छटा भाव

मित्रों  आज की  भागमभाग  की  जिन्दगी  में   इंसान  की  जो  सबसे  बड़ी  समस्या  होती  है   वो  ऋण   रोग  शत्रु  मुख्य  रूप  से   होते  है  और  यदि   इंसान  इनसे  बचा  रहता  है  तो   उसे हम   एक   सुखी  इंसान  की  संज्ञा   दे  सकते  है  और  इन  सभी  चीजो  को  जो   भाव   कुंडली  में  दर्शाता  है  वो  छटा   भाव  होता  है |
छटा  भाव हमारे  आंतरिक  मन  के  साथ  साथ बाहरी  शरीर  को  भी  दर्शता  है  | छटा  भाव   हमारे  मानसिक  संताप , दुश्मनी  , बिमारी ,ननिहाल , नौकरी , रखैल , भुत बाधा , पेट पाचन   शक्ति , कर्ज  और फौजदारी  मुकदमे   का  कारक  भाव  है |
यदि  इस  भाव  में  कोई   ग्रह   न हो  वो  जातक   के  लिय  बहुत  शुभ  रहता   है  ऐसे  में  जातक  को  शरीरिक  या  मानसिक  संताप  से   काफी  हद  तक  बचा  रह सकता  है |
लाल  किताब  में  इस भाव   को   पाताल  का   भाव  कहा  गया   है  और   इसी  कारण  इस  भाव   से   सम्बन्धित  उपाय  अक्सर  ग्रह  से  सम्बन्धित  वस्तु को  कुवे में डालने  से  सम्बन्धित   बताये  जाते  है  | इस  भाव  का   सम्बन्ध हमारे  पैसे  के  लेन  देन   से  भी  है | यदि  हम किसी  को कर्ज  देते  है और  उसके  वापिस मिलने   या पैसा  डूबने  का  सम्बन्ध  मुख्य  रूप  से  इसी   भाव  से  किया   जाता  है  या  हम  खुद   कर्ज  में  डूबें  रहेंगे या  कर्ज  से  मुक्त  होंगे  या   नही   वो  भी  इसी  भाव   से  पता  चलता  है | हमारे  घर   में यदि  कोई  तहखाना  है  या  ऐसी   जगह  जो   जमीन  के  अंदर  हम पैसे   रखने  के  लिय  बनाई   हुई   होती  है उसे  ये   ही   भाव  दर्शाता  है |
ये  भाव  हमारी  अंदरूनी  अक्ल  को   भी  दर्शता  है  यानी  किसी   विषय  को  बिना  किसी   तर्क  के  समझ  लेना   इसी   भाव  पर   निर्भर   करता   है  इसिलिय  इस  भाव   के  फल  यदि   किसी   जातक  को   मिल  रहे  होते है  तो  वो   अधिकतर प्रतियोगिता  परीक्षाओं  में  सफल  होता   है  | साथ  ही  जातक  अपने   मतलब  का  बात  बहुत   जल्दी  समझ  लेता  है |
भाग्य  के  सम्बन्ध   में  हमारे  भाग्य  में  किस  हद  तक   गिरावट  होगी उसको ये   दर्शता  है | हमारे  रिश्तेदारों   से  हमे  लाभ  या  हानि  इसी  भाव  द्वारा  पता  चलता  है | जानवरों  के  सम्बन्ध  में  ये  बकरी   तोता  मैना   आदि  को  दर्शाता  है  ऐसे  में  इस भाव  में  शुभ   ग्रह  हो  तो  इन्हें  पालने  से  शुभ   फल  बडोतरी  होगी |
जातक  अपने  ग्रहस्थ  आश्रम  का  पालन  करते  हुवे  किस  हद   तक  साधुपन  अपना   सकता  है उसे  भी  ये  भाव  दर्शता   है |शरीर  में  ये  हमारी  कमर   और  पठ्ठो  को  दर्शाता  है   तो   साथ  ही  नाड़ियों  को   भी | हमारे  शत्रु  किस  प्रकार  के  होंगे  और  वो   हमे   कितना  नुक्सान  पहुंचा  सकते  है   उसका  अनुमान   भी  इसी  भाव  से   लगाया  जाता  है |
इसिलिय  मित्रों  इस   भाव  से  सम्बन्धित  ग्रहों  को   मजबूत   करने  से  बचे क्योंकि  ये  हमारे  शरीर  के  शत्रु   का  भाव   है   जो  किसी  भी  प्रकार  का   हो   सकता  है |
ये  भाव  हमारी  प्रतियोगिता  की  छमता को  भी  दर्शाता  है  चाहे  वो  प्रतियोगिता  किसी  निजी  जीवन   में शत्रु  से लड़ने  की  हो  या  किसी  नोकरी  के लिय  होने  वाली  परीक्षा  की  या  फिर  चाहे शरीर  में रोग  प्रतिरोधक  छमता की  सब  इसी  भाव  पर  निर्भर  करता  है  \  दसम भाव  कर्म  का भाव  होता  है  लेकिन  जब  नोकरी  के दृष्टीकोण  से  जन्मकुंडली  का अध्ययन  किया  जाता  है  तो इसी  भाव  क  देखा  जाता  है  \
हमारे  शत्रु  किस  प्रकार  के होने  या हमे किस  प्रकार  की स्वास्थ्य की  समस्या  काक सामना  करना  पड़ेगा  उसका  पता  इसी  भाव  से  चलता  है \ जैसे  यहाँ शनी  हो   तो  शत्रु  मकार  किस्म के इंसान  होते  है  जो  जातक  को  नुक्सान पहुचाने  के लिय  किसी  भी  हद  तक गिर  सकते  है  जबकि  यहाँ चन्द्र  या  शुक्र  जैसे  स्त्री  ग्रह  हो  तो स्त्री  टाइप  के शत्रु होते  है जो  ज्यादा  से जायदा  जातक की  चुगली करके  नुक्सान  पहुचाने  की  कोसिस करते  है  और  यदि  यहाँ बुद्ध  हो  तो  जातक  के मित्र  ही कई  बार  उसके  शत्रु  बनकर  उसे  नुक्सान पहुंचा  देते है  \ इस  प्रकार  हर  ग्रह  के हिसाब से अनुमान ;लगाया जा  सकता  है \

भाव  भावत  सिद्धांत  के  अनुसार ये  भाव  सप्तम  भाव  यानी  की  विवाहिक  जीवन  का व्यय  भाव  होता  है  इसिलिय  विवाहिक  जीवन  के सुखों  में कमी करने  में  ये  अहम  भूमिका  निभाता  है  \
भाग्य  भाव  से  दसम  होने  के कारण  ये  भाग्य  के छेत्र  में हमारे  कर्म  को  दर्शाता है  की  हमे अपने  भाग्य  के  लिय  कितनी  और कैसी  मेहनत  करनी  होगी |

जय  श्री  राम

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