अस्ठ्म भाव और ज्योतिष

मित्रों  ज्योतिष में    कुंडली   में   सबसे  ज्यादा  बुरे   भाव  की  संज्ञा   दी  गई  है  वो   अस्ठ्म   भाव  है   जिसका   कारण  ये  है  की   नवम  भाव  हमारे   भाग्य   का  भाव  होता  है  और  ये  भाव  भाग्य   भाव  से  व्यय  भाव  होने  से  दुर्भाग्य का   भाव  कहलाता  है   याने  हमारे  भाग्य  का  खर्च | भाग्य  में  आने  वाली रुकावट  को  ये  ही  भाव  दर्शता   है | किस्मत  से मिलने  वाले  दोखे  को  ये  भाव  ही  दर्शाता  है | किस्मत  के  हाथों  हम कितना  दोखा   खायेंगे  और  जीवन  में कितनी  जेह्दोजह्द करेंगे   वो   इसी   भाव   पर  निर्भर   करता  है |
जीवन  में  अचानक  आने  वाले  विपति  और   ऐसी   समस्याये जिनके  कारण  जल्दी  से  समझ  में  नही  आते  उनका  भी  ये   भाव  कारक  माना  गया  है |  अस्ठ्म   भाव  को  आयु  का   भाव  मना   गया  है   इसिलिय जातक  की  आयु  कितनी   होगी  वो  इस  भाव  के  द्वारा   देखा   जाता  है  साथ   ही   जातक  की  मृत्यु  किस  प्रकार   से   हो  सकती  है  उसके    लिय  भी   इसी   भाव  को  केन्द्रित  करते  हुवे   गणना   की  जाती  है |
मित्रों  ये  भाव  छुपी  हुई  रह्श्य और  शक्तियों  का  है यानी हमे  किस  प्रकार  इस  प्रकार   की  शक्तियों  से  सहायता  मिल  सकती  है   या  हम  किसी   प्रकार किसी  साधना  में   सफल  हो  सकते  है  वो  भी   इस  भाव  पर  निर्भर करता   है | हमारे  मन  में  किस   हद  तक  साधुपन आ   सकता   है   उसे  ये  भाव  दर्शाता  है | कोई  गडा  हुआ   धन  या  छुपा  हुआ   धन  मिलने  के योग  भी हमे  यही  भाव बतलाता  है   |
ये  भाव  दर्शाता है   की हमारा  कार्यस्थल  किस  प्रकार का  होगा  सुंदर  होगा  या  बहुत   ही बुरी  हालत   में  होगा  | यानी  आपकी  कुंडली  में  इस   भाव   की  सिथ्ती  कैसी  है  उसका  अनुमान   आप  अपने  कार्यस्थल  की  दशा   से   भी  लगा   सकते  है |
शरीर  में  ये  कच्ची  चर्बी  और  पीठ  के  दर्द  का  भी  कारक   भाव  है  |पिछले  जन्म  से   हम  बिमारी  का  क्या  कारण  लेकर  इस  जन्म में   आये  है   उसे  भी  ये  ही  भाव   दर्शाता  है | साथ   ही   शरीर  में  मेदे  में  पित  की   मात्रा  और हम  भोजन  पचा  पायेंगे  ये   नही   वो  इसी   भाव   से जाना  जा  सकता  है |
मकान  के  सम्बन्ध  में ये  भाव  दर्शाता  है   की  हमारा  मकान   आलिशान  होगा या  समसान  जैसा  विराना  वहां  होगा  | वृक्षों  के  सम्बन्ध  में   ये भाव  उन  को   दर्शाता  है  जिनके  न  फल  लगते  है   और  न   फुल  और न  ही   जिनकी  छाया  होती  है | जानवरों   के  सम्बन्ध  में  ये  जहरीले   जानवरों  को  दर्शाता  है |
घर  में ये  भाव  जहां   पर  दवाइयां   रखी  जाती  है   उस   भाव   को  दर्शता  है | धन के  सम्बन्ध  में हमे  किस  हद   तक  नुक्सान  हो  सकता  है   या  हमारा   धन दूसरों   के लिय  किस  हद तक   काम   आएगा   उसे   ये   भाव  दर्शाता  है | दूसरी   औरंतो से सम्बन्ध  भी ये   ही   भाव  दर्शता  है |
चूँकि  ये  भाव  छुपे  हुवे  रहस्यों का भी  है  इसिलिय  इस  भाव  में जिस  जातक  के  अधिक  ग्रह  होते  है  उस  जातक  को  समझना  आम  इंसान  के  बस  के  बाहर  की  बात  होती  है  | उसमे कुछ  छुपी   हुई  खूबियाँ  भी  बहुत  होती  है  और  ऐसे  लोग  अच्छे  साधक  भी  बन  सकते है  \
ये भाव  छुपे  हुवे  खजानों  को  , विरासत  में मिलने  वाली  सम्पति  को   यानी  की  किसी  की  वसीयत  से मिलने  वाले  लाभ  को  और  किसी  की  मृत्यु  से  होने  वाले  लाभ  को भी  दर्शाता  है  |
जिस  जातक की कुंडली में इस  भाव  में  अधिक  ग्रह  होते  है  उनकी  विशेष  रूप  से  गूढ़  विषयों में रूचि  पाई  जाती  है  जैसे  की  ज्योतिष,  जादू  , जिन्न  ,  भोतिक  विज्ञान  ,   भूगर्भ  शास्त्र यानी की जमीन के अंदर  छुपे  हुवे  रहस्यों  को खोजने  वाली  विद्या  ,  परा शक्तियों  को जाननें  और  उन्हें  बस  में करने  की  विद्या  आदि  |
इस  प्रकार  इस  भाव  का  बहुत  महत्व  है हमारे  जीवन में जिस   संछिप्त  में   लिखने  की   कोसिस   की   है |
भाव  भावत  सिद्धांत  के  अनुसार  हम देखें  तो  ये  हमारे  पंचम   भाव  सेर  चोथा  भाव  है  यानी  की  हमारी  संतान  से  हमे  कैसा  सुख  मिलेगा  उसके  बारे  में  भी इस  भाव  से  जानकारी  प्राप्त  की जा सकती  है  | इसी   तरह  छटा  भाव  शत्रु  भाव  उस  से ये  भाव  हमारे  शत्रु  के  बाहुबल  के  बारे में भी जानकारी देता  है  \

जय  श्री   राम

Comments

Popular posts from this blog

सूर्य तप्त जल और उसके रंगों से चिकत्सा(क्रोमोथैरेपी )-

मंत्र

सर्व विपत्ति-हर्ता श्री घंटाकर्ण मंत्र व साधना - प्रयोग विधि