चोथा भाव और हमारी कुंडली
मित्रों आज कुंडली के एक अहम भाव के बारे में लिख रहा हूँ | आज के इन्सान की सबसे मुख्य समस्या यदि कोई है तो मानसिक सुख ग्रहस्थ सुख मकान वाहन आदि के सुख की है जातक को इनमे से किसी न किसी समस्या का सामना अक्सर करना पड़ता है और ये सभी चीजें चोथे भाव से देखि जाती है | चोथे भाव में अशुभ ग्रह होने पर जातक की मन की शान्ति पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है यानी जातक के पास कई बार सब कुछ होते हुवे भी कुछ पास में न होने का अहसास होता है | जीवन में विघ्न आते रहते है | जातक का मन मुरझाये हुवे फुल की तरह रहता है और उसके जीवन के जह्दोजहद में उसके होसले में काफी कमी आ जाती है |
दिशा की दृष्टी से चोथा भाव उतर दिशा का है इसिलिय यदि इस भाव में शुभ ग्रह हो तो उस ग्रह से सम्बन्धित वस्तु घर की उत्तर दिशा की दिवार के पास कायम करनी चाहिए इसके विपरीत यदि अशुभ ग्रह हो तो उस से सम्बन्धित वस्तु इस दिशा ने बिलकुल भी कायम नही करनी चाहिए |
चोथे भाव का सम्बन्ध माता के पेट से भी है यानि गर्भ अवस्था को भी ये भाव इंगित करता है साथ ही ये हमारे लिय हमारी माता का भी भाव होता है इसिलिय यहाँ अशुभ ग्रह होने पर माता को जीवन में कोई न कोई समस्या का सामना करना पड़ता है या हमे उनका सुख कम मिल पाता है |
इस भाव को लक्ष्मी स्थान यानी की घर में धन रखने का स्थान भी कहा है ऐसे में इस भाव में शुभ ग्रह होने पर घर में इसी की दिशा में धन रखने से विशेष बरकत होती है | इस भाव को चास्मारिज्क की संज्ञा दी गई है यानी की हमारे धन के सम्बन्ध में हमारी किस्मत का चस्मा फूटेगा या नही वो इसी भाव पर निर्भर करता है | इसिलिय इस भाव के चन्द्र को खर्च करने पर आमदनी का बढने वाला जरिया कहा गया है | चूँकि चन्द्र इस भाव का कारक है इसिलिय इस भाव के फल कुंडली में चन्द्र की सिथ्ती पर भी निर्भर करते है |
रसों वाले फलों के पेड़ को भी ये भाव दर्शता है |
हमारे शरीर में ये हमारे ह्दय का प्रतिनिधित्व करता है ऐसे में इस भाव में अशुभ ग्रह होने पर ह्दय सम्बन्धित रोग की सम्भवना बढ़ जाती है | औरत की कुंडली में ये नाभि के आसपास के छेत्र को दर्शाता है ऐसे में अशुभ ग्रह इस भाव में होने पर गर्भावस्था के समय स्त्री के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है |
धन के सम्बन्ध में ये हमारे पिछले जन्म के बंद मुठी में लाये हुवे धन को प्रदशित करता है यानी पिछले जन्म के कर्मो के आधार पर जो धन का लाभ हमे मिलेगा उसको ये द्रष्टा है | साथ ही ये भाव जातक की खुद की कमाई से बनाये हुवे मकान गाडी आदि का भी है |
ये भाव चन्द्र का है और इसिलिय इस भाव में शुभ ग्रह होने पर रात्री में किये हुवे कार्य में विशेष लाभ मिलता है या फिर किसी भी कार्य की योजना यदि रात्री में बनाई जाए उसमे सफलता के ज्यादा चांस बन जाते है | लेकिन यदि यहाँ अशुभ ग्रह हो तो विपदा भी ज्यादातर रात्री के समय ही आती है | शुभ ग्रह यदि यहाँ हो तो वे हमारे जीवन की हर विप्प्दा में हमारा साथ देने वाले होंगे |
ये भाव पंचम भाव से बारवां भाव है इसिलिय विद्या के सम्बन्ध में भी इस भाव का अध्ययनं किया जाता है यानी की हम अपनी शिक्षा को किस प्रकार खर्च करेंगे उसका इसी भाव से पता चलता है \ भाग्य भाव से अस्ठ्म भाव होने से ये हमारे भाग्य में आने वाले उतार चढ़ाव को भी प्रभावित करता है \ ये भाव सप्तम से दसम होने के कारण हमारे जीवन साथी के कर्म छेत्र को भी इंगित करता है | इस प्रकार हम अन्य भाव से इसका सम्बन्ध जान सकते है \
