सेहत के दुर्गा मंत्र
शास्त्रों की मान्यता है की भगवती की प्रार्थना से रोग रूपी शत्रु नष्ट हो जाते है| दुर्गा सप्तशती के मंत्र सर्वाधिक शक्ति संपन्न माने जाते है नवरात्री में दुर्गा कवच के इन मंत्रो को सिद्ध कर जपना चाहिए प्रतिदिन प्रत्येक मंत्र की दस माला जपनी चाहिए मंत्र जिस प्रकार का लिखे उसी तरह जपना चाहिए ये परम्परा से प्राप्त आर्ष मंत्र है मंत्र के बीजाक्षरो का ध्यान पूर्वक शुद्ध उच्चारण करने से लाभ होता है|
१. कान के रोग के लिए:- मंत्र ॐ द्वाम द्वारवासिनीभ्याम नमः | कानो में बहरापन दर्द कान में साँय- साँय की आवाज़ सुनायी देना जेसे विकारो की शांति के लिए उक्त मंत्र का जाप करे, दवाये असर करने लगेगी|
२. नेत्र रोग के लिए मंत्र :- ॐ शां शान्खिनीभ्याम नमः | इस मंत्र जाप से नेत्र विकारो का नियंत्रण हो जाता है दवाएं फलीभूत होती है सूर्योदय से पूर्व लाल फूल लेकर उक्त मंत्र का उचारण करने से आँख का दर्द नष्ट हो जाता है|
३. गले का विकार:- मंत्र ॐ चिं चित्र घंटाभ्याम नमः| गले के विकारो के नियंत्रण के लिए यह मंत्र अद्भुत प्रभावशाली सिद्ध हुआ है|
४. रीढ़ की हड्डी के लिए :- मंत्र ॐ धं धनुर्धारीभ्यां नमः| रीड की हड्डी से अनेको लोग परेशान है आप इस मंत्र का संकल्प लेकर अपने पुरोहित से या स्वयं श्रद्धा पूर्वक जाप करे|
५.मानसिक रोग:- मंत्र ॐ उं उमादेवीभ्याम नमः| जो व्यक्ति मानसिक रोग व्याधि से ग्रस्त हो उसे स्वयं या उसके प्रतिनिधि पुरोहित, ब्राह्मण को रोगी हेतु संकल्प लेकर निम्न मंत्र की दस माला का नवरात्री में जाप करे|
६. नासिका रोगों के लिए :- मंत्र ॐ यं यम घंटाभ्याम नमः| इस मंत्र के जाप से नाक सम्बन्धी रोग शांत होते है|
७. पेट की बीमारियाँ :- मंत्र ॐ शूं शूलधारिणीभ्यां नमः| पेट की समस्त बीमारियों पर नियंत्रण पाने के लिए तथा जलोदर आदि भयानक रोग की शांति के लिए यह मंत्र उपयोगी है प्रसव वेदना से मुक्ति पाने के लिए यह मंत्र काम करता है|
८. ह्रदय रोग:- ॐ लं ललिता देवीभ्याम नमः| इस मंत्र के जाप से यक्ति ह्रदय विकार जन्य परेशानियों से छुटकारा पा सकता है , आत्मबल बढ़ता है जीवन में आरोग्य लाभ होता है|
९. रक्त चाप:- मंत्र ॐ वं वज्र हस्ताभ्यां नमः| आजकल व्यस्त जीवन में रक्त चाप से परेशानी बढ़ रही है वायु विकारो एवं रक्त चाप से मुक्ति के लिए उक्त मंत्र का जाप प्रात व सोते समय करे|
10. दन्त रोग के लिए:- मंत्र ॐ क़ौम कौमारीभ्याम नमः | दांत निकलते समय कष्ट से मुक्ति दिलाने के लिए मंत्र से अभिमंत्रित जल को सुबह पिला दे |
11. अस्थि मज्जा विकार शांति:- मंत्र ॐ पां पार्वतीभ्याम नमः| रक्त मज्जा एवं अस्थि रोगों पर नियंत्रण के लिए और कुष्ट रोगी भी इसका अधिक से अधिक जाप करे तो दवाई प्रभाव करेगी|
१२. बुखार के लिए :- मंत्र ॐ मुं मुकुटेश्वरीभ्याम नमः| रक्त पित्त , अम्ल पित्त विकारो पर नियंत्रण एवं ज्वर शांति के लिए इस मंत्र का प्रयोग करे|
