हाथों में पाए जाने वाले चिन्ह

हाथों में पाए जाने वाले चिन्ह और उनके प्रभाव के विषय में हम काफी बातें पहले भाग में कर चुके हैं।
कड़ी को आगे बढ़ते हुए इस भाग में हम कुछ और चिन्हों को जानेंगे और देखेंगे कि ये चिन्ह हमारे विषय में क्या कहते हैं। आप अगर हस्तरेखा विज्ञान में रूचि रखते हैं तो यह आपके लिए उपयोगी और ज्ञानवर्घक रहेगा।
त्रिकोण (Triangle)
आप श्रृंखला के पहले भाग में पढ़ चुके होंगे कि सभी चिन्ह शुभ नहीं होते हैं और न तो सभी अशुभ प्रभाव डालने वाले होते हैं। यहां हम जिस चिन्ह की बात कर रहे हैं वह चिन्ह हथेली में होना शुभता की निशानी होती है। इस चिन्ह को यानी त्रिकोण को श्रेष्ठ चिन्ह कहा गया है। हस्तरेखीय ज्योतिष के अनुसार अगर यह आपके हाथ में है तो आप भले ही आसमान को न छू पाएं परन्तु ज़मीन पर मजे में जीवन गुजार सकते हैं कहने का तात्पर्य यह है कि इस चिन्ह से बहुत बड़ी उपलब्धि तो नहीं मिलती है लेकिन यह बुरी स्थिति से भी बचाव करती है।
त्रिकोण चिन्ह साफ व स्पष्ट होने से आपकी सोचने समझने की क्षमता अच्छी रहती है व आपकी बुद्धि तेज चलती है। यह चिन्ह जिस स्थान पर होता है उस स्थान पर मौजूद ग्रह शक्तिशाली हो जाते हैं और आपको उस ग्रह से अनुकूलता प्राप्त होती है। यह चिन्ह जब अलग अलग पर्वत पर होता है तब कैसा फल मिलता है आइये अब इसे देखें। हस्तरेखीय ज्योतिष के अनुसार जब यह चिन्ह बृहस्पति पर होता है तब आपमें प्रबंधन की क्षमता बहुत ही अच्छी रहती है, आप किसी भी संस्था को सही तरह से चलाने में सक्षम होते हैं एवं जनसमुदाय को निर्देशित करने की योग्यता रखते हैं।
त्रिकोण का चिन्ह अगर सर्य पर्वत पर हो तो आप गंभीर स्वभाव के होते हैं व कला के क्षेत्र में अपने प्रयास एवं लगन से धीरे धीरे सफलता एवं प्रसिद्धि हासिल करते हैं। आपकी हथेली मे चन्द्र पर्वत पर त्रिकोण का निशान होना इस बात का सूचक होता है कि आप आपकी कल्पना व आपकी सोच निराधार नहीं होती है। आप जो भी सोचते या कल्पना करते हैं उनका एक दृढ़ आधार होता है। त्रिकोण का चिन्ह मंगल पर्वत पर होने से आप संघर्ष की स्थिति से दूर रहते हैं अगर ऐसी स्थिति आ भी जाती है तो आप अपनी चतुराई एवं अक्लमंदी से स्थितियों को अपनी ओर कर लेते है, साथ ही आप कठिन घड़ी में भी अपने आप पर नियंत्रण बनाये रखने में सक्षम होते हें और संकट की स्थिति में सूझ बूझ भरा निर्णय लेते हैं।
आर्थिक दृष्टिकोण से यह माना जाता है कि यह चिन्ह जब बुध पर्वत पर होता है तब आप व्यापार, व्यवसाय एवं आर्थिक विषयों में सूझ बूझ भरा निर्णय लेते हैं और अपनी आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने में कामयाब होते हैं। शुक्र प्यार मुहब्बत का स्थान होता है, शुक्र पर्वत पर इस चिन्ह के होना प्रेम और प्रेमी दोनों के लिए ही शुभ माना जाता है। इस स्थान पर यह चिन्ह होने से आप अपने मन को काबू में रख पाने में सफल होते हैं अर्थात आपका अपने मन पर नियंत्रण होता है एवं आपमें सहनशीलता रहती है जो प्यार की कामयाबी के लिए आवश्यक कहा गया है।
आप अपनी हथेली को गौर से देखिये कहीं यह चिन्ह शनि पर्वत पर तो नहीं है। अगर शनि पर्वत पर यह चिन्ह है तो आपके विषय में यही कहा जा सकता है कि यह आपको गुप्त विद्याओं की ओर आकर्षित करेगा आप तंत्र, मंत्र, यंत्र के पुजारी होंगे। आप लोगों को अपनी चमत्कारी विद्याओ से चकित करने की चाहत रखेंगे।
चक्र (Circle):
हस्त रेखीय ज्योतिष में चक्र के निशान को शुभ नहीं माना गया है। यह निशान जिस पर्वत पर होता है उस पर्वत से सम्बन्धित फल की हानि करता है, अगर यह किसी पर्वत पर स्थित होकर किसी रेखा को छूता है तो जिस रेखा को यह छूता है उसके शुभ प्रभाव की हानि हो जाती है। यह भी कहा गया है कि अगर यह रेखा चन्द्र पर्वत पर हो तब आपको जलक्षेत्र से सावधान रहना चाहिए क्योंकि इस स्थिति में आपको जल में डूबकर मरने की संभावना रहती है।
