कुंडली का पहला भाव यानी लग्न
मित्रों जन्म कुंडली विश्लेष्ण में यदि किसी का सबसे ज्यादा महत्व है तो वो लग्न का है हालांकि अन्य भाव और वर्ग कुंडलियों का भी अपनी अपनी जगह महत्व है लेकिन जब तक लग्न और लग्नेश की सिथ्थी सही नही हो अच्छे से अच्छा योग भी अपना पूर्ण प्रभाव नही दे पाता है| वैसे तो और भाव किसी न किसी अंग को दर्शाता है लेकिन लग्न हमारे पुरे शरीर को दर्शाता है |
लग्न से किसी इंसान के व्यव्क्तित्व का पता चलता है समाज में जातक का नाम किस हशिय्त का होगा जातक कितना परोपकारी होगा हालांकि ये भाव 25% ही परोपकारी दर्शाता है बाकी ७५% परोपकार का नवम भाव से पता चलता है|
ये भाव हमारे जीवन के पहले भाग यानी 25 वर्ष तक की उम्र को विशेष रूप से दर्शाता है जातक अपने पुराने रिति रिवाजों पर कितना चलताहै उसका इस भाव से पता चलता है| हम पिछले जन्म के कर्मों का कितना भाग इस जन्म में लेकर आये है और उनका कितना फल हमे मिलना है वो इसी भाव से पता चलता है| पहला भाव पूर्व दिशा को दर्शाता है इसिलिय जिस जातक का सूर्य पहले भाव में हो या बहुत अच्छी सिथ्ती में हो उसे पूर्व दिशा का मकान शुभ फल देता है|
इसी भाव के द्वारा हमारा वर्तमान कैसा बित रहा है हम अपने दम पर कितना धन कम सकते है उसका पता ये भाव ही बतलाता है|
हमारे घर में ड्राइंगरूम या बैठक जहाँ पर बैठकर हम दूसरों से बात करते है वो भी ये ही भाव दर्शाता है| साथ ही ये भाव दर्शाता है की हम अपनी नोकरी व्यवसाय में कितने ऊँचे पद को प्राप्त करेंगे|
इस भाव में बैढे हुवे गरहो से हम अपने काम में आने वाली दवाइयों के बारे में जान सकते है की हमे आयुर्वेदिक दवाई कार्य करेगी या कोई अन्य और किस प्रकार से कार्य करेगी|
मुख्य रूप से ये भाव हमारे माथे और चहेरे को दर्शाता है साथ ही हमारे अभिमान की मात्रा को भी दर्शाता है| अपने पारब्र्ध के कर्मों के कारण हम इस शरीर में क्या क्या भुगतेंगे और इस शरीर से क्या क्या कमाएंगे उसका पता इसीभाव से चलता है|
लाल किताब के १९४२ के संस्करण में इसे "झगड़ा मनुष्य और माया" का कहा गया था जबकि १९५२ के संस्करण में इसे झगड़ा जहाँ रूह माया का कहा गया |
पहले घर का कारक ग्रह सूर्य है इसिलिय पहले भाव के फल देखते समय हमे कुंडली में सूर्य की सिथ्ती भी देखनी होती है | कालपुरुष की कुंडली में मंगल की मेष राशि इस भाव में आती है और वो इस भाव के मालिक बन जाते है और ऐसे में मंगल यहाँ ग्रहफल का होगा यानी की ऐसा ग्रह जिसके फल को किसी भी उपाय से बदला नही जाता इसिलिय इस भाव में मंगल होने पर मंगल का उपाय नही किया जाता बल्कि किसी अन्य ग्रह की मदद से मंगल को ठीक किया जाता है |
कहने का अभिप्राय ये है मित्रों की इस भाव की शुभ अशुभ सिथ्ती हमारे जीवन में सबसे ज्यादा प्रभाव डालने वाली है | चूँकि ये पूरा शरीर को दर्शाता हैं और कहा भी जाता है पहला सुख निरोगी काय | यदिये भाव सही है तो अन्य भाव के फल आप अपने शरीर की महनत के द्वारा प्राप्त करने की कोशिस क्र सकते हो| इस भाव के को वैदिक ज्योतिष में भी इसी कारण सबसे ज्यादा महत्व दिया गया है और इसी कारण इस भाव को केंद्र और त्रिकोण दोनों में सामिल किया गया है | यदि आपका शरीर ठीक है तो आप अन्य भावों की फल का आनंद आसानी से ले सकते है जैसे की यदि शरीर ठीक है तो धन का सुख आप ले सकते है आपमें पराक्रम बहुत होगा मकान