अधिकतर बच्चो को हाय- टोंक -या नजर खूब लगते है
अधिकतर बच्चो को हाय- टोंक -या नजर खूब लगते है इससे बच्चे का स्वस्थ नरम हो जाता है दस्त भी लगते है उल्टीया भी हो जाती है बच्चे खूब रोते भी है ! आप पहले डाँक्टर को भी दिखा लिजीये साथ मे ये एक छोटा सा अचुक और दिव्य प्रयोग भी करे !
कच्चिघानी के सरसों का तेल लेकर उसमे काले तिल मिलाकर दर दरा पिस के रखले इसेसे रोज अपने बालक के माथे पर तिलक लगा दे थोडा सीने मे भी लगा दें !
ये तिलक इतना दिव्य और अदभूत है इसे लगाने पर चाहे किसी भी तरह का हाय -टोंक-नजर या कोई भी अला बला नही छू सकते ! यदि लगे भी होतो तिलक लगाते ही तत्काल हट जाते है ! यह तिलक कोई भी लगा के रखता है या लगा के कही भी आये जाये उसे कोई भय नही रहता ! सारे अला बला उस से दुर रहते है ये आप आज और अभी से लगाना शुरू कर दें ! और आस पडोस के अपने भाईयो को भी जरुर बताये ये तिलक बिना मंत्र का हीं शिद्द है !
★डूबा हुआ धन वापस पाने का तंत्र।
शुक्रवार के दिन शुक्र की ही होरा में कपूर को जला कर काजल बना लें।इस काजल से भोजपत्र पर उस व्यक्ति का नाम लिखें जिसे धन दिया हुआ है।भोजपत्र को मोड़ कर उसे 7 बार हाथ से थपथपा कर कहें कि मेरा पैसा शीघ्र वापस कर दे। फिर उस भोजपत्र को भारी पत्थर के नीचे दबा दें। पैसा वापिस आना शुरु हो जाएगा।
★कार्य-सिद्धि हेतु गणेश शाबर मन्त्र
“ॐ गनपत वीर, भूखे मसान, जो फल माँगूँ, सो फल आन। गनपत देखे, गनपत के छत्र से बादशाह डरे। राजा के मुख से प्रजा डरे, हाथा चढ़े सिन्दूर। औलिया गौरी का पूत गनेश, गुग्गुल की धरुँ ढेरी, रिद्धि-सिद्धि गनपत धनेरी। जय गिरनार-पति। ॐ नमो स्वाहा।”
विधि-
सामग्रीः- धूप या गुग्गुल, दीपक, घी, सिन्दूर, बेसन का लड्डू। दिनः- बुधवार, गुरुवार या शनिवार। निर्दिष्ट वारों में यदि ग्रहण, पर्व, पुष्य नक्षत्र, सर्वार्थ-सिद्धि योग हो तो उत्तम। समयः- रात्रि १० बजे। जप संख्या-१२५। अवधिः- ४० दिन।
किसी एकान्त स्थान में या देवालय में, जहाँ लोगों का आवागमन कम हो, भगवान् गणेश की षोडशोपचार से पूजा करे। घी का दीपक जलाकर, अपने सामने, एक फुट की ऊँचाई पर रखे। सिन्दूर और लड्डू के प्रसाद का भोग लगाए और प्रतिदिन १२५ बार उक्त मन्त्र का जप करें। प्रतिदिन के प्रसाद को बच्चों में बाँट दे। चालीसवें दिन सवा सेर लड्डू के प्रसाद का भोग लगाए और मन्त्र का जप समाप्त होने पर तीन बालकों को भोजन कराकर उन्हें कुछ द्रव्य-दक्षिणा में दे। सिन्दूर को एक डिब्बी में सुरक्षित रखे। एक सप्ताह तक इस सिन्दूर को न छूए। उसके बाद जब कभी कोई कार्य या समस्या आ पड़े, तो सिन्दूर को सात बार उक्त मन्त्र से अभिमन्त्रित कर अपने माथे पर टीका लगाए। कार्य सफल होगा।
★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★
रात-दिन मेहनत करके इतना धन तो अर्जित किया जा सकता है कि अपना और अपने परिवार का अच्छी तरह भरण-पोषण हो जाए परन्तु लाखों-करोडों की दौलत तो केवल भाग्य से ही मिलती है। अनेक अतियोग्य, मेधावी और मेहनती व्यक्ति जीवन भर छोटी-मोटी नौकरी ही करते रहते हैं, छोटा सा मकान बनाने तक का उनका सपना पूरा नहीं हो पाता।