सूर्य पर्वत इस सम्बन्ध में अपवाद माना गया है। अगर यह चिन्ह सूर्य पर्वत पर होता है तो इसे अशुभ नहीं माना जाता है क्योंकि इस स्थान पर यह सूर्य ग्रह से मिलने वाले फल की वृद्धि करता है और आपको सूर्य का शुभ प्रभाव दिलाता है।
वर्गाकार रेखा ( Square):
हथेली में वर्गाकार रेखा शुभ चिन्ह के रूप में जाता है। इस रेखा को रक्षा कवच के रूप में भी जाना जाता है क्योकि यह निशान आपको जीवन में आने वाली समस्याओं को सहने की ताकत देता है और आपके अंदर की क्षमता को बढ़ाता है जिससे आप आने वाली किसी भी कठिनाई से लड़कर अपने आपको सामान्य स्थिति मे ले आते हैं। हथेली में मौजूद अलग अलग पर्वत पर इस चिन्ह का प्रभाव भी अलग होता है जैसे अगर यह चिन्ह गुरू पर्वत पर हो तो आप महत्वाकांक्षी होते हैं आपके सपने आसमान की बुलंदियों को छूते हैं।
सूर्य पर्वत पर यह निशान होने से आप लोकप्रियता और प्रसिद्धि प्राप्त करने के लिए अत्यंत उत्सुक होते हैं। आपकी हथेली में चन्द्र पर्वत पर अगर वर्ग का चिन्ह है तो आप बहुत अधिक कल्पनाशील होते हैं आप ख्वाबो व ख्यालों की दुनियां में खोये रहते हैं। मंगल पर्वत पर इस चिन्ह का होना इस बात का इशारा है कि आपको अपने शत्रुओं से सावधान रहना चाहिए अन्यथा शत्रु आपको परेशान कर सकते हैं। बुध पर्वत पर वर्गाकर निशान का होना मानसिक असंतुलन को दर्शाता है। इस स्थति के होने से आपका मन चचल रहता है, आप किसी एक विषय पर अपने मन को स्थिर नहीं कर पाते हैं।
शुक्र पर्वत पर यह चिन्ह उन स्थितियों में आपको बचाता है जब आप आवेग या जोश में आकर कोई कदम उठा लेते हैं और संकट में घिर जाते हैं। शनि पर्वत पर यह निशान शुभ नहीं माना जाता है। इस स्थान पर इस चिन्ह के होने से आपको जीवन में कई स्थानों पर आपको नुकसान या क्षति की स्थिति से गुजरना होता है।
जाल (Grille):
हथेली पर जालीनुमा निशान होना सामुद्रिक ज्योतिष की दृष्टि से शुभ नहीं है। यह निशान हथेली पर जहां भी होता है उस स्थान से सम्बन्धित फल को नष्ट कर देता है। यह निशान जिस पर्वत पर होता है उस पर्वत की गुणवत्ता कम हो जाती है। इस निशान के होने से आपको जीवन में काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है, अगर आपके हाथों में भी यह निशान है तो समझ लिये आपको कठिनायों पर विजय हासिल करने के लिए काफी कठिनाईयों का सामना करना होगा। हस्त रेखा विज्ञान में ऐसा माना जाता है कि अगर यह निशान अपोलो पर्वत पर हो तो आपको सफलता का स्वाद मुश्किल से मिलता है।
हथेली के विभिन्न पर्वत पर इस निशान का क्या प्रभाव होता है आइये इसे देखते हैं। अगर यह निशान गुरू पर्वत पर हो तो यह आपको घमंडी, अपने आपको बढ़ा चढ़ा कर दिखाने वाला और अहमवादी बनाता है। सूर्य पर्वत पर चिन्ह का होना बताता है कि आप झूठी प्रतिष्ठा के लिए दिखावा करते और आज्ञानियों वाला काम कर जाते हैं। चन्द्र पर्वत पर जालीनुमा निशान बताता है कि आप अंदर से व्याकुल, अस्थिर और वेचैन रहते हैं। अगर आप प्यार में दिवानगी की हद पार कर जाते हैं तो संभव है कि आपकी हथेली के शुक्र पर्वत पर जालीनुमा निशान मौजूद हो, क्योंकि इस स्थान पर जाली का होना यही बताता है। शनि पर्वत पर यह निशान आपको शारीरिक रूप से अस्वस्थ एवं कमज़ोर बनाता है साथ ही यह आपको दुखी रखता है।
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अक्सर आपने किसी का उत्साह बढ़ाने के लिए अपनी हथेली की चारों उंगलियों को मोड़ कर अंगूठा ऊपर की ओर दिखाया होगा याbकिसी और को ऐसा करते देखा होगा। वास्तव में इसके पीछे एक बड़ा तथ्य यह है कि अंगूठा हमारी पूरी हथेली का प्रतिनिधित्व करता है और यह इच्छा शक्ति एवं मन को बल प्रदान प्रदान करता है। हस्तरेखा शास्त्र यानी पामिस्ट्री में तो अंगूठे के हर पोर का विशेष महत्व है।
