सप्तम भाव और ज्योतिष
मित्रों ज्योतिष सप्तम भाव को अहम भूमिका सोंपी गई है \ सप्तम भाव से मुख्य रूप से विवाह के बारे में देखा जाता है \ शादी सही समय पर होगी या नही , कितनी शादिया होगी और विवाहिक जीवन कैसा रहेगा इन सभी प्रश्नों के उतर खोजने में इस भाव की अहम भूमिका होती है \ जातक का जीवन साथी कैसा होगा उसका रूप रंग स्वभाव सब कुछ इसी भाव पर निर्भर करता है \ शुक्र और बुद्ध इस भाव का कारक ग्रह है इसिलिय शुक्र बुद्ध की कुंडली में सिथ्ती पर इस भाव के फल मुख्य रूप से निर्भर करते है \
{आप हमारे जीवन को एक आटा पसीने वाली चाकी मान लेते है तो उसका उपर का जो पाट होता है तो लग्न है तो सप्तम उसका निचे वाला पाट और जिस लोहे की किली पर ये पाट घूमते है वो अस्ठ्म भाव है | इस चाकी के पाट जो की बुद्ध है में आटा शुक्र पिसा जाता है \ इसिलिय आपने देखा होगा की पुराने समय में जब तक घरों में ये आटा पिसने वाली चाकी होती थी विवाह विच्छेद कम हुआ करते थे क्योंकि सप्तम भाव के दोनों कारक ग्रह बुद्ध शुक्र इस चाकी के कारण घर में कायम रहते थे }ये तो है लाल किताब की बात|||||
सप्तम भाव को साझेदारी और व्यवसाय का भाव भी कहा जाता है \ आपको किस चीज के व्यापार में लाभ मिलेगा और आपका व्यापार कैसा रहेगा उसमे इस भाव की अहम भूमिका होती है तो साथ ही यदि आप किसी के साथ साझेदारी में कोई कार्य करने की सोच रहे है तो साझेदारी आपको लाभ देगी या नुकसान वो सब इसी भाव पर निर्भर करता है \
शरीर में ये हमारे मुख्य रूप से चमड़ी को दर्शाता है इसिलिय यदि यहाँ शुक्र दूषित अवस्था में हो तो चमड़ी से सम्बन्धित रोग होने की सम्भवना हो जाती है \
मित्रों सप्तम भाव की गिनती कुंडली के मारक भाव में की जताई है क्योंकि ये हमारी आयु के भाव याने की अस्ठ्म भाव का व्यय भाव है यानी की हमारी आयु को खर्च को दर्शाने वाला भाव इसिलिय इस भाव का स्वामी ज्योतिष में मारक ग्रह कहलाता है \
दिशा के सम्बन्ध में ये भाव पश्चिम दिशा को दर्शाता है और ये ही कारण है की शनी देव इस भावमें दिशाबली हो जाते है \
हमारी किस्मत का फैलाव किस हद तक हो सकता है और किस्मत का लाभ हमे कितना मिल सकता है ये सब इसी भाव पर निर्भर करता है \
जन्न अंगो से होने वाली बिमारी का सम्बन्ध भी काफी हद तक इस भाव से है \मुख्य रूप से सेक्स से सम्बन्धित बिमारी के लिय इस भाव का अध्ययन अहम भूमिका निभाता है \
हालाँकि शत्रु के लिय छ्टे भाव का अध्ययन किया जता है लेकिन दीवानी मुकदमे के लिय इसी भाव का अध्ययन किया जाता है
हमारी दैनिक आमदनी को भी ये भाव दर्शाता है \
यदि हम भाव भावात सिद्धांत देखें तो तीसरे भाव से पंचम भाव होने के कारण ये भाव हमारे भतीजे भतीजी को दर्शाता है याने की भाई बहन की सन्तान \ इस प्रकार पंचम से तीसरा होने के कारण ये भाव हमारी दूसरी सन्तान को दर्शाता है क्योंकि पंचम हमारी पहली सन्तान है तो उसका छोटा भाई या बहन उस से तीसरा यानी की हमारी कुंडली का सप्तम भाव होगा \ कर्म भाव से दसम भाव होने के कारण ही इस भाव का व्यवसाय से मुख्य सम्बन्ध मना जाता है \ इस प्रकार आप अन्य भाव से इस भाव का सम्बन्ध जान सकते है \