वाहन का सुख आप अच्छी तरह भोग सकते है सन्तान उत्पति में समस्या नही आती तो आप अच्छी शिक्षा और बुद्धि के मालिक बन सकते है ऋण रोग सत्रु आप पर हावी नही हो सकता आप का जीवनसाथी के साथ साथ लंबा और अच्छा होगा तो जातक की उम्र लम्बी होगी और वो जीवन में आने वाली मुसीबतों का आसानी से मुकाबला कर सकता है अपने भाग्य का पूर्ण प्रयोग कर सकता है और कर्म छेत्र में अच्छी सफलता प्राप्त कर सकता है अपने जीवन की इच्छाओं की पूर्ति कर सकता है तो होस्पिटल आदि के व्यर्थ के खर्च से बच सकता है ये सब तभी होगा जब लग्न और लग्नेश बली होगा लेकिन इसके साथ हमे भाव विशेष का भी साथ में अध्ययन करना होगा जैसे सन्तान के लिय पंचम भाव का अध्ययन करते समय पंचमेश का अध्ययन भी आवश्यक होगा लेकिन बिना लग्न लग्नेश का अध्ययन किये ये अधूरा अध्ययन होगा इसी कारण लग्न को सभी ज्योतिष विद्याओं में सबसे ज्यादा महत्व दियया है |
मित्रों किसी भी भाव के फल को देखते समय हमे भाव भावात सिंद्धांत का भी ध्यान रखना होगा जैसे पहला भाव दुसरे भाव यानी की धन भाव का खर्च व्यय भाव है यानी की हम अपने संचित धन का कितना व्यय अपने शरीर के उपर करेंगे वो इसी भाव पर निर्भर करता है | इसी प्रकार ये नवम भाव यानी की पिता के भाव से पंचम यानी की का पुत्र यानी की हमारे खुद के बारे में ज्ञान करवाता है पिता की बुधि विद्या का ज्ञान हमे करवाता है | इसी प्रकार ये छ्टे भाव यानी ऋण रोग शत्रु से अस्ठ्म भाव है हम किस प्रकार ऋण से निपटेंगे शत्रु को किस प्रकार हानि पहुंचाएंगे आदि का पता इसी भाव से चलेगा |
मित्रों आज से सभी भावों के बारे में पोस्ट करूंगा की कौन से भाव किस चीज का प्रतीक है | हालाँकि एक साल पहले भी सभी भावों पर पोस्ट की थी लेकिन बहुत से नये मित्र जुड़े है उन सभी के लिय और कुछ नया जोड़ते हुवे पोस्ट करूंगा |
जय श्री राम
लग्न से किसी इंसान के व्यव्क्तित्व का पता चलता है समाज में जातक का नाम किस हशिय्त का होगा जातक कितना परोपकारी होगा हालांकि ये भाव 25% ही परोपकारी दर्शाता है बाकी ७५% परोपकार का नवम भाव से पता चलता है|
ये भाव हमारे जीवन के पहले भाग यानी 25 वर्ष तक की उम्र को विशेष रूप से दर्शाता है जातक अपने पुराने रिति रिवाजों पर कितना चलताहै उसका इस भाव से पता चलता है| हम पिछले जन्म के कर्मों का कितना भाग इस जन्म में लेकर आये है और उनका कितना फल हमे मिलना है वो इसी भाव से पता चलता है| पहला भाव पूर्व दिशा को दर्शाता है इसिलिय जिस जातक का सूर्य पहले भाव में हो या बहुत अच्छी सिथ्ती में हो उसे पूर्व दिशा का मकान शुभ फल देता है|
इसी भाव के द्वारा हमारा वर्तमान कैसा बित रहा है हम अपने दम पर कितना धन कम सकते है उसका पता ये भाव ही बतलाता है|
हमारे घर में ड्राइंगरूम या बैठक जहाँ पर बैठकर हम दूसरों से बात करते है वो भी ये ही भाव दर्शाता है| साथ ही ये भाव दर्शाता है की हम अपनी नोकरी व्यवसाय में कितने ऊँचे पद को प्राप्त करेंगे|
इस भाव में बैढे हुवे गरहो से हम अपने काम में आने वाली दवाइयों के बारे में जान सकते है की हमे आयुर्वेदिक दवाई कार्य करेगी या कोई अन्य और किस प्रकार से कार्य करेगी|
मुख्य रूप से ये भाव हमारे माथे और चहेरे को दर्शाता है साथ ही हमारे अभिमान की मात्रा को भी दर्शाता है| अपने पारब्र्ध के कर्मों के कारण हम इस शरीर में क्या क्या भुगतेंगे और इस शरीर से क्या क्या कमाएंगे उसका पता इसीभाव से चलता है|