मित्रो इस प्रकार इस भाव में विराजमान ग्रह और इस भाव के कारक ग्रह चन्द्र की सिथ्ती के आधार पर अप इस भाव के फलों का अनुमान लगा सकते है | जय श्री राम
दिशा की दृष्टी से चोथा भाव उतर दिशा का है इसिलिय यदि इस भाव में शुभ ग्रह हो तो उस ग्रह से सम्बन्धित वस्तु घर की उत्तर दिशा की दिवार के पास कायम करनी चाहिए इसके विपरीत यदि अशुभ ग्रह हो तो उस से सम्बन्धित वस्तु इस दिशा ने बिलकुल भी कायम नही करनी चाहिए |
चोथे भाव का सम्बन्ध माता के पेट से भी है यानि गर्भ अवस्था को भी ये भाव इंगित करता है साथ ही ये हमारे लिय हमारी माता का भी भाव होता है इसिलिय यहाँ अशुभ ग्रह होने पर माता को जीवन में कोई न कोई समस्या का सामना करना पड़ता है या हमे उनका सुख कम मिल पाता है |
इस भाव को लक्ष्मी स्थान यानी की घर में धन रखने का स्थान भी कहा है ऐसे में इस भाव में शुभ ग्रह होने पर घर में इसी की दिशा में धन रखने से विशेष बरकत होती है | इस भाव को चास्मारिज्क की संज्ञा दी गई है यानी की हमारे धन के सम्बन्ध में हमारी किस्मत का चस्मा फूटेगा या नही वो इसी भाव पर निर्भर करता है | इसिलिय इस भाव के चन्द्र को खर्च करने पर आमदनी का बढने वाला जरिया कहा गया है | चूँकि चन्द्र इस भाव का कारक है इसिलिय इस भाव के फल कुंडली में चन्द्र की सिथ्ती पर भी निर्भर करते है |
रसों वाले फलों के पेड़ को भी ये भाव दर्शता है |
हमारे शरीर में ये हमारे ह्दय का प्रतिनिधित्व करता है ऐसे में इस भाव में अशुभ ग्रह होने पर ह्दय सम्बन्धित रोग की सम्भवना बढ़ जाती है | औरत की कुंडली में ये नाभि के आसपास के छेत्र को दर्शाता है ऐसे में अशुभ ग्रह इस भाव में होने पर गर्भावस्था के समय स्त्री के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है |
धन के सम्बन्ध में ये हमारे पिछले जन्म के बंद मुठी में लाये हुवे धन को प्रदशित करता है यानी पिछले जन्म के कर्मो के आधार पर जो धन का लाभ हमे मिलेगा उसको ये द्रष्टा है | साथ ही ये भाव जातक की खुद की कमाई से बनाये हुवे मकान गाडी आदि का भी है |
ये भाव चन्द्र का है और इसिलिय इस भाव में शुभ ग्रह होने पर रात्री में किये हुवे कार्य में विशेष लाभ मिलता है या फिर किसी भी कार्य की योजना यदि रात्री में बनाई जाए उसमे सफलता के ज्यादा चांस बन जाते है | लेकिन यदि यहाँ अशुभ ग्रह हो तो विपदा भी ज्यादातर रात्री के समय ही आती है | शुभ ग्रह यदि यहाँ हो तो वे हमारे जीवन की हर विप्प्दा में हमारा साथ देने वाले होंगे |
ये भाव पंचम भाव से बारवां भाव है इसिलिय विद्या के सम्बन्ध में भी इस भाव का अध्ययनं किया जाता है यानी की हम अपनी शिक्षा को किस प्रकार खर्च करेंगे उसका इसी भाव से पता चलता है \ भाग्य भाव से अस्ठ्म भाव होने से ये हमारे भाग्य में आने वाले उतार चढ़ाव को भी प्रभावित करता है \ ये भाव सप्तम से दसम होने के कारण हमारे जीवन साथी के कर्म छेत्र को भी इंगित करता है | इस प्रकार हम अन्य भाव से इसका सम्बन्ध जान सकते है \
मित्रो इस प्रकार इस भाव में विराजमान ग्रह और इस भाव के कारक ग्रह चन्द्र की सिथ्ती के आधार पर अप इस भाव के फलों का अनुमान लगा सकते है | जय श्री राम
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