहर से देखने पर आमिर का लगता है या गरीब का| हमारे जिस्म में ताकत के रूप ये भाव दर्शाता है की अपना फर्ज निभाने के प्रति हम किस हद तक सुस्त या लापरवाह हो सकते है| यानी इस भाव में शुभ ग्रह होने पर जातक अपने जीवन के अवसरों को खोता नही है वरना बहुत से अवशर अपने हाथ से खो देता है अपनी लापरवाही के कारण | ये भाव हमारी चेतना को दर्शाता है जो हम दूसरों की भलाई के लिय रखते है | ये भाव हमारी किस्मत की उंचाई का है यानी हमारी किस्मत हमे कितनाऊँचा उठा सकती है उसे ये ही भाव दर्शाता है| ये भाव हमारी आमदनी का भाव है यानी की हमारी आय क्या होगी हम अपनी कोशिश से कितना धन कमा पाएंगे उसे ये ही भाव दर्शाता है यदि इस भाव में शुभ ग्रह है तो शुभ कार्यों द्वारा आय की प्राप्ति होती है और यदि अशुभ ग्रह है तो अशुभ साधनों से आय प्राप्ति के योग बनते है | ये भाव हमारे जन्म के समय हमारे माता पिता की आर्थिक हालत पर...

गायत्री मंत्र - गूढ़ अर्थ (न कि शाब्दिक अर्थ)

ॐ प्रथम स्पन्दन है, अर्थात प्रणव, जो निरपेक्ष सर्वव्यापी सत्ता का प्रषेपण है, इसलिए मंत्र का प्रारम्भ इससे होता है। इस मंत्र में सात महत्वपूर्ण शब्द हैं, जो परमेश्रवर के साथ सात चरणों में एकात्मता का वर्णन करते हैं। यह सात शब्द हैं भू, भुवर, स्वर, वितु, वरेण्य, भर्गो और देव जो सप्तलोक का उद्घोष करते हैं। (१) भूलोक अर्थात यह पंचमहाभूत से बना भौतिक संसार, (२) भुवरलोक अर्थात सूक्ष्म संसार और (३) स्वरलोक अर्थात कारण संसार। इस प्रकार सृष्टि की रचना त्रिलोकी तरह से गूंथी हुई है। (४) वितु का अर्थ है, स्वयं का प्रकाश या आत्मबोध या महरलोक, (५) वरेण्यम् का मतलब है श्रेष्ठ, या आत्मबोध ब्रह्मअंश के रूप में, या ज्ञानलोक, (६) भर्गो का अर्थ है पापरहित नित्यशुद्धि वह परमात्मा या तपोलोक और (७) देवस्य का अर्थ है परम सत्य या देवत्व के साथ कैवल्यम की सतलोक में प्राप्ति। तत् स - शब्द का अर्थ है वह परमात्मा या शिव। धीमहि - अर्थात हमारे भीतर धारण और धियो योनः - का अर्थ है जो हमारी चेतना , एवं प्रचोदयात् - अर्थात धर्म के सीधे रास्ते पर, यानि रीढ़ के अतंर में स्थित सुष्मना नाड़ी का मार्ग। *****************...

बताए हुए ग्रहों के अनुसार इन उपायों को करेंगे तो निश्चित ही आपको सफलता जरूर मिलेगी।

* सूर्य के कारण आपके रोजगार में बाधा हो, तो गाय को रोटी देने का प्रयोग आरंभ करें। काली अथवा पीली गाय को ही रोटी खिलानी चाहिए। * चंद्र के कारण आपके रोजगार में बाधा हो, तो रात्रि में दूध ग्रहण न करें और प्रतिदिन रात्रि में अपने पिता को स्वयं दूध ले जाकर पिलाएं। * बुध ग्रह के कारण आपके रोजगार में बाधा उत्पन्न हो, तो चांदी का कोई आभूषण धारण करें तथा सोना खरीदें। घर में पे़ड-पौधे कम लगाएं। स्वयं के हाथ से पेड-पौधे न लगाएं। रात्रि में दूध की बोतल एकांत स्थान में जमीन में गाड दें। * गुरू ग्रह के कारण आपके रोजगार में बाधा उत्पन्न हो तो लाल गुंजा एवं सोने का सिक्का एक पीले कप़डे में बांधकर घर में किसी स्थान पर रख दें। स्वयं सोने का आभूषण धारण नहीं करें। पीली गाय को गु़ड एवं चने खिलाएं। * शुक्र ग्रह के कारण आपको रोजगार में बाधा उत्पन्न हो, तो सबसे पहले महिलाओं का सम्मान करें। स्त्री को शुक्र की कारक माना गया है। अपनी पत्नी से कभी धोखा न करें। पत्नी को प्यार करें। विवाह न हुआ हो तो घर की सम्मानीय स्त्रियों के चरण स्पर्श करना चाहिए तथा नित्य इस नियम को अपनाना चाहिए। नन्ही बालिकाओं को उपहार दे...