लाल किताब के १९४२ के संस्करण में इसे "झगड़ा मनुष्य और माया" का कहा गया था जबकि १९५२ के संस्करण में इसे झगड़ा जहाँ रूह माया का कहा गया |
पहले घर का कारक ग्रह सूर्य है इसिलिय पहले भाव के फल देखते समय हमे कुंडली में सूर्य की सिथ्ती भी देखनी होती है | कालपुरुष की कुंडली में मंगल की मेष राशि इस भाव में आती है और वो इस भाव के मालिक बन जाते है और ऐसे में मंगल यहाँ ग्रहफल का होगा यानी की ऐसा ग्रह जिसके फल को किसी भी उपाय से बदला नही जाता इसिलिय इस भाव में मंगल होने पर मंगल का उपाय नही किया जाता बल्कि किसी अन्य ग्रह की मदद से मंगल को ठीक किया जाता है |
कहने का अभिप्राय ये है मित्रों की इस भाव की शुभ अशुभ सिथ्ती हमारे जीवन में सबसे ज्यादा प्रभाव डालने वाली है | चूँकि ये पूरा शरीर को दर्शाता हैं और कहा भी जाता है पहला सुख निरोगी काय | यदिये भाव सही है तो अन्य भाव के फल आप अपने शरीर की महनत के द्वारा प्राप्त करने की कोशिस क्र सकते हो| इस भाव के को वैदिक ज्योतिष में भी इसी कारण सबसे ज्यादा महत्व दिया गया है और इसी कारण इस भाव को केंद्र और त्रिकोण दोनों में सामिल किया गया है | यदि आपका शरीर ठीक है तो आप अन्य भावों की फल का आनंद आसानी से ले सकते है जैसे की यदि शरीर ठीक है तो धन का सुख आप ले सकते है आपमें पराक्रम बहुत होगा मकान वाहन का सुख आप अच्छी तरह भोग सकते है सन्तान उत्पति में समस्या नही आती तो आप अच्छी शिक्षा और बुद्धि के मालिक बन सकते है ऋण रोग सत्रु आप पर हावी नही हो सकता आप का जीवनसाथी के साथ साथ लंबा और अच्छा होगा तो जातक की उम्र लम्बी होगी और वो जीवन में आने वाली मुसीबतों का आसानी से मुकाबला कर सकता है अपने भाग्य का पूर्ण प्रयोग कर सकता है और कर्म छेत्र में अच्छी सफलता प्राप्त कर सकता है अपने जीवन की इच्छाओं की पूर्ति कर सकता है तो होस्पिटल आदि के व्यर्थ के खर्च से बच सकता है ये सब तभी होगा जब लग्न और लग्नेश बली होगा लेकिन इसके साथ हमे भाव विशेष का भी साथ में अध्ययन करना होगा जैसे सन्तान के लिय पंचम भाव का अध्ययन करते समय पंचमेश का अध्ययन भी आवश्यक होगा लेकिन बिना लग्न लग्नेश का अध्ययन किये ये अधूरा अध्ययन होगा इसी कारण लग्न को सभी ज्योतिष विद्याओं में सबसे ज्यादा महत्व दियया है |
मित्रों किसी भी भाव के फल को देखते समय हमे भाव भावात सिंद्धांत का भी ध्यान रखना होगा जैसे पहला भाव दुसरे भाव यानी की धन भाव का खर्च व्यय भाव है यानी की हम अपने संचित धन का कितना व्यय अपने शरीर के उपर करेंगे वो इसी भाव पर निर्भर करता है | इसी प्रकार ये नवम भाव यानी की पिता के भाव से पंचम यानी की का पुत्र यानी की हमारे खुद के बारे में ज्ञान करवाता है पिता की बुधि विद्या का ज्ञान हमे करवाता है | इसी प्रकार ये छ्टे भाव यानी ऋण रोग शत्रु से अस्ठ्म भाव है हम किस प्रकार ऋण से निपटेंगे शत्रु को किस प्रकार हानि पहुंचाएंगे आदि का पता इसी भाव से चलेगा |
मित्रों आज से सभी भावों के बारे में पोस्ट करूंगा की कौन से भाव किस चीज का प्रतीक है | हालाँकि एक साल पहले भी सभी भावों पर पोस्ट की थी लेकिन बहुत से नये मित्र जुड़े है उन सभी के लिय और कुछ नया जोड़ते हुवे पोस्ट करूंगा |
जय श्री राम
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