वास्तु के द्वारा ठीक कर सकते है..........मधुमेह (शुगर)
वास्तु के द्वारा ठीक कर सकते है..........मधुमेह (शुगर)
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चौंकिये मत बिलकुल सही बात है कि जब हम वास्तु शास्त्र के द्वारा जीवन की अनेकों समस्याए ठीक कर सकने में सक्षम है तो शुगर अर्थात मधुमेह को क्यों नहीं?वास्तु के द्वारा ठीक कर सकते है आपको आश्चर्य होना स्वाभाविक है जो रोग राजसी श्रेणी में आ कर फिर कभी समाप्त नहीं होता बल्कि केवल दवाईयों के द्वारा नियंत्रित हो कर जीवन भर हमें दंड देता रहता है वही मधुमेह को हमारे ऋषि मुनिओं ने वास्तु शास्त्र के द्वारा नियंत्रण की बात तो दूर है पूरी तरह से सफाया करने पर अग्रसित हो रहा है दुर्भाग्य कि बात है कि हम विशवास नहीं करते . हमारे जीवन में शत प्रतिशत कारगर सिद्ध होती आई है.वास्तु सही रूप से जीवन की एक कला है क्योंकि हर व्यक्ति का शरीर उर्जा का केन्द्र होता है.जंहा भी व्यक्ति निवास करता है वहाँ कि वस्तुओं की उर्जा अपनी होती है और वह मनुष्य की उर्जा से तालमेल रखने की कोशिश करती है. यदि उस भवन / स्थान की उर्जा उस व्यक्ति के शरीर की उर्जा से ज्यादा संतुलित हो तो उस स्थान से विकास होता है शरीर से स्वस्थ रहता है सही निर्णय लेने में समर्थ होता है सफलता प्राप्त करने में उत्साह बढता है, धन की वृद्धि होती है जिससे समृधि बदती है यदि वास्तु दोष होने एवम उस स्थान की उर्जा संतुलित नहीं होने से अत्यधिक मेहनत करने पर भी सफलता नहीं मिलती.वह व्यक्ति अनेक व्याधियो व रोगों से दुखी होने लगता है अपयश तथा हानि उठानी पड़ती है.
इसलिए व्यक्ति वास्तु शास्त्र के नियम अनुसार यदि निवास करता है तो समस्त बाधाए समाप्त हो जाती है. वास्तु शास्त्र प्राचीन वैज्ञानिक जीवन शैली है वास्तु विज्ञान सम्मत तो है ही साथ ही वास्तु का सम्बन्ध ग्रह नक्षत्रों एवम धर्म से भी है ग्रहों के अशुभ होने तथा वास्तु दोष विद्यमान होने से व्यक्ति को बहुत भयंकर कष्टों का सामना करना पड़ता है. वास्तु शास्त्र अनुसार पंच तत्वों पृथ्वी,जल,अग्नि, आकाश और वायु तथा वास्तु के आठ कोण दिशाए एवम ब्रह्म स्थल केन्द्र को संतुलित करना अति आवश्यक होता है जिससे जीवन हमारा एवं परिवार सुखमय रह सके.
इस रोग का नाम तो सभी परिचित है यह कितना खतरनाक है लिखने की जरूरत नहीं है आखिर मधुमेह होता क्यों है.... क्या कारण है? चिकित्सा शास्त्र में बहुत से लक्षण सुनने और देखने में मिलते है लेकिन वास्तु शास्त्र में बिलकुल स्पष्ट है कि घर / भवन का दक्षिण-पश्चिम भाग अर्थात नैऋत्य कोण ही इस रोग का जनक बनता है देखिये कैसे........
१ दक्षिण-पश्चिम कोण में कुआँ , जल बोरिंग या भूमिगत पानी का स्थान मधुमेह बढाता है .
२ दक्षिण-पश्चिम कोण में हरियाली बगीचा या छोटे छोटे पोधे भी शुगर का कारण है ...
३ घर / भवन का दक्षिण-पश्चिम कोना बड़ा हुआ है तब भी शुगर आक्रमण करेगी.
४ यदि दक्षिण-पश्चिम का कोना घर में सबसे छोटा या सिकुड़ा हुआ है तो समझो मधुमेह का द्वार खुल गया.