१३. कलह से मुक्ति:- ॐ शों शोक विनाशिनीभ्यां नमः| घर में क्लेश शांति के लिए एवं आकस्मिक म्रत्यु भय आदि मानसिक क्लेशों से मुक्ति पाने के लिए इस मंत्र को मंगलवार के दिन शुरु कर एवं नित्य इसका जाप करे घर में क्लेश शांत होगा व घर के लोगो की मानसिक स्थति ठीक हो जाएगी|
१. कान के रोग के लिए:- मंत्र ॐ द्वाम द्वारवासिनीभ्याम नमः | कानो में बहरापन दर्द कान में साँय- साँय की आवाज़ सुनायी देना जेसे विकारो की शांति के लिए उक्त मंत्र का जाप करे, दवाये असर करने लगेगी|
२. नेत्र रोग के लिए मंत्र :- ॐ शां शान्खिनीभ्याम नमः | इस मंत्र जाप से नेत्र विकारो का नियंत्रण हो जाता है दवाएं फलीभूत होती है सूर्योदय से पूर्व लाल फूल लेकर उक्त मंत्र का उचारण करने से आँख का दर्द नष्ट हो जाता है|
३. गले का विकार:- मंत्र ॐ चिं चित्र घंटाभ्याम नमः| गले के विकारो के नियंत्रण के लिए यह मंत्र अद्भुत प्रभावशाली सिद्ध हुआ है|
४. रीढ़ की हड्डी के लिए :- मंत्र ॐ धं धनुर्धारीभ्यां नमः| रीड की हड्डी से अनेको लोग परेशान है आप इस मंत्र का संकल्प लेकर अपने पुरोहित से या स्वयं श्रद्धा पूर्वक जाप करे|
५.मानसिक रोग:- मंत्र ॐ उं उमादेवीभ्याम नमः| जो व्यक्ति मानसिक रोग व्याधि से ग्रस्त हो उसे स्वयं या उसके प्रतिनिधि पुरोहित, ब्राह्मण को रोगी हेतु संकल्प लेकर निम्न मंत्र की दस माला का नवरात्री में जाप करे|
६. नासिका रोगों के लिए :- मंत्र ॐ यं यम घंटाभ्याम नमः| इस मंत्र के जाप से नाक सम्बन्धी रोग शांत होते है|
७. पेट की बीमारियाँ :- मंत्र ॐ शूं शूलधारिणीभ्यां नमः| पेट की समस्त बीमारियों पर नियंत्रण पाने के लिए तथा जलोदर आदि भयानक रोग की शांति के लिए यह मंत्र उपयोगी है प्रसव वेदना से मुक्ति पाने के लिए यह मंत्र काम करता है|
८. ह्रदय रोग:- ॐ लं ललिता देवीभ्याम नमः| इस मंत्र के जाप से यक्ति ह्रदय विकार जन्य परेशानियों से छुटकारा पा सकता है , आत्मबल बढ़ता है जीवन में आरोग्य लाभ होता है|
९. रक्त चाप:- मंत्र ॐ वं वज्र हस्ताभ्यां नमः| आजकल व्यस्त जीवन में रक्त चाप से परेशानी बढ़ रही है वायु विकारो एवं रक्त चाप से मुक्ति के लिए उक्त मंत्र का जाप प्रात व सोते समय करे|
10. दन्त रोग के लिए:- मंत्र ॐ क़ौम कौमारीभ्याम नमः | दांत निकलते समय कष्ट से मुक्ति दिलाने के लिए मंत्र से अभिमंत्रित जल को सुबह पिला दे |
11. अस्थि मज्जा विकार शांति:- मंत्र ॐ पां पार्वतीभ्याम नमः| रक्त मज्जा एवं अस्थि रोगों पर नियंत्रण के लिए और कुष्ट रोगी भी इसका अधिक से अधिक जाप करे तो दवाई प्रभाव करेगी|
१२. बुखार के लिए :- मंत्र ॐ मुं मुकुटेश्वरीभ्याम नमः| रक्त पित्त , अम्ल पित्त विकारो पर नियंत्रण एवं ज्वर शांति के लिए इस मंत्र का प्रयोग करे|
१३. कलह से मुक्ति:- ॐ शों शोक विनाशिनीभ्यां नमः| घर में क्लेश शांति के लिए एवं आकस्मिक म्रत्यु भय आदि मानसिक क्लेशों से मुक्ति पाने के लिए इस मंत्र को मंगलवार के दिन शुरु कर एवं नित्य इसका जाप करे घर में क्लेश शांत होगा व घर के लोगो की मानसिक स्थति ठीक हो जाएगी|
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