दूसरी तरफ अनेक मूर्ख और अयोग्य व्यक्ति लाखों रूपए प्रतिमाह अर्जित कर रहे हैं और इसका एकमात्र कारण यही है कि धन की देवी लक्ष्मीजी की उन पर भरपूर कृपा है। भगवती लक्ष्मी की कृपा और भरपूर धन प्राप्त करने हेतु अनेक टोने-टोटके, गंडे-तावीज, अंगूठियां और रत्न ही नहीं बडी-बडी तांत्रिक साधनाएं तक प्राचीनकाल से ही संपूर्ण विश्व में प्रचलित रही हैं। हमारे धर्म में दीपावली पूजन के साथ ही कई प्रकार के यन्त्रों, पूजाओं और मंत्रों की साधना प्राचीनकाल से होती रही है, तो इस्लाम में भी इस प्रकार के अनेक नक्श और तावीज हैं। इनमें से पूर्ण प्रभावशाली और साधना में एकदम आसान कुछ टोने-टोटके और यन्त्र-मन्त्र इस प्रकार हैं।
शक्तिशाली टोटके
• दान करने से धन घटता नहीं ,बल्कि जितना देते हैं उसका दस गुना ईश्वर हमें देता है।
• आयुर्वेद में वर्णित "त्रिफला" का एक घटक "बहेडा" सहज सुलभ फल है। इसका पेड बहुत बडा, महुआ के पेड जैसा होता है। रवि-पुष्य के दिन इसकी जड और पत्ते लाकर उनकी पूजा करें, तत्पश्चात् इन्हें लाल वस्त्र में बांधकर भंडार, तिजोरी या बक्स में रख दें। यह टोटका भी बहुत समृद्धिशाली है।
• पुष्य-नक्षत्र के दिन शंखपुष्पी की जड घर लाकर, इसे देव-प्रतिमाओं की भांति पूजें और तदनन्तर चांदी की डिब्बी में प्रतिष्ठित करके, उस डिब्बी को धन की पेटी, भण्डार घर अथवा बक्स-तिजोरी में रख दें। यह टोटका लक्ष्मीजी की कृपा कराने में अत्यन्त समर्थ प्रमाणित होता है।
धन प्रापि्त के लिए दस नमस्कार मंत्र इनमें से किसी भी एक मंत्र का चयन करके सुबह, दोपहर और रात्रि को सोते समय पांच-पांच बार नियम से उसका स्तवत करें। मातेश्वरी लक्ष्मीजी आप पर परम कृपालु बनी रहेंगी।
ओम धनाय नम: ओम नारायण नमो नम:
ओम धनाय नमो नम: ओम नारायण नम:
ओम लक्ष्मी नम: ओम प्राप्ताय नम:
ओम लक्ष्मी नमो नम: ओम प्राप्ताय नमो नम:
ओम लक्ष्मी नारायण नम: ओम लक्ष्मी नारायण नमो नम:
★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★
* दीपक जलाकर उसी से धूप या अगरबत्ती कभी भी नहीं जलानी चाहिए। इससे घर में दरिद्रता प्रवेश करती है। ऐसा करने से पैसों में बरकत नहीं होती, खर्च, आमदनी से ज्यादा होता है, कर्ज बढ़ता जाता है।
कच्चिघानी के सरसों का तेल लेकर उसमे काले तिल मिलाकर दर दरा पिस के रखले इसेसे रोज अपने बालक के माथे पर तिलक लगा दे थोडा सीने मे भी लगा दें !
ये तिलक इतना दिव्य और अदभूत है इसे लगाने पर चाहे किसी भी तरह का हाय -टोंक-नजर या कोई भी अला बला नही छू सकते ! यदि लगे भी होतो तिलक लगाते ही तत्काल हट जाते है ! यह तिलक कोई भी लगा के रखता है या लगा के कही भी आये जाये उसे कोई भय नही रहता ! सारे अला बला उस से दुर रहते है ये आप आज और अभी से लगाना शुरू कर दें ! और आस पडोस के अपने भाईयो को भी जरुर बताये ये तिलक बिना मंत्र का हीं शिद्द है !