जय श्री राम
{आप हमारे जीवन को एक आटा पसीने वाली चाकी मान लेते है तो उसका उपर का जो पाट होता है तो लग्न है तो सप्तम उसका निचे वाला पाट और जिस लोहे की किली पर ये पाट घूमते है वो अस्ठ्म भाव है | इस चाकी के पाट जो की बुद्ध है में आटा शुक्र पिसा जाता है \ इसिलिय आपने देखा होगा की पुराने समय में जब तक घरों में ये आटा पिसने वाली चाकी होती थी विवाह विच्छेद कम हुआ करते थे क्योंकि सप्तम भाव के दोनों कारक ग्रह बुद्ध शुक्र इस चाकी के कारण घर में कायम रहते थे }ये तो है लाल किताब की बात|||||
सप्तम भाव को साझेदारी और व्यवसाय का भाव भी कहा जाता है \ आपको किस चीज के व्यापार में लाभ मिलेगा और आपका व्यापार कैसा रहेगा उसमे इस भाव की अहम भूमिका होती है तो साथ ही यदि आप किसी के साथ साझेदारी में कोई कार्य करने की सोच रहे है तो साझेदारी आपको लाभ देगी या नुकसान वो सब इसी भाव पर निर्भर करता है \
शरीर में ये हमारे मुख्य रूप से चमड़ी को दर्शाता है इसिलिय यदि यहाँ शुक्र दूषित अवस्था में हो तो चमड़ी से सम्बन्धित रोग होने की सम्भवना हो जाती है \
मित्रों सप्तम भाव की गिनती कुंडली के मारक भाव में की जताई है क्योंकि ये हमारी आयु के भाव याने की अस्ठ्म भाव का व्यय भाव है यानी की हमारी आयु को खर्च को दर्शाने वाला भाव इसिलिय इस भाव का स्वामी ज्योतिष में मारक ग्रह कहलाता है \
दिशा के सम्बन्ध में ये भाव पश्चिम दिशा को दर्शाता है और ये ही कारण है की शनी देव इस भावमें दिशाबली हो जाते है \
हमारी किस्मत का फैलाव किस हद तक हो सकता है और किस्मत का लाभ हमे कितना मिल सकता है ये सब इसी भाव पर निर्भर करता है \
जन्न अंगो से होने वाली बिमारी का सम्बन्ध भी काफी हद तक इस भाव से है \मुख्य रूप से सेक्स से सम्बन्धित बिमारी के लिय इस भाव का अध्ययन अहम भूमिका निभाता है \
हालाँकि शत्रु के लिय छ्टे भाव का अध्ययन किया जता है लेकिन दीवानी मुकदमे के लिय इसी भाव का अध्ययन किया जाता है
हमारी दैनिक आमदनी को भी ये भाव दर्शाता है \
यदि हम भाव भावात सिद्धांत देखें तो तीसरे भाव से पंचम भाव होने के कारण ये भाव हमारे भतीजे भतीजी को दर्शाता है याने की भाई बहन की सन्तान \ इस प्रकार पंचम से तीसरा होने के कारण ये भाव हमारी दूसरी सन्तान को दर्शाता है क्योंकि पंचम हमारी पहली सन्तान है तो उसका छोटा भाई या बहन उस से तीसरा यानी की हमारी कुंडली का सप्तम भाव होगा \ कर्म भाव से दसम भाव होने के कारण ही इस भाव का व्यवसाय से मुख्य सम्बन्ध मना जाता है \ इस प्रकार आप अन्य भाव से इस भाव का सम्बन्ध जान सकते है \
जय श्री राम
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