पंचम भाव
मित्रों भाव के सम्बन्ध में आज हम पंचम भाव से क्या क्या देखते है उस पर कुछ लिख रहा हूँ | पंचम भाव कुंडली के मुख्य भावों में स्थान प्राप्त है क्योंकि इसकी गिनती त्रिकोण में होती है |पंचम भाव से मुख्य रूप से सन्तान विद्या बुद्धि को देखा जाता है \ ये हमारी समझ का भाव होता है की हमारी समझ कैसी है हम अपनी बुद्धि का किस प्रकार से कितना प्रयोग करते है | मानसिक तौर पर हमारी चेतनता कितनी है , हमारे मन में इमानदारी किस हद तक है , जमाने में हमारा नाम मान कैसा है यानी की समाज में हमारा मान सम्मान कैसा है उसका पता भी इसी भाव से चलता है | पंचम भाव के द्वारा ही हमारे पूर्ण जन्म के कर्म के बारे में अनुमान लगाया जाता है \ सबसे मुख्य बात की पंचम भाव हमारे ईस्ट का भी होता है \ हम ज्योतिषीय दृष्टीकोण से किसे हम अपना ईस्ट मानकर पूजा करे उसे ये ही भाव दर्शाता है \ बिना सन्तान के मानव जीवन अधूरा सा होता है सन्तान सुख के लिय इस भाव की अहम भूमिका होती है \ आपकी उंच शिक्षा के लिय कैसी होगी उसके लिय भी इसी भाव का अध्ययन किया जाता है \
पंचम भाव मुख्य रूप से प्रेम सम्बन्धों का भी भाव है आपको आपके प्यार में सफलता मिलेगी या नही ये इसी भाव पर निर्भर करता है \ प्रेम सम्बन्ध का आपके जीवन पर कैसा प्रभाव पड़ेगा उसका अध्ययन भी इसी भाव को ध्यान में रखकर किया जाता है \
अचानक मिलने वाले धन लाभ जैसे की सटे लोटरी से धन मिलने के योग भी इसी भाव से देखें जाते है \
हमारे भाग्य की चमक कैसी होगी उसका पता इसी भाव से चलता है चूँकि ये भाव भाग्य भाव से नवम पड़ता है इसिलिय हमे भाग्य की कितनी मदद मिलेगी उसका पता इसी भाव से चलता है | कई लोग थोड़ी सी मेहनत से ही सफलता की नई ऊँचाइयों को छु लेते है उसका एक मुख्य कारण उसका पंचम भाव स्ट्रोंग होना होता है |
शरीर में ये हमारे पेट को मुख्य रूप से इंगित करता है \ जब भी ये भाव दूषित हो रहा हो तो जातक को स्वास्थ्य में पेट से सम्बन्धित परेशानियों का सामना करना पड़ता है \
पेड़ पोधों के सम्बन्ध में ये भाव ऐसे पोधे से है जिनकी कलम काटकर लगाया जाता है इसिलिय यदि ये भाव शुभ ग्रह से युक्त है तो घर में ऐसे पोधे लगाने शुभ फल दे देते है \
चूँकि ये हमारे ईस्ट का भी भाव है इसिलिय इसी भाव पर हमारी अध्यात्मिकता निर्भर करती है की हम कितने आध्यात्मिक परवर्ती के इंसान है \
दूसरों से जीवन में आगे आने के लिय प्राप्त किये जाने वाले धन ज्ञान आदि को भी ये ही भाव दर्शाता है | गुरु इस बहव का कारक ग्रह है |
लाल किताब में इस भाव को घर की पूर्वी दिवार के पास की संज्ञा दी गई है इसिलिय इस भाव में यदि शुभ ग्रह हो तो उनकी वस्तु घर में इस दिवार के पास स्थापित करनी चाहिए \
