कुंडली का ग्यारवाँ भाव

मित्रों ज्योतिष में ग्यारवें भाव को आय का भाव माना गया है | ये भाव हमारे लालच को भी दर्शाता है की हम अपने लालच को पूराकरने केलिय किस हद तक जासकते है|| ये भाव हमारे घरकी बाहरी शोभा को भी दर्शाता है की घर बाहर से देखने पर आमिर का लगता है या गरीब का|
हमारे जिस्म में ताकत के रूप ये भाव दर्शाता है की अपना फर्ज निभाने के प्रति हम किस हद तक सुस्त या लापरवाह हो सकते है| यानी इस भाव में शुभ ग्रह होने पर जातक अपने जीवन के अवसरों को खोता नही है वरना बहुत से अवशर अपने हाथ से खो देता है अपनी लापरवाही के कारण |
ये भाव हमारी चेतना को दर्शाता है जो हम दूसरों की भलाई के लिय रखते है |
ये भाव हमारी किस्मत की उंचाई का है यानी हमारी किस्मत हमे कितनाऊँचा उठा सकती है उसे ये ही भाव दर्शाता है|
ये भाव हमारी आमदनी का भाव है यानी की हमारी आय क्या होगी हम अपनी कोशिश से कितना धन कमा पाएंगे उसे ये ही भाव दर्शाता है यदि इस भाव में शुभ ग्रह है तो शुभ कार्यों द्वारा आय की प्राप्ति होती है और यदि अशुभ ग्रह है तो अशुभ साधनों से आय प्राप्ति के योग बनते है |
ये भाव हमारे जन्म के समय हमारे माता पिता की आर्थिक हालत पर भी प्रकाश डालता है इस भाव में अशुभ ग्रह होने पर जन्म समय माता पिता की आर्थिक हालत अच्छी नही मिलती|
ये भा हमारे धन कमाने के साधनों को भी दर्शाता है की हमारे धन कमाने के कितने साधन होंगे| हमारे धर्म की प्रति हमारा कितना झुकाव होगा उसी को ये भाव दर्शाता है साथ भी ये भी दर्शाता है की धार्मिक होने से हमे कितना नफा या नुक्सान हो सकता है | पेड़ में ये भाव छाया वाले पेड़ों को दर्शाता है जिनके कांटे नही होते जैसे पीपल बरगद आदि |
मकान के सम्बन्ध में ये हमारे ख़रीदे हुवे मकान को दर्शाता है यानी जो मकान न तो हमे बुजुर्गों से मिला है और न ही हमने खुद बनाया है यानी बना बनाया खरीदा है |
किसी के साथ हमारी पहली मुलाक़ात कैसी होगी उसको भी ये भाव दर्शाता है जैसे की हमारी नोकरी के पहले दिन हमारा जो पहला अफसर होगा कैसा होगा उसका व्यवहार हमारे साथ कैसा होगा | इसके साथ हम दूसरों से क्या पायेंगे वो भी ये भाव दर्शाता है |

इसके  साथ ही  ये  भाव  हमारे  मित्रों  का  भी है  हमारे  मित्र कैसे  होंगे  उनसे  हमे  लाभ हानि कैसी मिलेगी  वो  सब इसी  भाव से  पता चलता  है \ इसके  साथ ही ये भाव  हमारे  बड़े  भाई को  भी इंगित  करता  है \
ये  भाव  हमारे  जीवन की इच्छा  पूर्ति  का भाव  है  जीवन में हमारी  इच्छाओ की पूर्ति  किस  हद  तक  हो पाएगी  आदि  सब इसी  भाव  पर  निर्भर  करता  है |
भाव  भावत  सिधानत  से  देखें  तो ये  भाव  पंचम  से सप्तम  होने के कारण  हमारे  पुत्र  की  पत्नी यानी की  पुत्र वधु  a भी भाव  है  तो  साथ ही विद्या अध्ययन  में मिलने  वाले  सहयोगियों  याने के हमारे  सहपाठी  को  भी  ये बहव  दर्शाता है  |
ये भाव  छ्टे भाव  से  छटा होने  से हमारे  शत्रु  के शत्रु का भाव  होता  है और शत्रु  के शत्रु  मित्र  होता  है इसिलिय भी  ये भाव  मित्र  का  भाव  माना  जाता है  \  सप्तम भाव से  ये  भाव  पंचम  भाव  होता  है इसिलिय  पत्नी से  सन्तान  की प्राप्ति इसिलिय सनातन का  अध्ययन करते  समय  इस  भाव  को  भी  केन्द्रित करते  हुवे  कुंडली  का अध्ययन किया  जाता है \
कहने का भाव ये है की ग्यारवाँ भाव काफी कुछ दर्शाता है हमारे बारे में यदि इस लेख में वर्णित चीजों आपको शुभ फलदे रही है तो इसकाअभिप्राय हुआ की आपकी कुंडली के इस भाव में सिथत ग्रह आपको शुभ फल दे रहा है||

जय श्री राम

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