हस्तरेखीय ज्योतिष अंगूठे को ज्ञान का पिटारा कहता है जिसके हरेक पोर में व्यक्ति के विषय में काफीbरहस्य छुपा होता है। इस पिटारे की एक मात्र चाभी है हस्त रेखा विज्ञान का सूक्ष्म ज्ञान अर्थात जिसने हस्तरेखा विज्ञान का सूक्ष्मता से अध्ययन किया है वह इस पर लगा ताला खोल सकता है। आप भी अगर हस्तरेखा विज्ञान को गहराई से समझने के इच्छुक हैं तो आपको भी अंगूठे पर दृष्टि जमानी होगी अन्यथा इस शास्त्र में आप कच्चे रह जाएंगे अर्थात "अंगूठा टेक" ही रह जाएंगे।
अंगूठे के विषय में जानकारी हासिल करने के लिए सबसे पहले तो आप अपना अंगूठा गौर से देखिये, आप देखेंगे कि अंगूठा हड्डियों के दो टुकड़ों से मिलकर बना है और अन्य उंगलियो की तरह इसके भी तीन पर्व यानी पोर हैं। इसके तीनों ही पर्व व्यक्ति के विषय में अलग अलग कहानी कहती है।
अंगूठे का पहला पर्व (First Part of the Thumb):
सामुद्रिक ज्योतिष के अनुसार जिस व्यक्ति के अंगूठे का पहला पर्व लम्बा होता है वह व्यक्ति आत्मविश्वास से भरा होता है और अपना जीवन पथ स्वयं बनता है। ये आत्मनिर्भरता में यकीन करते हैं और सजग रहते हैं। हथेली का पहला पर्व लम्बा हो यह तो अच्छा है लेकिन अगर यह बहुत अधिक लम्बा है तो यह समझ लीजिए कि व्यक्ति असामाजिक गतिविधियों को अंजाम देने वाला है, यह खतरनाक काम कर सकता है। दूसरी ओर जिस व्यक्ति के अंगूठे का पहला पर्व छोटा होता है वहbदूसरों पर निर्भर रहते हैं और जिम्मेवारी भरा निर्णयbनहीं ले पाते हैं। ये काम को गंभीरता से नहीं लेते हैं। पहला पर्व अगर चौड़ा है तो समझ लीजिए यह व्यक्ति मनमानी करने वाला अर्थात जिद्दी है। जिनका पहला पर्व लगभग समकोण जैसा दिखता हो उनके साथ होशियारी से पेश आने की जरूरत होती है क्योंकि ये काफी चालाक और तेज मस्तिष्क वाले होते हैं।
अंगूठे का दूसरा पर्व (Second Part of the Thumb):
अंगूठे का दूसरा भाग लम्बा होना बताता है कि व्यक्ति चालाक और सजग है (People whose Second Phalange is long are cautious and cunning)। यह व्यक्ति सामाजिक कार्यों एवं जनसेवा के कार्यों में सक्रिय रहने वाला है। दूसरा पूर्व जिनका छोटा होता है वे बिना आगे पीछे सोचे काम करने वाले होते हैं परिणाम की चिंता नहीं करते यही कारण है कि ये ऐसा काम कर बैठते हैं जो जोखिम और खतरों से भरा होता है। दूसरा पर्व अंगूठे का दबा हुआ है तो यह बताता है कि व्यक्ति गंभीर और संवेदशील है और इनकी मानसिक क्षमता अच्छी है।
अंगूठे का तीसरा पर्व (Third Part of the Thumb):
अंगूठे का तीसरा पर्व वास्तव में शुक्र पर्वत का स्थान होता है जिसे व्यक्ति विश्लेषण के समय अंगूठे के तीसरे पर्व के रूप में लिया जाता है (Mount of the Venus is located on the third phalange of the thumb)। यह पर्व अगर अच्छी तरह उभरा हुआ है और गुलाबी आभा से दमक रहा है तो यह मानना चाहिए कि व्यक्ति प्यार और रोमांस में काफी सक्रिय है। इस स्थिति में व्यक्ति जीवन के कठिन समय को भी हंसते मुस्कुराते गुजराना जानता है। यह पर्व अगर सामान्य से अधिक उभरा हुआ है तो यह जानना चाहिए कि व्यक्ति में काम की भावना प्रबल है यह इसके लिए किसी भी सीमा तक जा सकता है। अंगूठे का तीसरा पर्व अगर सामन्य रूप से उभरा नहीं है और सपाट है तो यह कहना चाहिए कि व्यक्ति प्रेम और उत्साह से रहित है।
उम्मीद है आप अंगूठे की महिमा पूरी तरह समझ चुके होंगे, तो अब से अंगूठे को गौर से देखिए और व्यक्ति को पहचानिए।

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