भाव भावत सिद्धांत को हम देखें तो ये भाव छ्टे भाव से बारवां भाव है याने की हमारी ऋण रोग शत्रु को कम करने वाला भाव \ जब भी इंसान पर इन चीजों से दुस्र्भाव होता है तो उसकी समझ उसकी सनातन उसकी विद्या ही उसे इन सबसे निपटने में सहायता करती है \ इसी प्रकार ग्यारवाँ भाव से ये भाव सप्तम होने के कारण हमारी भाभी का भी हो जता है \ तो व्यय भाव से छटा होने से हमारे खर्च के शत्रु का भाव ये बन जाता है \चूँकि ये दुसरे भाव से चोथा है इसिलिय पारिवारिक सम्पति से हमे कितना सुख मिलेगा उसे भी इसी भाव से देखा जा सकता है \ इस प्रकार आप अन्य भाव से इस भाव का सम्बन्ध स्थापित कर सकते है \
जय श्री राम
पंचम भाव मुख्य रूप से प्रेम सम्बन्धों का भी भाव है आपको आपके प्यार में सफलता मिलेगी या नही ये इसी भाव पर निर्भर करता है \ प्रेम सम्बन्ध का आपके जीवन पर कैसा प्रभाव पड़ेगा उसका अध्ययन भी इसी भाव को ध्यान में रखकर किया जाता है \
अचानक मिलने वाले धन लाभ जैसे की सटे लोटरी से धन मिलने के योग भी इसी भाव से देखें जाते है \
हमारे भाग्य की चमक कैसी होगी उसका पता इसी भाव से चलता है चूँकि ये भाव भाग्य भाव से नवम पड़ता है इसिलिय हमे भाग्य की कितनी मदद मिलेगी उसका पता इसी भाव से चलता है | कई लोग थोड़ी सी मेहनत से ही सफलता की नई ऊँचाइयों को छु लेते है उसका एक मुख्य कारण उसका पंचम भाव स्ट्रोंग होना होता है |
शरीर में ये हमारे पेट को मुख्य रूप से इंगित करता है \ जब भी ये भाव दूषित हो रहा हो तो जातक को स्वास्थ्य में पेट से सम्बन्धित परेशानियों का सामना करना पड़ता है \
पेड़ पोधों के सम्बन्ध में ये भाव ऐसे पोधे से है जिनकी कलम काटकर लगाया जाता है इसिलिय यदि ये भाव शुभ ग्रह से युक्त है तो घर में ऐसे पोधे लगाने शुभ फल दे देते है \
चूँकि ये हमारे ईस्ट का भी भाव है इसिलिय इसी भाव पर हमारी अध्यात्मिकता निर्भर करती है की हम कितने आध्यात्मिक परवर्ती के इंसान है \
दूसरों से जीवन में आगे आने के लिय प्राप्त किये जाने वाले धन ज्ञान आदि को भी ये ही भाव दर्शाता है | गुरु इस बहव का कारक ग्रह है |
लाल किताब में इस भाव को घर की पूर्वी दिवार के पास की संज्ञा दी गई है इसिलिय इस भाव में यदि शुभ ग्रह हो तो उनकी वस्तु घर में इस दिवार के पास स्थापित करनी चाहिए \
भाव भावत सिद्धांत को हम देखें तो ये भाव छ्टे भाव से बारवां भाव है याने की हमारी ऋण रोग शत्रु को कम करने वाला भाव \ जब भी इंसान पर इन चीजों से दुस्र्भाव होता है तो उसकी समझ उसकी सनातन उसकी विद्या ही उसे इन सबसे निपटने में सहायता करती है \ इसी प्रकार ग्यारवाँ भाव से ये भाव सप्तम होने के कारण हमारी भाभी का भी हो जता है \ तो व्यय भाव से छटा होने से हमारे खर्च के शत्रु का भाव ये बन जाता है \चूँकि ये दुसरे भाव से चोथा है इसिलिय पारिवारिक सम्पति से हमे कितना सुख मिलेगा उसे भी इसी भाव से देखा जा सकता है \ इस प्रकार आप अन्य भाव से इस भाव का सम्बन्ध स्थापित कर सकते है \
जय श्री राम
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