+कुतुबुद्दीन, क़ुतुबमीनार, कुतुबुद्दीन की मौत और स्वामी भक्त घोड़ा "शुभ्रक"

किसी भी देश पर शासन करना है तो उस देश के लोगों का ऐसा ब्रेनवाश कर दो कि- वो अपने देश, अपनी संस्कृति् और अपने पूर्वजों पर गर्व करना छोड़ दें. इस्लामी हमलावरों और उनके बाद अंग्रेजों ने भी भारत में यही किया. हम अपने पूर्वजों पर गर्व करना भूलकर उन अत्याचारियों को महान समझने लगे जिन्होंने भारत पर बे-हिसाब जुल्म किये थे. अगर आप दिल्ली घुमने गए है तो आपने कभी क़ुतुबमीनार को भी अवश्य देखा होगा. जिसके बारे में बताया जाता है कि- उसे कुतुबुद्दीन ऐबक ने बनबाया था. हम कभी जानने की कोशिश भी नहीं करते हैं कि- कुतुबुद्दीन कौन था, उसने कितने बर्ष दिल्ली पर शासन किया, उसने कब क़ुतुबमीनार को बनबाया या कुतूबमीनार से पहले वो और क्या क्या बनवा चुका था ? कुतुबुद्दीन ऐबक, मोहम्मद गौरी का खरीदा हुआ गुलाम था. मोहम्मद गौरी भारत पर कई हमले कर चुका था मगर हर बार उसे हारकर वापस जाना पडा था. ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की जासूसी और कुतुबुद्दीन की रणनीति के कारण मोहम्मद गौरी, तराइन की लड़ाई में पृथ्वीराज चौहान को हराने में कामयाबी रहा और अजमेर / दिल्ली पर उसका कब्जा हो गया. अजमेर पर कब्जा होने के बाद मोहम्मद ग...

यदि जीवन में निरंतर समस्याए आ रही है। और यह प्रतीत हो की जीवन में कही कुछ सही नही हो रहा तो निश्चित रूप से हो सकता है आप पैरानार्म्ल समस्याओं से ग्रस्त है।

यदि जीवन में निरंतर समस्याए आ रही है। और यह प्रतीत हो की जीवन में कही कुछ सही नही हो रहा तो निश्चित रूप से हो सकता है आप पैरानार्म्ल समस्याओं से ग्रस्त है। आपके आस पास नेगेटिव एनर्जी है। यदि ऐसा है तो कुछ पहलुओ पर जरुर गौर करे। 1) पूर्णिमा या अमावस्या में घर के किसी सदस्य का Depression या Aggression काफी बढ़ जाना या स्वास्थ्य संबंधी समस्याओ का बढ़ जाना। 2) बृहस्पतिवार, शुक्रवार या शनिवार में से किसी एक दिन प्रत्येक सप्ताह कुछ ना कुछ नकारात्मक घटनाएं घटना। 3) किसी ख़ास रंग के कपडे पहनने पर कुछ समस्याए या स्वास्थ्य पर असर जरुर होना। 4) घर में किसी एक सदस्य द्वारा दुसरे सदस्य को देखते ही अचानक से क्रोधित हो जाना। 5) पुरे मोहल्ले में सिर्फ आपके घर के आस पास कुत्तों का इकट्ठा होना। 6) घर में किसी महिला को हर माह अमावस्या में Period होना। 7) घर में किसी ना किसी सदस्य को अक्सर चोट चपेट लगना। 8) वैवाहिक संबंधो में स्थिरता का ना होना। 9) घर में किसी सदस्य का उन्मादी या नशे में होना। 10) सोते समय दबाव या स्लीपिंग पैरालाइसेस महसूस करना। 11) डरावने स्वप्न देखना। 12) स्वप्न में किसी के डर...

गायत्री उपासना अनिवार्य है - आवश्यक है

गायत्री उपासना से दिव्य प्रकाश की प्राप्ति अध्यात्म शास्त्रों में स्थान- स्थान पर प्रकाश की साधना और याचना की चर्चा मिलती है। प्रकाश बल्ब, बत्ती अथवा सूर्य या चन्द्रमा से निकलने वाली रोशनी, नहीं अपितु वल परम ज्योति है, जो इस विश्व में चेतना का आलोक बन कर जगमगा रही है। इसी के लिए ऋषि ने गाया है तमसो मां ज्योतिर्गमय, हे प्रभु ! मुझे अन्धकार से प्रकाश की ओर ले चलो। गायत्री का उपास्य सविता ऋतम्भरा प्रज्ञा के रूप में प्रत्यक्ष और कण- कण में संव्याप्त जीवन- ज्योति के रूप में प्रत्येक व्यक्ति अपने भीतर देख सकता है। इसकी जितनी मात्रा जिसके भीतर विद्यमान हो, समझना चाहिए कि उसमें उतना ही ईश्वरीय अंश आलोकित हो रहा है। मस्तिष्क के मध्यभाग से प्रकाश कणों का एक फुब्बारा सा फूटता रहता है। उसकी उछलती हुई तरंगें एक वृत्त बनाती हैं और फिर अपने मूल उद्गम में लौट जाती हैं। यह रेडियो प्रसारण और संग्रहण जैसी प्रक्रिया है, ब्रह्मरन्ध्र से छूटने वाली ऊर्जा अपने भीतर छिपी हुई भाव स्थिति को विश्व- ब्रह्माण्ड में ईथर कम्पनों द्वारा प्रवाहित करती रहती है, इस प्रकार मनुष्य अपनी चेतना का परिचय और प्रभाव समस्त ...