५ दक्षिण-पश्चिम भाग घर या भवन की ऊँचाई से सबसे नीचा है मधुमेह बढेगी. इसलिए यह भाग सबसे ऊँचा रखे.
६ दक्षिण-पश्चिम भाग में सीवर का गड्ढा होना भी शुगर को निमंत्रण देना है.
७ ब्रह्म स्थान अर्थात घर का मध्य भाग भारी हो तथा घर के मध्य में अधिक लोहे का प्रयोग हो या ब्रह्म भाग से जीना सीडीयां ऊपर कि और जा रही हो तो समझ ले कि मधुमेह का घर में आगमन होने जा रहा हें अर्थात दक्षिण-पश्चिम भाग यदि आपने सुधार लिया तो काफी हद तक आप असाध्य रोगों से मुक्त हो जायेगे
कुछ सावधानियां और करे जैसे कि.........
१ अपने बेडरूम में कभी भी भूल कर भी खाना ना खाए.
२ अपने बेडरूम में जूते चप्पल नए या पुराने बिलकुल भी ना रखे
३ मिटटी के घड़े का पानी का इस्तेमाल करे तथा घडे में प्रतिदिन सात तुलसी के पत्ते डाल कर उसे प्रयोग करे .
४ दिन में एक बार अपनी माता के हाथ का बना हुआ खाना अवश्य खाए
५ अपने पिता को तथा जो घर का मुखिया हो उसे पूर्ण सम्मान दे
६ प्रत्येक मंगलवार को अपने मित्रों को मिष्ठान जरूर दे
७ रविवार भगवान सूर्य को जल दे कर यदि बन्दरों को गुड़ खिलाये तो आप स्वयं अनुभव करेंगे की मधुमेह शुगर कितनी जल्दी जा रही है
८ ईशानकोण से लोहे की सारी वस्तुए हटा ले इन सब के करने से आप मधुमेह मुक्त हो सकते है. वृहस्पति देव की हल्दी की एक गाँठ लेकर एक चम्मच शहद में सिल पत्थर में घिस कर सुबह खाली पेट पीने से मधुमेह से मुक्त हो सकते है.......
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चौंकिये मत बिलकुल सही बात है कि जब हम वास्तु शास्त्र के द्वारा जीवन की अनेकों समस्याए ठीक कर सकने में सक्षम है तो शुगर अर्थात मधुमेह को क्यों नहीं?वास्तु के द्वारा ठीक कर सकते है आपको आश्चर्य होना स्वाभाविक है जो रोग राजसी श्रेणी में आ कर फिर कभी समाप्त नहीं होता बल्कि केवल दवाईयों के द्वारा नियंत्रित हो कर जीवन भर हमें दंड देता रहता है वही मधुमेह को हमारे ऋषि मुनिओं ने वास्तु शास्त्र के द्वारा नियंत्रण की बात तो दूर है पूरी तरह से सफाया करने पर अग्रसित हो रहा है दुर्भाग्य कि बात है कि हम विशवास नहीं करते . हमारे जीवन में शत प्रतिशत कारगर सिद्ध होती आई है.वास्तु सही रूप से जीवन की एक कला है क्योंकि हर व्यक्ति का शरीर उर्जा का केन्द्र होता है.जंहा भी व्यक्ति निवास करता है वहाँ कि वस्तुओं की उर्जा अपनी होती है और वह मनुष्य की उर्जा से तालमेल रखने की कोशिश करती है. यदि उस भवन / स्थान की उर्जा उस व्यक्ति के शरीर की उर्जा से ज्यादा संतुलित हो तो उस स्थान से विकास होता है शरीर से स्वस्थ रहता है सही निर्णय लेने में समर्थ होता है सफलता प्राप्त करने में उत्साह बढता है, धन की वृद्धि होती है जिससे समृधि बदती है यदि वास्तु दोष होने एवम उस स्थान की उर्जा संतुलित नहीं होने से अत्यधिक मेहनत करने पर भी सफलता नहीं मिलती.वह व्यक्ति अनेक व्याधियो व रोगों से दुखी होने लगता है अपयश तथा हानि उठानी पड़ती है.
