दसम भाव और ज्योतिष

मित्रों  ज्योतिष  में दसम भाव  को  हमारे  जीवन का सबसे महत्वपूर्ण भाग  यानी की कर्म  को  सोंपा  गया है  इसी कारन  केंद्र  में इस  भाव  को  सबसे  बलि  भाव  भी  मना  जाता  है  | हमारा  कार्य छेत्र  हमारे  कार्य  व्यवसाय  नोकरी  आदि  सब  कुछ  मुख्य रूप  से इसी  भाव  पर निर्भर  करते है | इस  भाव  की  शुभता  अशुभता  के द्वारा  ही  ये  निर्धारित  होता है  की  हमारे  कार्य  कैसे  होंगे  उनमे  हमे  कितनी  सफलता  मिलेगी  और  कर्म  छेत्र  में हमे  कितना  संघर्ष  करना  पड़ेगा  \
मतांतर   से  इस  भाव  से पिता  के  लिय भी  अध्ययन किया  जता  है इसी  लिय  पिता  की  सिथ्ती  का  अध्ययन  भी  इस  भाव  से  होता  है वैसे  भी ये  भाव  नवम  भाव  से  दूसरा  भाव  है  ऐसे  में पिता  की आर्थिक  सिथ्ती  को  तो ये  भाव  हर  दृष्टीकोण   से  अवस्य  हो  दर्शाता  है  |
दिशा के  सम्बन्ध  में ये  भाव  दक्षिण  दिशा  को  दर्शाता  है  और  सूर्य मंगल  इस  भाव में दिशा  बलि  हो  जाते  है  इसिलिय उनके  यहाँ  होने  पर  जातक  को  जन्म  स्थान  से  दक्षिण  दिशा  में सफलता  मिलने के य्प्ग  ज्यादा बन जाते है |
हमारे शरीर में ये  भाव  पिड्लियों को  दर्शाता  है  इसिलिय  इस  भाव के दूषित  होने प्र्जात्क  को  पिंडलियों  में दर्द  की समस्या  का सामना  करना  पड़  सकता  है  |
ये  भाव  हमारे काल्पनिक  शक्ति का भी  कारक  है  वो  काल्पनिक  शक्ति  जिसका  हम अपने कार्य  छेत्र में प्रयोग  करते है  \ इस  भाव  को  जीवन  के छेत्र में ठगी  के  द्वार की  संज्ञा भी  दी  गई  है  इसिलिय     अपना काम निकलवाने  के लिय  हम दुसरो को  किस  हद  तक दोखा  दे  सकते  है  ये  भी  इसी  भाव  पर  निर्भर  करता  है | ये  भाव  भाग्य  भाव  से  दूसरा  होने  के कारण  हमारी  किस्मत  का मैदान भी  है  ऐसे में  हम  हमारी किस्मत  को  कितना फैला पायेंगे वो सब  इसी  भाव  पर  निर्भर  करता  है | भाग्य के कारण  हम  कितने धन की  मात्रा हम अपने जन्म  के  साथ  लेकर  आये  है  उसे  भी ये  भाव  दर्शाता  है  |
सरकारी  छेत्र में जातक  को  मिलने  वाली  सफलता  भी इसी  भाव  पर निर्भर  करती  है  | अच्छी  सरकारी  नोकरी  या सरकार  से  लाभ ये  ही  भाक्व  दर्शाता  है तो राजनीति  में सफलता  के  लिय  इस  भाव  का  अध्ययन करना  आवश्यक  हो  जाता  है \  साथ ही राजनीति  से  जुड़े  हुवे  लोगों  से  जातक  को  क्या  लाभ  मिल  सकता  है  उसके  उपर  भी  ये  भाव  प्रकाश  डालता  है  |
भाव भावात  सिधान्तसे  हम देखें  तो  ये  भाव  पंचम  बहव  से  छटा  भाव  होता  है  इसिलिय  हमारी सन्तान  के ऋण रोग  शत्रु  को  भी ये  भाव  दर्शाता है  तो  हमारी  उंच  शिक्षा  की प्राप्ति  एम् आने  वाले  विर्धोधियों को  भी ये  भाव | इंगित  करता  है |  सप्तम  भाव  से  ये  भाव  चोथा  है  इसिलिय  जीवन  साथी  को मिलने  वाले  सुख  को  भी ये भाव  दर्शाता  है  तो  साथ ही सास  के  लिय  भी इसी  भाव  का अध्ययन किया  जाता  है | ये  ग्यारवें  भाव  से  द्वादश  बहव  होने के कारण  हम  अपनी कितनी  इच्छाओं  का  त्याग करते है  वो भी इसी  भाव  पर  निर्भर  करता  है  तो  व्यय भाव से एकादश भाव  होने के कारण  विदेश में हमारी  आय  और  इच्छाओं  कीपूर्ति  को भी  ये  भाव  दर्शाता  है | सूर्य बुद्ध गुरु और शनी इसभाव  के कारक ग्रह है इसिलिय इस भाव का अध्ययन करते समय हमे इन ग्रहों की कुंडली  में सिथ्ती काअध्ययन करना आवश्यक हो जाता है | कालपुरुष की कुंडली में यहाँशनी की मकर  राशि आती है इसिलिय जातक के कर्म को यदि कोई ग्रह  सबसेज्यादा प्रभावित करता है तो वो शनी  ग्रह होता है |
मित्रों  इस  प्रकार  सारांस  में आप  इस  भाव के महत्व  को  समझ  सकते है \
जय  श्री  राम

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