★डूबा हुआ धन वापस पाने का तंत्र।
शुक्रवार के दिन शुक्र की ही होरा में कपूर को जला कर काजल बना लें।इस काजल से भोजपत्र पर उस व्यक्ति का नाम लिखें जिसे धन दिया हुआ है।भोजपत्र को मोड़ कर उसे 7 बार हाथ से थपथपा कर कहें कि मेरा पैसा शीघ्र वापस कर दे। फिर उस भोजपत्र को भारी पत्थर के नीचे दबा दें। पैसा वापिस आना शुरु हो जाएगा।
★कार्य-सिद्धि हेतु गणेश शाबर मन्त्र
“ॐ गनपत वीर, भूखे मसान, जो फल माँगूँ, सो फल आन। गनपत देखे, गनपत के छत्र से बादशाह डरे। राजा के मुख से प्रजा डरे, हाथा चढ़े सिन्दूर। औलिया गौरी का पूत गनेश, गुग्गुल की धरुँ ढेरी, रिद्धि-सिद्धि गनपत धनेरी। जय गिरनार-पति। ॐ नमो स्वाहा।”
विधि-
सामग्रीः- धूप या गुग्गुल, दीपक, घी, सिन्दूर, बेसन का लड्डू। दिनः- बुधवार, गुरुवार या शनिवार। निर्दिष्ट वारों में यदि ग्रहण, पर्व, पुष्य नक्षत्र, सर्वार्थ-सिद्धि योग हो तो उत्तम। समयः- रात्रि १० बजे। जप संख्या-१२५। अवधिः- ४० दिन।
किसी एकान्त स्थान में या देवालय में, जहाँ लोगों का आवागमन कम हो, भगवान् गणेश की षोडशोपचार से पूजा करे। घी का दीपक जलाकर, अपने सामने, एक फुट की ऊँचाई पर रखे। सिन्दूर और लड्डू के प्रसाद का भोग लगाए और प्रतिदिन १२५ बार उक्त मन्त्र का जप करें। प्रतिदिन के प्रसाद को बच्चों में बाँट दे। चालीसवें दिन सवा सेर लड्डू के प्रसाद का भोग लगाए और मन्त्र का जप समाप्त होने पर तीन बालकों को भोजन कराकर उन्हें कुछ द्रव्य-दक्षिणा में दे। सिन्दूर को एक डिब्बी में सुरक्षित रखे। एक सप्ताह तक इस सिन्दूर को न छूए। उसके बाद जब कभी कोई कार्य या समस्या आ पड़े, तो सिन्दूर को सात बार उक्त मन्त्र से अभिमन्त्रित कर अपने माथे पर टीका लगाए। कार्य सफल होगा।
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रात-दिन मेहनत करके इतना धन तो अर्जित किया जा सकता है कि अपना और अपने परिवार का अच्छी तरह भरण-पोषण हो जाए परन्तु लाखों-करोडों की दौलत तो केवल भाग्य से ही मिलती है। अनेक अतियोग्य, मेधावी और मेहनती व्यक्ति जीवन भर छोटी-मोटी नौकरी ही करते रहते हैं, छोटा सा मकान बनाने तक का उनका सपना पूरा नहीं हो पाता।
दूसरी तरफ अनेक मूर्ख और अयोग्य व्यक्ति लाखों रूपए प्रतिमाह अर्जित कर रहे हैं और इसका एकमात्र कारण यही है कि धन की देवी लक्ष्मीजी की उन पर भरपूर कृपा है। भगवती लक्ष्मी की कृपा और भरपूर धन प्राप्त करने हेतु अनेक टोने-टोटके, गंडे-तावीज, अंगूठियां और रत्न ही नहीं बडी-बडी तांत्रिक साधनाएं तक प्राचीनकाल से ही संपूर्ण विश्व में प्रचलित रही हैं। हमारे धर्म में दीपावली पूजन के साथ ही कई प्रकार के यन्त्रों, पूजाओं और मंत्रों की साधना प्राचीनकाल से होती रही है, तो इस्लाम में भी इस प्रकार के अनेक नक्श और तावीज हैं। इनमें से पूर्ण प्रभावशाली और साधना में एकदम आसान कुछ टोने-टोटके और यन्त्र-मन्त्र इस प्रकार हैं।
शक्तिशाली टोटके
• दान करने से धन घटता नहीं ,बल्कि जितना देते हैं उसका दस गुना ईश्वर हमें देता है।
• आयुर्वेद में वर्णित "त्रिफला" का एक घटक "बहेडा" सहज सुलभ फल है। इसका पेड बहुत बडा, महुआ के पेड जैसा होता है। रवि-पुष्य के दिन इसकी जड और पत्ते लाकर उनकी पूजा करें, तत्पश्चात् इन्हें लाल वस्त्र में बांधकर भंडार, तिजोरी या बक्स में रख दें। यह टोटका भी बहुत समृद्धिशाली है।
• पुष्य-नक्षत्र के दिन शंखपुष्पी की जड घर लाकर, इसे देव-प्रतिमाओं की भांति पूजें और तदनन्तर चांदी की डिब्बी में प्रतिष्ठित करके, उस डिब्बी को धन की पेटी, भण्डार घर अथवा बक्स-तिजोरी में रख दें। यह टोटका लक्ष्मीजी की कृपा कराने में अत्यन्त समर्थ प्रमाणित होता है।
धन प्रापि्त के लिए दस नमस्कार मंत्र इनमें से किसी भी एक मंत्र का चयन करके सुबह, दोपहर और रात्रि को सोते समय पांच-पांच बार नियम से उसका स्तवत करें। मातेश्वरी लक्ष्मीजी आप पर परम कृपालु बनी रहेंगी।
ओम धनाय नम: ओम नारायण नमो नम:
ओम धनाय नमो नम: ओम नारायण नम:
ओम लक्ष्मी नम: ओम प्राप्ताय नम:
ओम लक्ष्मी नमो नम: ओम प्राप्ताय नमो नम:
ओम लक्ष्मी नारायण नम: ओम लक्ष्मी नारायण नमो नम:
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* दीपक जलाकर उसी से धूप या अगरबत्ती कभी भी नहीं जलानी चाहिए। इससे घर में दरिद्रता प्रवेश करती है। ऐसा करने से पैसों में बरकत नहीं होती, खर्च, आमदनी से ज्यादा होता है, कर्ज बढ़ता जाता है।
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