इसलिए व्यक्ति वास्तु शास्त्र के नियम अनुसार यदि निवास करता है तो समस्त बाधाए समाप्त हो जाती है. वास्तु शास्त्र प्राचीन वैज्ञानिक जीवन शैली है वास्तु विज्ञान सम्मत तो है ही साथ ही वास्तु का सम्बन्ध ग्रह नक्षत्रों एवम धर्म से भी है ग्रहों के अशुभ होने तथा वास्तु दोष विद्यमान होने से व्यक्ति को बहुत भयंकर कष्टों का सामना करना पड़ता है. वास्तु शास्त्र अनुसार पंच तत्वों पृथ्वी,जल,अग्नि, आकाश और वायु तथा वास्तु के आठ कोण दिशाए एवम ब्रह्म स्थल केन्द्र को संतुलित करना अति आवश्यक होता है जिससे जीवन हमारा एवं परिवार सुखमय रह सके.
इस रोग का नाम तो सभी परिचित है यह कितना खतरनाक है लिखने की जरूरत नहीं है आखिर मधुमेह होता क्यों है.... क्या कारण है? चिकित्सा शास्त्र में बहुत से लक्षण सुनने और देखने में मिलते है लेकिन वास्तु शास्त्र में बिलकुल स्पष्ट है कि घर / भवन का दक्षिण-पश्चिम भाग अर्थात नैऋत्य कोण ही इस रोग का जनक बनता है देखिये कैसे........
१ दक्षिण-पश्चिम कोण में कुआँ , जल बोरिंग या भूमिगत पानी का स्थान मधुमेह बढाता है .
२ दक्षिण-पश्चिम कोण में हरियाली बगीचा या छोटे छोटे पोधे भी शुगर का कारण है ...
३ घर / भवन का दक्षिण-पश्चिम कोना बड़ा हुआ है तब भी शुगर आक्रमण करेगी.
४ यदि दक्षिण-पश्चिम का कोना घर में सबसे छोटा या सिकुड़ा हुआ है तो समझो मधुमेह का द्वार खुल गया.
५ दक्षिण-पश्चिम भाग घर या भवन की ऊँचाई से सबसे नीचा है मधुमेह बढेगी. इसलिए यह भाग सबसे ऊँचा रखे.
६ दक्षिण-पश्चिम भाग में सीवर का गड्ढा होना भी शुगर को निमंत्रण देना है.
७ ब्रह्म स्थान अर्थात घर का मध्य भाग भारी हो तथा घर के मध्य में अधिक लोहे का प्रयोग हो या ब्रह्म भाग से जीना सीडीयां ऊपर कि और जा रही हो तो समझ ले कि मधुमेह का घर में आगमन होने जा रहा हें अर्थात दक्षिण-पश्चिम भाग यदि आपने सुधार लिया तो काफी हद तक आप असाध्य रोगों से मुक्त हो जायेगे
कुछ सावधानियां और करे जैसे कि.........
१ अपने बेडरूम में कभी भी भूल कर भी खाना ना खाए.
२ अपने बेडरूम में जूते चप्पल नए या पुराने बिलकुल भी ना रखे
३ मिटटी के घड़े का पानी का इस्तेमाल करे तथा घडे में प्रतिदिन सात तुलसी के पत्ते डाल कर उसे प्रयोग करे .
४ दिन में एक बार अपनी माता के हाथ का बना हुआ खाना अवश्य खाए
५ अपने पिता को तथा जो घर का मुखिया हो उसे पूर्ण सम्मान दे
६ प्रत्येक मंगलवार को अपने मित्रों को मिष्ठान जरूर दे
७ रविवार भगवान सूर्य को जल दे कर यदि बन्दरों को गुड़ खिलाये तो आप स्वयं अनुभव करेंगे की मधुमेह शुगर कितनी जल्दी जा रही है
८ ईशानकोण से लोहे की सारी वस्तुए हटा ले इन सब के करने से आप मधुमेह मुक्त हो सकते है. वृहस्पति देव की हल्दी की एक गाँठ लेकर एक चम्मच शहद में सिल पत्थर में घिस कर सुबह खाली पेट पीने से मधुमेह से मुक्त हो सकते है.......
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